Saturday, November 23, 2013

बढ़ रहा है शर्मा का जनाधार, कम नहीं है गुर्जर के जीतने के आसार

लखन सालवी (भीलवाड़ा/माण्डल)-
माण्डल विधानसभा क्षेञ में वोटों के ध्रुवीकरण से राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे है। कांग्रेस के पूर्व विधायक रामलाल जाट द्वारा क्षेञ छोड़कर आसीन्द जाने और भाजपा द्वारा कालू लाल गुर्जर को प्रत्याशी घोषित करने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे है कि क्षेञ से कांग्रेस का प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाएगा वहीं भाजपा के लोग अपनी जीत लगभग तय मानकर निश्चिंत नजर आने लगे थे। जैसे ही कांग्रेस ने रामपाल शर्मा को अपना प्रत्याशी घोषित किया तो भाजपा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित-सी हो गई। उसके बाद नामांकन पञ दाखिल करने के दौरान भाजपा उम्मीदवार के साथ क्षेञ के हजारों कार्यकर्ताओं की रैली ने भी भाजपा उम्मीदवार के जीतने की संभावनाएं व्यक्त कर ही दी थी। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस प्रत्याशी रामपाल शर्मा ने अपने प्रस्तावकों के साथ बिना किसी दिखावे के साधारण तरीके से नामांकन पञ दाखिल किया था। लेकिन ज्यों-ज्यों मतदान का दिन नजदीक आ रहा है त्यों-त्यों भाजपा उम्मीदवार के चुनाव जीत जाने की निश्चिंतता, जीत की सुनिश्चितता और जीत की संभावनाओं का आंकलन बिगड़ता नजर आ रहा है।

गुर्जर के वोट बैंक में शर्मा की सेंध

मोटा का खेड़ा में जनसभा को सम्बोधित करते रामपाल शर्मा
यूं तो जिले के माण्डल विधानसभा क्षेञ को गुर्जर बाहुल्य माना जाता है। हांलाकि जातिय जनगणना की रिपोर्ट जगजाहिर नहीं हुई है लेकिन राजनेताओं द्वारा अनुमानित तौर पर क्षेञ को किसी ना किसी जाति बाहुल्य बना दिया जाता हैं। चुनाव के पूर्व टिकट मांगने वालो ने भी अपनी-अपनी जाति की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बताई और अपनी जाति का पूरा समर्थन प्राप्त होने की बातें भी कही। भाजपा उम्मीदवार कालू लाल गुर्जर अपने जाति का पूरा समर्थन प्राप्त होने की बात कहते हुए अपने आप सर्वाधिक मजबूत मान रहे है लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या गुर्जर जाति के सभी मतदाता भाजपा के गुर्जर उम्मीदवार को वोट देंगे ? देखने में तो नहीं लेकिन सुनने में यही आता है कि गुर्जर मतदाता गुर्जर उम्मीदवार को वोट देंगे। दूसरी तरफ क्षेञ में चुनाव प्रचार कर रहे कांग्रेस उम्मीदवार रामपाल शर्मा के लिए गुर्जर बाहुल्य गांवों में गुर्जर जाति के लोगों का समर्थन मिल रहा हैं। उल्लेखनीय है कि उपरमाळ क्षेञ को गुर्जर बाहुल्य क्षेञ माना जाता है और कथित तौर पर गुर्जर जाति के मतदाता भाजपा के उम्मीदवार कालू लाल गुर्जर के साथ हैं। दूसरी तरफ आजकल उपरमाळ क्षेञ में रामपाल शर्मा का व्यापक जनसम्पर्क चल रहा है। उन्होंने करेड़ा, मरवेड़ा, सेहणुन्दा, मोटा का खेड़ा सहित दर्जन भर गुर्जर बाहुल्य गांवों में जनसम्पर्क किया है। इस दौरान गांवों में गुर्जर जाति के लोगों ने रामपाल शर्मा का भव्य स्वागत करते हुए गांव की चौपालों पर जाजम बिछा कर न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं को बैठने की जगह दी बल्कि शर्मा को जीताने की हुंकार भी भरी है।  कीडिमाल के पूर्व सरपंच उंकार लाल गुर्जर, पंचायत समिति सदस्य घीसू लाल गुर्जर, मोटा का खेड़ा के आसूराम गुर्जर, थाणा गांव के छोगा लाल गुर्जर, ज्ञानगढ़ के पूरणमल गुर्जर, गोरख्या के नैनालाल गुर्जर सहित दर्जनों गुर्जर नेता कांग्रेस प्रत्याशी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जनसम्पर्क करते नजर आ रहे है इससे साफ जाहिर है कि कालू लाल गुर्जर के वोट बैंक में सेंध लग गई है और गुर्जर मतदाता एकमत होकर भाजपा उम्मीदवार कालू लाल गुर्जर के साथ नहीं है। हालांकि कांग्रेस के पास क्षेञ के एक वरिष्ठ गुर्जर नेता पहले से ही साथ है लेकिन यह गुर्जर नेता इन दिनों चुनाव प्रचार में नजर नहीं आ रहे है। वो घर बैठकर ही स्वजातिय लोगों को सामूहिक निर्णय करने के लिए अपने घर आने का न्यौता दे रहे है लेकिन उनके स्वजातिय लोगों का कहना है कि जब कांग्रेस ने टिकट रामपाल शर्मा को दे दिया है, हम पार्टी के साथ है तो फिर निर्णय किस बात का करना है, सो वे वरिष्ठ गुर्जर की बात को अनसुना कर लगातार रामपाल शर्मा के साथ जनसम्पर्क में जुटे हुए है। 

हो रहा है वोटों का ध्रुवीकरण, लामबंद्ध हो रहे गैरगुर्जर मतदाता

गुर्जरों के लामबंद्ध होने की कथित सूचनाओं के बाद क्षेञ के अन्य जातियों व वर्गों के लोग लामबंद्ध हो कर कांग्रेस के पक्ष में खड़े दिख रहे है।  जीत या हार का सेहरा बंधवाने वाला दलित वोट बैंक भी कांग्रेस के पलड़े में जा रहा है, दलित आदिवासी एवं घुमन्तु अधिकार अभियान राजस्थान के संस्थापक व सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी का रामपाल शर्मा के साथ दिखना, इस बात का पुख्ता प्रमाण है।
इस चुनाव में ब्राह्मण मतदाता भी लामबंद्ध होकर कांग्रेस से जुड़ रहे है। ब्राह्मणों की इस एकजूटता का सारा श्रेय रामपाल शर्मा को जाता है। दूरदर्शी सोच रखते हुए अदृश्य रहकर वर्तमान की राजनीति करने में माहिर शर्मा ने पंचायतीराज चुनाव में गोपाल सारस्वत को प्रधान बनवाकर ब्राह्मण समुदाय को राजनीति के करीब लाने का सफल प्रयास किया और उसके बाद करेड़ा क्षेञ में पांव जमाने के लिए अदृश्य रहकर अपने चेहते विनोद तिवारी को ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष बनवाया। गत वर्षों में प्रधान व ब्लॉक अध्यक्ष ने मिलकर ब्राह्मण मतदाताओं को कांग्रेस से जोडऩे के प्रयास किए है, जिसका फायदा इस चुनाव में रामपाल शर्मा को मिलता दिखाई दे रहा है। एक तरफ रामपाल शर्मा क्षेञ के गांवों-गांवों में जाकर सभी वर्गों के मतदाताओं से सम्पर्क कर रहे है वहीं ब्लॉक अध्यक्ष विनोद तिवाड़ी, प्रधान गोपाल सारस्वत, निम्बाहेड़ा जाटान के पूर्व सरपंच गोपाल लाल तिवाड़ी सहित एक दर्जन ब्राह्मण नेता समाज को कांग्रेस के पक्ष में लाने के लिए कमर कसे हुए है। वहीं दूसरी तरफ सीसीबी अध्यक्ष चेतन डिडवाणिया, उदयलाल गाडऱी जैसे लोग जीत के लिए अपने-अपने  स्तर पर प्रयास कर रहे है। कान्फेड अध्यक्ष मोना शर्मा ने भी महिलाओं की टुकड़ी के साथ मोर्चा संभाला हुआ वह घर-घर जाकर चुनाव प्रचार कर रही है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार पार्टी प्रतिबद्धता के चलते ब्राह्मण मत शत प्रतिशत कांग्रेस खाते में नहीं जायेगा लेकिन बीते चुनावों की अपेक्षा इस चुनाव में कांग्रेस के खाते में ब्राह्मण मतों की बढ़ोतरी जरूर होगी। जनसम्पर्क के दौरान करेड़ा में अपार जन समर्थन से इस बात का अंदेशा सहज ही लगाया जा सकता है।

ससुराल व ननिहाल से विश्वास

क्षेञ में ससुराल व ननिहाल होने का फायदा भी शर्मा को मिलेगा। जानकारी के अनुसार कांग्रेस प्रत्याशी रामपाल शर्मा का ससुराल करेड़ा में है जो कि उपरमाळ क्षेञ का ह्दय स्थल है वहीं ननिहाल माण्डल विधानसभा के ही भगवानपुरा गांव में है।  शर्मा अपने आप को क्षेञ का दामाद व भाणेज बताकर मतदाताओं से वोट की मांग कर रहे है।  शर्मा को विश्वास है कि क्षेञ में ससुराल व ननिहाल होने से उन्हें जरूर फायदा मिलेगा।

यहां भाजपा का जनाधार

समर्थकों के साथ कालू लाल गुर्जर  
ऐसा नहीं है कि हर गांव में कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन मिल रहा हो। उपखण्ड मुख्यालय के पास की पीथास, अमरगढ़, चांखेड, बागौर, बावलास सहित दर्जनभर ग्राम पंचायतों में कांग्रेस की हालात ठीक नहीं है। इन ग्राम पंचायतों के सैकड़ों गांवों में कालू लाल गुर्जर का बोलबाला है। जनसम्पर्क के दौरान के माहौल के अनुसार इस क्षेञ में रामपाल शर्मा को बढ़त मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे है। बागौर सरपंच कालू लाल जाट, चांखेड सरपंच पुत्र मदन लाल जाट जैसे दर्जनों जनाधार खो चूके नेताओं की बदौलत इस क्षेञ में गैरजाट, दलित व अल्पसंख्यक मतदाता कांग्रेस से बिखरे हुए है। 

कांग्रेस का बागी, भाजपा के लिए दु:खदायी 

कांग्रेस से बागी उम्मीदवार दुर्गपाल सिंह अपने समर्थकों सहित क्षेञ में जनसम्पर्क में लगे हुए है। वे क्षेञ के सभी बूथों पर अपने बूथ कार्यकर्ता लगा पायेंगे इसमें अभी संशय है लेकिन राजपूत व मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल हो सकते है ऐसा होने पर कांग्रेस की बजाए भाजपा को अधिक नुकसान होने के आसार है। माण्डल के पूर्व चैयरमेन रमेश बूलिया, पूर्व सरपंच जाकिर खां, महिपाल वैष्णव, आबिद हुसैन शेख सहित दर्जन भर वरिष्ठ कार्यकताओं के साथ क्षेञ में जनसम्पर्क कर रहे राजपुरा के दुर्गपाल सिंह कांग्रेस को शायद ही अधिक नुकसान पहुंचा पायेंगे। जानकारी के अनुसार न तो रामपाल शर्मा और न ही कांग्रेस पार्टी के किसी पदाधिकारी ने बागी उम्मीदवार दुर्गपाल सिंह को मनाने की चेष्टा की है। इससे साफ जाहिर है कि कांग्रेस यहां अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रही है। जानकारी के अनुसार दुर्गपाल सिंह क्षेञ के मुस्लिम व राजपूत मतदाताओं को लुभाने में सफल हो सकते है। दूसरी तरफ  गुर्जरों का रामपाल शर्मा के प्रति जुड़ाव व राजपूत एवं मुस्लिम वोट बैंक का दुर्गपाल सिंह की ओर झुकाव कालू लाल गुर्जर के लिए माथे का दर्द बनता जा रहा है। 
बहरहाल भाजपा प्रत्याशी अपने स्वजाति मतदाताओं के मतों के आधार पर चुनाव जीतने का तो कांग्रेस उम्मीदवार गुर्जर वोट बैंक में सेंध कर व ब्राह्मण मतदाताओं को एक जाजम पर लाकर चुनाव जीतने का सपना देख रहे है वहीं बागी उम्मीदवार अपने स्वजाति व अल्पसंख्यक मतदाताओं को अपने साथ मिलाने का भ्रम पालते हुए कांग्रेस उम्मीदवार की लूटिया डूबोने  का सपना देख रहे है वहीं दूसरी ओर क्षेञ में तीव्र गति से वोटों का ध्रुवीकरण हो रहा है जो भाजपा उम्मीदवार के लिए चुनौती बनता जा रहा है। राजनीतिक अनुभवियों की माने तो भाजपा प्रत्याशी कालूलाल गुर्जर को हराना आसान नहीं है, वे परिपक्व राजनीतिज्ञ है और मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में माहिर है।