Thursday, July 25, 2013

बिखरी-बिखरी है भाजपा वहीं सिमटी-सिमटी है कांग्रेस

  • लखन सालवी


राजस्थान विधानसभा चुनाव नजदीक है। भाजपा जहां बिना चुनाव लड़े ही सत्ता अपनी मुट्ठी में देख रही है वहीं भारी उठापटक के कारण कांग्रेस को सत्ता वापसी की चिंता हो रही है। ज्यों-ज्यों चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, राज्यभर में दोनों की प्रमुख दलों के लोगों में आपसी खिंचतान के साथ गुटबाजी सामने आ रही है। कांग्रेस का सीमित होना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चिंतित कर रहा है वहीं भाजपा में बिखराव वसुंधरा राजे को परेशान कर रहा है।

इन दिनों भीलवाड़ा में भाजपा व कांग्रेस में जबरदस्त हलचल मची हुई है। गली मोहल्लों में राजनीतिक चर्चाओं से माहौल गरम है तो राजनीतिक गलियारों में तो यह चर्चाएं उफान पर होनी लाजमी है ही। 

कांग्रेस की बजाए भाजपा में गुटबाजी व खिंचतान अधिक हो रही है। भाजपा के लोगों के बीच की गुटबाजी जिले की जनता के सामने आ चुकी है। हाल ही में वसुंधरा राजे ने सुराज संकल्प यात्रा के बहाने जिले में भाजपा की स्थिति की जानकारी ली। यात्रा के दौरान भी पार्टी से जुड़े लोगों में एकजुटता नहीं दिखी। 

जिले की स्थितियों को सुधारने एवं फीडबैक लेने के लिए वसुंधरा राजे ने प्रभारी नियुक्त किए है। ये प्रभारी समय-समय पर जिले में आकर फीडबैक ले रहे है तथा रणनीति के तहत तैयारियां कर अमली जामा पहना रहे है। 20 जुलाई को भाजपा राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्योदान सिंह, पार्टी प्रदेश महामंत्री सतीश पूनिया एवं पूर्व सांसद व भाजपा जिला प्रभारी मानवेन्द्र सिंह भीलवाड़ा आए हालांकि इन नेताओं ने बताया वे पदाधिकारियों एवं जिला पदाधिकारियों से चर्चा कर बूथ लेवल पर कार्यकर्ता तैनाती के बारे में चर्चा करने आए है लेकिन उन्होंने वास्तव में तो इस दौरे से जिले में भाजपा की स्थिति का आंकलन किया। उन्होंने जिले के पदाधिकारी, मण्डल अध्यक्ष एवं महामंत्री, प्रकोष्ठों एवं मोर्चों के जिलाध्यक्ष एवं महामंत्री, पूर्व विधायक, पंचायत समिति प्रधान, नगरीय निकाय अध्यक्ष, निवर्तमान जिला एवं मण्डल अध्यक्ष के साथ बैठक कर विस्तृत जानकारी ली। बैठक के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्ष सुभाष बहेडि़या के खिलाफ नारेबाजी की। नारेबाजी करने वाले भी कोई सामान्य कार्यकर्ता नहीं थे। पार्षद प्रशान्त त्रिवेदी व भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के शहर अध्यक्ष संजय ढ़ाबरिया सहित कई जानेमाने प्रमुख भाजपा कार्यकर्ता थे। बैठक के दौरान कईयों ने तो अपने बायोडेटा देते हुए टिकीट की मांग भी कर दी। जिलाध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी की घटना भाजपा में असंतुष्टि की ओर इशारा कर रही है। 

जिले में भाजपा के तीन धडे है। एक धड़ा जिलाध्यक्ष सुभाष बहेडि़या का है तो दूसरा विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी का। ये दोनों धड़े संघ से जुड़े हुए है। तीसरा धड़ा राज्यसभा सांसद वी.पी. सिंह के साथ है जो प्योर वंसुधरा राजे गुट से है। 

भाजपा के पास जनाधार वाले नेता नहीं है और ना ही कोई प्रमुख मुद्दा ही है। जिले में 7 विधानसभा सीटें है जिनमें से वर्तमान में 3 सीटें भाजपा के खाते में है। भाजपा के इनसे ज्यादा सीटें जीतने के आसार भी नजर नहीं आ रहे है। 

भाजपा न केवल जिलास्तर पर बल्कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्रों में भी गुटों में बिखरी हुई है। सहाड़ा-रायपुर विधानसभा क्षेत्र में एक तरफ पूर्व खाद एवं बीज मंत्री डाॅ. रतन लाल जाट है तो दूसरी तरफ पिछले विधानसभा चुनाव में वंचित कर दिए गए रूप लाल जाट है। डाॅ. रतन लाल जाट से असंतुष्ट लोगों का भी एक अलग गुट है जिसने डाॅ. जाट को पिछले दो विधानसभा चुनावों में हराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। डाॅ. जाट पिछले दो विधानसभा चुनाव हार चुके है, इस बार उनके पुत्र सुरेश चैधरी ने दावेदारी की है। 

माण्डल विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व मंत्री कालू लाल गुर्जर की प्रबल दावेदारी मानी जा रही है लेकिन इनके खिलाफ राजपूत ग्रुप सक्रिय है। सुजुकी ग्रुप आॅफ इंडस्ट्रीज के वाइस पे्रसिडेंट (कार्मिक) गजराज सिंह राणावत भी प्रबल दावेदारी प्रस्तुत कर चुके है। जिला परिषद सदस्य कमल सिंह पुरावत, छोटु सिंह (मेजा) सहित कई राजपूत नेता न केवल दावेदारी पेश कर रहे है बल्कि लामबंद हो रहे है। सूत्रों के अनुसार सांसद वी.पी. सिंह अपने पुत्र को माण्डल से चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे है। ऐसे में राजनीतिक जानकारों के साथ जनता को भाजपा की खिंचतान साफ दिखाई दे रही है और बिखरती जा रही भाजपा के चर्चे चाय की दूकानों पर खूब हो रहे है। 

आसीन्द विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा 3 जातियों के गुटों में बटी है। यहां मुख्यतः गुर्जर, ब्राह्मण व राजपूत समुदाय के भाजपा के परम्परागत वोट है। गुर्जर वोट विधायक राम लाल गुर्जर, मोहरा के सरपंच हरजीराम गुर्जर (भाजपा जिला महामंत्री) व धनराज गुर्जर में बटे हुए है जबकि तीनों में खींचतान है। वहीं ब्राह्मण वोट विट्ठल शंकर अवस्थी (भीलवाड़ा विधायक) के साथ है। भीलवाड़ा विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी आसीन्द विधानसभा क्षेत्र के बदनोर कस्बे के मूल निवासी है तथा क्षेत्र में अपने समुदाय में पकड़ रखते है। राज्यसभा सांसद वी.पी. सिंह इस विधानसभा क्षेत्र के ही है। वे राजपूत समुदाय पर पकड़ रखते है। इन तीनों जातियों का नेतृत्व करने वालों में आपस में समन्वय नहीं है अर्थात स्पष्ट रूप से बिखराव की स्थिति है।

विधानसभा क्षेत्र शाहपुरा भी गुटबाजी से अछूता नहीं है। यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। यहां भाजपा के कैलाश काबरा, रघुनन्दन सोनी व गजराज सिंह प्रमुख लोग है जो हार-जीत को प्रभावित करते है। बीजेपी के 35 लोगों की उम्मीदवारी की लम्बी सूची भाजपा में फूट को दर्शा रही है। यहां बाहरी भाजपा नेता भी हस्तक्षेप करना चाह रहे है। पिछले दो-तीन माह में कैलाश मेघवाल ने बार-बार शाहपुरा आकर अपनी उम्मीदवारी जता दी है वहीं शंभूदयाल बडगुर्जर भी उम्मीदवार की कतार में है। 

माण्डलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कीर्ति कंवर उम्मीदवारी जता रही है। पिछले चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। इस बार वह पुरजोर उम्मीदवारी जता रही है वहीं राजनीति में खिलाड़ी बद्रीप्रसाद गुरूजी, करण सिंह ओस्तवाल, राजकुमार आंचलिया इत्यादि भी उम्मीदवारी कर रहे है। जिनमें से शायद ही कोई चुनाव जीत पाएगा लेकिन हां कोई भी किसी को जीतने नहीं देगा। 

पिछले चुनाव में पूरे जिले में गुटबाजी से कोई अछूता है तो वह है जहाजपुर विधानसभा क्षेत्र। यहां विधायक शिवजीराम मीणा का कोई विकल्प ही नहीं है और ना ही किसी प्रकार की गुटबाजी सामने आई है।

जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की गुटबाजी साफ दिखाई दे रही है। वहीं भीलवाड़ा शहर की भाजपा की स्थिति को ठीक नहीं कहा जा सकता है। यह भाजपा की परम्परागत सीट है। यहां भी भाजपा 3 गुटों में बट चुकी है। जिलाध्यक्ष सुभाष बहेडि़या और विट्ठल शंकर अवस्थी में घमासान है वहीं दामोदर अग्रवाल भी प्रभावी है। उद्यमी बहेडि़या अपने कद पर तो विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी को अपने समुदाय के वोटरों का दंभ है वहीं दामोदर अग्रवाल भी अपने समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए काटाफासी करेंगे ही। 

आगामी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी जता रहे भाजपा के लोग गुटबाजी व राजनीतिक महत्त्वकांक्षा के चलते पार्टी सिद्धांतों को ताक में रख चुके है। सत्ता पर कौन काबिज होगा यह तो भविष्य की गर्त में छुपा है लेकिन वर्तमान हालातों को देखते हुए तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में भाजपा बिखरी-बिखरी हुई है। 

सिमटी-सिमटी है कांग्रेस

राजनीतिक जानकारों की माने तो बिखरने पर किसी दल को जितना नुकसान होता है उतना ही नुकसान सिमट जाने पर भी होता है। वर्तमान में जिले में कांग्रेस 3 लोगों में सिमट गई है। इन सिमटें हुए लोगों की बदौलत पार्टी केंद्रीय मंत्री डाॅ. सी.पी. जोशी पर केंद्रीत हो गई है। जिले में डाॅ. जोशी के दाएं-बाएं दो व्यक्ति है, एक तरफ पूर्व मंत्री व विधायक राम लाल जाट तथा दूसरी ओर यूआईटी चैयरमेन रामपाल शर्मा। ये दोनों की व्यक्ति जिले की कांग्रेस की कमान संभालें हुए है। इनके बूते कांग्रेस जिले में जीत का परचम लहरापाएगी ! इसमें हरेक को संशय है। 

वरिष्ठ कांग्रेसजन देवेन्द्र सिंह सहित धीरज गुर्जर, हगामी लाल मेवाड़ा जैसे असंतुष्ट लोगों की भी भरमार है। वहीं विधायक कैलाश त्रिवेदी व विधायक महावीर मोची जैसे लोग मझधार में है। मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री के दो अलग-अलग गुट है जो एक दूसरे को ठिकाने लगाने के प्रयास करेंगे। जानकारी के अनुसार वन एवं पर्यावरण मंत्री बीना काक का दामाद रिझु झुनझुनवाला भी भीलवाड़ा में अपने लिए नई जगह तलाश रहे है जो कि डाॅ. जोशी के विरोधी गुट के माने जाते है। 

बहरहाल जिले में बिखरी-बिखरी भाजपा की स्थिति ज्यादा ठीक नहीं है, गुटबाजी, खिंचतान व अंतर्कलह के चलते राजनीतिक समीकरण अभी से बिगड़ने लगे है। वहीं सिमटी-सिमटी कांग्रेस सिमटते-सिमटते 2-3 लोगों में ही सिमट जाएगी जो ना एक संगठन के लिहाज से ठीक है और ना ही आगमी विधानसभा चुनाव के लिहाज से ठीक है। हालांकि चुनाव में कौन-किसको मात देगा इस पर अभी कुछ बताना जल्दबाजी होगी क्योंकि टिकट वितरण भी चुनाव में हार-जीत को प्रभावित करने वाला महत्वपूर्ण फैक्टर होगा।