Monday, November 28, 2016

मेरे पास बीबी है, बच्चे है, घर है, गाड़ी है, तुम्हारे पास क्या है ? हैं

फाल्कन ट्रावेल्स मुझे अलसुबह मुम्बई पहुंचा देगी इसकी उम्मीद नहीं थी। ऐसा मालूम होता तों मैं 17 सितम्बर की शाम को उदयपुर से रवाना होता। खैर . . अब मुम्बई पहुंच गया हूं तो वैचारिक दोस्तों से मिलने की ठान ली। टाटा इंस्टीट्यूट अॅाफ सोशल सांइन्सेज मुम्बई के न्यू कैम्पस में पहुंचना था मुझे। एक साथी ने बताया था कि बांद्रा से बस पकड़कर वहां पहुंचना है लेकिन बस का नम्बर तो मैंनें उससे पूछा ही नहीं। अब ? अब क्या करूं ? बारिश भी हो रही थी। पास ही एक टैक्सी पड़ी थी, नाटे कद के ड्राइवर ने मेरी ओर देखते हुए ठोड़ी ऊपर करते हुए कहा - कहां जाओगे सर ? सर सुनकर अपन में भी सर वाली फिलिंग आ गई। मैंनें कहा - भाई मुझे चेम्बूर में देवनार बस डिपो के पास जो TISS का न्यू कैम्पस है ना, वहां जाना है। वो बोला बैठिए। मैं बोला-क्या लोगे ? उसने कहा- दूर है 350 रूपए लगेंगे। मैंनें कहा- मीटर नहीं है क्या ? उसने कार में बैठते हुए कहा - ये अच्छा है आप मीटर से चलिए। मैंनें मन में सोचा, साला कहीं बिल ज्यादा तो नहीं आ जाएगा, मीटर से चलने की कहने पर ये ड्राइवर लोग घूमा-फिरा के किलोमीटर निकालते है। कन्फ्यूज्ड था लेकिन हिम्मत की और कह दिया - मीटर से चलो। उसके चेहरे की खुशी देखकर मुझे लग रहा था कि वो कुछ ना कुछ गड़बड़ी करेगा।
अभी कार एक-दो किलोमीटर ही चली थी, मैंनें उससे पूछा-क्या नाम है आपका ? वो बोला पंकज कुमार (30 Year)।
मैंनें पूछा-कहां के हो ?
उसने कहा-बिहार का हूं।
मैंनें फिर पूछा- यहां कब आए ?
उसने कहा - 15 साल हो गए।
मैं चाह रहा था कि वो अपनी पूरी कहानी बताए लेकिन वो मेरे सवाल का जवाब देकर रूक जाता था। मैंनें सवाल करने का अंदाज बदला।
मुम्बई तो बड़ा महंगा शहर है, मंहगाई के इस दौर में घर चल जाता है ?
बस पंकज कुमार शुरू हो गया, बोला - हां सही कह रहे है, मुश्किल तो बहुत है, पर क्या करें, 15 साल से यहीं रह रहे है तो सेट हो गया है। दो बच्चों का, पत्नि का, बूढ़े मां-बाप का और दो छोटे भाईयों का देखना पड़ता है। बहुत मेहनत की तब जाकर इतना कर पा रहा हूं। 8 साल से तो यह कार चला रहा हूं। अपनी ही है। 6 लाख में नई आती हैं।
बिहार के गया स्टेशन से 10 किलोमीटर दूर ही है मेरा गांव। एक बड़ा भाई है जो दिल्ली में सेट हो गया है। भाभी और बच्चे भी उसी के पास है। गांव में पूरे 10 बीघा जमीन है। ट्यूबवेल खुदवा दी मैंनें। बंटाई पर दे देता हूं। खूब अनाज हो जाता है परिवार के लिए। दो भाई है, एक तो प्राईवेट संस्थान से आईटीआई में डिप्लोमा कर रहा है, दूसरे ने एग्जाम देकर इंजीनियर में प्रवेश पाया है, उसकी फीस कम है। प्राईवेट वाले की अधिक है। उसके लिए पूरे 60,000 रूपए का बंदोबस्त करना पड़ा था मुझे। दोनों भाईयों की पढ़ाई का खर्चा में ही उठाता हूं। दोनों को अलग-अलग बाइक दिलवा रखी है। कॅालेज जाने के लिए चाहिए न सर। अभी भाईयों को सारा खर्च में देता हूं, क्या है क नहीं दो तो गांव वाले हसेंगे, कि दोनों भाई बाहर चले गए, जिन्दगी भर बोलेंगे कि भाईयों को पढ़ाया नहीं। अपने को इज्जत से रहने का। गांव में इज्जत तो बना के रखनी पड़ती है न सर। मैं तो पढ़ नहीं पाया। 10 तक ही पढ़ा। हां अभी बीबी को पढ़ा रहा हूं। वो अभी गया से ही बी.ए. कर रही है। इस साल फाइनल ईयर है उसका। मैं छोड़ के आ जाता हूं वहां। वो पढ़ना चाह रही है तो अपन काय को रोके?
अच्छा आप कब आए यहां ? और क्यों आए ? इतने महंगे शहर में घर बना लिया, इतना सब कैसे किया ? मैंनें पूछा
सर मैं 2001 में मुम्बई आ गया। मैं तो नहीं आता पर क्या है मां-बाप शादी करवाने पर तुले हुए थे। सर आप ही बताओ, उस समय मैं कुछ कमाता नहीं था तो शादी कैसे कर लेता ? शादी करना मतलब जिम्मेदारी संभालना। मेरे गांव के बहुत लड़के यहां मुम्बई में अॅाटो चलाने का काम करते थे। मैं भी घर से भाग कर यहां आ गया। बहुत तकलीफें झेली सर यहां। क्या बताउं आपको, खाने को तक नहीं मिलता था। कुछ दिनों तक एक दोस्त के साथ गाड़ी चलाई उसके बाद बस चलाने का काम मिल गया। बस चलाई, फिर एक सेठ मिल गया। बरसों तक उसकी कार चलाई। सेठ अच्छा आदमी था। खूब पैसे वाला था। पर उसके परिवार वाले हरामी थे। कुछ सालों तक तो ठीक चला लेकिन बाद में कभी 2-5 मिनिट लेट हो जाता तो परिवार वाले चिड़चिड़ करते थे। अपने को यह सब पसंद नहीं था। मैंनें तो सेठ को बोल दिया कि मैं अब काम नहीं करूंगा।
पर सर सेठ था बहुत अच्छा। उसने मुझे बचत करना सिखाया। मैंनें पूरे छः साल तक सेठ की कार चलाई थी। उसने ही मुझे 2.50 लाख रूपए में घर दिलवाया। सेठ मुझे 8000 रूपए देता था। इसमें से 5000 हर महीने की किस्त कट जाती थी। मेरा तो कोई खर्चा थाइज नइ। 2010 में मैंनें शादी की। पहीले घर बनाया, फिर शादी की। पहीले शादी कर लेता तो बीवी को कहां रखता ? सर, घर तो पहीले चाहिए न ?
जब से पंकज कुमार बोलने लगा तब से मैं - सही बात है, सही बात है कहता जा रहा था। बीच-बीच में कहानी समझने के लिए कुछ हल्के फुल्के सवाल भी करते जा रहा था।
उसकी कहानी दनादन चल रही थी.... मेरे दो बच्चे है। दोनों स्कूल जाते है। मैं दूसरों के भरोसे नहीं रहीता। मैं खूद बच्चों को स्कूल छोड़ने जाता हूं और लाता भी खूद ही हूं। धंधे पे बाद में जाने का, पहीले घर का मामला देखने का। सर बच्चों की पढ़ाई पर ही ज्यादा खर्च हो रहा है। पर कमा भी तो उन्हीं के लिए रहे है न सर। बाकी क्या है, अपना तो हो गया है।
अब क्या है कि मुम्बई में सेट हो गया है अपना मामला। बीवी बच्चे सब यहीं है। कभी कभार गांव जा आते है। गांव में करे भी तो क्या करें। गांव में खर्चा तो कम है। पर कमाई नहीं है। यहां कमाई अच्छी है पर खर्चा बहुत है। पर एक बात है सर यहां कभी हाथ खाली नहीं रहता है। बच्चों को अच्छा ऐज्यूकेशन मिल रहा है। वहां क्या करेगा गांव में ? हैं ?. . . इधर 25-30 हजार रूपया महीना का कमा लेता हूं, कुछ रूपए गांव भी भेजता हूं। बचत भी करता हूं।
मैं जब मुम्बई में आया तब इतना ट्राफिक नहीं था, धीरे-धीरे बढ़ा। ट्राफिक बढ़ने से हमारा धंधा बढ़ता है सर।
अच्छा सर अन्दर ले लूं ? बात बंद करके वह बोला।
क्या न्यू कैम्पस आ गया ? मैंनें पूछा।
कार TISS के न्यू कैम्पस के बाहर आ चुकी थी। वो मुझे कैम्पस के अंदर तक छोड़कर गया।
पंकज के साथ हुई बातचीत का दौर समाप्त हो गया। जाते वक्त वो जो मुस्कुराया... उसे देखकर मुझे लगा जैसे वो कह रहा है -
मेरे पास बीबी है, बच्चे है, घर है, गाड़ी है, तुम्हारे पास क्या है ? हैं ?

आखिर कब तक मरीजों को चारपाई पर लाद कर ले जाना है हमें

गोगुन्दा (उदयपुर) - पाटिया ग्राम पंचायत के राजस्व गांव भारोड़ी की मेघवाल बस्ती के बाशिन्दों को रास्ता नसीब नही है। भारोड़ी गांव व मेघवाल बस्ती के बीच में बड़ा नाला है। वर्षा के मौसम में कई महीनों तक इस नाले में पानी का तेज बहाव रहता है। बहाव के कारण बच्चे कई दिनों तक स्कूल नहीं जा पाते है। वहीं किसी के बीमार होने की स्थिति में उसे अस्पताल ले जाना मुश्किल हो जाता है। कई बार प्रस्ताव लिखवाए, सरकार आपके द्वार, प्रशासन आपके द्वार जैसे अभियान में इस मुद्दे को उठाया लेकिन अभी तक पुलिया का निर्माण नहीं करवाया गया है।  

बुधवार शाम बस्ती के धर्मा लाल मेघवाल (उम्र-33) को तेज बुखार आ गया। उसी समय तेज बारिश भी आ गई। नाले में पानी भी अधिक आ गया। धन्ना लाल को तुरन्त अस्पताल ले जाना था लेकिन बस्ती के लोग बारिश व नाले में बह रहे पानी के आगे बेबस थे। अंत में सबने हिम्मत की और मरीज को चारपाई पर लिटाकर नाला पार करवाकर सड़क तक ले गए। वहां से मरीज को जीप द्वारा गोगुन्दा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। 

60 वर्ष के बुर्जुग प्रताप लाल मेघवाल अपनी बात शुरू करने से पहले ही रो पड़े। बताते है कि उन्होंने अपनी बस्ती में ऐसे हालात सैकड़ों बार देखें है। कभी बच्चों ने आंखों के सामने दम तोड़ा, कभी गर्भवती महिलाएं रात-रात भर तड़फती रही। हर बार बेबसी पसरी रही। वे कहते है कि हम गरीब है और दलित भी। सरकार ने पर्यटन स्थलों, धार्मिक स्थानों यहां तक की एक मंदिर पर जाने के लिए करोड़ों रूपए की सड़क बना दी लेकिन हम 250 से अधिक की आबादी वाली इस बस्ती में जाने के लिए पुलिया नहीं बना सकी। 

गांव के एक युवा तुलसीराम मेघवाल ने बताया कि इनकी बस्ती मुख्य रोड़ से महज 500 मीटर दूर है। बस्ती में जाने के लिए रास्ता तो है लेकिन एक बड़ा नाला मुसीबत बना हुआ है। बारिश का मौसम आते ही इस बस्ती के बाशिन्दों पर परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ता है। बस्ती व रोड़ के बीच में इस बड़े नाले पर एक पुलिया की जरूरत है। बस्ती के लोग बरसों से पुलिया की मांग कर रहे है लेकिन अभी तक इनकी मांग पूरी नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि बारिश के मौसम में बच्चे कई महीनों तक स्कूल नहीं जा पाते है। 

दलित आदिवासी एवं घुमन्तु अधिकार अभियान राजस्थान (डगर) के लखन सालवी ने कहा कि दलित बस्ती की उपेक्षा की जा रही है। नाले के दोनों ओर किनारे पर प्रभावशाली लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है, प्रशासन अतिक्रमण नहीं हटवा पा रहा है। इस कारण पुलिया का निर्माण भी नहीं करवाया जा रहा है। 250 की जनसंख्या वाली बस्ती में बारिश के दिनों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व एएनएम नहीं पहुंच पाती। लोगों को राशन की दूकान तक जाने में समस्या आती है। सरकार आपके द्वार अभियान के दौरान इस समस्या को गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया के ध्यान में लाया गया जब वे पंचायतीराज व ग्रामीण विकास विभाग में मंत्री थे लेकिन वे भी दलितों की इस समस्या का समाधान नहीं करवा पाए। यह सरकार की नाकामी है। 

बीडीओ जानू व एएओ सुखवाल को दी विदाई, विश्नोई का किया स्वागत

गोगुन्दा - गोगुन्दा पंचायत समिति के विकास अधिकारी बीरबल सिंह जानू और एएओ मनोहर लाल सुखवाल को आज विदाई दी गई। बीरबल सिंह ने 21 मार्च 2016 को पदभार ग्रहण किया था। 5 अक्टूबर को उनका स्थानान्तरण नागौर जिले में हो गया। उनकी जगह मनहर विश्नोई गोगुन्दा के नए विकास अधिकार होंगे। जानू की विदाई से पूर्व विश्नोई को पदभार ग्रहण करवाया गया। 

बीरबल सिंह ने पंचायत समिति के बीडीओ के तौर पर केवल 6 माह कार्य किया लेकिन इस दौरान उन्होंने अपने व्यवहार से क्षेत्र के लोगों में, जनप्रतिधियों में और कर्मचारियों के दिलों में जगह बना ली। शुक्रवार को पंचायत समिति सभागार में विदाई समारोह आयोजित किया गया। समारोह को सम्बोधित करते हुए विधायक प्रताप गमेती ने कहा कि बीरबल सिंह ने 6 माह में न केवल व्यवस्था को ठीक किया बल्कि तंत्र का सक्रिय कर विकास कार्यों को गति प्रदान की इसके लिए वे हमेशा याद किए जायेंगे। 

इस अवसर पर प्रधान पुष्कर तेली ने कहा कि बीरबल सिंह जानू को कार्य प्रणाली हम सभी को प्रेरणा प्रदान करती है। कामों का समय पर निपटारा करना और सकारात्मक सोच के साथ काम करना उनकी खासियत है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन के कार्य हो या ग्राम पंचायतों को खुले में शौच मुक्त बनाने का कार्य हो, विकास अधिकारी ने हमेशा आगे रहकर कार्य किया और अन्य कर्मचारियों, अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को भी सक्रिय किया। 

सभा के दौरान बीरबल सिंह जानू ने सभी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि गोगुन्दा क्षेत्र के लोगों ने उन्हें बहुत स्नेह दिया। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लोगों में सकारात्मकता है, सकारात्मकता के कारण ही विकास को गति दी जा सकी। 

समारोह में उपस्थित विभिन्न ग्राम पंचायतों के सरपंच, वार्ड पंच सहित अन्य जनप्रतिनिधियों, सरकारी कर्मचारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व अन्य विभागों के अधिकारियों ने नम आंखों से बीरबल सिंह जानू और एएओ मनोहर लाल सुखवाल को विदाई। 

करवा चौथ आज, गांवों में दुल्हन की तरह संवरी महिलाएं


करवा चौथ आज, गांवों में दुल्हन की तरह संवरी महिलाएं
गोगुन्दा - आज कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानि करवा चौथ है। महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र की कामना को लेकर करवा चौथ का व्रत रखेंगी। सुहाग पर्व करवा चौथ पूरे जिले में धूमधाम से मनाया जाता है। शहरों में आज महिलाएं घरों से बाहर निकलती है, नए वस्त्र धारण करती है, सजती संवरती है। कस्बों व गांवों में भी इस पर्व का माहौल देखने को मिलता है। ब्यूटीर्पालरर्स पर इस दिन महिलाओं की अच्छी भीड़ रहती है। करवा चौथ के एक दिन पूर्व ही महिलाएं सजने-संवरने लगती है। ब्यूटीपार्लर्स पर महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है, वहीं ब्यूटीशिएन्स की अच्छी चांदी हो रही है।
 
गांवों व कस्बों में धूल फांक रहे ब्यूटीपार्लर्स पर सुहागिनों की भारी भीड़ देखी जा रही है। मोटागांव गोगुन्दा की महिलाएं भी सजने संवरने में पीछे नहीं है। यहां 10 से अधिक ब्यूटी पार्लर है। सभी पार्लर पर सोमवार से ही भीड़ है। 

राजपूतों का मोहल्ला स्थित मुस्कान ब्यूटीपार्लर की किरण वेद ने बताया कि पिछले कुछ सालों से करवा चौथ पर सजने-संवरने के लिए महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। इस पर्व पर महिलाएं दुल्हन की तरह सजती है। उन्होंने बताया कि करवा चौथ के दिन भीड़ अधिक रहने के कारण महिलाएं करवा चौथ से दो-चार दिन पहले से ही आना शुरू हो जाती है।

डेढ़ साल बाद किया मजदूरी का भुगतान

मजदूरी भुगतान की मांग को लेकर मिनी बैंक के बाहर बैठी महिलाएं
गोगुन्दा - 40 मजदूरों में से 29 मजदूरों को डेढ़ साल पूर्व महानरेगा में किए गए कार्य का 19725 रूपए का भुगतान बुधवार को गोगुन्दा मिनी बैंक में किया गया। गोगुन्दा पंचायत समिति क्षेत्र के राणा गांव के 40 श्रमिकों ने महानरेगा के अन्तर्गत जून-2015 में काम किया था। तब काम का भुगतान मजदूरों के मिनी बैंक के खातों में जमा होता था। इस काम का भुगतान पंचायत समिति द्वारा जुलाई 2015 में मजदूरों के मिनी बैंक खाते में जमा करवा दिया गया था मगर मिनी बैंक द्वारा मजदूरों को भुगतान नहीं किया जा रहा था। 

मजदूरी भुगतान की मांग को लेकर मजदूरों ने ग्राम सेवक से लेकर जिला कलक्टर को अपनी समस्या बताई थी लेकिन भुगतान नहीं किया गया। महिलाओं को हर बार आष्वासन दे दिया गया। 

मंगलवार को पीड़ित मजदूरों अपनी मांग को लेकर विकास अधिकारी मनहर विश्नोई को पुनः ज्ञापन दिया था। विकास अधिकारी ने भुगतान करवाने का आश्वासन देकर बुधवार को मजदूरों को मिनी बैंक जाने को कहा था। बुधवार को महिलाएं गोगुन्दा स्थित मिनी बैंक पहुंची, दोपहर 12 बजे तक मिनी बैंक ताला लगा हुआ था। महिलाएं मिनी बैंक के बाहर ही धरने पर बैठ गई और विकास अधिकारी से इसकी शिकायत की। विकास अधिकारी ने मिनी बैंक पहुंच कर मिनी बैंक के मैनेजर को लताड़ लगाई तब जाकर मजदूरों को बकाया मजदूरी का भुगतान किया गया। 

मजदूरी भुगतान की मांग को लेकर मिनी बैंक के बाहर बैठी महिलाएं
मिनी बैंक के कर्मचारियों के विरूद्ध हो कार्यवाही

अरावली निर्माण मजदूर सुरक्षा संघ के अध्यक्ष तखत सिंह राजपूर का कहना है कि जून-15 में मजदूरों ने काम किया। जुलाई-15 में पंचायत समिति द्वारा वेज लिस्ट जारी कर भुगतान राशि के एफटीओ मिनी बैंक को जारी कर दिए गए। भारी दबाव लगाने के बाद मिनी बैंक द्वारा डेढ़ साल बाद भुगतान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मिनी बैंक के विरूद्ध जिला कलक्टर से शिकायत की जाएगी।
सामाजिक कार्यकर्ता गुलाबी परमार का कहना है कि ऐसे मामलों में मजदूरों को मजदूरी का भुगतान ब्याज सहित करना चाहिए एवं दोषी कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही करनी चाहिए। 

दिवाली पर विधायक डॉ. बालूराम चौधरी को खुला-पत्र

आदरणीय (हमारे हर दिल अजीज मित्र के जीजाजी होने के नाते) चौधरी साहब, दिपावली की शुभकामनाएं कि ईश्वर आपको ऐसी मति दे कि आप बतौर विधायक भी कुछ करें। एज ए डॉक्टर तो आप अपने चौधरी हॉस्पीटल के लिए बहुत कुछ कर ही रहे है।

आप मुझे जानते भी नहीं है। आपके टिकट की घोषणा होने के बाद से आपके विधायक चुने जाने तक मैं आपकी टीम से जुड़ा रहा था। मुझे बहुत खुशी हुई थी आपके विधायक चुने जाने पर। क्योंकि आप से पहले हमारे क्षेत्र के एक प्रभावी नेताजी बाल विवाहों, मृत्युभोजों और रातीजगा कार्यक्रमों में जाकर अफीम पीने में और सत्ता के मद में मस्त थे। नैतिक पतन हो चुका था। तमाम पार्टियों के नेता उसके आगे नतमस्तक थे। अंततः जो मस्त थे वे पस्त हो गए और आप विधायक बन गए, आप विज्ञान पुत्र थे, आपसे उम्मीद जगी कि आप हमारे क्षेत्र का विकास करेंगे। हालांकि मेरी उम्मीद अभी जिंदा है, क्योंकि अभी आपके कार्यकाल का बहुत समय शेष है। 

श्री चौधरी जी, आप को मालूम ही होगा कि सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र की सहाड़ा व रायपुर तहसील क्षेत्र से प्रतिदिन 20 से 25 लोगों को सोनोग्राफी करवाने के लिए भीलवाड़ा जाना पड़ रहा है। इनमें सर्वाधिक संख्या गर्भवती महिलाओं की है। गरीब परिवारों की गर्भवती महिलाओं को तो परिजन बसों में ले जाते है, जिसमें न केवल धन बल्कि समय भी अधिक लगता है। कई बार कार, जीप किराए पर ले जाने पड़ते है, ऐसे में उनका खर्च और बढ़ जाता है। भीलवाड़ा जाकर भी हाथोंहाथ सोनोग्राफी नहीं हो पाती है, कई-कई घंटों के इंतजार के बाद नम्बर आता  है। 
मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि अपनी चुनावी सभाओं के दौरान आपने घोषणा की थी कि आप गंगापुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सोनोग्राफी मशीन लगवायेंगे। मैं पूरी ईमानदारी से बयां कर रहा हूं कि इस विधानसभा क्षेत्र की जनता ने आपसे कम से कम चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने की उम्मीद तो की ही थी। हमने उम्मीद की थी कि आप स्वास्थ्य केंद्रों, उप स्वास्थ्य केंद्रों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर व्यवस्थाएं माकूल कर देंगे। आप से पहले हमें सबने बारी-बारी से लूटा। पर आपसे हमें यह उम्मीद थी कि आप हमें नहीं लूटेंगे। 
विधायक बनने के बाद आप गंभीर रूप से बीमार हो गए थे, लम्बे समय तक आप बीमार रहे। बीमारी के कारण शायद आप पुरानी बहुत सारी बातें भूल गए। शायद आप अपने चुनावी वायदों को भी भूल गए। वैसे आपके बहुत सारे चुनावी वादों को हम भी भूल चुके है। गाहे-बगाहे आपका एक चुनावी वादा हमें याद आ जाता है और वो है - सोनोग्राफी मशीन वाला। मैंनें सुना है कि अब आप पूर्ण रूप से स्वस्थ है, ईश्वर से अरदास है कि वो आपको हमेशा स्वस्थ रखें। चूंकि आप पूर्ण रूप से स्वस्थ है और विधायक का दायित्व निभाने को सक्षम है, अतः आपसे निवेदन है कि आप अपने चुनावी वायदे को तुरन्त पूरा कर दिजिए। गंगापुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सोनोग्राफी मशीन लगवा दिजिए और यह काम आप आसानी से करवा सकते है। 

आपको याद दिला दूं कि चिकित्सा विभाग ने सोनोग्राफी से जुड़ी गांवों की इस समस्या से राज्य सरकार को अवगत कराया था। राज्य सरकार ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सोनोग्राफी मशीनें लगवाने की पहल की। इसके लिए विधायक रिकमण्डेशन भेज सकते है और विधायक मद से सोनोग्राफी मशीन लगवाने की स्वीकृति भी दे सकते है। साथ ही सरकार ने कई डॉक्टरों को रेडियोलॉजिस्ट बनाने की शुरूआत की। वर्तमान में कई डॉक्टर उदयपुर स्थित आरएनटी मेडिकल कॉलेज में रेडियोलॉजिस्ट का डिप्लोमा/प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है। जिन-जिन सामुदायिक केंद्रों पर सोनोग्राफी मौजूद होगी वहां-वहां इन रेडियोलॉजिस्ट्स को नियुक्तियां दी जाएगी। आपको यह जानकार खुश होना चाहिए कि गंगापुर निवासी डॉक्टर सतीश डाबी के सुपुत्र मनोज डाबी भी रेडियोलॉजिस्ट का डिप्लोमा कर रहे है। 

आपके विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़ा चिकित्सालय यानि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गंगापुर में स्थित है। आवश्यतानुरूप भवन है। संध्या नलवाया जैसी अनुभवी डॉक्टर यहां नियुक्त है। बस कमी है तो सोनोग्राफी मशीन की। सोनोग्राफी लगभग 15 लाख रूपए में आती है। आप विधायक मद से यह मशीन लगवा सकते है।

गंगापुर के निजी महाविद्यालय को सरकारी महाविद्यालय में मर्ज करने या नया सरकारी महाविद्यालय खुलवाने की हमारी मांग भी आपसे है। राजस्थान के 10वीं-12वीं पास विधायकों ने अपने विधानसभा क्षेत्रों में महाविद्यालय खुलवा दिए, आवासीय स्कूलें खुलवा दी, खैल मैदान बनवा दिए, गिनाने के लिए बहुत कुछ है मेरे पास लेकिन फिलहाल यह सब गिनाने के पीछे मकसद आप विधायकों के कार्यों की तुलना करना नहीं है। मकसद है कि आप बहुत कुछ कर सकते है, फिर कर क्यों नहीं रहे है ?

मैं ही नहीं इस विधानसभा क्षेत्र के कई लोग फोन पर आपसे बात करना चाहते है, कई जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक अधिकारी आपके ऐसे ही चुनावी वायदों को याद दिलवाने या उन्हें पूरा करवाने के लिए आपसे फोन पर बात करना चाहते है पर आपका अजय है कि आप से बात ही नहीं कराता है। सर आप ऐसे अजय को अपने साथ रखेंगे तो मैं पूरे दावे के साथ कह सकता हूं कि आगे आप कभी विजय नहीं पायेंगे। तुरन्त बदलिए इसे।

और हे! विधायक महोदय,

आप को बैसाखियों की जरूरत नहीं है। आपके लेफ्ट व राइट में ये जो दो बैसाखियां है ना, इन्हें तुरन्त हटाइए . . . ये दीमक लगी बैसाखियां जो खुद बहुत कमजोर है आपको अधिक कमजोर करेगी।

कई लोग ऐसा कह रहे है कि डॉ. चौधरी अपने कार्यकाल में सोनोग्राफी मशीन नहीं लगायेंगे। वो तो  मोदी लहर में विधायक बन गए और इन पांच सालों का लाभ ले रहे है। वो डॉ. रतन लाल जाट व भाजपा के लिए कुंआ खोदकर पुनः चौधरी हॉस्पीटल की मुख्य कुर्सी पर बैठ जायेंगे। हालांकि मुझे उनकी बातों में दम नजर नहीं आता है लेकिन अगर मशीन नहीं लगी तो उन लोगों की बातें सही ही साबित होगी। पिछले दो सालों में कई विधायकों के कार्य देखें, एक विधायक ने आम जनता की मांग पर सरकारी महाविद्यालय खुलवा दिया, एक ने आम जनता की मांग पर 4 करोड़ की सड़क स्वीकृत करा दी, अनेकों कार्य करवा दिए।

सोनोग्राफी मशीन लगा दिए जाने से किसी एक को नहीं बल्कि क्षेत्र की आम जनता को राहत मिलेगी।  इस खुले पत्र को पढ़ने के बाद या तो आप जनहित में सोनोग्राफी मशीन लगवायेंगे या फिर व्यक्तिगत दुर्भावना रखकर सोनोग्राफी मशीन नहीं लगवायेंगे । 

आपके पॉजिटीव या नेगेटिव रेपोन्स की प्रतिक्षा में

लखन सालवी 
आपके विधानसभा क्षेत्र के कोशीथल गांव का एक अदना-सा युवक।

धनतेरस - धन तेरे से है, धन तेरे से है, धन तेरे से है।

# लखन हैरान
सब के सब धन की देवी लक्ष्मी की पूजा में लगे है।
लक्ष्मी की पूजा करते हुए बारम्बार कह रहे है - धनतेरस है, हे! मां धन दे।
नेता और सरकार, सरकारी कर्मचारी और अधिकारी,
एनजीओ के लोग और आमजन, ग्राहक और व्यापारी।
जला जला कर दीपक कह रहे है - धनतेरस है, हे! मां धन दे।
(कोई नहीं कह रहा है कि हम सब को बराबर बांट दे।)
एक एनजीओ के दफ्तर में लक्ष्मी जी की हो रही है आरती
मांगा जा रहा है धन, मां तू हमें धनधान्य से पूर्ण कर दे
हम गरीबों की सेवा करेंगे, वंचितों की सेवा करेंगे, हमें कुबेर का खजाना दे।
(कोई नहीं कह रहा है कि गरीबों और वंचितों को धन दे।)
किराणे की दूकान वाले ने सफाई की है, दूकान को दुल्हन की तरह सजाया है।
लक्ष्मी जी की मूर्ति पर फूल मालाएं चढ़ाई है, दूकान के सामान पर अगरबत्ती घूमाई है।
दीपक जलाकर अरदास की है - धन तेरस है, हे! मां धन दे।
(वह नहीं कह रहा है कि ग्राहकों को धन दे।)
गणेशम् की रिटेल शॉप में है कूलर, फ्रीज, वासिंग मशीन ।
इनके अलावा भी भरे है हजारों इलेक्ट्रानिक सामन।
धनतेरस के मुर्हुत के कारण बिक रहे है आरो दनादन।
ठेके वाले (शराब की दूकान) ने भी बोतलें साफ की है।
खाली पड़े कार्टूनों को ठीक से जमाया है।
दूकान के आगे हजारी फूल की मालाएं लटकाई है।
अब वो सामने वाली ताक में रखी लक्ष्मी व गणेश की पीतल की मूर्तियों की पूजा कर रहा है,
पीछे से एक ग्राहक देवता आता है, जो दिवाली की छुट्टियों में गुजरात से घर आया है।
ग्राहक देवता ने आवाज दी भाई साब, एक अद्धा देणा।
दूकानदार बोला - दस मिनिट रूक, धन तेरस की पूजा करके देता हूं।
ग्राहक देवता मन में ही कहता साले धन तो मेरे से है।
पृथ्वी लोक का नजारा देखकर लक्ष्मी हंस रही है।
अपने पति से कह रही है हे प्राणनाथ! अब भी मनुष्य कितना भोला है।
चांद, तारों पर पहुंचकर भी वो मुझसे धन मांगता है।
प्रवासी भाई को अद्धा मिल गया है, तीसरे पैग की दूसरी घूंट के बाद वह लगभग टून्न हो गया है
तभी लक्ष्मी उधर से गुजरती है,
वो बोलता है, हेलो-हेलो लक्ष्मी माता वो ठेके वाला धनतेरस पर आपकी पूजा कर रहा है
लक्ष्मी हंसते हुए बोली - भाई तू जा और बोल उसे, धन मुझसे नहीं धन तेरे से है
बोल दे पूरी दूनिया को धन ग्राहकों से है, धन तेरे से है, धन तेरे से है, धन तेरे से है।

गोगुन्दा आए अजीम प्रेमजी, प्रवासी मजदूरों से हुए रूबरू

पाइप में रिंग फैंकते अजीम प्रेमजी
गोगुन्दा - सोमवार को गोगुन्दा में आजीविका ब्यूरो के श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र द्वारा रोजगार मेला आयोजित किया गया। विप्रो लिमिटेड के चैयरमेन अजीम प्रेमजी व उनकी पत्नि याश्मीन प्रेमजी ने इस मेले का विजिट किया। मेले में श्रमिक केंद्र द्वारा दी जा रही सेवाओं और रोजगार मेले में बेरोजगारों को रोजगार प्रदान करने की प्रक्रिया को देखा। इस दौरान आजीविका ब्यूरो के निदेशक राजीव खण्डेलवाल, कार्यक्रम निदेशक कृष्णावतार शर्मा, स्टेप एकेडमी के संजय चित्तौड़ा व क्षेत्रीय समन्वयक राजेन्द्र शर्मा भी उपस्थित थे।

गोगुन्दा के चौगान में आयोजित रोजगार मेले में उदयपुर की विश्वास प्लेसमेंट, एडीफो प्लेसमेंट, रामाजी मेन पावर, सिक्योरमीटर, जे.जे. वॉल्स प्रा.लि., सीफोरएस सोल्यूसन, आरडी फेब्रिकेशन, टाटा मोटर्स, बजाज, एटलस कोप्को जैसी कम्पनियों ने बेरोजगार युवाओं को नौकरियों के अवसर प्रदान किए। सुबह 10 बजे आरम्भ हुए मेले में ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों युवक-युवतियों ने भाग लिया। इस दौरान 151 बेरोजगार युवक युवतियों को रोजगार परामर्श प्रदान किया गया। केंद्र के शांति लाल सालवी ने बताया कि रोजगार मेले में 13 प्रवासी श्रमिकों का पंजीयन किया गया, भवन निर्माण श्रमिकों को बीओसीडल्यू की योजनाओं के बारे में जानकारियां दी गई।


रोजगार परामर्श की प्रक्रिया को देखते हुए
प्रेमजी ने भी फैंकी रिंग

रोजगार परामर्श की पक्रिया एक खेल से आरम्भ होती है। इस खेल में एक रिंग को फैंक कर निश्चित दूरी से पाइप में डालनी होती है। अजीम प्रेमजी जिन्होंने बड़े लक्ष्य हासिल कर इतिहास बनाया, उन्होंने भी इस गतिविधि में भाग लिया। उन्होंने रिंग फैंकी लेकिन पाइप में नहीं डाल सके। असल में इस खेल से यह समझ बनती है कि मुश्किल काम को करने के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ता है और मुश्किलें भी अधिक आती है। दूर के पाइप में रिंग डालना मुश्किल होता है इसलिए अमूमन लोग पास के पाइप में रिंग डालकर जीतना चाहते है।

मजदूर संगठन के अध्यक्ष तखत सिंह खरवड़ से बातचीत करते हुए
मेले के दौरान याश्मीन प्रेमजी ने रोजगार परामर्श ले रहे युवक-युवतियों, परामर्शदाताओं व रोजगार प्रदान कर रही एजेन्सियों व कम्पनियों के प्रतिनिधियों से सवाल जवाब किए। वहीं अजीम प्रेमजी से गहराई से समझते नजर आए। याश्मीन प्रेमजी ने प्रत्येक स्टॉल का विजिट किया। इस दौरान उन्होंने राजस्थान श्रम सारथी एसोसिएशन के बारे में जानकारी ली, अरावली निर्माण मजदूर सुरक्षा संघ के अध्यक्ष तखत सिंह राजपूत से बातचीत की व श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र की सेवाओं के बारे में जानकारियां प्राप्त की।


श्रमिक केंद्र का किया विजिट, प्रवासी श्रमिकों से की बातचीत

मजदूर संगठन के अध्यक्ष तखत सिंह खरवड़ से बातचीत करते हुए
अजीम प्रेमजी व याश्मीन प्रेमजी ने गोगुन्दा स्थिति श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र का विजिट भी किया। वहां वे स्थानीय श्रमिकों, प्रवासी श्रमिकों व श्रमिक परिवारों के लोगों से मिले। उन्होंने करीब एक घण्टे तक श्रमिकों से बातचीत की। इस दौरान श्रमिकों को सामाजिक व आर्थिक स्थिति के बारे में समझने के साथ उनकी रोजगार की स्थितियों को भी जाना। केंद्र पर आयोजित बैठक में पैरालीगल गणेश लाल, दशरथ सिंह व शांति सिंह ने मजदूरों के बकाया मजदूरी भुगतान, दुर्घटना व अत्याचार के कानूनी मामलों के बारे में जानकारी दी। वहीं चार साल से अपने बेटे सालगराम का इंतजार कर रही वेणी बाई गमेती ने अपनी पीड़ा अवगत कराया। उसने बताया कि उसका बेटा चार साल पहले रसोई काम करने राजकोट गया, जो आज तक नहीं लौटा। वहीं नान्देशमां निवासी भूरी लाल गायरी ने बताया कि वह कार्यस्थल पर एक दुर्घटना का शिकार हो गया। वह बूरी तरह जल गया। अब किसी भी प्रकार का काम कर पाने में असक्षम है, नियोक्ता ने न उसका ईलाज करवाया और ना ही उसे मुआवजा दिया। उजाला किरण लक्ष्मी देवी ने मोलेला की प्रसिद्ध मिट्टी की तस्वीर भेंट की। मोड़वा निवासी भंवर लाल सेन ने मजदूरों के संगठन के बारे में बताया।

लंच में खाया दाल ढोकळा, ग्रामीणों ने पिलाई राबड़ी
अजीम प्रेमजी, याश्मीन प्रेमजी व उनकी निजी सचिव तशकीन मच्छीवाला सहित आए सभी मेहमानों को लंच में मेवाड़ का प्रसिद्ध दाल ढोकला परोसा गया। लंच में गुर्जरों का गुढ़ा गांव से आई मक्के की राबड़ी भी परोसी गई, जिसे पीकर मेहमानों ने करीब दस बार तारीफ की।

Monday, July 4, 2016

राजनीतिक का अखाड़ा बना प्रताप का जन्म दिवस

महाराणा प्रताप जयंती पर गोगुन्दा को मिली कई सौगातें
भाजपा के राजनाथ सिंह, वसुंधरा राजे व कांग्रेस के सचिन पायलेट व अमरिन्दर सिंह भी पहुंचे गोगुन्दा

07 जून को राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र के गोगुन्दा गांव में महाराणा प्रताप की 476वीं जन्म जयंती को भव्य रूप से मनाया गया। ऐसा पहली बार हुआ कि क्षेत्र की 20 हजार से भी अधिक जनता ने जयंती समारोह में भाग लेकर महाराणा प्रताप को नमन किया। न केवल क्षेत्र की जनता ने अपितू राजनीतिक दलों ने भी हर्षोल्लास के साथ जयंती मनाई। राजनीतिक दलों द्वारा आयोजित जयंती समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट, अमेरिन्द्र सिंह राजा, विधायक अशोक चान्दणा तथा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया, जनजाति मंत्री नन्द लाल मीणा व जिले के प्रभारी मंत्री राजकुमार रिणवा सहित कई दिग्गज नेताओं के भाग लिया। क्षेत्र की जनता के साथ राजनीतिक दलों के दिग्गजों की उपस्थिति से गोगुन्दा का गौरव और बढ़ गया। वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महाराणा प्रताप राजनीति के कारण नहीं वरन वीरता, राष्ट्रप्रेम, स्वाभिमान व बलिदान के कारण जाने जाते है। उन्होंने राष्ट्ररक्षा के लिए हर वर्ग को साथ लेकर संघर्ष किए। उनका मानना है कि राजनीतिक पार्टियां प्रताप की जयंती को राजनीति का अखाड़ा बनाकर राजनीति करना चाह रही है। 

प्रताप जयंती के अवसर पर भाजपा व कांग्रेस ने जमकर अपना दमखम दिखाया। जहां भाजपा ने गोगुन्दा मण्डल के बैनर तले रामदेव चौगान में तकरीबन 12,000 लोगों के साथ बड़ी सभा का आयोजन किया वहीं महाराणा प्रताप राज तिलक सेवा समिति के बैनर तले कांग्रेस ने करीब 5000 लोगों को राज तिलक स्थल पर एकत्र कर अपना वजूद दिखाया। दिन भर हर आम व खास स्थान पर चर्चा प्रताप जयंती की बजाए यह होती रही कि किस सभा में कितनी संख्या थी। दोनों की दलों ने बसें, जीपें लगाकर गांव-गांव से लोग जुटाए। उनके लिए पानी के पाउच व भेाजन के पैकेट की व्यवस्था की तब जाकर प्रताप जयंती मनाई जा सकी। चर्चा यह भी रही कि लोग जुटाने में किसका पलड़ा भारी रहा। भाजपा में जहां विधायक प्रताप गमेती अव्वल रहे वहीं कांग्रेस में पूर्व मंत्री मांगी लाल गरासिया की तूती बोलती दिखाई दी। 

प्रताप जयंती को राजनीतिक अखाड़ा बनाने के बावजूद भाजपा द्वारा आयोजित समारोह में कंेद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया व जनजाति मंत्री नन्द लाल मीणा का आना और क्षेत्र के विकास के लिए करोड़ों रूपए की योजनाओं की घोषणा करना महत्वपूर्ण रहा। अनमने मन से ही सही बसों व जीपों में सवार होकर आए आमजन को तपती हुई दोहपरी में पाण्डालों में गर्मी सहन करने की एवज में सामूहिक लाभ मिला। समारोह में अपने सम्बोधन में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह व वसुंधरा राजे ने क्षेत्र के विकास के लिए करोड़ों की लागत की योजनाओं की घोषणा की, जिनकी उम्मीद आमजन को नहीं थी। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने तो मेवाड़ में इंडिया रिर्जव बटालियन खोलने की घोषणा कर क्षेत्र के युवाओं को सौगात ही दे दी। 

सभा के दौरान विधायक प्रताप गमेती की क्षेत्रीय विकास की मांगों को स्वीकारते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मेवाड़ काॅप्लेक्ष योजना के तहत 1.63 करोड़ रूपए, महाराणा प्रताप की समाधि स्थल के विकास के लिए 65 लाख और गोगुन्दा-मजावद-उबेश्वर रोड़ के लिए 10 करोड़, पेयजल योजना के लिए करदा में 3.5 करोड़ व पदाराड़ा में 4 करोड़ व देवास जल योजना से झाड़ोल तक पानी पहुंचाने के लिए 1.5 करोड़ की घोषणा की। मानसी वाकल डेम से गोगुन्दा को जल सप्लाई के लिए 11 करोड़ की योजना को स्वीकृति दी। 

गोगुन्दा क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों को लेकर विधायक प्रताप गमेती ने गोगुन्दा को टूरिस्ट सर्किट बनाने की मांग भी की। इस पर राजे ने कहा कि इसके लिए बजट की कोई समस्या नहीं है लेकिन समस्या तब है जब उन स्थानों पर रखरखाव नहीं हो। उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार के समय मेवाड़ काॅम्पलेक्ष योजना के तहत राज तिलक स्थल का विकास करवाया गया। कांग्रेस शासन में उसकी अनदेखी की गई, वे उसकी मरम्मत तक नहीं करवा पाए, नतीजा सबके सामने है। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानों के विकास के लिए बजट की कोई कमी नहीं है लेकिन किसी व्यक्ति संस्था या एजेन्सी को रखरखाव की जिम्मेदारी लेनी होगी। 

हमें अनेक भामाशाहों की जरूरत है - राजे
वसुंधरा राजे ने भामाशाह का उदाहरण देते हुए कहा कि राष्ट्र को बचाने के लिए महाराणा प्रताप का साथ भामाशाह जैसे लोगों ने दिया। वे न केवल वित्तिय सहायता प्रदान करते थे बल्कि पूंजीपतियों को प्रेरित कर वित्त एकत्र कर प्रबंधन करते थे। अगर भामाशाह न होते तो शस्त्रों, अश्वों, सैनिकों के लिए वित्त का प्रबंधन भी प्रताप को करना पड़ता, जो इतना आसान नहीं था। आज राजस्थान को सम्पन्न और प्रगतिशील बनाने के लिए हमें एक नहीं बल्कि कई भामाशाहों की जरूरत है। सबके साथ से प्रदेश आगे बढ़ेगा। 

30 जून तक पूरे हो जाए जल स्वावलंबन के कार्य - राजे
राजे ने अपनी महत्वकांक्षी मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना पर बल देते हुए कहा कि भामाशाहों व आमजन के सहयोग से प्रदेश में जल संरक्षण के कई कार्य हुए है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण में आमजन को सहयोग करना होगा। उदयपुर जिले में भी कई कार्य हो रहे है। जिला कलक्टर की ओर देखते हुए राजे ने कहा कि 30 जून तक सभी कार्य पूरे हो जाए ताकि बारिस के पानी का उपयोग हो सके। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि भगवान इस बारे अच्छी बारिस करेंगे। 

राजनाथ सिंह ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप की शोर्य, बलिदान और संघर्ष की गाथाएं स्कूलों की किताबों में पढ़ने का मिलती थी। उनमें इतिहासकारों ने इतिहास को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत किया और प्रताप के पराक्रम में कमी ला दी। उन्होंने कहा कि इतिहासकारों की मर्जी है कि वो जिसे चाहे महान कह दे। मैं उनसे सहमत नहीं हूं। मैं यह पूछना चाहता हूं कि महाराणा प्रताप ग्रेट क्यों नहीं हो सकते है। उन्हें ग्रेट किंग महाराणा कहा जाना चाहिए। प्रताप व अकबर के बीच हुए युद्ध को कुछ लोगों ने हिन्दू-मुस्लिम युद्ध कह कर दुष्प्रचारित किया है। यह उनका गलत कृत्य है। प्रताप ने मेवाड़ की रक्षा व स्वाभिमान के लिए युद्ध लड़ा था। प्रताप के सेनापति हकीम खां सूर थे तो अकबर की सेना में भी कई हिन्दू थे। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप से जुड़ी कहानियां बच्चे-बच्चे के जुबां पर पहले तो बहुत रहा करती थी लेकिन इतिहासकारों ने कुछ हालात पैदा कर दिए है कि लोगों की जुबां पर जितनी चर्चा महाराणा प्रताप के जीवन इतिहास की होनी चाहिए उसमें कमी आई है। उन्होंने कहा कि मैं अपनी सरकार की ओर से आप लोगों को यकीं दिलाना चाहता हूं कि जब तक हम है महाराणा को हिन्दूस्तान के लोगों की जुबां से हटने नहीं देंगे। राजनाथ सिंह के भाषण का युवाओं पर बड़ा असर दिखाई दिया। भाषण के दौरान पाण्डाल में बैठे युवाओं की ओर से ‘‘जय श्री राम’’ के नारे लगे।

सम्बोधन के दौरान राजनाथ सिंह ने भी दो बड़ी घोषणाएं की। घोषणा की कि मेवाड़ में महाराणा प्रताप इंडिया रिर्जव बटालियन खोली जाएगी। जिसमें पसीना बहाने वाले मेहनतकसों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने जोधपुर में ग्लोबल सेंटर फोर काउण्टर टेरेरिज्म और राजस्थान में अटकी पड़ी पुलिस आधुनिकीकरण योजना को भी हरी झण्डी दी। 

विधायक प्रताप गमेती ने अपने दो साल के कार्यकाल में विधानसभा क्षेत्र में करवाए गए कार्यों का ब्यौरा स्मारिका में प्रकाशित करवाया। समारोह के दौरान अतिथियों द्वारा स्मारिका का विमोचन किया गया। वहीं प्रधान पुष्कर तेली ने गोगुन्दा क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों के की जानकारियों युक्त 6 पृष्ठ की पुस्तक अतिथियों को भेंट की। प्रधान ने इन स्थलों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की मांग की। 

समारोह को विशाल बनाने के लिए जोरशोर से की थी तैयारियां
भाजपा द्वारा प्रताप जयंती समारोह की तैयारियां जोरों शोरों से की गई। पंचायत समिति के युवा प्रधान पुष्कर तेली की जिद्द के आगे प्रशासनिक अधिकारियों व सरकार के प्रतिनिधियों को बायपास चौराहें पर महाराणा प्रताप की मूर्ति स्थापित करने के मशक्कत करनी पड़ी और अंततः मूर्ति लगाने व सर्किल निर्माण के लिए स्वीकृति देनी ही पड़ी। बायपास चौराहें पर सर्किल का निर्माण करवाया गया और अश्वारूढ़ महाराणा प्रताप की मूर्ति स्थापित की गई। 

उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष महाराणा प्रताप जयंती मनाई जाती है। महाराणा प्रताप राज तिलक सेवा समिति द्वारा जयंती समारोह को धूमधाम तरीके से मनाया जाता रहा है। पहली बार भाजपा विधायक प्रताप गमेती व प्रधान पुष्कर तेली की अगुवाई में प्रताप जयंती को भव्य रूप से मनाने की तैयारियां की गई। बायपास से बसस्टेण्ड तक सड़क के दोनों ओर सरकारी भवनों की दिवारों पर केसरिया रंग पुतवाया गया। जगह-जगह तौरण द्वार सजाए गए। मुख्य बसस्टेण्ड के पास स्थित बाबा रामदेव चौगान में विशाल पाण्डाल लगाया गया जिसमें तकरीबन 15000 लोगों के बैठने की व्यवस्था थी। वहीं समारोह से पूर्व विशाह वाहन रैली निकाली गई। जिसमें विभिन्न झांकियां तैयार की गई। बड़े ही हर्षोल्लास के साथ रैली बायपास चौराहें से राज तिलक पहुंची जहां विधायक प्रताप गमेती, प्रधान पुष्कर तेली, उपप्रधान पप्पू राणा भील, सरपंच गागू लाल मेघवाल, उपसरपंच दया लाल चौधरी, भाजपा मण्डल अध्यक्ष प्रकाश पुरोहित सहित अन्य पदाधिकारियों ने महाराणा प्रताप की मूर्ति को फूल मालाएं अर्पित कर श्रद्धांजली दी। वहां से रैली पुनः रवाना होकर गांव के मुख्य मार्गों से होती हुई रामदेव चौगान स्थित समारोह स्थल पर पहुंची। 

सायं 4 बजे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, गृहमंत्री गुलाब चन्द कटारिया सेना के हेलिकाॅप्टर से गोगुन्दा के पास सेमटाल काॅलेज परिसर में बनाए गए हेलिपेड पर उतरे। जहां केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को गार्ड आॅफ आॅनर दिया गया। यहां विधायक प्रताप गमेती, विधायक फूल सिंह, विधायक अमृत लाल मीणा, विधायक गौतम लाल, नाना लाल अहारी, भाजयुमों अक्षय जोशी, जिला प्रमुख शांति लाल मेघवाल, भाजपा देहात जिलाध्यक्ष गुणवंत सिंह झाला व प्रधान पुष्कर तेली ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। 

राज तिलक पर प्रताप व राणा पूंजा को पुष्प अर्पित किए
बायपास पर महाराणा प्रताप की मूर्ति का किया अनावरण
अतिथियों ने राज तिलक पर महाराणा प्रताप व राणा पूंजा भील की प्रतिमा को पुष्प अर्पित कर राज तिलक स्थल का जायजा लिया। उसके बाद बायपास चौराहें पर पहुंचे। यहां ग्राम पंचायत द्वारा अतिथियों का ढोल नगाड़ों के साथ तिलक लगाकर स्वागत किया गया। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने महाराणा प्रताप की अश्वारूढ़ मूर्ति का अनावरण किया। इस दौरान भाजपा मण्डल अध्यक्ष प्रकाश पुरोहित, विधायक प्रताप गमेती, प्रधान पुष्कर तेली, गोगुन्दा सरपंच गागू लाल मेघवाल, उपसरपंच दया लाल चौधरी व वार्ड पंच रोशन लाल वेद सहित कई लोग मौजूद थे। गुलाब चन्द कटारिया ने प्रधान पुष्कर तेली के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा कि इस युवा की जिद्द के कारण यह मूर्ति लग पाई है। राजनाथ सिंह व वसुंधरा राजे ने पुष्कर तेली को बधाई दी। 

उल्लेखनीय है कि बायपास चौराहें का सौन्दर्यीकरण करवाने की पहल प्रधान पुष्कर तेली ने ही की थी। इसके लिए सांसद मद से 5 लाख रूपए की स्वीकृति भी कराई। इस कार्य के लिए भामाशाहों को भी तैयार किया। सर्किल निर्माण एवं मूर्ति के लिए जनसहयोग से 10.5 लाख रूपए एकत्र किए। सर्वाधिक जनसहयोग तिरूपति रोड़ लाईन्स (उदयपुर) ने किया। उन्होंने 6.50 लाख रूपए का आर्थिक सहयोग प्रदान किया। 

राज तिलक सेवा समिति के बैनर तले कांग्रेस ने भी मनाई जयंती
महाराणा प्रताप राजतिलक सेवा समिति द्वारा सुबह 9 बजे से 12 बजे तक राज तिलक स्थल पर महाराणाा प्रताप जन्म जयंती समारोह आयोजित किया गया। समारोह में कांग्रेस के प्रदेशाध्क्ष सचिन पायलेट, पूर्व केंद्रीय मंत्री डाॅ. गिरिजा व्यास, एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरिन्द्र सिंह राजा, विधायक अशोक चान्दणा, पूर्व सांसद रघुवीर सिंह मीणा ने सम्बोधित किया। वहीं गोपाल सिंह, पूर्व श्रम मंत्री मांगी लाल गरासिया, पूर्व विधायक गजेन्द्र सिंह शक्तावत, अर्जुन लाल बामणिया, लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ व कांग्रेस देहात जिलाध्यक्ष लाल सिंह झाला समारोह में उपस्थित रहे।

समारोह से पूर्व कांग्रेस ब्लाॅक अध्यक्ष हरी सिंह झाला के नेतृत्व में मोटर साईकिल रैली निकाली गई जो मुख्य मार्गों से होते हुए राज तिलक स्थल पर पहुंची। जहां पर अतिथियों ने महाराणा प्रताप व राणा पूंजा भील को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजली दी।

समारोह को सम्बोधित करते हुए सचिन पायलेट ने कहा कि महाराणा प्रताप के संघर्ष से सबको प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने न केवल आनबान की रक्षा के लिए हर परिस्थिति में दुश्मनों का डट कर सामना किया बल्कि राष्ट्र रक्षा के लिए हर वर्ग को साथ लिया। वहीं अमरिन्द्र सिंह राजा ने युवा वर्ग को आगे आकर कांग्रेस से जुड़कर राष्ट्रहित के कार्य करने की बात कही। 

2 घंटे में हो गया समारोह, पूर्व मंत्री को नहीं दिया बोलने का मौका
महाराणा प्रताप राजतिलक सेवा समिति को समारोह के आयोजन के लिए प्रशासन ने दोपहर 12 बजे तक का ही समय दिया था। समिति ने समारोह की शुरूआत करने में देर कर दी। राज तिलक पर 11.30 बजे सभा आरम्भ की। 12 बजे बाद गोगुन्दा के भाजपा मण्डल की ओर से आयोजित रैली राज तिलक पर पहुंचनी थी। 12.30 बजे तक परिसर में सभा चलती रही। उधर भाजपा मण्डल की ओर से पुलिस पर दबाव बढ़ता गया। अंततः पुलिस ने समिति के पदाधिकारियों से बात कर सभा के समापन की घोषणा कर 1.30 बजे परिसर खाली करवाया। परिसर खाली करने के चक्कर में समारोह में आए अतिथियों को बोलने का समय भी नहीं दिया गया। सभा में आए लोग पूर्व मंत्री मांगी लाल गरासिया को सुनना चाहते थे लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला। सचिन पायलेट के सम्बोधन के बाद 1.00 बजे समारोह समापन की घोषणा कर दी गई। उल्लेखनीय है कि समारोह में 5000 से अधिक महिला-पुरूष मौजूद थे, जिनमें पूर्व श्रम मंत्री मांगी लाल गरासिया के गृह क्षेत्र के लोगों की संख्या ज्यादा थी। मांगी लाल गरासिया का भाषण नहीं होने से उन्हें हताश होना पड़ा। 

Wednesday, May 11, 2016

कोशीथल में एक हुआ समाज, बाबा रामेदव की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न

  • लखन सालवी


सालवी समाज के एकता की बात की जा रही हो और कोशीथल के झगड़े का जिक्र ना हो, पिछले 15 सालों में तो ऐसा कभी नहीं हुआ। पर अब जब कभी भी एकता की बात होगी तो कोशीथल की एकता का जिक्र भी अवश्य किया जाएगा। 15 साल पुराने झगड़े को समाप्त कर बाबा रामदेव मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर कोशीथल के सालवी समाज के युवाओं, बुजुर्गों व महिलाओं ने सामाजिक एकता की मिशाल पेश की है।

उल्लेखनीय है कि कोशीथल में एक मुद्दे को लेकर सालवी समाज के परिवारों में आपसी फूट पड़ गई थी। वो फूट धीरे-धीरे रंजिश में तब्दील हो गई। परिवार ही नहीं वरन रिश्तेदारियां टूट गई। कोशीथल की फूट ने चौखले व परचैखले पर भी असर डाला। चौखले व परचौखले में भी फूट व्याप्त हो गई। तारतार जोड़कर कपड़े बनाना वाला समाज खुद तार-तार हो गया। 15 साल बाद कोशीथल में समाज पुनः एकजुट हुआ हैऔर घोर कलयुग में इस एकता के पीछे सायर सुत बाबा रामदेव प्रेरणा स्त्रोत बने हैं। 

विदित रहे कि 30 साल पूर्व गांव में बाबा रामदेव का मंदिर बनाया गया था। मंदिर में मूर्ति स्थापित करने को लेकर लम्बे समय तक विचार विमर्श चलता रहा। उसी दरमियां विभिन्न मुद्दों पर मतभेदों के चलते समाज के परिवार टूटते चले गए। वर्ष 2003 में एक ऐसे मुद्दे ने जन्म लिया, जिसने समाज को छिन्न-भिन्न कर दिया। समाज के तीन गुट हो गए। दो गुटों में ऐसी खिंचताने हुई कि भाई-भाई एक दूसरे के घौर विरोधी हो गए। एक ही मां के दो पुत्रों ने मां के देहावसान होने के बाद अलग-अलग शोक मनाया। यह संबंध विच्छेद की पराकाष्ठा थी। 

इन गुटों के कारण समाज में व्याप्त हुई दूरियां अब मिट चुकी है, यह कहना तो मुश्किल है लेकिन हां इतना जरूर कहा जा सकता है कि दूरियों को समाप्त करने की शुरूआत हो चुकी है। समाजनों में एक आयु वर्ग के धड़े ने बाबा रामदेव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा संयुक्त रूप से कर लेने की पहल का आगाज किया। एक से दो परिवार जुड़े, दो से तीन परिवार जुड़े और ऐसा करते-करते 35 परिवार जुड़ गए। मंदिर में बाबा रामदेव, डाली बाई व हरजी भाटी की मूर्ति तथा रामदेव की का पगलिया स्थापित करने पर सहमति बनी। सभी परिवारों ने मिलकर कुछ राशि एकत्र की। गड़ात परिवार के गोवर्धन जी ने आगेवानी की। बड़े पिता मोहन लाल जी ने गुओं के बीच संयोजन किया। मेरे पिता प्यारचन्द जी के नेतृत्व में एक दल मूर्तियां देखने गया और मूर्तियां चिन्हित कर ली। मूर्तिकार को मूर्तियों के निर्माण की राशि का भुगतान कर दिया गया। अब अन्य खर्चों के लिए उगाही की जाने की सहमति बनी। जैसे ही उगाही आरम्भ की, समाज के कुछ जन आड़े-तिरछे चलने लगे। आड़े-तिरछे चलने वालों को ट्रेक पर लाने में 11 माह लगे। अंततः कुछ आगेवानों की मेहनत रंगलाई और सभी परिवार एकता के सूत्र में बंधे। परिवार वार राशि एकत्र की गई। कार्यक्रम को सफल बनाने में बालूराम जी कटारिया, प्यारचन्द जी कटारिया, घीसू लाल जी जामेरा, भैरू लाल जी काला, कस्तुर चन्द जी जलवाणिया, गोमाराम जी भागड़ा, मुकेश जी भागड़ा, शंकर जी भागड़ा, लादू लाल जी भागड़ा, बालूराम जी मूमतिया, भैरू लाल जी गड़ात, भैरू लाल जी जामेरा, शिव जी गड़ात के परिवार के सभी युवा सदस्य व बंशी लाल जी भागड़ा का विशेष योगदान रहा।
07 व 08 मई 2016 का कार्यक्रम सुनिश्चित किया गया। पत्रिका छपवाई गई, घीसू जी जामेरा के घर पर विनायक स्थापना हुई। वहां 5 दिन तक भजन किर्तन किए गए, महिलाओं ने मंगलाचरण गाये। कार्यक्रम में चौकी परचौकी के गांवों के समाजजनों को निमंत्रण दिए गए। 07 मई 2016 को दोपहर में 11 हवन वेदियों 40 जोड़ों ने आहूतियां दी। राजसमन्द जिले के शक्करगढ़ गांव निवासी श्री मूलाराम आचार्य, भादाराम जी व प्रकाश शास्त्री जी ने मंत्रोच्चारण के साथ आहूतियां दिलवाकर यज्ञ सम्पूर्ण करवाया। इसके बाद बैंड बाजे के साथ 101 कलशों सहित कलश यात्रा निकाली गई। उसी रात सत्संग आयोजित की गई। समाज के संतप्रवृति
के कई लोगों ने भजन प्रस्तुत किए। सत्संग में लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता भंवरजी मेघवंशी (बलाई), रामदेव सेना के प्रदेश अध्यक्ष व श्री महावीर गौशाला करजालिया के संचालक श्री  देबी लाल जी मेघवंशी, दलित आदिवासी एवं घुमन्तु अधिकार अभियान राजस्थान के डाल चन्द जी मुण्डेतिया व डगर के आसीन्द तहसील संयोजक लादू लाल जी मेघवंशी ने भी शिरकत की।  उल्लेखनीय हैं कि श्री भंवर जी मेघवंशी ने बाबा रामदेव से जुड़े तथ्यों पर शोध किया था। इन्होंने बाबा रामदेव पीर: एक पुनर्विचार नामक पुस्तक का लेखन, सम्पादन व प्रकाशन किया था। इस पुस्तक में बाबा रामदेव जी से जुड़ी सत्यतताओं को तथ्यात्मक रूप से लिपिबद्ध किया गया हैं। उसके बाद श्री मेघवंशी ने हाल ही में एक पुस्तक ‘‘मेघवंशी बाबा रामदेव’’ का लेखन, सम्पादन व प्रकाशन किया है, जो इन दिनों काफी प्रसिद्ध हो रही है। 

सत्संग के बीच श्री मेघवंशी ने पाण्डाल में मौजूद समाजजनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कपड़े बुनने वाला यह समाज रिखियों का समाज है और इस समाज के लोग हमेशा आगे रहे है इसीलिए कहा जाता है कि - रिखियां जुगां-जुंगा अगवाण हुया। उन्होंने संविधान निर्माता डॅा. भीमराव अम्बेडकर के बारे में बात करते हुए कहा कि - उनके बिना दलितों को सम्मान मिलना असंभव था। अम्बेडकर ने अपने जीवन में दलित वर्ग के उत्थान के लिए खूब संघर्ष किए। उन्होंने युवाओं से आव्हान् करते हुए कहा कि समाज के युवाओं को संगठित होकर आगे आना चाहिए। समाज के आंतरिक कलेह को समाप्त कर आज एकजुट होकर सुन्दर कार्यक्रम आयोजित किया है, इसके लिए गांव के युवा साथी बधाई के पात्र है।

08 मई 2016 रविवार सुबह 4 बजे हवन किया गया। उसके बाद शुभ मुहुर्त पर मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के साथ-साथ ध्वजादण्ड व मंदिर मुकुट चढ़ाए गए। 

प्रगतिशील विचारधारा के श्री भंवर जी मेघवंशी ने समाज की एकता की सराहना करते हुए समाज के युवाओं से संगठित होकर आगे आने की बात कही। उम्मीद है बाबा रामदेव मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के अवसर पर हुई एकता अनन्त तक रहेगी . . . . जय बाबा री।



भंवर जी के बारे में :

भंवर जी मेघवंशी के व्यक्तित्व के बारे में तो आप सभी समाजजन वाकिफ होंगे, मैं थोड़ा और जोड़ दूं कि श्री मेघवंशी माण्डल तहसील के सीरडियास गांव के श्री नारायण लाल जी के कनिष्ठ पुत्र है और दलित आदिवासी एवं घुमन्तु अधिकार अभियान राजस्थान के संरक्षक है। इन्होंने दलित, आदिवासी एवं घुमन्तु समुदायों के सैकड़ों पीड़ित लोगों को न्याय दिलवाया है और दलितों, दमितों व वंचितों की आवाज बनने में अग्रणी रहते हैं। इन्होंने इन समुदायों के हजारों हजार युवाओं को संगठित कर इस अभियान से जोड़ा हैं। इन समुदायों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर इनकी समझ का कोई सानी नहीं हैं। विभिन्न विषयों को लेकर बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ, राजनेता, ब्यूरोक्रेटस, सामाजिक कार्यकर्ता, संतजन इनके विस्तृत ज्ञान, इनकी कुशाग्र बुद्धि व इनकी वाकप्रबुद्धता के कायल है।

Friday, April 22, 2016

सुन लो दलित विरोधियों . . . अब हम स्वतंत्र हैं, तुम अपनी पाचन शक्ति बढ़ा लो

बच नहीं सकती गोगुन्दा पुलिस, एफआईआर दर्ज करनी ही होगी

  • राजस्थान के उदयपुर जिले के गोगुन्दा से

एक वक्त था जब दलित जातियों को कतिपय ऊंची जातियों के लोगों ने गुलाम बना रखा था। उन्होंने लम्बे समय तक दलितों का शोषण किया। उन्हें मानसिक तौर पर गुलाम बना दिया गया। शोषित दलितों ने गुलामी को ही अपनी नियति समझ ली। ऐसा कई युगों तक हुआ। अंग्रेजों के शासन के दौरान देश अंग्रेजों का गुलाम हो गया लेकिन इस काल में दलितों को कुछ हद तक ऊंची जातियों की गुलामी से मुक्ति मिली। उसके बाद अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त होने के बाद भारत का संविधान बनाया गया। भारत के संविधान में देश के प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार, जीने का अधिकार, शोषण के विरूद्ध अधिकार सहित मूलभूत अधिकार प्रदान किए गए। ये अधिकार केवल दलितों को ही प्रदत्त नहीं हैं, ये अधिकार देश के तमाम नागरिकों को प्रदत्त हैं। 

कई बरसों तक इन अधिकारों की जानकारी दलित समुदायों के लोगों तक नहीं पहुंची। अशिक्षा सबसे बड़ा कारण रहा। देश के कई गैर दलित लोग जिनके मन में दलितों के प्रति संवेदनाएं थी, उन्होंने तथा दलित समुदायों के पढ़े-लिखे लोगों ने इन अधिकारों को दलित समुदायों में फैलाने में योगदान दिया।

संविधान लागू होने के बाद से आजतक समाज में कई परिवर्तन हुए। जहां ‘‘सबका साथ-सबका विकास’’ परिकल्पना पर चलने वाले लोग देश में सामाजिक एकता के लिए प्रयास कर रहे हैं। सम्प्रभू व अखण्ड़ भारत की स्थापना करने में लगे हैं वहीं दूसरी और खासकर ग्रामीण भारत में कई गैर दलितों द्वारा दलितों की स्वतंत्रता का हनन किया जा रहा हैं। कहीं उन्हें दलितों का अच्छे कपड़े पहनना नहीं पच रहा हैं, कईयों को दलित महिलाओं के अच्छे आभूषण धारण करना नहीं भा रहा हैं। कईयों को दलितों के अच्छे मकान सूंई की तरह चुभ रहे हैं। अनेक को दलितों समुदायों द्वारा सामाजिक कार्यक्रम करना पंसद नहीं आ रहा हैं। देखा जाए तो गैर दलित कतिपय लोग दलितों की समृद्धि से कुंठित हो गए हैं। वे दलितों को गुलाम बना कर ही रखना चाहते हैं। वे चाहते हैं दलित अब भी वो ही कार्य करें जो गैर दलित चाहते हैं। वे उनसे अपने घरों व खेतों में काम करवाना चाहते हैं और मानसिक गुलाम बनाए रखना चाहते हैं।

21 अप्रेल 2016 की रात को गोगुन्दा तहसील के ओबरा कलां गांव में मेघवाल समुदाय के एक परिवार में विवाह आयोजन था। इस परिवार के युवा गुजरात राज्य के शहर में व्यवसाय करते हैं। कड़ी मेहनत कर उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया हैं। विवाह के शुभ प्रसंग पर परिवार के लोगों ने दुल्हें की घोड़े पर बिन्दौली निकालने का निर्णय किया। बैण्ड बाजे मंगवाए गए, घोड़ा मंगवाया गया। घोड़े को सजाया गया। दूल्हा भी बड़ी ही खुशी के साथ घोड़े पर सवार हुआ। बैण्ड़ बाजे वालों ने ‘‘आज मेरे यार की शादी हैं’’ नामक गाने की धुन छेड़ी। समुदाय की युवक-युवतियां, महिला-पुरूष, बच्चें और दूल्हें के साथी सजधज कर बिन्दौली में आए थे। दरअसल विवाह आयोजन में बिन्दौली एक रस्में हैं, बिन्दौली निकालने से गांव के प्रत्येक परिवार को मालूम हो जाता हैं कि किस परिवार के किस सदस्य का विवाह हो रहा हैं। मतलब बिन्दौली विवाह के सार्वजनिक प्रचार-प्रसार का माध्यम हैं। और बिन्दौली दूल्हें के करीबी लोगों के आनन्द लेने का अवसर भी होता हैं।

बीते बुधवार यानि 21 अप्रेल 2016 की रात को मेघवाल परिवार के युवक की बिन्दौली परवान पर थी। बिन्दौली में समुदाय के महिला-पुरूष हर्षोंल्लास के साथ नाच गा रहे थे। तभी कतिपय गैर दलित लोग बिन्दौली के आड़े आ गए और बिन्दौली निकालने पर नाराजगी जताते हुए गाली गलौच करने लगे। उनका कहना था कि ‘‘तुम नीची जाति के होकर इस प्रकार से बिन्दौली कैसे निकाल सकते हो ?’’ वे बेचारे गफलत हैं, उन्हें मालूम नहीं हैं कि देश में 1949 से संविधान लागू हैं। मेघवाल समुदाय के लोग उनकी तरह गूंपे नहीं हैं। उन्हें अपने संवैधानिक हकों की जानकारी हैं। इस बार वे चूके नहीं। तुरन्तु पुलिस थाने में फोन कर बताया कि उनके संवैधानिक हकों का हनन किया गया हैं। कुछ समाज कंटकों ने बिन्दौली को रूकवाया हैं, जबरन दूल्हें को घोड़े पर से उतारा हैं और जातिगत गांलियां निकाली हैं। पीडि़तों की शिकायत के बाद कुछ ही देर बाद गोगुन्दा पुलिस थाने की गाड़ी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने आरोपियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की। पुलिस के आते ही आरोपी भी रफ्फूचक्कर हो गए। अंततः पुलिस जाप्ते में बिन्दौली निकाली गई।

गैर दलित कतिपय लोगों को मेघवाल समुदाय के दूल्हे की बिन्दौली नहीं अखरी। उन्होंने बिन्दौली को रोकना चाहा लेकिन अंततः क्या हुआ ? उन कतिपय लोगों को मूंह की खानी पड़ी। बिन्दौली रोकने वाले अब थूंक कर चाट रहे हैं, पुलिस थाने में कह रहे हैं कि हमने बिन्दौली को नहीं रूकवाया। ओबरा कलां के मेघवाल समुदाय के युवाओं का तो इन थूंक कर चाटने वाले जैसे लोगों से यहीं कहना हैं कि भाईयों अब तुम्हारे दादा-परदादा वाला समय नहीं रहा हैं। जितना अत्याचार करना था, जितना गुलाम बनाकर रखना था तुमने बना लिया हमारे पुरखों को। अब हम पर गुलामी लादने का प्रयास मत करो।

ओबरा कलां के मेघवालों ने हिम्मत दिखाई, संवैधानिक हक को पाने के लिए बस एक फोन ही किया और नतीजा सामने हैं। उन्होंने बिन्दौली रोकने वालों के विरूद्ध गोगुन्दा पुलिस थाने में रिपोर्ट दी हैं। वहीं गोगुन्दा थाने से जानकारी मिली कि ओबरा कलां के गोपी लाल मेघवाल की रिपोर्ट पर कार्यवाही करते हुए आरोपियों को पाबंद किया गया हैं। पुलिस थाने की इस मामूली सी कार्यवाही का विरोध करते हुए मेघवाल समुदाय के लोगों ने बताया कि अगर पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर कार्यवाही नहीं की तो वे आन्दोलन करेंगे। मेघवाल समुदाय के अन्य गांवों के लोग ओबरा कलां के लोगों से कह रहे हैं कि ‘‘तुम संघर्ष करों, हम तुम्हारे साथ हैं।’’
मामले की जानकारी मिलने पर दलित आदिवासी एवं घुमन्तु अधिकार अभियान राजस्थान (डगर) के संस्थापक भंवर मेघवंशी ने कहा कि दलित की बिन्दौली को रोकने, जातिगत गांलिया देने के आरोपियों के विरूद्ध अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही की जानी चाहिए।

बाडमेर के गणपत मेघवाल का कहना हैं कि भारत की आजादी के बाद से कई दलित समुदायों के लोग गुलाम मानसिकता से आजाद हुए हैं। उन्हें संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं, वे समानता के लिए लड़ रहे हैं, व्यवसायों में आगे बढ़े हैं, अच्छे घर बना रहे हैं, आर्थिक प्रगति की हैं और मजे से जी रहे हैं। अब जरूरत हैं दलित विरोधी उन गैर दलितों को अपनी पाचन शक्ति बढ़ाने की, उन्हें दलितों की इस आर्थिक प्रगति को पचाना होगा, उनकी स्वतंत्रता को पचाना होगा, उनकी ताकत भी पचाना होगा। अगर अब स्वतंत्रता के अधिकार, समानता के अधिकार का उल्लंघन किया या किसी प्रकार का अत्याचार करने की चेष्टा की तो अंजाम भुगतना होगा। हम अंत तक कानूनी लड़ाई लडेंगे।

जय भीम। 

Wednesday, April 20, 2016

श्रम मंत्री जी, क्या ऐसे होगा निर्माण श्रमिकों का कल्याण ?

लखन सालवी
राजस्थान सरकार के श्रम विभाग के मंत्री सुरेन्द्रपाल सिंह टी.टी. श्रमिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध दिख रहे हैं। हाल ही में विभाग से सहबद्ध भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार मण्डल की योजनाओं में परिवर्तन किए गए और योजनाओं में सहायता राशि बढ़ाने के साथ नवाचार भी किए गए। कई योजनाओं को बंद किया गया हैं जिससे श्रमिक वर्ग में नाराजगी भी हैं। विवाह सहायता जैसी महत्वाकांक्षी व बाल विवाह रोकने में सहायक रही इस प्रभावी योजना को पूर्णतः बंद कर दिया गया हैं। इस योजना के तहत हिताधिकारी को 51,000 रूपए की सहायता देय थी। साईकिल सहायता योजना को पूर्व में ही बंद कर दिया गया था। विश्वकर्मा पेंशन योजना के हाल किसी से छुपे नहीं हैं, श्रमिकों ने इस योजना के तहत रूपए जमा करवाए। यह योजना पूर्व सरकार के समय में बंद कर दी गई। जिन श्रमिकों ने अंशदान जमा करवाया उनको पेंशन का इंतजार हैं। 

वर्तमान में नई योजना के रूप में शुभ शक्ति योजना आरम्भ की हैं। इस योजना के तहत मण्डल से पंजीकृत श्रमिक की पुत्री को कौशल विकास हेतु, स्वरोजगार हेतु, शिक्षा हेतु या विवाह हेतु 55000 रूपए की सहायता प्रदान की जाएगी। इसमें पात्रता के लिए पुत्री का 8वीं पास होना अनिवार्य हैं। श्रमिक वर्ग का मानना हैं कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में जहां पंचायतीराज चुनाव में सरपंच प्रत्याशी के लिए 8वीं पास महिला नहीं मिल पाती हैं वहां इस योजना की स्थिति क्या होगी इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता हैं। श्रमिक हितैषी एक बड़े तबके का मानना हैं कि राज्य सरकार को 8वीं पास की अनिवार्यता पर पुनर्विचार करना चाहिए।

मण्डल की योजनाओं में सहायता राशि भी बढ़ाई गई हैं। महिला हिताधिकारी को प्रसूति सहायता के रूप में पुत्र होने पर 20,000 रूपए व पुत्री होने पर 21,000 रूपए की सहायता राषि प्रदान की जाएगी। दुर्घटना मृत्यु होने की दशा में 5 लाख रूपए व सामान्य मृत्यु होने पर 2 लाख रूपए की सहायता राशि दी जाएगी। विदित रहे इससे पूर्व सामान्य मृत्यु की स्थिति में 75,000 रूपए की सहायता राशि दी जाती थी। हिताधिकारियों के शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों के लिए छात्रवृत्ति सहायता की राशि को भी बढ़ाया गया हैं। यही नहीं मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन राशि भी बढ़ाई गई हैं। श्रमिकों के बीमें के लिए, उनकी भविष्य निधियों के लिए, इलाज करवाने के लिए भी सरकार ने अलग-अलग योजनाएं चला रखी हैं। हाल ही में इस मण्डल से जुड़ने की प्रक्रिया में भी बदलाव किए गए हैं। अब श्रमिक ई-मित्र केंद्रों के माध्यम से आॅनलाइन आवेदन कर सकेगा और श्रम निरीक्षक कार्यालय, पंचायत समिति में, अपनी ग्राम पंचायत में और श्रम से जुड़े अन्य कार्यालयों में आॅफलाइन आवेदन भी कर सकेगा। श्रम मंत्री के आदेश से नई योजनाएं व योजनाओं में परिवर्तन तथा नई प्रक्रिया जनवरी-2016 से लागू हैं। बावजूद जमीनी स्थिति बदहतर हैं। तीन माह गुजर जाने के बाद भी श्रम कार्यालयों में पंजीयन तक के आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं। योजनाओं के आवेदनों की स्थिति तो और भी खराब हैं। 

इन सब से बेखबर अशिक्षित व वंचित श्रमिक वर्ग आज भी केवल अपनी बुनियादी जरूरतों के बंदोबस्त में लगा हुआ हैं। इस बंदोबस्त की जीवन शैली में भी श्रमिकों को जीने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही हैं। दमनकारी नीतियां इन्हें श्रम पर आधारित जीवन भी नहीं जीने दे रही हैं। दूसरी ओर श्रम कानूनों में संशोधन कर उनकी कमर तोड़ी जा रही हैं। श्रमिक हितैषी कहलवाने के लिए सरकारों ने श्रमिक की सामाजिक सुरक्षा के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित की हैं लेकिन राजनैतिक लोगों की इच्छाशक्ति में कमी व प्रशासनिक व्यवस्था की बेरूखी के कारण जरूरतमंद व पात्र श्रमिकों को इनका फायदा कम ही मिल पा रहा हैं। आंकड़ों के अनुसार राजस्थान सरकार ने गत बजट में इन योजनाओं के लिए 6000 करोड़ रूपए का प्रावधान किया लेकिन महज 65 करोड़ रूपए ही खर्च किए गए अर्थात् बजट का मात्र 1 प्रतिशत ही खर्च किया गया। श्रम कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार व अधिकारियों की संवेदनहीनता भी इन योजनाओं के प्रति श्रमिकों के आर्कषण को कम कर रही हैं। 

श्रमिक संगठनों को कुचलने के प्रयास

उदयपुर के श्रम कार्यालय में मण्डल की योजनाओं में भ्रष्टाचार के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। कार्यालय में कर्मचारियों व अधिकारियों की असंवेदनशीलता व भ्रष्टाचार की प्रवृति देखने को मिलती हैं। यहां हितलाभ वितरण में भाई भतीजावाद की नीति अपनाई जा रही हैं। कार्यालय के इर्दगिर्द एजेण्टों की भरमार हैं। जो श्रमिक एजेण्टों के माध्यम से श्रम कार्यालय तक पहुंच रहे हैं, उन्हें योजनाओं के लाभ देने में देरी नहीं की जा रही हैं। दूसरी और जो श्रमिक, श्रमिक संगठनों से जुड़कर श्रम कार्यालय में विभिन्न सहायता योजनाओं के तहत आवेदन कर रहे हैं, श्रम विभाग द्वारा छोटी-छोटी कमियां ढूंढ कर उनके आवेदन निरस्त किए जा रहे हैं।  

जिले के श्रमिक संगठित हुए हैं। गोगुन्दा क्षेत्र में निर्माण क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों के 4 संगठन हैं। बजरंग, जरगा व सायरा निर्माण श्रमिक संगठन (अपंजीकृत) गोगुन्दा क्षेत्र में हैं तथा बड़गांव क्षेत्र में महिला श्रमिकों का संगठन हैं, जिसे रानी लक्ष्मी बाई निर्माण श्रमिक संगठन के नाम से जानते हैं। इन श्रमिक संगठनों से 5000 से अधिक श्रमिक सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। इनसे जुड़ा प्रत्येक श्रमिक अन्य श्रमिकों के संवैधानिक हकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध नजर आता हैं। संगठन से जुड़े श्रमिक न तो रिश्वत देते हैं और न ही देने देते हैं। संगठन दिनों दिन मजबूत होता जा रहा हैं, जिससे श्रम कार्यालय के भ्रष्ट लोगों की गोगुन्दा क्षेत्र की उपरी आय कम होती जा रही हैं। श्रम कार्यालय के लोग इस संगठन को अपने काम में रोड़ा मान रहे हैं और इन संगठनों को कमजोर करने के लिए संगठन से जुड़े श्रमिकों के आवेदन निरस्त करके उनमें संगठन के प्रति विद्वेष की भावना जाग्रत करने के प्रयास कर रहे हैं। 

केस-1

उदयपुर जिले के गोगुन्दा निवासी मोती लाल मेघवाल विवाह सहायता आवेदन के निरस्त हो जाने से दुःखी हैं। वह भवन निर्माण कार्य में चिनाई का कार्य करता हैं तथा बजरंग निर्माण श्रमिक संगठन से जुड़ा हुआ हैं। उसने 21 अप्रेल 2015 को अपनी पुत्री नवली का विवाह करवाया था तथा विवाह सहायता के लिए संयुक्त श्रम आयुक्त कार्यालय उदयपुर में आवेदन किया था। हाल ही में संयुक्त श्रम आयुक्त कार्यालय से उसे सूचना दी गई कि उसका विवाह सहायता आवेदन निरस्त कर दिया गया हैं। कारण पूछने पर बताया गया कि उसके नाम में अंतर हैं इसलिए आवेदन निरस्त हुआ हैं। 

जानकारी के अनुसार मोती लाल मेघवाल के पहचान के दस्तावेज यथा आधार कार्ड, राशन कार्ड में उसका नाम मोती लाल मेघवाल अंकित हैं लेकिन श्रम कल्याण बोर्ड द्वारा परिचय पत्र में उसका नाम मोती मेघवाल दर्ज हैं यानि उसके नाम में ‘‘लाल’’ शब्द अंकित नहीं हैं। बस इसी ‘‘लाल’’ शब्द के अंकित न होने के कारण संयुक्त श्रम आयुक्त कार्यालय द्वारा उसका विवाह सहायता आवेदन निरस्त कर दिया गया हैं। 

मोती लाल ने विवाह सहायता दिलवाने की मांग को लेकर 8 फरवरी को जिला कलक्टर को ज्ञापन दिया और उसके बाद 18 मार्च को राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई लेकिन उसकी शिकायत की अभी तक सुनवाई नहीं हुई हैं।

केस-2


विधवा के हक के हनन से भी नहीं चूका विभाग

आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र व श्रम कल्याण बोर्ड के परिचय पत्र में धापू गमेती के पति का नाम देवी गमेती दर्ज हैं। धापू बाई विधवा महिला हैं तथा 5 बच्चों का लालन-पालन कर रही हैं। राशन कार्ड में उसका नाम धापू बाई की बजाए धापूड़ी अंकित कर दिया गया और उसके पति का नाम देवी लाल की बजाए देवा अंकित कर दिया गया। धापू गमेती ने अपनी पुत्री मोवनी का विवाह 28 अप्रेल 2015 को करवाया और विवाह सहायता के लिए संयुक्त श्रम आयुक्त कार्यालय में आवेदन किया। 5 फरवरी 16 को संयुक्त श्रम आयुक्त कार्यालय ने पत्र भेजकर सूचना दी कि उसके पति के नाम में अंतर होने की वजह से उसका आवेदन निरस्त कर दिया गया हैं।

तो फिर कैसे मिली अंत्येष्ठि सहायता

दो वर्ष पूर्व धापू बाई के पति देवी लाल की मृत्यु हो गई। धापू बाई ने अंत्येष्ठि सहायता के लिए आवेदन किया, तब विभाग द्वारा उसे अंत्येष्ठि सहायता प्रदान की गई। उसका कहना हैं कि नाम में अंतर के कारण विवाह सहायता आवेदन को निरस्त कर दिया गया तो पति की मृत्यु पर अंत्येष्ठि सहायता कैसे जारी की गई। 

धापू बाई अशिक्षित हैं मगर जागरूक हैं। वह बजरंग निर्माण श्रमिक संगठन से जुड़ी हुई हैं तथा श्रमिकों के हकाधिकारों के लिए पैरवी करती हैं। वह आए दिन महिलाओं के विभिन्न मुद्दों पर पैरवी करने के लिए संयुक्त श्रम आयुक्त कार्यालय में जाती रहती हैं। वह विभाग के असंवेदनशील व अकर्मण्य कर्मचारियों व अधिकारियों की आंख की किरकिरी बनी हुई हैं। 

विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि धापू बाई को विवाह सहायता नहीं देने के लिए सभी कर्मचारी एकजूट हैं। धापू बाई जैसी जागरूक व मजबूत महिलाओं के कारण उनकी उपरी आय पर असर पड़ता हैं इसलिए वे उसे विवाह सहायता का लाभ नहीं देकर उसे कमजोर करना चाहते हैं। 

बकौल धापू बाई वह किसी सरकारी योजना का लाभ लेने मात्र के लिए असंगठित मजदूरों के लिए काम नहीं कर रही हैं बल्कि असंगठित श्रमिक परिवारों के उत्थान के लिए कार्य करना चाहती हैं। उसे लेशमात्र भी दुःख नहीं हैं कि संगठन से जुड़े होने के कारण उसे लाभ नहीं दिया जा रहा हैं। 

वह विधवा हैं,  5 बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेदारी उस पर हैं। वह विवाह सहायता योजना की असल पात्र हैं, मगर विभागीय कर्मचारियों व अधिकारियों की दुर्नीति के कारण उसे आर्थिक सहायता नहीं मिल पा रही हैं। उसने हाल ही में 16 मार्च को राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई हैं।

केस-3

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सायरा पंचायत समिति क्षेत्र के बौखाड़ा गांव के परताराम गुर्जर को भी विवाह सहायता योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा हैं। वह सायरा निर्माण श्रमिक संगठन से जुड़े हुए हैं। मण्डल से जारी परिचय पत्र में इनकी बेटी मंथरा का नाम चंदा दर्ज हो गया हैं। इन्होंने पिछले वर्ष 28 अप्रेल 2015 को अपनी बेटी का विवाह करवाया और विवाह सहायता के लिए मण्डल में आवेदन किया। अब मण्डल उन्हें यह कह कर विवाह सहायता नहीं दे रहा हैं कि ‘‘तुमने आवेदन मंथरा के लिए किया हैं जबकि परिचय पत्र में मंथरा का नाम ही नहीं हैं।’’ परथाराम गुर्जर की बेटी का का मंथरा हैं और उसके समस्त सरकारी दस्तावेजों में भी नाम मंथरा ही अंकित हैं। आवेदन करने के बाद परताराम गुर्जर ने अपनी पुत्री का नाम मंथरा होने का शपथ पत्र देने के साथ मंथरा के जन्म प्रमाण की प्रति, अंकतालिका की प्रति व अन्य दस्तावेजों की प्रतियां भी दी। श्रम कार्यालय ने किस आधार पर परथाराम गुर्जर के परिचय पत्र में बेटी का नाम मंथरा दर्ज किया यह जांच का विषय हैं। लेकिन अभी तो मंथरा और चंदा के फेर में परताराम को विवाह सहायता की राशि जारी नहीं की जा रही हैं। 

यह तो महज चंद उदाहरण हैं। नामों में अंतर के ऐसे दर्जनों मामले हैं, जिनमें श्रम कार्यालय ने विभिन्न सहायता योजनाओं के आवेदनों को निरस्त कर दिया हैं। बहरहाल पीडि़त श्रमिकों ने जिला कलक्टर, श्रम मंत्री को अपनी समस्या से अवगत कराया हैं साथ ही राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर भी शिकायतें दर्ज करवा रहे हैं लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हुई हैं। 

भारोड़ी गांव निवासी तख्त सिंह श्रमिक संगठन में पदाधिकारी हैं। उनकी पुत्रवधु लक्ष्मी देवी भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार मण्डल से पंजीकृत हैं। वर्ष 2012 में उसने प्रसूति सहायता के आवेदन किया लेकिन उसे प्रसूति सहायता जारी नहीं की गई। लक्ष्मी देवी ने श्रम विभाग के सैकड़ों चक्कर काटे, अंत में तो उसे यह तक कह दिया गया कि उसका आवेदन कार्यालय में नहीं हैं। मार्च-2016 में तख्त सिंह ने कार्यालय में जाकर कर्मचारियों को खरी खोटी सुनाई तब जाकर उन्होंने रद्दी के रूप में पडे फाइलों के ढ़ेर से लक्ष्मी देवी की फाइल निकाली और संयुक्त श्रम आयुक्त ने प्रसूति सहायता राशि की स्वीकृति दी। 

गोगुन्दा-सायरा क्षेत्र में कार्यरत बजरंग, सायरा, जरगा व रानी लक्ष्मी बाई निर्माण श्रमिक संगठनों से जुड़े श्रमिक गेहरी लाल मेघवाल, देवी लाल गमेती, मोती लाल गमेती, धापू बाई मेघवाल सहित दर्जनों श्रमिकों का कहना हैं कि संयुक्त श्रम आयुक्त कार्यालय द्वारा श्रमिकों को हर मामले में परेशान किया जा रहा हैं। 

बजरंग निर्माण श्रमिक संगठन से जुड़े 100 से अधिक श्रमिकों ने बताया कि मार्च-2015 में गोगुन्दा में एक शिविर लगाया गया। उस शिविर में उन्होंने हिताधिकारी के रूप में पंजीकृत होने के लिए आवेदन किए लेकिन अभी तक उन्हें परिचय पत्र नहीं दिए गए हैं। जिन लोगों के परिचय पत्र बनाए गए उनमें जानबूझ कर भारी कमियां रखी गई हैं। हिताधिकारी के नाम, उनके परिजनों के नाम व उनकी उम्र गलत लिख दी गई। 

जसोदा को बनाया फफोड़ा
केस-1 
दादिया गांव के प्रकाश पिता भैरू लाल मेघवाल ने श्रम विभाग के कर्मकार मण्डल से जुड़ने के लिए आवेदन किया। श्रम विभाग उदयपुर द्वारा जारी किए गए हिताधिकारी परिचय पत्र में परिवार के सदस्यों के नाम भी गलत अंकित किए गए हैं। प्रकाश मेघवाल की पत्नि का नाम जसोदा बाई हैं जबकि परिचय पत्र में जसोदा बाई की जगह फफोड़ा अंकित किया गया हैं। 
कार्यस्थल का पता - नरेगा जी

केस-2
श्रम विभाग द्वारा जारी प्रभु लाल के परिचय पत्र में नियोजक का नाम नरेगाजी अंकित किया गया र्हैं। 


गांव का नाम नीचराय
केस-3
किशन लाल के पिता का नाम गलत दर्ज हुआ हैं। वहीं इसका निवास नीचराय में बताया हैं कि जबकि गोगुन्दा तहसील में नीचराय नाम का कोई गांव नहीं हैं। 


केस-4
सोवनी बाई परिचय पत्र में अपने नाम को सुधरवाने के लिए चक्कर काट रही हैं। उसका कहना हैं कि उसने परिचय पत्र बनवाने के लिए पहले से ही कई चक्कर काटे थे, अब परिचय पत्र में नाम सुधरवाने के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। परिचय पत्र में उसका नाम सोवनी बाई की जगह सोवमीबा अंकित कर दिया गया हैं। 


पहले भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल की किसी भी योजना का लाभ करने के लिए आवेदन के साथ मूल परिचय पत्र देना पड़ता था। वर्ष 2014 तक जिन श्रमिकों ने योजनाओं के लिए आवेदन किए उनमें से कई श्रमिकों के मूल परिचय पत्र वापस नहीं लौटाए जा रहे हैं। श्रमिकों के परिचय पत्रों को नवीनीकरण करवाने की तिथियां भी निकल चुकी हैं। 

श्रम कार्यालय में आलम यह हैं कि विभाग के अधिकारी जहां एजेण्टों के आगे नतमस्तक दिखाई पड़ते हैं वहीं श्रमिकों को देखकर भड़कते हैं। जिन-जिन श्रमिकों ने भ्रष्टाचार की खिलाफत की या लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया, अब उन श्रमिकों के हितलाभ आवेदनों को निरस्त कर विभागीय अधिकारी श्रमिकों को अपनी ताकत का अहसास करवा रहे हैं। 

श्रमिक संगठन से जुड़े गणेश लाल खैर ने मण्डल की विभिन्न योजनाओं के आवेदनों व स्वीकृति से सम्बधित सूचना चाहने हेतु संयुक्त श्रम आयुक्त कार्यालय में सूचना के अधिकार के तहत सूचनाएं भी मांगी लेकिन सूचनाएं उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं।

अधिकतर श्रमिक श्रम मंत्री सुरेन्द्रपाल सिंह से उम्मीदें लगाए बैठे हैं कि जिस प्रकार उन्होंने नई योजना आरम्भ की व अन्य योजनाओं में सहायता राशि बढ़ाई, उसी प्रकार वे योजनाओं की क्रियान्विति के लिए भी नवाचार करेंगे।