Monday, January 9, 2012

कमल भाई साब का कमाल . . .

आज मैं आरटीआई मंच पर था। रात को बाजार से सामान की खरीदी की। देर रात तक जागने का मूड़ था, मेरे सुझाव पर अमूल दूध का आधा किलो का पैक व अमूल छाछ के चार पैक खरीद लिए गए। मैंनें फ्रिज में छाछ व दूध को अलग-अलग कम्पार्ट में रखे।
मंच के सभी साथियों के साथ मैं भी खाना बनाने लगा। मुकेश व मैं चपातियां बना रहे थे, हमारे आदरणीय भाई साब कमल जी शिमला मिर्च को बेसन के साथ बना रहे थे। वो बार बार कहे रहे थे कि बेसन के साथ दही होता तो जायकेदार सब्जी बनती। साथियों ने सुझाव दिया कि दही के जगह छाछ का इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने एक अमूल पैक का उपयोग कर लिया।
खूश्बूदार सब्जी तैयार थी, सभी साथी खाने बैठे। सब्जी तीखी थी तो लाजमी है कि छाछ की डिमाण्ड हुई। कमल भाई साब ने सभी कि ग्लास में छाछ भर दी। कमल भाई साब व मोहन सिंह ने तो छाछ में नमक मिक्स कर पिया। मुझे व मुकेश को छाछ फिकी फिकी बेस्वादी लगी। मैंनें तो कह भी दिया कि छाछ फिकी है। खैर उसके बाद जो छाछ आई वो थोड़ी खट्टी थी।
खैर
खाना अच्छा था सभी ने दबाकर खाया। थोड़ी देर बाद चाय की तलब हुई। कमल भाई साब को चाय बनाने का बड़ा शौक है, घूस गए किचन में। मैं भी टहलता हुआ किचन की ओर निकल गया। किचन की ओर देखा तो पाया कि कमल भाई साब मेरा मूंह ताक रहे है, वहीं चूल्हे पर पतीली पड़ी है लेकिन चूल्हा बंद है। कमल भाई साब मुझे देखकर बोले - लखन आप दूध भी लाए थे ? मैंनें कहा जी हां फ्रिज में रखा है।

उन्होंने कहा कि दूध तो नहीं है . . . यह सूनने के बाद हंसी के इतने फंवारे छूटे की सभी का पेट दर्द होने लगा।

एक्च्यूएली हुआ यूं था कि आदरणीय कमल भाई साब ने बेसन के साथ बनाई जा रही शिमला मिर्च की सब्जी में छाछ की जगह दूध डाल दिया। शेष दूध को हमें परोस दिया। हम सभी दूध को फिकी छाछ समझकर पी गए। कमल भाई साब व मोहन ने तो दूध में नमक मिला मिला कर पिया।

No comments:

Post a Comment