Tuesday, October 13, 2015

अम्बेडकर छात्रावास के रसोईयों को नहीं मिल रहा वेतन

गोगुन्दा - समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय अम्बेडकर छात्रावास के छात्रों के लिए भोजन बनाने वाले रसोईयों को वेतन नहीं दिया जा रहा हैं। छात्रावास में रसोई बनाने का कार्य करने वाले 4 श्रमिक बकाया वेतन के भुगतान की मांग कर रहे हैं लेकिन उन्हें भुगतान नहीं किया जा रहा हैं। 
गोगुन्दा निवासी मिठा लाल तेली ने वर्ष 2006 में छात्रावास में रसोई बनाने का कार्य आरम्भ किया। नवम्बर 2013, मई-जून-14 व अक्टूबर-14 से जून-15 तक के 3300 रूपए प्रतिमाह की दर से 12 माह का वेतन बकाया हैं। मिठा लाल की तरह सराड़ा निवसी विजय मीणा का भी 8 माह का वेतन बकाया हैं। जानकारी के अनुसार छात्रावास में रसोई कार्य बनाने का कार्य समाज कल्याण विभाग ने गौरव सिक्यूरिटी नामक फर्म को दिया। इन दोनों रसोई श्रमिकों के वेतन का भुगतान गौरव सिक्यूरिटी द्वारा किया जाना हैं। 
वेतन मिले तो भरे बी.ए. की फीस 
हाल में मलारिया निवासी छगन लाल गमेती (19 वर्ष) छात्रावास में मुख्य रसोइयां के तौर पर कार्य कर रहा हैं। वार्डन रोशन लाल मीणा के कहने पर छगन लाल ने जुलाई-15 में कार्य करना आरम्भ किया। इसे अभी तक वेतन नहीं दिया गया हैं। उसने पिछले वर्ष इसी छात्रावास में रहकर 12वीं कक्षा पास की हैं। छगन ने बताया कि वह बी.ए. प्रथम वर्ष की परीक्षा देना चाह रहा हैं लेकिन उसके पास फीस के रूपए नहीं हैं। उसने वार्डन से भुगतान की मांग की तो वार्डन ने ठेकेदार से बात करने की बात कही हैं। 
इसी छात्रावास में वालू राम गमेती (20 वर्ष) मुख्य रसोइए के सहयोगी के रूप में कार्य कर रहा हैं। इसने भी वार्डन के कहने पर 3500 रूपए मासिक वेतन के आधार पर 17 सितम्बर 2015 से कार्य करना आरम्भ किया। वालूराम वर्तमान में स्वयंपाठी छात्र के रूप में 12वीं की पढ़ाई कर रहा हैं। 
मिठा लाल व विजय मीणा के वेतन भुगतान के लिए ठेकेदार किशन लाल खटीक जिम्मेदार हैं। छगन लाल गमेती व वालूराम गमेती के वेतन का भुगतान मैं शीघ्र करवाउंगा। - रोशन लाल मीणा-वार्डन, राजकीय अम्बेडकर छात्रावास, गोगुन्दा
समाज कल्याण विभाग द्वारा मुझे अभी तक भुगतान नहीं किया गया हैं, मैं कहां से भुगतान करूं - किशन लाल खटीक, डायरेक्टर-गौरव सिक्यूरिटी सर्विसेज

श्रम कानूनों व श्रमिक हित योजनाओं में बदलाव मंजूर नहीं

29 को देंगे मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
गोगुन्दा - सरकार द्वारा श्रम कानूनों व भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार मण्डल द्वारा संचालित योजनाओं को बंद करने व उनमें बदलाव करने पर श्रमिक संगठनों खासा रोष व्याप्त हैं। श्रमिक संगठनों का कहना हैं कि सरकार श्रमिक विरोधी नीतियां बना रही हैं, जिसका हम पूरजोर विरोध करेंगे। 
रविवार को गोगुन्दा, सायरा व बरवाड़ा में क्रमशः बजरंग, सायरा व जरगा निर्माण श्रमिक संगठनों द्वारा बैठकें आयोजित की गई। बजरंग निर्माण श्रमिक संगठन की बैठक में अध्यक्ष मोती लाल गमेती ने कहा कि सरकार श्रम कानूनों में श्रमिकों के हितों को नजर अंदाज कर बदलाव कर रही हैं। उन्होंने कहा कि ठेका श्रम अधिनियम, फैक्ट्री मजदूर अधिनियम में सरकार पहले ही बदलाव कर चुकी हैं। अब मजदूरी भुगतान अधिनियम भी बदलाव किए जा रहे हैं, इस बदलाव के बाद मजदूरी भुगतान के लिए मुख्य नियोक्ता जिम्मेदार नहीं रहेगा। 
बरवाड़ा में आयोजित जरगा निर्माण श्रमिक संगठन की बैठक में श्रमिकों ने भवन निर्माण एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मण्डल द्वारा संचालित विवाह सहायता योजना बंद कर देने का विरोध करते हुए कहा कि कई श्रमिकों ने दो वर्ष पूर्व आवेदन किए थे लेकिन उन्हें विवाह सहायता राशि नहीं दी गई। संगठन के अध्यक्ष गेहरी लाल मेघवाल ने बताया कि श्रमिक संगठनों द्वारा राज्य व केंद्र सरकार को इस बाबत ज्ञापन भेजा गया हैं।
वहीं सायरा में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया कि भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार मण्डल द्वारा संचालित सहायता योजनाओं में सहायता राशि बढ़ाने को लेकर जनप्रतिनिधियों व सरकार से मांग की जाएगी। श्रमिक संगठनों का मानना हैं कि मातृत्व हितलाभ, छात्रवृत्ति सहायता योजना में राशि नाकाफी हैं। 
श्रमिक संगठनों की बैठकों में तय किया गया कि आगामी 29 तारीख को ब्लाॅक मुख्यालय पर रैली निकाली जाएगी व मुख्यमंत्री तथा श्रम मंत्री के नाम उपखण्ड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
उल्लेखनीय हैं कि हाल ही में केंद्र सरकार ने विवाह सहायता राशि देने पर रोक लगा दी हैं, उसके बाद से राजस्थान में बोर्ड से जुड़े श्रमिकों के पेन्डिग पड़े आवेदन नए आवेदन भी नहीं लिए जा रहे हैं। जिससे श्रमिक संगठनों से जुड़े श्रमिकों में रोष व्याप्त हैं। श्रमिक संगठनों ने चेतावनी दी हैं कि श्रमिकों की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो श्रमिक दिल्ली के लिए कूच करेंगे।


फैंकी तो नहीं जा सकती केकी : घुमन्तु परिवार कहां करे मृतका केकी का दाह संस्कार ?

शाहपुरा - तहसील क्षेत्र की डाबला चांदा ग्राम पंचायत के बलांड गांव के पास स्थित भैरू खेड़ा बंजारा बस्ती के एक घर में केकी देवी (60 वर्ष) की लाश रखी हैं। रविवार (11 Oct 15) शाम को उसकी उसकी आकस्मिक मृत्यु हो गई। बंजारा परिवार के लोग शोक संतप्त हैं साथ ही चिंतित भी, कि केकी देवी का दाह संस्कार कहां करे।
श्मशान भूमि इस बस्ती से 5 किलोमीटर दूर हैं। वहां जाने के लिए रास्ता भी ठीक नहीं हैं और अब इस बस्ती के लोगों के कंधों में इतना दम नहीं रहा कि वे लाश को 5 किलोमीटर दूर ले जा सके। इस बस्ती के बाशिन्दों की प्रशासन व सरकार से मांग हैं कि बस्ती के पास स्थित राज्य सरकार की बिलानाम भूमि में से श्मशान के लिए भूमि मुहैया करवा दे। 
बस्ती के जागरूक युवा कालूराम बंजारा प्रशासनिक अधिकारियों से बात कर रहे हैं कि वे उक्त बिलानाम भूमि में से श्मशान के लिए भूमि दे दे और केकी देवी की अंत्येष्ठि वहां करने की स्वीकृति दे दे। 
दूसरी और बिलानाम भूमि पर अपना कब्जा बताते हुए इस भूमि का पड़ौसी खातेदार रतन लाल तेली अन्य समुदायों के लोगों व गांव के लोगों को अपने पक्ष में लामबंद कर रहा हैं। वह चाहता हैं कि उसकी कृषि के पास बंजारा समुदाय का श्मशान न बनें। 
अभी हाल ही में दो दिन पूर्व इसी बस्ती के गब्बा बंजारा की मृत्यु हो गई थी। बंजारा समुदाय के लोगों ने दाह संस्कार उसका दाह संस्कार राज्य सरकार की इसी बिलानाम भूमि पर कर दिया। दाह संस्कार की भनक जैसे ही इस भूमि का पड़ौसी खातेदार रतन लाल तेली को मिली वह अपने ट्रेक्टर में चारा भर कर वहां ले आया। उसने चारे को वहां डालकर जलाना चाहा। उसकी मंशा को भांपते हुए बंजारा समुदाय के लोग आगे आ गए। रतन लाल व उनके के बीच हल्की तू-तू मैं-मैं हो गई। इसके बाद रतन लाल तेली ने बंजारा समुदाय के लोंगो के खिलाफ पुलिस थाने में मामला दर्ज करवा दिया। वहीं बजारा समुदाय के लोगों ने भी रतन लाल तेली के विरूद्ध थाने में रिपोर्ट दे दी। पुलिस ने दोनों पक्षों के 8 लोगों को शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
खैर विवाद के बावजूद गब्बा बंजारा का अंतिम संस्कार तो राज्य सरकार की बिलानाम जमीन में हो गया लेकिन अब केकी देवी का अंतिम संस्कार कहां करे। बस्ती के बंजारा समुदाय के लोगों ने बताया कि वे कल केकी देवी का अंतिम संस्कार बिलानाम भूमि में ही करेंगे। 
बंजारा समाज के लोगों ने इस बिलानाम भूमि में से श्मशान भूमि अलोट करने की मांग व केकी देवी का दाह संस्कार इसी भूमि में करने की मांग जिला कलक्टर डॅा. टीना कुमार से की हैं। साथ ही तहसीलदार व पुलिस को भी इसकी सूचना दे दी हैं। 

A Case Study : पुलिस कार्यवाही से मची हलचल, नियोक्ता ने श्रमिक दम्पती को किया मजदूरी का भुगतान

  • लखन सालवी 
बहुत समझाने पर भी नियोक्ता ने रसोई श्रमिकों को उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया तो रसोई श्रमिक ने नियोक्ता के खिलाफ जिला पुलिस अधीक्षक से शिकायत की, नतीजा . . . पुलिस थाने ने नियोक्ता को थाने से बुलावा भेजा, नियोक्ता थाने तो नहीं गया, लेकिन उसनका छोटा भाई श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र पर आया और बेहिचक रसोई श्रमिकों की मजदूरी के 6500 रूपए अदा कर दिए। 
उदयपुर जिले के गोगुन्दा उपखण्ड की दादिया ग्राम पंचायत के मालू गांव की सकुड़ी गमेती (20 वर्ष) ने अपने पति दुर्गेश गमेती (22 वर्ष) के साथ रसोई का काम करने गई। ये दोनों पति-पत्नि रसोई का कार्य करते हैं। अगस्त-14 में पानेरियों की भागल (गोगुन्दा) निवासी भैरू लाल जोशी जो कि रसोई ठेकेदार ने दुर्गेश गमेती को काम का आॅफर दिया। 5000 रूपए मासिक पगार तय कर दुर्गेश गमेती ठेकेदार के साथ राजकोट के पास गाण्डल गांव स्थित दरबार हाॅस्टल में ले गया। दुर्गेश अपनी पत्नि सकुड़ी को भी साथ ले गया। दुर्गेश वहां रोटी-सब्जी बनाने का काम करने लगा। डेढ़ माह बाद ठेकेदार ने दुर्गेश से कहा कि वह उसकी पत्नि को भी काम पर लगा ले, उसने मजदूरी के 1500 रूपए आॅफर किए। दुर्गेश ने सकुड़ी को इस बारे में बताया तो सकुड़ी भी राजी हो गई। 
एक दिन सकुड़ी ने अपने पति से 2000 रूपए मांगे। दुर्गेश ने ठेकेदार से मांग की तो ठेकेदार ने रूपए देने से इंकार करते हुए कहा कि वह बाद में देगा। दुर्गेश ने पुनः निवेदन किया तो ठेकेदार ने उसके साथ गाली गलौच, जिससे आहत होकर दुर्गेश ने ठेकेदार के यहां काम करने से इंकार कर दिया। ठेकेदार से हिसाब करवाया तो उसके 6500 रूपए बकाया निकले। 
ठेकेदार ने कहा कि अभी उसके पास भुगतान करने के लिए रूपए नहीं हैं। उसने कहा कि वह गांव आकर भुगतान कर देगा। दुर्गेश ने ठेकेदार का विश्वास कर लिया और सकुड़ी को साथ लेकर गांव आ गया। यहां कई दिनों तक इंतजार किया लेकिन ठेकेदार नहीं आया। उसने कई बार फोन भी किए लेकिन ठेकेदार हर बार बहाने बनाते रहा। एक दिन सकुड़ी ने गोगुन्दा में संचालित श्रमिक केंद्र के बारे में सुना। उसने दुर्गेश को बताया, दुर्गेश भी केंद्र के बारे में जानता था। 31 मार्च 2015 को सकुड़ी अपने पति के साथ श्रमिक कंेद्र पर गई और अपनी शिकायत बताई। केंद्र पर कानूनी सेवा के इंचार्ज ने उनकी शिकायत को सुना, उन्हें कानूनी परामर्श दिया और ठेकेदार से बात की। ठेकेदार का कहना था कि दुर्गेश व सकुड़ी काम बीच में छोड़कर चले गए, जिससे उसे काफी नुकसान हुआ इसलिए वह दुर्गेश व सकुड़ी को भुगतान नहीं करेगा। उसने चेतावनी भी दी कि वे दोनों चाहे जो कर ले वह भुगतान नहीं करेगा। ठेकेदार को अपना पक्ष रखने की बात कही तो उसने कंेद्र पर आने से साफ इंकार कर दिया। उसे केंद्र की ओर से सुलह हेतु पत्र भी भेजा गया लेकिन वह कंेद्र पर नहीं आया। 
द्वितीय पक्ष की ओर से सुलह कार्यवाही में सहयोग नहीं किया जा रहा था। प्रथम पक्ष यानि सकुड़ी व दुर्गेश को भुगतान करवाने के लिए अन्य मंचों का सहयोग लेना आवश्यक हो गया। न्याय के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन किया लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुई तब 18 सितम्बर 2015 को ठेकेदार के विरूद्ध जिला पुलिस अधीक्षक से शिकायत की गई। शिकायत पर कार्यवाही के लिए पुलिस अधीक्षक ने गोगुन्दा थाने को निर्देश दिए। थाने से ठेकेदार को बुलाया गया। ठेकेदार को समझ आ गया कि सकुड़ी व दुर्गेश की मदद कौन कर रहा हैं। उसने अपने बड़े भाई को श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र पर भेजा। ठेकेदार का बड़ा भाई नाना लाल जोशी अपने मिलने वाले राजनीतिक सम्पर्क वाले व्यक्ति को साथ लेकर केंद्र पर आया। सकुड़ी व दुर्गेश को भी थाने से बुलावा आया था वे भी थाने जाने की बजाए केंद्र पर आ गए। अब उभयपक्ष केंद्र पर थे। दोनों के बीच मध्यस्तता की कार्यवाही की गई। नाना लाल ने पहले तो दुर्गेश को भला बुरा कहा कि उसने उसके भाई के विरूद्ध पुलिस में शिकायत क्यों की ? केंद्र के कानूनी सेवा इंचार्ज ने उन्हें समझाया। न्यूनतम मजदूरी भुगतान अधिनियम, मजदूरी भुगतान अधिनियम व महिला अत्याचार निरोधक अधिनियम के बारे में बताते हुए कहा कि ठेकेदार भैरू लाल जोशी ने 4 कानूनों के नियमों की अवहेलना की हैं, अगर प्रथम पक्ष चाहे तो ठेकेदार के विरूद्ध इन कानूनों के तहत शिकायतें कर सकता हैं।

नाना लाल जोशी, जो कि पुलिस के बुलावे मात्र से घबरा हुए थे, वे मामले को और नहीं उलझाना चाहते थे और केंद्र भी दोनों पक्षों के बीच सुलह करवाना चाहता था। सुलह वार्ता शुरू हुई, नाना लाल ने 5000 रूपए में मामले को रफा दफा करना चाहा। लेकिन केंद्र द्वारा की जा रही प्रभावी पैरवी के आगे उसकी एक ना चली और अतंतः उसने प्रथम पक्ष का बकाया 6500 रूपए का भुगतान कर दिया। 
सकुड़ी व दुर्गेश ने केंद्र से जुड़कर पिछले 7 माह में कानूनों की जानकारियां प्राप्त की हैं। उनका कहना हैं कि अब वो सचेत होकर कार्य करेंगे और काम के दौरान पूरी सावधानी बरतेंगे। 

A Case Study : चरण ने दूसरे चरण में लिया कानूनी सेवा का लाभ

  • लखन सालवी
कमजोर वर्ग के युवाओं को जीवन के हर पड़ाव पर मदद की जरूरत पड़ती हैं, कभी उचित परामर्श की तो कभी रोजगार प्रशिक्षण की। कभी वित्तिय शिक्षण की तो कभी सामाजिक सुरक्षा की। कई बार कानूनी परामर्श, शिक्षण एवं सहायता की भी जरूरत आन पड़ती हैं। कईयों की ये जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं। पर कहीं-कहीं ऐसे मददगार मिल जाते हैं, जो ऐसी जरूरतों को पूरा कर देते हैं। युवा चरण लाल सागिया (गमेती) को प्रथम चरण में यानि कि कर्मयोगी के रूप में जिन्दगी की शुरूआत में रोजगार परामर्श की जरूरत पड़ी। आईसीआईसीआई फाउण्डेशन के आरसेटी ने पूरी कर दी। चरण ने आरसेटी की मदद से हाउस वायरिंग का प्रशिक्षण पूर्ण कर लिया। दूसरे चरण में उसे कानूनी सहायता की जरूरत पड़ी, जिसे श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र ने पूरी कर दी।
प्रथम चरण: 
उदयपुर जिले की झाडोल तहसील के कीतावतों के वास निवासी चरण लाल सागिया जैसे तैसे कर 12वीं तक तो पढ़ पाया लेकिन उसके बाद उस पर आर्थिक भार बढ़ने लग गया। आगे की पढ़ाई करने के लिए भी उसके पास पर्याप्त रूपए नहीं थे। पढ़ाई छोड़कर काम धंधा करने का ही महज एक रास्ता उसे नजर आ रहा था। वह एक भी ऐसे कार्य को करने में निपूण नहीं था जिसे करने से उसे ठीकठाक मजदूरी मिल जाए। वह अकुशल कार्य में जाने की सोच रहा था। इस समय उसे कैरियर गाइडेन्स की जरूरत थी। सामाजिक ढ़ांचे में तो कैरियर गाइडेन्स की कोई आशा थी नहीं। एक दिन आरसेटी (आईसीआईसीआई फाण्उण्डेशन) का एक कार्यकर्ता उससे मिला। उसने उसे हाउस वायरिंग का प्रशिक्षण प्राप्त करने की सलाह दी। प्रशिक्षण के प्राप्त कर लेने के बाद वह काम भी कर सकता था और साथ में स्वयंपाठी छात्र के रूप में पढ़ाई भी कर सकता था। 
चरण लाल को सलाहकार की सलाह ठीक लगी। उसने उदयपुर स्थित आरसेटी के प्रशिक्षण केंद्र में एक माह का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण के बाद काम ढूंढ़ने में उसे बहुत समस्या आई मगर एक ठेकेदार के यहां उसे काम मिल गया। काम में निपूण होने के लिए उसने चार जगह कार्य किया। उसका कहना हैं कि वंडर सीमेन्ट फैक्ट्री में काम करने के दौरान सर्वाधिक सीखने को मिला। सीमेन्ट फैक्ट्री से निकलने के दौरान मानो वह फैैक्ट्री में तैयार होकर निकला था। 
द्वितीय चरण:
निपूणता हासिल करने के बाद वह अपने ही क्षेत्र के ओगणा के ठेकेदार फतेह लाल मेघवाल के नियोजन में आस-पास गांवों में हाउस वायरिंग का कार्य करने लगा। ठेकेदार ने शुरू में तो मेहनताना कम दिया लेकिन आश्वस्त किया कि कुछ माह बाद वह मजदूरी बढ़ा देगा। चरण लाल ठेकेदार पर विश्वास कर काम करता रहा। बाद में ठेकेदार ने मजदूरी दर बढ़ाई भी, लेकिन धीरे-धीरे उसका व्यवहार बदलने लगा, वह चरण लाल पर झल्लाने लगा। उसके हर काम में खोट निकालने लगा। ठेकेदार के व्यवहार को देखकर चरण लाल ने उसके यहां से काम छोड़ने का निर्णय कर लिया। उसने ठेकेदार से हिसाब करने की बात कही तो ठेकेदार ने महज 2000 रूपए बकाया बताए जबकि चरण लाल के हिसाब से बकाया राशि 9920 रूपए थी। उसने ठेकेदार से कई बार मजदूरी भुगतान की मांग की लेकिन ठेकेदार ने हर बार उसे बाले दिए। मजदूरी भुगतान निकलवाने का कोई रास्ता उसे नजर नहीं आ रहा था। युवा खून बार-बार उबलता लेकिन उसने संयम रखा। एक दिन किसी ने उसे श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र गोगुन्दा पर ठेकेदार के विरूद्ध शिकायत करने की सलाह दी। जून-2015 में चरण लाल गोगुन्दा गया और केंद्र पर अपनी समस्या बताई। उसे कानूनी परामर्श दिया गया। कंेद्र ने ठेकेदार फतेह लाल मेघवाल से सम्पर्क साधा। ठेकेदार का कहना था कि चरण लाल की मजदूरी बकाया नहीं हैं। 
जबकि चरण लाल ने बताया कि उसने 170 रूपए प्रतिदिन की दर से 22 सितम्बर 2014 से 31 दिसम्बर 2014 तक कार्य किया। उसके बाद 1 जनवरी 2015 से 27 फरवरी 2015 तक 250 रूपए प्रतिदिन की दर से कार्य किया। दैनिक मजदूरी की दर मौखिक रूप से तय की गई। उसने बताया कि फतेह लाल मेघवाल ने नियोजित करने के दौरान कहा था कि कुछ महिने तक 170 रूपए ( प्रतिदिन) की दर से भुगतान करेगा तथा उसके बाद काम में निपूणता देखकर मजदूरी बढ़ा देगा। 170 रूपए की दर पर 66 दिन कार्य कर चुकने के बाद चरण लाल ने ठेकेदार से मजदूरी बढ़ाने की बात की तो ठेकेदार ने 1 जनवरी 2015 को उसकी मजदूरी बढ़ाकर 250 रूपए कर दी। यह सब मौखिक ही तय किया जाता रहा। 
प्रथम प्रयास में फतेह लाल सुलह के राजी नहीं हुआ। तब 14 जुलाई 2015 को निःशुल्क कानूनी परामर्श एवं सहायता दिवस के दिन चरण लाल की ओर से फतेह लाल के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया। प्रकरण दर्ज होने के बारे में फतेह लाल को सूचना मिली तो उसने चरण लाल को ओगणा बुलाया। चरण लाल अपने पिता के साथ ओगणा गया। वहां एक मंदिर पर बैठकर दोनों पक्षों के बीच सुलह वार्ता हुई। चरण लाल ने बताया कि मामले में 7000 रूपए में मौखिक समझौता हुआ हैं और फतेह लाल ने 3000 रूपए का भुगतान उसी दिन कर दिया। उसने बताया कि शेष 4000 रूपए का भुगतान बाद में करने की बात कही हैं। 
नियम तिथि पर चरण लाल ने फतेह लाल से बकाया राशि का तकाजा किया तो फतेह लाल ने देने से इंकार कर दिया। केंद्र द्वारा फतेह लाल से फोन पर बात की गई। उसने बताया कि समझौता 5400 रूपए में हुआ था, 3000 रूपए दे दिए हैं अब केवल 2400 रूपए बकाया हैं। दोनों पक्षों के कथन में बड़ा अंतर था। तब केंद्र ने फतेह लाल को सुलह के लिए पत्र भेज कर केंद्र पर बुलाया। 14 सितम्बर 2015 को फतेह लाल मेघवाल केंद्र पर उपस्थित हुआ। वह अड़ा रहा कि मजदूरी दर 170 रूपए ही तय की थी, मजदूरी दर 250 रूपए कभी तय नहीं की। वो इस बात पर भी अड़ा कि हम दोनों के पक्ष के बीच समझौता हो चुका हैं और समझौते के अनुसार 2400 रूपए ही बाकी हैं। वह तो इस बात पर भी अड़ गया कि चरण लाल मजदूरी के दिन ज्यादा बता रहा हैं। उसने कहा कि चरण लाल ने उसके यहां इतने दिन तक कार्य नहीं किया। यहां चरण लाल की हाजरी डायरी काम आई। ठेकेदार के यहां कार्य करने का हर दिन का हिसाब उसने अपनी डायरी में लिखा था। यथा किस तारीख को किस साइट पर कार्य किया, क्या कार्य किया, ठेकेदार से कितनी राशि ली इत्यादि। हिसाब रखने से उसका पक्ष मजबूत बना रहा। 
केंद्र के कार्यकर्ता ने उससे अलग बैठकर बातचीत की। उसे बताया कि चरण लाल के पास हर दिन का हिसाब हैं। फतेह लाल के संज्ञान में लाया गया कि 170 रूपए में मजदूरी करवाकर कर उसने न्यूनतम मजदूरी भुगतान अधिनियम की अवहेलना की हैं तथा 7 माह तक मजदूरी का भुगतान नहीं कर मजदूरी भुगतान अधिनियम की अवहेलना की हैं। उसे समझाया गया कि वह सभी दिवसों का भुगतान 189 रूपए की दर से कर दे। ऐसा करने से उसे केवल 4000 रूपए का भुगतान करना होगा। उसे याद दिलाया गया कि उसने मंदिर पर जो समझौता किया उसके अनुसार भी 4000 रूपए का भुगतान ही करना हैं। अतः क्यों ना वह कानून सम्मत न्यूनमत मजदूरी की दर से चरण लाल को भुगतान कर दे। फतेह लाल को सुलह की यह कार्यवाही पंसद आई और उसने बकाया राशि 4000 रूपए का भुगतान कर मामले में समझौता कर लिया और 7 माह से चल रहा मजदूरी भुगतान विवाद चंद मिनटों में सुलझ गया।