Monday, February 8, 2016

नौसिखिए नहीं, चाणक्य हैं विधायक गमेती



लखन सालवी

उदयपुर जिले गोगुन्दा विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रताप गमेती को राजनीतिक नौसिखियां समझने की भूल कर रहे हैं लोग। महाराणा प्रताप की कर्मभूमि में जन्में प्रताप गमेती को राजनीति विरासत में मिली हैं। उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्धी (अपने व विपक्षी) यह भूल जाते हैं कि प्रताप को राजनीति न केवल विरासत में मिली हैं बल्कि वे स्वयं बरसों से सक्रिय राजनीति में हैं। प्रताप गमेती के पिता भुरा लाल गमेती (भुरा भाई) एक बार सरपंच व दो बार विधायक चुने गए। वहीं प्रताप गमेती की माता रोड़ी बाई भी सरपंच रही। प्रताप गमेती स्वयं तीन बार सरपंच रहे। वर्तमान में उनकी बेटी अणछी गमेती भी सरपंच हैं। अर्थात् प्रताप गमेती को ही नहीं वरन् इनके पूरे परिवार को राजनीति विरासत में तो मिली हैं जिसे वे लगातार आगे बढ़ा रहे हैं। प्रताप गमेती को आदिवासी समुदाय में जन्मा चाणक्य कह दिया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

स्वर्गीय भुरा लाल गमेती की राजनीति: जब-जब टिकट मिला, मुख्यमंत्री भाजपा का बना
प्रताप गमेती के पिता भुरा लाल गमेती अपने जमाने के पहुंचे हुए राजनेता थे। वे न केवल आदिवासी समुदाय के आगेवान थे बल्कि जनता दल से जुड़े क्षेत्र के पहले आदिवासी सक्रिय लीडर थे जो पहले सरपंच बने फिर दो बार क्षेत्र के विधायक रहे। उनके दोनों बार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेक्तावत रहे।

पहली बार: विधायक बने भुरा भाई, मुख्यमंत्री भैरों सिंह
1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी ने 152 सीटों के साथ सरकार बनाई। 22 जून 1977 को कद्दावर नेता भैरू सिंह शेक्तावत मुख्यमंत्री बने। उस विधानसभा चुनाव में पार्टी ने गोगुन्दा विधानसभा क्षेत्र से भुरा लाल गमेती को टिकट दिया। उन्हें 12 हजार 783 वोट मिले जबकि उनके विपक्ष में सीपीआई के मेघराज को महज 8743 वोट मिले।

1980 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भुरा लाल गमेती को पुनः टिकट दिया लेकिन इस बार सीपीआई के मेघराज तावड़ बाजी मार गए। वहीं कांग्रेस दूसरे नम्बर पर रही। इस बार मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाडि़या बने। इनके बाद शिवचरण माथूर मुख्यमंत्री बने।

1985 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भुरा लाल गमेती को पुनः टिकट दिया लेकिन इस बार कांग्रेस के देवेन्द्र मीणा ने 12081 वोटों से भुरा लाल गमेती को हरा दिया। इस बार मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी बने।

दूसरी बार: विधायक बने भुरा भाई, मुख्यमंत्री भैरों सिंह
1990 के चुनाव में भी भुरा लाल गमेती को टिकट दिया गया। इस चुनाव में उन्हें 23437 वोट मिले वहीं 8561 वोट लेकर कांग्रेस के देवेन्द्र मीणा दूसरे नम्बर पर रहे। इस चुनाव में भाजपा ने कुल 85 सीटें प्राप्त की और राजस्थान में भैरों सिंह शेक्तावत मुख्यमंत्री बने।

1993 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने महावीर भगोरा को अपना प्रत्याशी घोषित किया। इस चुनाव में भगोरा की जीत हुई। उसके बाद 1998 में जीत की गेंद कांग्रेस के पाले में चली गई। 1998, 2003 व 2008 तक कांग्रेस के मांगी लाल गरासिया चुनाव जीतते रहे और लगातार 15 वर्ष तक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 2008 की कांग्रेस सरकार में वे श्रम मंत्री भी रहे, श्रम मंत्री रहते हुए उन्होंने क्षेत्र के श्रमिक वर्ग के लिए जो कार्य किए वे अतुलनीय व प्रशसनीय भी हैं। 

2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रताप गमेती को टिकट दिया। इस चुनाव में इन्होंने 3345 वोटों से मांगी लाल गरासिया को हराया। प्रताप गमेती को 69210 वोट मिले। इस बार राज्य ही नहीं वरन देश भर में भाजपा की लहर चली। जनता के अंदर का करन्ट चुनाव में बाहर निकला और केन्द्र व राज्यों में भाजपा की सरकारें बनी।

विधानसभा चुनाव की जीत की खुशी में प्रताप गमेती बहे नहीं। जीत के पीछे की ताकतों को पहचाना और निरन्तर उन ताकतों को और मजबूत करने पर लगे हुए हैं। क्षेत्र के लिए पेयजल की बात हो, सिंचाई जल की बात हो या वर्षा जल सरंक्षण, कृषि विकास या बिजली, पानी, सड़कों सहित मूलभूत सुविधाओं की बात हो, इन सबके पुख्ता बंदोबस्त के लिए विधायक लगातार प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं।

प्रताप गमेती की एक कमजोरी भी हैं, वो त्वरित व ठोस कार्यवाही को अंजाम नहीं दिलवा पाते हैं लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो यह कमजोरी भी उनकी मजबूती का आधार हैं। 

यह उनकी लम्बी व दूरगामी सोच का ही नतीजा हैं कि विपक्षियों व विरोधियों की लाख कोशिशों के बावजूद भी बसस्टेण्ड़ पर सुलभ शौचालय का निर्माण करवाया जो आज कस्बेवासियों, प्रवासियों व आगन्तुकों के लिए काम आ रहा हैं। विधायक के इस कार्य को हर वर्ग ने सराहा हैं। 

बायपास चौराहें पर चल रहे विकास कार्य के लिए विधायक ने भरसक प्रयत्न किए। नतीजा सामने हैं। वर्तमान में वे गोगुन्दा के बसस्टेण्ड का विकास करवाने के लिए प्रयासरत हैं। इसके लिए आजकल जयपुर में डेरा डाले हुए हैं। उनकी गाड़ी गोगुन्दा से जयपुर के बीच ज्यादा दौड़ती दिखाई पड़ रही हैं। उनकी गाड़ी का यूं दौड़ना गोगुन्दा के लिए शुकून की बात हैं।

यूं तो प्रताप गमेती पूरे विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य करवा रहे हैं लेकिन गोगुन्दा मुख्यालय पर विकास कार्यों में ज्यादा भाग ले रहे हैं। खास बात हैं कि गोगुन्दा के प्रधान पुष्कर तेली, उपप्रधान पप्पू राणा व सरपंच गागू लाल मेघवाल जैसे सकारात्मक ऊर्जा के धनी लोगों का भरपूर सहयोग मिल रहा हैं। विधायक गमेती का कहना हैं कि इन सभी लोगों के सहयोग के बिना गोगुन्दा का विकास संभव ही नहीं हैं।पिछले दो साल के कार्यकाल में दिखते हुए काम गोगुन्दा में हुए हैं। विकास को दर्शाने वाले इन कामों के लिए सरपंच गागू लाल मेघवाल को भी खूब सराहना मिली हैं। ग्राम पंचायत के सरंपच के तौर पर गोगुन्दा में हुए विकास कार्यों के संदर्भ में उन पर कम दबाव नहीं था लेकिन प्रधान पुष्कर तेली व विधायक प्रताप गमेती के सहयोग के बिना ग्राम पंचायत में इस स्तर के विकास कार्य करवा पाना मुश्किल था। हालांकि विधायक, प्रधान व सरपंच गोगुन्दा में हुए विकास कार्यों का श्रेय एक-दूसरे को दे रहे हैं लेकिन सच यह हैं कि सर्वाधिक श्रेय के योग्य तो सरपंच गागू लाल मेघवाल व ग्राम सेवक भूपेन्द्र सिंह झाला ही हैं।


चूंकि लेख की शुरूआत विधायक प्रताप गमेती की राजनीतिक परिपक्वता को लेकर हुई तो इसका समापन भी उसी बात के अंजाम से करना बेहतर होगा। अमूमन प्रताप गमेती कम बोलते हैं लेकिन जितना बोलते हैं सधा हुआ बोलते हैं। कम बोलना, सधा हुआ बोलना, विकास के मुद्दों पर अड़े रहना व सभी से नम्रतापूर्वक बात करना विधायक प्रताप गमेती की आदत में शुमार हैं। हाल में छाली ग्राम पंचायत के उण्ड़ीथल गांव में आयोजित संगोष्ठि में उपस्थित रहे लोगों ने इसका अहसास किया होगा। राज्यपाल कल्याण सिंह की मौजूदगी में विधायक ने बड़े ही साधारण व शांत तरीके से क्षेत्र के चार-पांच मुद्दों को रखा। मुद्दों को रखने के उनके तरीके से राजनीति के पुरोधा कल्याण सिंह ने जरूर उनकी राजनीतिक चेतना का अनुमान लगाया होगा। राजनीतिक भाषण की बजाए क्षेत्र के विकास के मुद्दों पर बात करना ही आज के समय में अच्छी राजनीति हैं। वैसे हर व्यक्ति राजनीति को अपने-अपने तरीके से परिभाषित करता हैं लेकिन विधायक प्रताप गमेती क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करने को ही राजनीति का मुख्य भाग मानते हैं। इसलिए दावें के साथ कहा जा सकता हैं कि विधायक प्रताप गमेती नौसिखिए नेता नहीं बल्कि गोगुन्दा की राजनीति के चाणक्य हैं। उनके समर्थकों का कहना हैं कि राजनीति को चोटी वाले चाणक्य करते हैं, प्रताप गमेती तो बिना चोटी के चाणक्य हैं जो क्षेत्र का विकास कर रहे हैं। 

युवा प्रधान बहा रहा हैं विकास की बयार

उदयपुर जिले के गोगुन्दा पंचायत समिति के युवा प्रधान पुष्कर तेली अपनी कार्यशैली व विकास कार्य करवाने के अंदाज व अपनी पहल के कारण सुर्खियों में हैं। वे अपनी सुझबूझ से क्षेत्र में विकास करवा रहे हैं। प्रतिबद्धता व सकारात्मक सोच के कारण युवाओं के चहेते बनते जा रहे हैं।

हाल ही में पंचायतीराज चुनाव का एक वर्ष पूरा हुआ हैं। गोगुन्दा के युवा प्रधान पुष्कर तेली ने 07 फरवरी 2015 को पदभार ग्रहण किया था। तब उनकी उम्र 22 वर्ष थी। बीते एक वर्ष में इस युवा व सकारात्मक सोच के धनी प्रधान ने पंचायत समिति क्षेत्र में न केवल विकास कार्य करवाए हैं बल्कि युवा वर्ग को अपने साथ जोड़कर क्षेत्र के विकास के लिए नवाचार कर रहे हैं।
आजकल गोगुन्दा पंचायत समिति मुख्यालय व ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर हर चौराहें पर लोग विकास की बातें करते नजर आते हैं और विकास के साथ विकास करवाने वाले शख्स का नाम भी पूरे गूमान के साथ लेते हैं। मजेदार बात हैं कि विकास की मांग को लेकर नहीं वरन गोगुन्दा में हो रहे विकास कार्यों के बारे में चर्चाएं की जा रही हैं। ऐसा कम ही देखने को मिलता हैं। लोगों को विकास की चिंता नहीं हैं। वे निश्चिंत हो गए हैं कि अब गोगुन्दा का विकास हो के रहेगा। लोग यह भी कहते हैं कि आजादी के बाद पहली बार गोगुन्दा में गुणवत्ता वाले विकास कार्य होते नजर आ रहे हैं।

बनाई मजबूत टीम, लिख रहे हैं विकास की नई इबारत

प्रधान पद संभालने के बाद कुछ माह तक सामान्य चलता रहा। उन्होंने राजनीतिक माहौल को समझा, कर्मचारियों व अधिकारियों की मंशा को भांपा, सहयोगी ग्रुप को पहचाना व युवाओं की एक टीम जुटाई, जिसमें सूचनाएं देने वाले, सूचनाएं पहुंचाने वाले, अच्छे सुझाव देने वाले व सहयोग देने वाले युवाओं को शामिल किया। ग्राम पंचायतों के सरपंचों से भी तालमेल बिठाया। युवा सरपंचों से लगातार सम्पर्क किया। उन्हें विकास कार्यों लिए उत्साहित किया। महज 6 माह के अल्प समय में प्रधान ने अपनी मजबूत टीम बना ली। जिनके बूते आज प्रधान विकास की नई इबारत लिख रहे हैं।

पहला अच्छा काम, जिसे जनता ने खूब सराहा

गोगुन्दा मोटागांव के नाम से भी जाना जाता हैं। गोगुन्दा उपखण्ड क्षेत्र में आदिवासी अंचल का यह सबसे बड़ा गांव हैं। पूर्व में यहां हाट लगती थी, जिसमें क्षेत्र के गांवों के लोग आवश्यक सामग्री खरीदने के लिए आते थे। आज भी लोग अपनी जरूरतों के सामान लेने यहीं आते हैं। गोगुन्दा क्षेत्र से भारी संख्या में प्रवास भी होता हैं। यहां से रोजाना 10 से अधिक बसें गुजरात के शहरों में जाती हैं, जिनमें यहां के लोग प्रवास पर जाते हैं। इन लोगों को यहां से रवानगी व वापसी के दौरान सुलभ शौचालय की आवश्यकता थी। जोधपुर व सिरोही जाने वाली बसें भी यहां से होकर गुजरती हैं। सामान्य दिनों में भी बसस्टेण्ड पर यात्रियों व आगन्तुकों की भीड़ रहती हैं। उपखण्ड मुख्यालय होने के बावजूद बसस्टेण्ड़ पर मूत्रालय व शौचालय नहीं थे। यात्री व आमजन बसस्टेण्ड़ पर केबिनों के पीछे ही खुले में मूत्र त्याग करते थे। जिससे बसस्टेण्ड़ पर हर वक्त सडांध फैली रहती थी। 

प्रधान ने विधायक प्रताप गमेती के सामने इस मुद्दे की पैरवी की, फण्ड की समुचित व्यवस्था की। सरपंच गागू लाल मेघवाल का हौंसला बढ़ाया और बसस्टेण्ड़ पर सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करवाया। यह कार्य आसान नहीं था। प्रतिद्वंद्धियों ने निर्माण में रोड़े लगाने के खूब जतन किए। निर्माण वाली जमीन को लेकर मुद्दा बनाया। बोगस व्यक्ति को जमीन का स्वामी बताकर ग्राम पंचायत का हौंसला कमजोर करने के प्रयास किए लेकिन प्रधान ने अपनी देखरेख में इस कार्य को अंजाम दिलवाया। 

इस कार्य की हर तरफ से सराहना हुई। गोगुन्दावासियों व क्षेत्रवासियों ने ही नही बल्कि यहां से होकर यात्रा करने वाले लोगों ने भी इस कार्य की खूब सराहना की। खासतौर पर महिला वर्ग ने इस कार्य को लेकर विधायक, सरपंच व प्रधान को शुभाशिष दिए।


प्रधान के पिता पन्ना लाल तेली व्यवसायी हैं और पिछले डेढ़ दशक से गोगुन्दा में बिल्डिंग मेटेरियल सप्लाई का व्यवसाय कर रहे हैं। पिछले वर्ष तक पुष्कर तेली पढ़ाई के साथ पिता के व्यवसाय में हाथ बटाते थे। राजनीतिक समझ स्कूल के दिनों से ही बढ़ने लगी थी। कम उम्र में ही राजनीतिक लोगों की मानसिकता व क्रियाकलापों से भली भांति अवगत हो चुके थे। साथ ही विकास कार्यों में उनकी भूमिका व कार्यप्रणाली को समझा था। सक्रिय राजनीति में जाने का मकसद नहीं था। इनके पिताजी के सम्पर्क जरूर राजनीतिक लोगों से थे। उन्हीं की बदौलत गत पंचायतीराज चुनाव में पंचायत समिति सदस्य का टिकिट मिला। भाजपा के बैनर से वार्ड संख्या-5 से चुनाव लड़ा और प्रतिद्वंद्धी राम सिंह चंदाना को 341 वोटों से हराकर पंचायत समिति सदस्य बने और बाद में प्रधान का चुनाव लड़ा और जीते।

इनके चुनाव जीतने के बाद गोगुन्दा क्षेत्र में चर्चाएं आम हुई कि - बच्चे को प्रधान बना दिया हैं। वह क्या विकास करवा पाएगा। वह तो बोल भी नहीं पाता हैं। उसे तो पंचायतीराज की समझ ही नहीं हैं। उसे तो राजनीतिक समझ भी नहीं हैं। उसे तो दूनियादारी का भान भी नहीं हैं वगैरह ... वगैरह।

प्रधान बनने के तुरन्त बाद जिन लोगों ने प्रधान को लेकर टिप्पणियां की या ताने मारे, वे लोग अब प्रधान द्वारा करवाए जा रहे कार्यों को देखकर दांतों तले उंगलियां चबा रहे हैं।

विकास कार्य करवाना और इसके लिए अन्य जनप्रतिधियों को प्रेरित करना व सब को साथ लेकर चलना प्रधान की खासियत हैं। इन्होंने ही युवा सरपंचों के साथ लगातार संपर्क कर उन्हें ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर गौरव पथ का निर्माण करवाने के लिए तैयार किया। आज गांवों में सीमेन्ट की अच्छी गुणवत्ता वाली सड़कें बनी हैं। काच्छबा ग्राम पंचायत के सरपंच तेजू लाल गमेती का कहना हैं कि प्रधान जी जब भी मिलते हैं, कुछ ना कुछ नया सुझाव देते हैं और गांवों में विकास के लिए प्रेरित करते हैं। पंचायत समिति के अधिकारियों से मुझे योजनाओं की जानकारी नहीं मिलती हैं उससे पहले प्रधान जी जानकारी दे देते हैं। उनके द्वारा सुझाए गए कार्य करवाए तो ग्रामीणों ने मुझे शुभकामनाएं दी। 

काच्छबा ग्राम पंचायत के सरपंच ही नहीं अपितू क्षेत्र के लगभग सभी सरपंचों का कहना हैं कि प्रधान मृदुभाषी, सकारात्मक सोच व प्रगतिशील विचारधारा के व्यक्ति हैं और गांवों के विकास के लिए पूरा सहयोग दे रहे हैं।


स्वच्छ भारत मिशन के प्रबल पक्षधर

प्रधान पुष्कर तेली हर क्षेत्र में विकास करना चाहते हैं और सरकार की मंशा पूर्ण करने के लिए कृतसंकल्पित हैं। स्वच्छ भारत मिशन को इन्होंने आत्मसात किया हैं और पंचायत समिति क्षेत्र की ग्राम पंचायतों के सरपंचों से सतत् सम्पर्क कर उन्हें अपनी पंचायत को शौचमुक्त बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। रावलियां खुर्द ग्राम पंचायत की सरपंच सविता कुंवर के पति जो कि सामाजिक कार्यकर्ता को भी इसके लिए प्रेरित किया। इस ग्राम पंचायत को शौच मुक्त बनाने के लिए इस गांव से जुड़े किसान नेता व पार्टी कार्यकर्ताओं को इस मिशन से सरपंच के साथ जोड़ा। गांव के लोगों की सोच बदलने के भरपूर प्रयास किए। उनकी यह साझी पहल सफल रही। 900 से अधिक परिवारों ने अपने घरों में शौचालय बनवाए हैं। इस योजना के प्रति ग्रामीणों की गलत मानसिकता न बन जाए इसलिए जिन लोगों ने शौचालयों का निर्माण करवाया उन्हें सहायता राशि दिलवाने में भी ढि़लाई नहीं बरती, फलस्वरूप 900 परिवारों को 1 करोड़ 8 लाख रूपए का भुगतान हो पाया हैं।

राजनीतिक जानकार व ब्यूरोक्रेसी को समझने वाले लोग निश्चित ही शौचमुक्त ग्राम पंचायत बनाने का श्रेय सरकार व जिला कलक्टर को दे सकते हैं लेकिन पर्दें के पीछे की कहानी यही हैं कि युवा वर्ग के प्रेरणास्त्रोत बने प्रधान पुष्कर तेली की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं।

6 ग्राम पंचायतों में पेयजल पहुंचाने की कवायद जारी

गोगुन्दा उपखण्ड मुख्यालय से 10 किलोमीटर के दायरे में आ रही 5 ग्राम पंचायतों (रावलिया कलां, रावलिया खुर्द, मजावड़ी, ओबरा कलां व दादिया) में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था नहीं हैं। प्रधान इन पांचों ग्राम पंचायतों में पेयजल आपूर्ति करवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। यह कार्य करवाने के लिए सांसद, विधायक व सरपंचों से समन्वय कर रहे हैं। प्रशासनिक स्तर पर भी इन्होंने जमकर पैरवी की हैं। हाल ही में विभाग द्वारा सर्वे करवाया गया हैं और शीघ्र ही स्वीकृति की संभावना हैं।

गोगुन्दा में हो सरकारी काॅलेज

प्रधान पुष्कर तेली जनप्रतिनिधि भी हैं और स्वयंपाठी छात्र भी। वे वर्तमान में बी.ए. प्रथम वर्ष के विद्यार्थी हैं। इस नाते युवा वर्ग से उनका गहरा जुड़ाव हैं, फलतः युवा वर्ग की समस्या से भी भलीभांति अवगत हैं। वे गोगुन्दा में सरकारी काॅलेज खुलवाने के प्रबल प्रस्तावक हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी काॅलेज के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, उन्होंने बताया कि गोगुन्दा के छात्रों को यह सौगात जल्दी ही मिलेगी।

वाकल के लिए भी किए काम

वाकल क्षेत्र। इस क्षेत्र में आती हैं गोगुन्दा पंचायत समिति की पड़ावली कला, पड़ावली खुर्द, वास, समीजा, मादड़ा व वीरपुरा ग्राम पंचायतें। विकास के संदर्भ में अमूमन इन ग्राम पंचायतों पर कम ध्यान दिया जाता रहा हैं। मगर युवा प्रधान ने इन ग्राम पंचायतों पर विशेष ध्यान दिया। नृसिंहपुरा में पेयजल के लिए 1 करोड़ की योजना स्वीकृत करवाई। वहीं इस क्षेत्र में नेशनल बैंक की शाखा खुलवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं ताकि वित्तिय लेने-देने के लिए इस क्षेत्र के लोगों को गोगुन्दा न आना पड़े।

ताकि न रहे पेयजल की समस्या

पेयजल की समस्या से निबटने के लिए खराब पड़े हैण्डपम्पों को दुरूस्त करने की मुहिम चलाई। पंचायत समिति क्षेत्र के आधे से ज्यादा हैण्डपम्प खराब पड़े थे, जिन्हें ठीक कर देने पर पेयजल समस्या का निदान संभव था। तब प्रधान ने सभी हेण्डपम्प मिस्त्रियों को पंचायत समिति कार्यालय में उपस्थिति देने की व्यवस्था की। मिस्त्रियों ने बताया कि वे हेण्डपम्प ठीक करने जाते हैं पर समुदाय से लोग पाइप निकलवाने में मदद नहीं करते हैं, जिस कारण हेण्डपम्प खराब पड़े रह जाते हैं। प्रधान ने उन्हें पंचायत समिति की ओर से चौपहिया वाहन मुहैया करवाते हुए सुझाया गया कि वे 4 मिस्त्री साथ जाए और हेण्डपम्पों को ठीक करे। इस प्रकार अभियान चलाकर हेण्डपम्प ठीक करवाए गए। वहीं पेयजल की किल्लत को देखते हुए पिछले एक साल में 150 से अधिक नए हेण्डपम्प लगवाए गए हैं।


प्रधान अपनी सक्रिय टीम के सहयोग से हर क्षेत्र में पहल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में वे गांवों में शिविर लगाएंगे। उन शिविरों में योजनाओं की डिलीवरी सुनिश्चित करेंगे तथा नागरिकों को जनकल्याणकारी योजनाओं के पति जागरूक करेंगे। उनकी तमन्ना हैं कि क्षेत्र के प्रत्येक नागरिक का बैंक खाता हो, उसके 12 या 330 रूपए का बीमा हो। प्रधान ने जनसहयोग व निजी रूपयों से गरीब लोगों के बीमें करवाने की घोषणा भी की हैं। 

गोगुन्दा कस्बे में हुए विकास कार्य हम सब के सामने हैं, उनके बारे में ज्यादा लिखने या बताने की जरूरत नहीं हैं। पर पुष्कर जी जरूर कह रहे हैं कि -

"एक साल बीता, चार साल बाकी हैं। 
हुई हैं महज पहल, अभी तो कई हिसाब बाकी हैं।" - पुष्कर तेली

खासबात यह हैं कि प्रधान द्वारा करवाए गए एक भी कार्य पर किसी न अंगूली नहीं उठाई हैं। मतलब पूरी पारदर्शिता के साथ कार्य किए जा रहे हैं। 

जिला स्तरीय मजदूर सम्मेलन सम्पन्न


निकाली रैली, दिया धरना, कलक्टर से मिलकर बताई पीड़ा

उदयपुर - अरावली निर्माण मजदूर सुरक्षा संघ, बजरंग, जरगा, सायरा, रानी बाई, वागड़, खडग व वेणेश्वर निर्माण श्रमिक संगठन के संयुक्त तत्वावाधान में उदयपुर के मोता पार्क में मजदूर सम्मेलन का आयोजन किया गया। सुबह 11 बजे आरम्भ हुए सम्मेलन में गोगुन्दा, सायरा, बड़गांव, खैरवाड़ा व सलूम्बर क्षेत्र के 800 से अधिक मजदूरों ने भाग लिया। सम्मेलन को एडवोकेट राजेश सिंघवी, कृष्णावतार शर्मा, संतोष पूनिया, अरावली निर्माण मजदूर सुरक्षा संघ के संरक्षक नाना लाल मीणा, अध्यक्ष अब्दुल जब्बार खान, उपाध्यक्ष में मोती लाल गमेती, गेहरी लाल मेघवाल, देवी लाल, धापू बाई, बंशी लाल व गोविन्द ओड़ तथा किसान संगठन के बी.एल. सालवान ने सम्बोधित किया। 

श्रम विभाग के व्यवहार से पीडि़त मजदूरों ने बताई पीड़ा

मजदूर सम्मेलन में आए बौखाड़ा निवासी परथाराम गुर्जर ने बताया कि उसकी पुत्री का नाम मथरा गुर्जर हैं। श्रम विभाग की डायरी में उसका नाम चम्पा गुर्जर लिख दिया गया। उसके विवाह के बाद आवेदन किया आवेदन के साथ नाम को लेकर शपथ पत्र प्रस्तुत कर दिया। बावजूद विवाह सहायता जारी नहीं की जा रही हैं। 


मोती लाल गमेती ने संयुक्त श्रम आयुक्त कार्यालय के कर्मियों की कार्यप्रणाली पर रोष प्रकट करते हुए कहा कि हिताधिकारियों के आवेदनों के साथ संलग्न परिचय पत्र नहीं लौटाए जा रहे हैं, वहीं आवेदनों पर मनमर्जी से स्वीकृति जारी की जा रही हैं। पात्र हिताधिकारियों के आवेदनों को जानबूझ कर रद्द किया जा रहा हैं। किसी का नाम खेमाराम हैं और कुछ दस्तावेजों में उसका नाम खेमा हैं तो उसका आवदेन रद्द कर दिया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि अशिक्षित मजदूरों के विभिन्न प्रकार के दस्तावेज सरकारी विभागों से ही बने हैं, मजदूरों के नामों में फर्क सरकारी विभागों के कर्मचारियों की गलती से हुआ हैं। 

श्रम कार्यालय, पंचायत समिति व ग्राम पंचायत के बीच काट रहे हैं चक्कर 

भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार मण्डल (बीओसीडब्ल्यू) से पंजीकृत होने की नई व्यवस्था को लेकर भी प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों में पंजीयन व नवीनीकरण का कार्य नहीं किया जा रहा हैं। जरगा संगठन के अध्यक्ष गेहरी लाल मेघवाल ने कहा कि पंजीयन व नवीनीकरण की नई व्यवस्था के लिए श्रम विभाग ने 28 जुलाई 2015 को राज्य के समस्त विकास अधिकारियों को पत्र भेजा था। बावजूद ग्राम पंचायतों द्वारा पंजीयन व नवीनीकरण का कार्य नहीं किया जा रहा हैं। मजदूर पंजीयन व नवीनीकरण के लिए श्रम कार्यालय, पंचायत समिति व ग्राम पंचायतों के बीच चक्कर काट रहे हैं। 

करणजी का गुढ़ा गांव की लीला मेघवाल ने बताया कि वह परिचय पत्र का नवीनीकरण करवाने के लिए बड़गांव गई, जहां से उसे ग्राम पंचायत में भेज दिया गया। ग्राम पंचायत के कर्मचारी ने नवीनीकरण करने से इंकार कर दिया। उसने बताया कि वह श्रम कार्यालय भी लेकिन वहां से पुनः पंचायत समिति जाने को कह दिया गया। 

शुभ शक्ति योजना के प्रावधान मंजूर नहीं, हटाया जाए 8वीं पास का नियम

मजदूर संगठनों के लोगों ने बताया कि विवाह सहायता योजना का नाम शुभ शक्ति योजना तो कर दिया लेकिन योजना के प्रावधानों में बदलाव कर योजना का लाभ लेने में रोड़ा अटका दिया हैं। खेमराज गमेती ने कहा कि सरकार ने 8वीं पास की अनिवार्यता लागू कर दी हैं, उन्होंने कहा कि सरपंच पद के लिए 8वीं पास महिला नहीं मिलती हैं, जिसकी वजह से ग्राम पंचायतों में सरपंच के पद रिक्त हैं। गणेष लाल खैर ने कहा कि सरकार को शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए इस योजना में बदलाव करने चाहिए। वर्ष 2009 में जिसकी आयु 6 वर्ष थी, उन्हीं के लिए 8वीं पास का नियम होना चाहिए। 8वीं पास के नियम को हटाने की मांग को प्रदर्शनकारियों ने जिला कलक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भिजवाया। 

सड़क हो तो पांचवीं से आगे पढ़े

मादा ग्राम पंचायत क्षेत्र के राजस्व गांव बागदड़ा में जाने का रास्ता नहीं हैं। बागदड़ा जाने के लिए छाली ग्राम पंचायत भवन के पास से आम रास्ता हैं, जो थोरिया भीलवाड़ा होते हुए बागदड़ा तक जाता हैं। इसकी लम्बाई करीब 6 किलोमीटर हैं। ग्रामीणों ने बताया कि रास्ता इतना खराब हैं कि चौपहिया वाहन तो दूर की बात पैदल जाने में भी परेशानी होती हैं। गांव के गणेश लाल खैर ने बताया कि सड़क न होने के कारण गर्भवती महिलाओं व बीमार लोगों को अस्पताल ले जाने में परेशानी होती हैं। गांव के कई बच्चे 5वीं से आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। 


महानरेगा मजदूरों ने भी रखी मांगें

सम्मेलन में महानरेगा मजदूरों की संख्या अधिक थी। महानरेगा मजदूरों ने संभागीय आयुक्त के नाम जिला कलक्टर को दिए ज्ञापन में बताया कि ग्राम पंचायतों द्वारा महानरेगा में 100 दिन से अधिक का रोजगार नहीं दिया जा रहा हैं, साथ ही महानरेगा में 150 दिन का रोजगार उपलब्ध करवाने की भी मांग की। जेमली की कमली बाई ने बताया कि महानरेगा में काम भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा हैं। वहीं छाली ग्राम पंचायत के उण्ड़ीथल के मजदूरों ने बताया कि उपखण्ड अधिकारी अपील अधिकारी होने के बावजूद महानरेगा की शिकायतों पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं।
उल्लेखनीय हैं कि हाल ही में छाली ग्राम पंचायत के उण्ड़ीथल गांव में आयोजित रात्रि चौपाल में जिला कलक्टर ने 150 दिन का रोजगार नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए अधिकारियों को फटकार लगाई, बावजूद भी लोगों को रोजगार नहीं दिया जा रहा हैं। 

महानरेगा में बकाया मजदूरी भुगतान की उठी मांग

काच्छबा, वास, मादड़ा, वीरपुरा व समीजा क्षेत्र के महानरेगा श्रमिकों ने बताया कि महानरेगा में किए गए कार्यों का भुगतान डेढ़ वर्ष से बकाया हैं। बकाया भुगतान की मांग को लेकर उपखण्ड अधिकारी से अपील करनी चाही तो उन्होंने अपील नहीं ली। उन्होंने बताया कि मजदूरी भुगतान की मांग विकास अधिकारी से भी की लेकिन अभी तक भुगतान नहीं किया गया हैं।

मोता पार्क से कलक्ट्रेट तक निकाली रैली, जिद कर कलक्टर से मिले

मोता पार्क से जिला कलक्ट्रेट तक रैली निकाली गई और कलक्ट्रेट के सामने बैठकर प्रदर्शन किया गया। एडीएम ग्रामीण ने प्रतिनिधि मण्डल से मजदूरों की मांगों के ज्ञापन लिए लेकिन मजदूर जिला कलक्टर से मिलने के लिए अड़ गए तब जिला कलक्टर ने प्रतिनिधि मण्डल को अपने कार्यालय में बुलाकर उनकी मांगों को सुना। 

प्रतिनिधि मण्डल में संतोष पूनिया, मंजू राजपूत, नाना लाल मीणा, अब्दुल जब्बार खान, गेहरी लाल मेघवाल, मोती लाल गमेती, देवी लाल व धापू बाई शामिल थे। 

प्रतिनिधि मण्डल के संतोष पूनिया ने बताया कि जिला कलक्टर ने मजदूरों की समस्याओं को संवेदनशीलता से सुना और आश्वासन दिया कि मजदूरों की प्रत्येक शिकायत पर जांच कर कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने बताया कि हिताधिकारी पंजीयन व नवीनीकरण के लिए समस्त विकास अधिकारियों को निर्देश दिए जाएंगे साथ ही उन्होंने कहा कि जिस ग्राम पंचायत के कर्मचारी के विरूद्ध इस आशय की शिकायत आएगी उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी। 

हिताधिकारी के घोषणा पत्र को राजपत्रित अधिकारी से प्रमाणित करवाने व सत्यापित करने वाले अधिकारी की फोटो आईडी लेने की श्रम विभाग की व्यवस्था को जिला कलक्टर ने गलत करार देते हुए कहा कि संयुक्त श्रम आयुक्त को पत्र भेजकर सरकार के आदेश की पालना सुनिश्चित करवाई जाएगी।