Tuesday, October 13, 2015

A Case Study : पुलिस कार्यवाही से मची हलचल, नियोक्ता ने श्रमिक दम्पती को किया मजदूरी का भुगतान

  • लखन सालवी 
बहुत समझाने पर भी नियोक्ता ने रसोई श्रमिकों को उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया तो रसोई श्रमिक ने नियोक्ता के खिलाफ जिला पुलिस अधीक्षक से शिकायत की, नतीजा . . . पुलिस थाने ने नियोक्ता को थाने से बुलावा भेजा, नियोक्ता थाने तो नहीं गया, लेकिन उसनका छोटा भाई श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र पर आया और बेहिचक रसोई श्रमिकों की मजदूरी के 6500 रूपए अदा कर दिए। 
उदयपुर जिले के गोगुन्दा उपखण्ड की दादिया ग्राम पंचायत के मालू गांव की सकुड़ी गमेती (20 वर्ष) ने अपने पति दुर्गेश गमेती (22 वर्ष) के साथ रसोई का काम करने गई। ये दोनों पति-पत्नि रसोई का कार्य करते हैं। अगस्त-14 में पानेरियों की भागल (गोगुन्दा) निवासी भैरू लाल जोशी जो कि रसोई ठेकेदार ने दुर्गेश गमेती को काम का आॅफर दिया। 5000 रूपए मासिक पगार तय कर दुर्गेश गमेती ठेकेदार के साथ राजकोट के पास गाण्डल गांव स्थित दरबार हाॅस्टल में ले गया। दुर्गेश अपनी पत्नि सकुड़ी को भी साथ ले गया। दुर्गेश वहां रोटी-सब्जी बनाने का काम करने लगा। डेढ़ माह बाद ठेकेदार ने दुर्गेश से कहा कि वह उसकी पत्नि को भी काम पर लगा ले, उसने मजदूरी के 1500 रूपए आॅफर किए। दुर्गेश ने सकुड़ी को इस बारे में बताया तो सकुड़ी भी राजी हो गई। 
एक दिन सकुड़ी ने अपने पति से 2000 रूपए मांगे। दुर्गेश ने ठेकेदार से मांग की तो ठेकेदार ने रूपए देने से इंकार करते हुए कहा कि वह बाद में देगा। दुर्गेश ने पुनः निवेदन किया तो ठेकेदार ने उसके साथ गाली गलौच, जिससे आहत होकर दुर्गेश ने ठेकेदार के यहां काम करने से इंकार कर दिया। ठेकेदार से हिसाब करवाया तो उसके 6500 रूपए बकाया निकले। 
ठेकेदार ने कहा कि अभी उसके पास भुगतान करने के लिए रूपए नहीं हैं। उसने कहा कि वह गांव आकर भुगतान कर देगा। दुर्गेश ने ठेकेदार का विश्वास कर लिया और सकुड़ी को साथ लेकर गांव आ गया। यहां कई दिनों तक इंतजार किया लेकिन ठेकेदार नहीं आया। उसने कई बार फोन भी किए लेकिन ठेकेदार हर बार बहाने बनाते रहा। एक दिन सकुड़ी ने गोगुन्दा में संचालित श्रमिक केंद्र के बारे में सुना। उसने दुर्गेश को बताया, दुर्गेश भी केंद्र के बारे में जानता था। 31 मार्च 2015 को सकुड़ी अपने पति के साथ श्रमिक कंेद्र पर गई और अपनी शिकायत बताई। केंद्र पर कानूनी सेवा के इंचार्ज ने उनकी शिकायत को सुना, उन्हें कानूनी परामर्श दिया और ठेकेदार से बात की। ठेकेदार का कहना था कि दुर्गेश व सकुड़ी काम बीच में छोड़कर चले गए, जिससे उसे काफी नुकसान हुआ इसलिए वह दुर्गेश व सकुड़ी को भुगतान नहीं करेगा। उसने चेतावनी भी दी कि वे दोनों चाहे जो कर ले वह भुगतान नहीं करेगा। ठेकेदार को अपना पक्ष रखने की बात कही तो उसने कंेद्र पर आने से साफ इंकार कर दिया। उसे केंद्र की ओर से सुलह हेतु पत्र भी भेजा गया लेकिन वह कंेद्र पर नहीं आया। 
द्वितीय पक्ष की ओर से सुलह कार्यवाही में सहयोग नहीं किया जा रहा था। प्रथम पक्ष यानि सकुड़ी व दुर्गेश को भुगतान करवाने के लिए अन्य मंचों का सहयोग लेना आवश्यक हो गया। न्याय के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन किया लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुई तब 18 सितम्बर 2015 को ठेकेदार के विरूद्ध जिला पुलिस अधीक्षक से शिकायत की गई। शिकायत पर कार्यवाही के लिए पुलिस अधीक्षक ने गोगुन्दा थाने को निर्देश दिए। थाने से ठेकेदार को बुलाया गया। ठेकेदार को समझ आ गया कि सकुड़ी व दुर्गेश की मदद कौन कर रहा हैं। उसने अपने बड़े भाई को श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र पर भेजा। ठेकेदार का बड़ा भाई नाना लाल जोशी अपने मिलने वाले राजनीतिक सम्पर्क वाले व्यक्ति को साथ लेकर केंद्र पर आया। सकुड़ी व दुर्गेश को भी थाने से बुलावा आया था वे भी थाने जाने की बजाए केंद्र पर आ गए। अब उभयपक्ष केंद्र पर थे। दोनों के बीच मध्यस्तता की कार्यवाही की गई। नाना लाल ने पहले तो दुर्गेश को भला बुरा कहा कि उसने उसके भाई के विरूद्ध पुलिस में शिकायत क्यों की ? केंद्र के कानूनी सेवा इंचार्ज ने उन्हें समझाया। न्यूनतम मजदूरी भुगतान अधिनियम, मजदूरी भुगतान अधिनियम व महिला अत्याचार निरोधक अधिनियम के बारे में बताते हुए कहा कि ठेकेदार भैरू लाल जोशी ने 4 कानूनों के नियमों की अवहेलना की हैं, अगर प्रथम पक्ष चाहे तो ठेकेदार के विरूद्ध इन कानूनों के तहत शिकायतें कर सकता हैं।

नाना लाल जोशी, जो कि पुलिस के बुलावे मात्र से घबरा हुए थे, वे मामले को और नहीं उलझाना चाहते थे और केंद्र भी दोनों पक्षों के बीच सुलह करवाना चाहता था। सुलह वार्ता शुरू हुई, नाना लाल ने 5000 रूपए में मामले को रफा दफा करना चाहा। लेकिन केंद्र द्वारा की जा रही प्रभावी पैरवी के आगे उसकी एक ना चली और अतंतः उसने प्रथम पक्ष का बकाया 6500 रूपए का भुगतान कर दिया। 
सकुड़ी व दुर्गेश ने केंद्र से जुड़कर पिछले 7 माह में कानूनों की जानकारियां प्राप्त की हैं। उनका कहना हैं कि अब वो सचेत होकर कार्य करेंगे और काम के दौरान पूरी सावधानी बरतेंगे। 

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