Friday, July 14, 2017

एक दलित समुदाय के लोग दिन-रात श्मसान भूमि में दे रहे है धरना

देवगढ़ के मुर्दे अब कहां जाएं ?

सर्वण हिन्दू, दलित हिन्दूओं को दबाकर रखने के लिए हर संभव कार्य करते है। मारपीट करना, गाली गलौच करना, उनके आवासों व कृषि की जमीनें हड़पना आम बात है। अब दलितों के श्मसानों पर इनकी नजर है, अब वे दलित मुर्दों को भी खदेड़ना चाहते है। भारत में सवर्ण हिन्दू विभिन्न अवसरों पर विभिन्न संगठनों के माध्यम से भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की दहाड़े मारते है, दूसरी ओर वो अपने ही धर्म के लोगों के साथ ऐसा अन्याय करने को आमादा हो जाते है जो हिन्दू धर्म में अति निन्दनीय है। पर वास्तव में धर्म की पड़ी किसे है, यहां धर्म की आड़ में सत्ता और स्वार्थ का बोलबाला है।



राजसमन्द जिले में दलित अत्याचार की घटनाएं होना आम बात है। यहां कभी किसी दलित की पगड़ी उतार पर आग की भट्टी में डालकर ये कहते हुए जला दी जाती है कि ‘‘तुमने हमारे जैसी पगड़ी क्यों बांध ली’’। कभी जमीन हड़पने की नियत से सोलंकियों का गुढ़ा के दलित परिवार की महिला को डायन कह दिया जाता है तो कभी घोड़े पर बिन्दौली निकालने पर मारपीट की जाती है। इन सभी प्रकार के अत्याचारों को दलित समुदायों के लोग सदियों से सहते आए है, पिछले कुछ सालों से विरोध भी करने लगे है। विरोध किया तो कहीं जीते, कहीं हार का मूंह भी देखना पड़ा। खास बात यह रही है कि बिखरे-बिखरे रहने वाला दलित समुदाय अब संगठित होकर संघर्ष करने लगा है, फिर चाहे मुद्दा सामूदायिक हो या व्यक्तिगत, अत्याचार का हो या अधिकारों के दमन का।

अभी रात के 11.30 बज चुके है, दिन है 10 जुलाई 2017 का। देवगढ़ के सालवी समाज के लोग अभी रात में कस्बे के शास्त्रीनगर में स्थित श्मसान भूमि में धरने बैठे हुए है। समाज के महिला-पुरूष आज दिन भर श्मसान भूमि में धरने पर बैठे रहे थे। शाम होने के बाद महिलाएं घरों पर चली गई और परिवार के बड़े, बुजुर्ग व युवा श्मसान में ही रूके रहे है। धरने में भंवर लाल, नारायण लाल, अर्जुन लाल, तुलसीराम, हिरा लाल, शंकर लाल, निशांत, नारायण लाल, रमेश चन्द्र, शोभा लाल, श्रवण लाल, केसूराम, धर्मेश कुमार, रोशन लाल, देवी लाल, सुरेश चन्द्र, जीतेन्द्र कुमार, चम्पा लाल, कैलाश, गोपाल लाल, राहुल, नेपल सहित करीब 100 लोग श्मसान भूमि में ही धरने पर बैठे हुए है।

2013 में जनसहभागिता योजना में स्वीकृत हुई चारदिवारी, समाज ने जमा करवा दी 10 प्रतिशत राशि, टेण्डर भी हो गए पर नहीं बना रहे चारदिवारी

2013 में नगरपालिका ने इनकी सुनवाई की, जनसहभागिता योजना के तहत चारदिवारी स्वीकृत कर दी। इस योजना के नियमानुसार समाज के समाज के लोगों ने 19 सितम्बर 2013 को रसीद क्रमांक 59 के जरिए नगरपालिका में 58 हजार 800 रूपए जमा करवा दिए। यानि योजनानुसार 10 प्रतिशत राशि सालवी समाज के लोगों ने जमा करवा दी, जिसके आधार पर नगर पालिका ने 5 लाख 88 हजार रूपए की चारदिवारी स्वीकृत कर दी। चारदिवारी बनाने के लिए टेण्डर आमंत्रित किए। टेण्डर ठेकेदार ने कार्य आरम्भ करना चाहा तो श्मसान भूमि के पास आकर बस चुके सवर्ण परिवारों के लोगों ने आपत्ति जताते हुए शिकायत कर दी और चारदिवारी निर्माण का कार्य रूकवा दिया। उसके बाद से सालवी समाज के लोग नगरपालिका के चक्कर काट रहे है लेकिन चारदिवारी का कार्य नहीं करवाया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार यहां केवल श्मसान भूमि ही थी। समाज के बुजुर्ग व्यक्ति नाथूराम मेमात ने बताया कि श्मसान आज-कल का नहीं है। इस भूमि में हमारी दसियों पीढ़ियों के पूर्वज दफन है। समाज के शिक्षित युवाओं ने बताते है कि देवगढ़ कस्बे के बसने के साथ ही यह श्मसान बनाया गया था। धर्मेश सालवी ने बताया कि उनके परिवार की चार पीढ़ी के लोगों का यहीं पर अंतिम संस्कार किया गया। पहली पीढ़ी के भैराराम चिताणिया, दूसरी पीढ़ी के पिताराम चिताणिया, तीसरी पीढ़ी के गंगाराम चिताणिया, चौथी पीढ़ी के चेनाराम चिताणिया के शरीर यहीं जमींदोज हैं। इससे साफ होता है कि करीब सौ सालों से यह श्मसान भूमि सालवी समाज की ही है।

अब बात करे उन लोगों की जो बेनामी शिकायतें प्रशासन से कर रहे है। इस श्मसान को यहां से हटाने का प्रयास इसके आस-पास बस चुके सवर्ण परिवारों के लोग कर रहे है जो पिछले 10-15 सालों में यहां आकर बसे है। इन लोगों ने नगरपालिका के भूखण्ड़ों को निलामी में खरीदा। तब इन लोगों को श्मसान की जानकारी होते हुए भी चूंकि जरूरत थी इसलिए नीलामी में भूखण्ड खरीद लिए। नगरपालिका की स्कीम में उनके भूखण्ड़ों के दरवाजे श्मसान भूमि के विपरित दिशा में है, बावजूद कई लोगों ने श्मसान भूमि की ओर भी दरवाजे लगा दिए और अब येनकेन प्रकारेण श्मसान को बंद करवाना चाह रहे है। इनका बस चले तो श्मसान की भूमि पर महल बना दे।

धरने पर बैठे श्रवण सालवी ने बताया कि नगरपालिका द्वारा चारदिवारी का निर्माण कार्य नहीं करवाए जाने के कारण समाज के लोगों ने 07 जुलाई को चारदिवारी का कार्य शुरू कर दिया। कार्य शुरू करने के कुछ देर बाद उपखण्ड अधिकारी ने मौके पर आकर कार्य रूकवा दिया। उन्होंने बताया कि लोगों ने फोन पर शिकायत की, जिसके बिहाफ पर वे काम बंद करवाने आए है। इससे साफ जाहिर हो जाता है सालवी समाज के श्मसान की चारदिवारी के कार्य बंद करवाने में निश्चित तौर पर बड़े राजनेताओं का हाथ भी है। सालवी समाज के लोगों ने एसडीएम को सच्चाई से अवगत कराया, जनसहभागिता योजना के चारदिवारी की स्वीकृति की बात भी बताई पर वे नहीं माने और काम बंद करवाकर ही माने।

उसके बाद से सालवी समाज के लोग चारदिवारी निर्माण की मांग को लेकर श्मसान पर बैठ गए। जो अभी तक बैठे हुए है। 10 जुलाई को दोपहर में उन्होंने जिला कलेक्टर के नाम एसडीएम को ज्ञापन दिया और चेतावनी दी है कि अगर 3 दिन में चारदिवारी का कार्य आरम्भ नहीं किया गया तो वे आमरण अनशन करेंगे।

समाज के लोग श्मसान भूमि में धरने पर बैठे है, यहीं पर खाना बनाकर खाया है, सुनवाई नहीं हुई तो यहीं पर आमरण अनशन करने की चेतावनी दे रहे है। कुछ लोग सो चुके है, कुछ आगे की रणनीति बना रहे है।