Monday, February 8, 2016

युवा प्रधान बहा रहा हैं विकास की बयार

उदयपुर जिले के गोगुन्दा पंचायत समिति के युवा प्रधान पुष्कर तेली अपनी कार्यशैली व विकास कार्य करवाने के अंदाज व अपनी पहल के कारण सुर्खियों में हैं। वे अपनी सुझबूझ से क्षेत्र में विकास करवा रहे हैं। प्रतिबद्धता व सकारात्मक सोच के कारण युवाओं के चहेते बनते जा रहे हैं।

हाल ही में पंचायतीराज चुनाव का एक वर्ष पूरा हुआ हैं। गोगुन्दा के युवा प्रधान पुष्कर तेली ने 07 फरवरी 2015 को पदभार ग्रहण किया था। तब उनकी उम्र 22 वर्ष थी। बीते एक वर्ष में इस युवा व सकारात्मक सोच के धनी प्रधान ने पंचायत समिति क्षेत्र में न केवल विकास कार्य करवाए हैं बल्कि युवा वर्ग को अपने साथ जोड़कर क्षेत्र के विकास के लिए नवाचार कर रहे हैं।
आजकल गोगुन्दा पंचायत समिति मुख्यालय व ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर हर चौराहें पर लोग विकास की बातें करते नजर आते हैं और विकास के साथ विकास करवाने वाले शख्स का नाम भी पूरे गूमान के साथ लेते हैं। मजेदार बात हैं कि विकास की मांग को लेकर नहीं वरन गोगुन्दा में हो रहे विकास कार्यों के बारे में चर्चाएं की जा रही हैं। ऐसा कम ही देखने को मिलता हैं। लोगों को विकास की चिंता नहीं हैं। वे निश्चिंत हो गए हैं कि अब गोगुन्दा का विकास हो के रहेगा। लोग यह भी कहते हैं कि आजादी के बाद पहली बार गोगुन्दा में गुणवत्ता वाले विकास कार्य होते नजर आ रहे हैं।

बनाई मजबूत टीम, लिख रहे हैं विकास की नई इबारत

प्रधान पद संभालने के बाद कुछ माह तक सामान्य चलता रहा। उन्होंने राजनीतिक माहौल को समझा, कर्मचारियों व अधिकारियों की मंशा को भांपा, सहयोगी ग्रुप को पहचाना व युवाओं की एक टीम जुटाई, जिसमें सूचनाएं देने वाले, सूचनाएं पहुंचाने वाले, अच्छे सुझाव देने वाले व सहयोग देने वाले युवाओं को शामिल किया। ग्राम पंचायतों के सरपंचों से भी तालमेल बिठाया। युवा सरपंचों से लगातार सम्पर्क किया। उन्हें विकास कार्यों लिए उत्साहित किया। महज 6 माह के अल्प समय में प्रधान ने अपनी मजबूत टीम बना ली। जिनके बूते आज प्रधान विकास की नई इबारत लिख रहे हैं।

पहला अच्छा काम, जिसे जनता ने खूब सराहा

गोगुन्दा मोटागांव के नाम से भी जाना जाता हैं। गोगुन्दा उपखण्ड क्षेत्र में आदिवासी अंचल का यह सबसे बड़ा गांव हैं। पूर्व में यहां हाट लगती थी, जिसमें क्षेत्र के गांवों के लोग आवश्यक सामग्री खरीदने के लिए आते थे। आज भी लोग अपनी जरूरतों के सामान लेने यहीं आते हैं। गोगुन्दा क्षेत्र से भारी संख्या में प्रवास भी होता हैं। यहां से रोजाना 10 से अधिक बसें गुजरात के शहरों में जाती हैं, जिनमें यहां के लोग प्रवास पर जाते हैं। इन लोगों को यहां से रवानगी व वापसी के दौरान सुलभ शौचालय की आवश्यकता थी। जोधपुर व सिरोही जाने वाली बसें भी यहां से होकर गुजरती हैं। सामान्य दिनों में भी बसस्टेण्ड पर यात्रियों व आगन्तुकों की भीड़ रहती हैं। उपखण्ड मुख्यालय होने के बावजूद बसस्टेण्ड़ पर मूत्रालय व शौचालय नहीं थे। यात्री व आमजन बसस्टेण्ड़ पर केबिनों के पीछे ही खुले में मूत्र त्याग करते थे। जिससे बसस्टेण्ड़ पर हर वक्त सडांध फैली रहती थी। 

प्रधान ने विधायक प्रताप गमेती के सामने इस मुद्दे की पैरवी की, फण्ड की समुचित व्यवस्था की। सरपंच गागू लाल मेघवाल का हौंसला बढ़ाया और बसस्टेण्ड़ पर सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करवाया। यह कार्य आसान नहीं था। प्रतिद्वंद्धियों ने निर्माण में रोड़े लगाने के खूब जतन किए। निर्माण वाली जमीन को लेकर मुद्दा बनाया। बोगस व्यक्ति को जमीन का स्वामी बताकर ग्राम पंचायत का हौंसला कमजोर करने के प्रयास किए लेकिन प्रधान ने अपनी देखरेख में इस कार्य को अंजाम दिलवाया। 

इस कार्य की हर तरफ से सराहना हुई। गोगुन्दावासियों व क्षेत्रवासियों ने ही नही बल्कि यहां से होकर यात्रा करने वाले लोगों ने भी इस कार्य की खूब सराहना की। खासतौर पर महिला वर्ग ने इस कार्य को लेकर विधायक, सरपंच व प्रधान को शुभाशिष दिए।


प्रधान के पिता पन्ना लाल तेली व्यवसायी हैं और पिछले डेढ़ दशक से गोगुन्दा में बिल्डिंग मेटेरियल सप्लाई का व्यवसाय कर रहे हैं। पिछले वर्ष तक पुष्कर तेली पढ़ाई के साथ पिता के व्यवसाय में हाथ बटाते थे। राजनीतिक समझ स्कूल के दिनों से ही बढ़ने लगी थी। कम उम्र में ही राजनीतिक लोगों की मानसिकता व क्रियाकलापों से भली भांति अवगत हो चुके थे। साथ ही विकास कार्यों में उनकी भूमिका व कार्यप्रणाली को समझा था। सक्रिय राजनीति में जाने का मकसद नहीं था। इनके पिताजी के सम्पर्क जरूर राजनीतिक लोगों से थे। उन्हीं की बदौलत गत पंचायतीराज चुनाव में पंचायत समिति सदस्य का टिकिट मिला। भाजपा के बैनर से वार्ड संख्या-5 से चुनाव लड़ा और प्रतिद्वंद्धी राम सिंह चंदाना को 341 वोटों से हराकर पंचायत समिति सदस्य बने और बाद में प्रधान का चुनाव लड़ा और जीते।

इनके चुनाव जीतने के बाद गोगुन्दा क्षेत्र में चर्चाएं आम हुई कि - बच्चे को प्रधान बना दिया हैं। वह क्या विकास करवा पाएगा। वह तो बोल भी नहीं पाता हैं। उसे तो पंचायतीराज की समझ ही नहीं हैं। उसे तो राजनीतिक समझ भी नहीं हैं। उसे तो दूनियादारी का भान भी नहीं हैं वगैरह ... वगैरह।

प्रधान बनने के तुरन्त बाद जिन लोगों ने प्रधान को लेकर टिप्पणियां की या ताने मारे, वे लोग अब प्रधान द्वारा करवाए जा रहे कार्यों को देखकर दांतों तले उंगलियां चबा रहे हैं।

विकास कार्य करवाना और इसके लिए अन्य जनप्रतिधियों को प्रेरित करना व सब को साथ लेकर चलना प्रधान की खासियत हैं। इन्होंने ही युवा सरपंचों के साथ लगातार संपर्क कर उन्हें ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर गौरव पथ का निर्माण करवाने के लिए तैयार किया। आज गांवों में सीमेन्ट की अच्छी गुणवत्ता वाली सड़कें बनी हैं। काच्छबा ग्राम पंचायत के सरपंच तेजू लाल गमेती का कहना हैं कि प्रधान जी जब भी मिलते हैं, कुछ ना कुछ नया सुझाव देते हैं और गांवों में विकास के लिए प्रेरित करते हैं। पंचायत समिति के अधिकारियों से मुझे योजनाओं की जानकारी नहीं मिलती हैं उससे पहले प्रधान जी जानकारी दे देते हैं। उनके द्वारा सुझाए गए कार्य करवाए तो ग्रामीणों ने मुझे शुभकामनाएं दी। 

काच्छबा ग्राम पंचायत के सरपंच ही नहीं अपितू क्षेत्र के लगभग सभी सरपंचों का कहना हैं कि प्रधान मृदुभाषी, सकारात्मक सोच व प्रगतिशील विचारधारा के व्यक्ति हैं और गांवों के विकास के लिए पूरा सहयोग दे रहे हैं।


स्वच्छ भारत मिशन के प्रबल पक्षधर

प्रधान पुष्कर तेली हर क्षेत्र में विकास करना चाहते हैं और सरकार की मंशा पूर्ण करने के लिए कृतसंकल्पित हैं। स्वच्छ भारत मिशन को इन्होंने आत्मसात किया हैं और पंचायत समिति क्षेत्र की ग्राम पंचायतों के सरपंचों से सतत् सम्पर्क कर उन्हें अपनी पंचायत को शौचमुक्त बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। रावलियां खुर्द ग्राम पंचायत की सरपंच सविता कुंवर के पति जो कि सामाजिक कार्यकर्ता को भी इसके लिए प्रेरित किया। इस ग्राम पंचायत को शौच मुक्त बनाने के लिए इस गांव से जुड़े किसान नेता व पार्टी कार्यकर्ताओं को इस मिशन से सरपंच के साथ जोड़ा। गांव के लोगों की सोच बदलने के भरपूर प्रयास किए। उनकी यह साझी पहल सफल रही। 900 से अधिक परिवारों ने अपने घरों में शौचालय बनवाए हैं। इस योजना के प्रति ग्रामीणों की गलत मानसिकता न बन जाए इसलिए जिन लोगों ने शौचालयों का निर्माण करवाया उन्हें सहायता राशि दिलवाने में भी ढि़लाई नहीं बरती, फलस्वरूप 900 परिवारों को 1 करोड़ 8 लाख रूपए का भुगतान हो पाया हैं।

राजनीतिक जानकार व ब्यूरोक्रेसी को समझने वाले लोग निश्चित ही शौचमुक्त ग्राम पंचायत बनाने का श्रेय सरकार व जिला कलक्टर को दे सकते हैं लेकिन पर्दें के पीछे की कहानी यही हैं कि युवा वर्ग के प्रेरणास्त्रोत बने प्रधान पुष्कर तेली की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं।

6 ग्राम पंचायतों में पेयजल पहुंचाने की कवायद जारी

गोगुन्दा उपखण्ड मुख्यालय से 10 किलोमीटर के दायरे में आ रही 5 ग्राम पंचायतों (रावलिया कलां, रावलिया खुर्द, मजावड़ी, ओबरा कलां व दादिया) में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था नहीं हैं। प्रधान इन पांचों ग्राम पंचायतों में पेयजल आपूर्ति करवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। यह कार्य करवाने के लिए सांसद, विधायक व सरपंचों से समन्वय कर रहे हैं। प्रशासनिक स्तर पर भी इन्होंने जमकर पैरवी की हैं। हाल ही में विभाग द्वारा सर्वे करवाया गया हैं और शीघ्र ही स्वीकृति की संभावना हैं।

गोगुन्दा में हो सरकारी काॅलेज

प्रधान पुष्कर तेली जनप्रतिनिधि भी हैं और स्वयंपाठी छात्र भी। वे वर्तमान में बी.ए. प्रथम वर्ष के विद्यार्थी हैं। इस नाते युवा वर्ग से उनका गहरा जुड़ाव हैं, फलतः युवा वर्ग की समस्या से भी भलीभांति अवगत हैं। वे गोगुन्दा में सरकारी काॅलेज खुलवाने के प्रबल प्रस्तावक हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी काॅलेज के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, उन्होंने बताया कि गोगुन्दा के छात्रों को यह सौगात जल्दी ही मिलेगी।

वाकल के लिए भी किए काम

वाकल क्षेत्र। इस क्षेत्र में आती हैं गोगुन्दा पंचायत समिति की पड़ावली कला, पड़ावली खुर्द, वास, समीजा, मादड़ा व वीरपुरा ग्राम पंचायतें। विकास के संदर्भ में अमूमन इन ग्राम पंचायतों पर कम ध्यान दिया जाता रहा हैं। मगर युवा प्रधान ने इन ग्राम पंचायतों पर विशेष ध्यान दिया। नृसिंहपुरा में पेयजल के लिए 1 करोड़ की योजना स्वीकृत करवाई। वहीं इस क्षेत्र में नेशनल बैंक की शाखा खुलवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं ताकि वित्तिय लेने-देने के लिए इस क्षेत्र के लोगों को गोगुन्दा न आना पड़े।

ताकि न रहे पेयजल की समस्या

पेयजल की समस्या से निबटने के लिए खराब पड़े हैण्डपम्पों को दुरूस्त करने की मुहिम चलाई। पंचायत समिति क्षेत्र के आधे से ज्यादा हैण्डपम्प खराब पड़े थे, जिन्हें ठीक कर देने पर पेयजल समस्या का निदान संभव था। तब प्रधान ने सभी हेण्डपम्प मिस्त्रियों को पंचायत समिति कार्यालय में उपस्थिति देने की व्यवस्था की। मिस्त्रियों ने बताया कि वे हेण्डपम्प ठीक करने जाते हैं पर समुदाय से लोग पाइप निकलवाने में मदद नहीं करते हैं, जिस कारण हेण्डपम्प खराब पड़े रह जाते हैं। प्रधान ने उन्हें पंचायत समिति की ओर से चौपहिया वाहन मुहैया करवाते हुए सुझाया गया कि वे 4 मिस्त्री साथ जाए और हेण्डपम्पों को ठीक करे। इस प्रकार अभियान चलाकर हेण्डपम्प ठीक करवाए गए। वहीं पेयजल की किल्लत को देखते हुए पिछले एक साल में 150 से अधिक नए हेण्डपम्प लगवाए गए हैं।


प्रधान अपनी सक्रिय टीम के सहयोग से हर क्षेत्र में पहल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में वे गांवों में शिविर लगाएंगे। उन शिविरों में योजनाओं की डिलीवरी सुनिश्चित करेंगे तथा नागरिकों को जनकल्याणकारी योजनाओं के पति जागरूक करेंगे। उनकी तमन्ना हैं कि क्षेत्र के प्रत्येक नागरिक का बैंक खाता हो, उसके 12 या 330 रूपए का बीमा हो। प्रधान ने जनसहयोग व निजी रूपयों से गरीब लोगों के बीमें करवाने की घोषणा भी की हैं। 

गोगुन्दा कस्बे में हुए विकास कार्य हम सब के सामने हैं, उनके बारे में ज्यादा लिखने या बताने की जरूरत नहीं हैं। पर पुष्कर जी जरूर कह रहे हैं कि -

"एक साल बीता, चार साल बाकी हैं। 
हुई हैं महज पहल, अभी तो कई हिसाब बाकी हैं।" - पुष्कर तेली

खासबात यह हैं कि प्रधान द्वारा करवाए गए एक भी कार्य पर किसी न अंगूली नहीं उठाई हैं। मतलब पूरी पारदर्शिता के साथ कार्य किए जा रहे हैं। 

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