Monday, December 21, 2015

जवाबदेही यात्रा ने प्रशासन से मांगे जवाब

उदयपुर - ‘‘जवाबदेही यात्रा जवाब मांगे रे, जवाब दो प्रशासन वालों, जवाब देओ रे।’’ । ऐसे गीतों के माध्यम से जवाबदेही यात्रा के लोगों ने जनता की शिकायतों पर प्रशासन से जवाब मांगे। जयपुर से आरम्भ हुई जवाबदेही यात्रा जिले के कोटड़ा, झाड़ोल, गोगुन्दा होते हुए उदयपुर पहुंची। यहां लव कुश इन्डोर स्टेडियम में जनसुनवाई शिविर आयोजित किया गया। लोगों ने यहां अपनी समस्याओं को लेकर शिकायतें दर्ज करवाई। वहीं आदिवासी क्षेत्रों से आए लोगों ने अपनी समस्याएं बताते हुए प्रशासन से मांग की कि वो समस्याओं का समाधान कब करेंगे। 

 सम्बोधित करते डीएसओ व उपस्थित लोग
जिले में शिकायतों का अम्बार, खाद्य सुरक्षा से जुड़ी सर्वाधिक शिकायतें

डिजीटल इंडिया फाउण्डेशन के इरफान खान ने बताया कि जिले से राशन न मिलने को लेकर सर्वाधिक शिकायतें मिली हैं। शिविर में आए लोगों ने बताया कि राशन डीलरों द्वारा समय पर राशन नहीं दिया जा रहा हैं, राशन के लिए आधार कार्ड मांगा जा रहा हैं। बिना आधार कार्ड के राशन नहीं दिया जा रहा हैं व आधान कार्ड बनाने के लिए ई-मित्र केंद्रों पर 250-400 रूपए लिए जा रहे हैं। भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार मण्डल से पंजीकृत श्रमिक धापू बाई मेघवाल ने बताया कि 2012 में उसने अपनी बेटी का विवाह किया और विवाह सहायता के लिए आवेदन किया लेकिन अभी तक विवाह सहायता नहीं मिली हैं। गोगुन्दा तहसील के भारोड़ी गांव की लक्ष्मी बाई के 2012 में पुत्र का जन्म हुआ, उसने प्रसूति सहायता के लिए आवेदन किया लेकिन आजतक प्रसूति सहायता नहीं मिली। खान ने बताया कि यात्रा अब तक 7 जिलों में गई हैं। इस दौरान 2376 शिकायतें प्राप्त हुई हैं। जो सम्बधिंत जिला कलक्टर को सौंपी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि जिले के कोटड़ा, झाड़ोल व गोगुन्दा तथा उदयपुर से 1000 से अधिक शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से 600 से अधिक शिकायतें खाद्य सुरक्षा योजना से जुड़ी हैं तथा शेष शिकायतें पेंषन, आवास, महानरेगा से सम्बधित हैं। 

आधार कार्ड न होगा तो भी मिलेगा राशन

यात्रा के दौरान राशन डीलरों के सम्बंध में भी कई शिकायतें प्राप्त हुई। शिकायतें सुनने के बाद शिविर में आए जिला रसद अधिकारी हिम्मत सिंह भाटी ने कहा कि आधार कार्ड की अनिवार्यता हटा दी जाएगी, साथ ही उन्होंने कहा कि 10-15 दिन में राशन की दूकानों के बाहर लाभार्थियों की सूचियां चस्पा करवा दी जाएगी। उन्होंने कहा सभी बीपीएल, स्टेट बीपीएल, अन्त्योदय परिवारों के साथ पेंशन पाने वाले खाद्य सुरक्षा योजना के पात्र हैं। जो वंचित रह गए हैं वे ग्राम पंचायतों में आवेदन कर इस योजना से जुड़े। उन्होंने कहा कि राशन वितरण में अनियमितताओं की जितनी शिकायतें प्राप्त हुई हैं, उनकी जांच कर दोषी राशन डीलरों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।  

शिकायतें सौंपने कलक्ट्रेट जाते यात्री
वहीं महानरेगा में आवेदन की रसीद न देने, मजदूरी का भुगतान समय पर नहीं करने व मुआवजा न देने सहित अन्य शिकायतों को सुनने के बाद एक्सईएन प्रज्ञा सक्सेना ने कहा कि देरी से भुगतान के मामलों में सुनवाई की व्यवस्था शीघ्र ही की जाएगी। उन्होंने कहा कि महानरेगा से जुड़ी सभी शिकायतों पर सुनवाई ही त्वरित की जाएगी। 

शिविर में यूआईटी सचिव रामनिवास मेहता, जिला रसद अधिकारी हिम्मत सिंह भाटी, एक्सईएन प्रज्ञा सक्सेना (महानरेगा), सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान के निखिल डे, शंकर सिंह व कमल टांक, आस्था संस्था के भंवर सिंह चंदाणा, आजीविका ब्यूरो के राजीव खण्डेवाल व आभा मिश्रा, प्रतिरोध संस्था के खेमराज चौधरी तथा सामाजिक कार्यकर्ता श्याम पुरोहित, चन्दन सिंह, सरफराज शेख, विकास सिंह, संतोष पूनिया, हरिओम सोनी, लखन सालवी तथा आदिवासी विकास मंच, बजरंग, जरगा, सायरा, रानी लक्ष्मी बाई निर्माण श्रमिक संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे। 

शिविर के बाद प्राप्त हुई सभी शिकायतों को जिला कलक्टर कार्यालय में सौंपी गई। राज्यपाल के दौरे में व्यस्तता के चलते जिला कलक्टर से यात्रियों की मुलाकात नहीं हो पाई। यात्री अमित कुमार ने बताया कि यात्रा का एक दल 23 दिसम्बर को जिला कलक्टर से मिलेगा। 

क्यों नहीं बनाए जा रहे हैं जरूरी कार्ड 

शिविर के बाद लेकसिटी प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कांफ्रेन्स को सम्बोधित करते हुए सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान के निखिल डे ने कहा कि यह यात्रा बहूत ही महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह जवाबदेही की मांग कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सूचना का अधिकार कानून की मांग को लेकर भी इसी प्रकार की यात्रा निकाली गई थी। पूरे राज्य के लोगों ने सूचना के अधिकार कानून की मांग की और अंततः सूचना का अधिकार कानून बना और लागू हुआ, जिसका उपयोग आज पूरा देश कर रहा हैं। जवाबदेही कानून की आवश्यकता के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि कई लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए शिकायतें कर रहे हैं लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा हैं इसलिए जवाबदेही यात्रा के माध्यम से जवाबदेही कानून की मांग की जा रही हैं, जिसे आमजन का भरपूर समर्थन मिल रहा हैं। 

प्रेस को सम्बोधित करते हुए यात्रा के संयोजक शंकर सिंह ने कहा कि सरकार भामाशाह कार्ड, स्वास्थ्य कार्ड, आधार कार्ड जैसे कार्ड बनाने पर जोर दे रही हैं जबकि लोगों के पेट के लिए जरूरी जाॅब कार्ड व राशन कार्ड जैसे कार्ड नहीं बनाए जा रहे हैं। कई लोगों को पेंशन नहीं मिल रही हैं। इंदिरा आवास योजना के तहत आवासों के फोटो खिंचने के नाम पर ग्राम सचिव पैसे ले रहे हैं। ई-मित्र वाले मनचाहे रूपए ले रहे हैं। गोगुन्दा में राशन कार्ड के लिए 30 रूपए की जगह 200 रूपए लिए जा रहे हैं। आधार कार्ड के लिए 250-400 रूपए लिए जा रहे हैं। सरकार को आमजन की समस्याओं के समाधान के लिए शिकायतें प्राप्त करने के साथ जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी। 

Sunday, December 20, 2015

जवाबदेही कानून की उठी मांग, यात्रा को मिला जन सहयोग

जवाबदेही यात्रा जवाब मांगे रे, देवो क्यों नहीं रे
चौगान में सुनी समस्याएं, दर्ज हुई 300 से अधिक शिकायतें 

गोगुन्दा - जवाबदेही कानून को लेकर जयपुर से आरम्भ हुई जवाबदेही यात्रा रविवार दोपहर गोगुन्दा पहुंची। बाईपास चौराहें पर निर्माण श्रमिक संगठनों व ग्रामीणों ने यात्रा को ढ़ोल नगाड़ों के साथ भव्य स्वागत किया। जवाबदेही कानून की मांग को लेकर नारे लगाते हुए बाईपास चौराहें से चौगान तक विशाल रैली निकाली गई। 
इससे पूर्व चौगान वाले चबूतरे पर सुबह से ही शिकायत सुनवाई शिविर आरम्भ कर दिया गया, जिसमें गोगुन्दा, मोड़ी, चांटिया खेड़ी, मजावड़ी, दादिया, सायरा, बरवाड़ा सहित 15 से अधिक गांवों के लोागों ने अपनी शिकायतें दर्ज करवाई। 

उल्लेखनीय हैं कि सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान राजस्थान के बैनर तले 100 दिवसीय जवाबदेही यात्रा निकाली जा रही हैं। यात्रा के संयोजक शंकर सिंह ने बताया कि कोटड़ा, झाड़ोल व गोगुन्दा में प्राप्त हुई शिकायतें सोमवार को जिला कलक्टर को सौंपी जाएगी। उन्होंने बताया कि अब तक पेंशन व राशन न मिलने की सर्वाधिक शिकायतें प्राप्त हुई हैं। जानकारी के अनुसार गोगुन्दा क्षेत्र में महानरेगा श्रमिकों के बकाया भुगतान को लेकर सर्वाधिक शिकायतें प्राप्त हुई हैं।

चोरीवाड़ो गणो वेग्यों रे कोई तो मूण्ड़े बोलो

चौगान में आयोजित श्रमिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए यात्रा के संयोजक शंकर सिंह ने गीतों के माध्यम से यात्रा के उद्देश्य के बारे में बताया। यात्रा के नाटक दल ने ‘‘चोरीवाड़ों गणो वेग्यों रे कोई तो मूण्डे बोलो’’, ‘‘जवाबदेही यात्रा जवाब मांगे रे’’ जैसे गीतों के माध्यम से व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हुए जवाबदेही कानून की मांग की गई। 

आवेदन किया 2012 में अभी तक नहीं मिली सहायता

सम्मेलन के दौरान भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार मण्डल से पंजीकृत श्रमिकों ने शिकायतें दर्ज करवाई कि उन्होंने अपनी बेटियों के विवाह 2012 में करवाए और निर्धारित समय पर आवेदन भी किए मगर आज तक न तो सहायता राशि स्वीकृत हुई और ना ही आवेदन निरस्त होने की सूचना उन्हें मिली हैं। श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र के शांति लाल सालवी ने बताया कि श्रम विभाग से जुड़ी करीब दो दर्जन शिकायतें प्राप्त हुई हैं। 

आदिवासी विकास मंच के सरफराज शेख ने कहा कि कई लोग लम्बे समय से अपनी छोटी-छोटी मांगों को लेकर शिकायतें कर रहे हैं लेकिन उनकी शिकायतों पर कार्यवाही नहीं की जा रही हैं। सरकार को शिकायतों की सुनवाई के लिए जवाबदेही तो सुनिश्चित करनी ही होगी।

यात्रा के सहयोगी आस्था संस्था के भंवर सिंह चंदाणा ने कहा कि यात्रा जन सहयोग से आयोजित की जा रही हैं। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आए सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, फिल्ममेकर, नाटककार भाग ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि यात्रा में 70 लोग शामिल हैं। 

कानून की मांग को लेकर किए हस्ताक्षर, दिया आर्थिक सहयोग

सम्मेलन के दौरान जवाबदेही कानून की मांग को लेकर सैकड़ों लोगों बैनर पर हस्ताक्षर किए और किसी ने 10 रूपए तो किसी 5 रूपए, किसी ने 100 रूपए तो किसी ने 50 रूपए का आर्थिक सहयोग दिया। अश्वति वाॅरियर ने बताया कि यात्रा को 1953 रूपए का सहयोग मिला। 

इस दौरान आजीविका ब्यूरो के राजेन्द्र शर्मा, आदिवासी विकास संस्थान के सरफराज शेख, आस्था संस्था के भंवर सिंह चंदाणा, बजरंग, सायरा, जरगा व रानी लक्ष्मी बाई निर्माण श्रमिक संगठन के पदाधिकारी उपस्थित थे। 

देवला पहुंची जवाबदेही यात्रा, कल पहुंचेगी कोटड़ा

कोटड़ा - सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा निकाली जा रही जवाबदेही यात्रा गुरूवार शाम देवला पहुंची। जहां कोटड़ा आदिवासी विकास मंच, श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र, जतन संस्थान व आजीविका ब्यूरो द्वारा यात्रियों का ढ़ोल नगाड़ों से स्वागत किया गया। 

यात्रियों ने देवला में लोगों की समस्याओं को जाना व उन्हें सूचना का अधिकार अधिनियम व सुनवाई का अधिकार अधिनियम की जानकारियां दी। देवला में नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से यात्रा का उद्देश्य बताया।

वहीं ग्रामीणों ने यात्रियों को बताया कि उन्होंने अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कई बार शिकायतें की लेकिन उन पर कार्यवाही नहीं हुई हैं। इस दौरान यात्रियों ने जवाबदेही कानून बनाए जाने पर चर्चा की। ग्रामीणों ने जवाबदेही कानून बनाने की मांग को पूर्ण समर्थन दिया।

उल्लेखनीय हैं कि जवाबदेही यात्रा 01 दिसम्बर को जयपुर से रवाना हुई थी जो जयपुर, अजमेर, पाली, जालोर होते हुए सिरोही पहुंची हैं। यात्रा में 4 वाहनों में देशभर के युवा, पत्रकार, चित्रकार, फिल्ममेकर व सामाजिक कार्यकर्ता चल रहे हैं। वहीं आरटीआई अॅान व्हील वाहन के माध्यम से लोगों को आरटीआई की जानकारी दी जा रही हैं। 

इस दौरान यात्रा के साथ चल रही मोबाइल वैन में ग्रामीणों द्वारा पेंशन न मिलने, राशन का वितरण न होने सहित कई प्रकार की 150 से अधिक शिकायतें दर्ज करवाई गई। अभियान से जुड़े शंकर सिंह ने बताया कि यात्रा को मिली शिकायतों को जिला कलक्टर तक पहुंचाया जाएगा और लगातार फाॅलोअप किया जाएगा। उन्हें 60 दिन में शिकायतों का निस्तारण करना होगा।

इस दौरान आदिवासी विकास संस्थान के सरफराज शेख, धरम चंद खैर, जस्साराम गरासिया, नरसाराम गरासिया, रमेश गरासिया, आस्था संस्था के श्याम लाल व आजीविका ब्यूरो के लखन सालवी सहित कई गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे। 

आखिर कब तक करवायेंगे शिकायतें, कोई जवाबदेही तो हो

जवाबदेही यात्रा के दौरान जनता ने उठाया मुद्दा 

पिण्डवाड़ा - जिस मांग को लेकर जवाबदेही यात्रा आरम्भ हुई, उससे आम नागरिक जुड़ने लगे हैं और यात्रा को समर्थन देते हुए जवाबदेही कानून की मांग करने लगे हैं। पिण्डवाड़ा पुलिस थाने के सामने जवाबदेही मोबाइल वैन पर शिकायतें दर्ज करवाते हुए ग्रामीणों ने कहा कि समस्याओं के समाधान के लिए पूर्व में कई बार लिखित शिकायतें की लेकिन अब तक समस्याओं का समाधान नहीं हुआ हैं। 

सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा निकाली जा रही जवाबदेही यात्रा बुधवार शाम पिण्डवाड़ा पहुंची। यात्रा के साथ चल रहे यात्रियों के दल ने गुरूवार को पिण्डवाड़ा के मजदूर नाकों, मोहल्लों व बस्तियों में जाकर नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से यात्रा का उद्देश्य बताया। यात्रा के लोग रैली के रूप में मुख्य मार्गों से होते हुए पुलिस थाने के बाहर पहुंचे जहां सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक ग्रामीणों की शिकायतें ली गई। पेंशन व राशन न मिलने की सर्वाधिक शिकायतें प्राप्त हुई। 

वहीं एक सभा आयोजित की गई। जिसमें मुख्य तौर पर आम नागरिकों की शिकायतों की सुनवाई को लेकर सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने को लेकर चर्चा की गई। अभियान से जुड़े शंकर सिंह ने बताया कि यात्रा को मिली शिकायतों को जिला कलक्टर तक पहुंचाया जाएगा और लगातार फाॅलोअप किया जाएगा। उन्हें 60 दिन में शिकायतों का निस्तारण करना होगा। कमल टांक ने कहा कि कई लोग लम्बे समय से अपनी छोटी-छोटी मांगों को लेकर शिकायतें कर रहे हैं लेकिन उनकी शिकायतों पर कार्यवाही नहीं की जा रही हैं। सरकार को शिकायतों की सुनवाई के लिए जवाबदेही तो सुनिश्चित करनी ही होगी।

आजीविका ब्यूरो के राजेन्द्र शर्मा ने निर्माण श्रमिकों की पीड़ा से अवगत कराते हुए कहा कि भवन निर्माण कर्मकार मण्डल से पंजीकृत श्रमिकों ने दो साल पहले विवाह सहायता, छात्रवृति सहायता, प्रसूति सहायता जैसे लाभों के लिए आवेदन किए मगर उन्हें लाभ स्वीकृत नहीं हुए ना ही उन्हें निरस्त होने की सूचना दी जा रही हैं।

इससे पूर्व बुधवार शाम अभियान के निखिल डे ने कहा कि कई लोग अपनी छोटी-छोटी मांगों को लेकर लम्बे समय से शिकायतें कर रहे हैं लेकिन उनकी मांगें पूरी नहीं की जा रही हैं। पीडि़त व्यक्ति को कितनी बार शिकायतें करनी पड़ेगी ? इसलिए सुनवाई के लिए अब बहुत जरूरी हो गया हैं कि जवाबदेही कानून हो।

उल्लेखनीय हैं कि जवाबदेही यात्रा 01 दिसम्बर को जयपुर से रवाना हुई थी जो जयपुर, अजमेर, पाली, जालोर होते हुए सिरोही पहुंची हैं। यहां के बाद यात्रा उदयपुर जिले के गांवों में जाएगी। यात्रा में 4 वाहनों में देशभर के युवा, पत्रकार, चित्रकार, फिल्ममेकर व सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं जो 100 दिन की इस यात्रा में साथ रहेंगे। यात्रा के साथं आरटीआई अॅान व्हील नामक वाहन भी हैं, जिसके माध्यम से लोगों को  सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) की जानकारी दी जा रही हैं। 

वहीं यात्रा के पिण्ड़वाड़ा पहुंचने पर आदिवासी विकास मंच, श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र, जतन संस्थान व आजीविका ब्यूरो द्वारा स्वागत किया गया। 

आदिवासी विकास मंच के सरफराज शेख ने बताया कि पिण्ड़वाड़ा में 250 से अधिक शिकायतें लिखी गई, जो जिला कलक्टर को भिजवाई जाएगी। उल्लेखनीय हैं कि इतनी शिकायतें जिले के अन्य किसी ब्लाॅक में प्राप्त नहीं हुई। उन्होंने बताया कि आज यात्रा का 17वां दिन हैं तथा आज शाम यात्रा उदयपुर जिले के कोटड़ा ब्लाॅक में पहुंचेगी जो विभिन्न जिलों में होती हुई 100वें दिन पुनः जयपुर पहुंचेगी।

Wednesday, December 16, 2015

जवाबदेही यात्रा पहुंची पिण्डवाड़ा

सिरोही में कलक्टर से मिले यात्री, सौंपी 273 शिकायतें

यात्रा से लखन सालवी
पिण्डवाड़ा/सिरोही - कोई पेयजल समस्या के समाधान के लिए शिकायत दर्ज करवा रहा है तो कोई राशन न मिलने की शिकायत कर रहा हैं। कोई पेंशन न मिलने की शिकायत कर रही हैं तो कोई महानरेगा में काम का भुगतान न मिलने की शिकायत कर रही हैं। जी हां . .  ऐसा ही दृश्य था जवाबदेही यात्रा के सुनवाई शिविर का।

श्रीराम झरोखा के पास नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत करते यात्री
उल्लेखनीय हैं कि 01 दिसम्बर से जयपुर से रवाना हुई जवाबदेही यात्रा बुधवार को आबू रोड़ से रवाना होकर स्वरूपगंज होते हुए सिरोही पहुंची। स्वरूपगंज में सुभाष सर्किल पर जन सुनवाई शिविर लगाया गया। शिविर के दौरान ग्रामीणों ने बिजली, पानी, सड़क, पेंशन जैसी मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी अपनी शिकायतें लिखवाई। सिरोही में श्रीराम झरोखा के बाहर यात्रा के लोगों ने नुक्कड़ नाटकों की प्रस्तुतियां देकर आमजन को सरकार की नितियों व मंशा से अवगत कराया। इस दौरान सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान राजस्थान के निखिल डे ने कहा कि ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं व अपने अधिकारों के लिए लगातार मांगे कर रहे हैं। कई बार शिकायतें दर्ज करवाई लेकिन उनके शिकायतों पर कार्यवाही नहीं की गई, आखिर पीडि़त व्यक्ति कब तक व कहां-कहां शिकायतें करेगा। उन्होंने कहा कि आमजन की समस्या के समाधान के लिए सरकार को जवाबदेही तो सुनिश्चित करनी ही होगी। उन्होंने कहा कि अब जवाबदेही कानून लाना चाहिए।

मांगों को लेकर जिला कलक्ट्रेट के बाहर नारे लगाते यात्री
यहां जिले भर से अपनी समस्याएं दर्ज करवाने पहुंचे लोगों को सम्बोधित करते हुए अभियान के शंकर सिंह ने कहा कि  सूचना का अधिकार अधिनियम, महात्मा गांधी रोजगार गारण्टी अधिनियम व सुनवाई का अधिकार अधिनियम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार कानून को लागू कर रही हैं लेकिन कानूनों की पालना सुनिश्चित नहीं कर रही हैं। राज्य भर में लोगों ने सुनवाई का अधिकार अधिनियम के तहत शिकायतें दर्ज करवाई हैं लेकिन उनकी शिकायतों पर कार्यवाही नहीं की जा रही हैं। साथ ही यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए निखिल डे ने कहा कि जवाबदेही यात्रा राज्य के सभी जिलों में जाएगी, इस दौरान ब्लाॅकों में शिविर लगाए जाएंगे व जिला स्तर पर सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि ग्रामीण अपनी समस्याओं को लेकर शिकायतें दर्ज करवा रहे हैं, यात्रा द्वारा ग्रामीणों से प्राप्त हो रही सभी शिकायतें जिला कलक्टर को सौंपी जा रही जो उनके द्वारा राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर डाली जाएगी। जिनका फाॅलोअप सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा किया जाएगा।

जवाबदेही यात्रा में देशभर के युवा, पत्रकार, चित्रकार, फिल्ममेकर व सामाजिक कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं। यात्रा से जुड़ी साधना पण्ड्या ने बताया कि यात्रा जहां-जहां पहुंच रही हैं, वहां-वहां शिविर लगाया जा रहा हैं, जिसमें ग्रामीण अपनी समस्या लिखवा रहे हैं। सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान से जुड़े कमल टांक ने बताया कि सिरोही जिले में विभिन्न विभागों से जुड़ी करीब 273 शिकायतें लिखी गई।

फ्लोराइड पिलाकर मारने पर क्यों तूले हैं ?
केस -1
शिकायतकर्ता - सतीश कुमार
पता - खाखरवाड़ा, ग्राम पंचायत-काछोली, तहसील-पिण्डवाड़ा
शिकायत - खाखरवाड़ा में फ्लोराइड़युक्त पानी की सप्लाई दी जा रही हैं, जिसे पीने से लोगों में बिमारियां फैल रही हैं। कई बार शिकायतें की लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। फ्लोराइड़युक्त पानी की सप्लाई जारी हैं।


आखिर कब देंगे पट्टे
केस-2
शिकायतकर्ता - मफत लाल
पता - स्वरूपगंज, तहसील-पिण्डवाड़ा
शिकायत - बरसों से पैतृक भूमि के पट्टे की मांग कर रहे हैं। प्रशासन गांवों के संग अभियान, सरकार आपके द्वार अभियान के दौरान आयोजित शिविरों में भी पट्टे के लिए अर्जिया दी बावजूद आज तक पट्टा जारी नहीं हुआ।

केस-3
शिकायतकर्ता - गोपी लाल गर्ग
पता - भावरी, तहसील-पिण्डवाड़ा
शिकायत - ग्राम पंचायत 1954 से कब्जेसुदा जमीन का पट्टा जारी नहीं कर रही हैं। गर्ग ने जमीन का विक्रय मूल्य 4 लाख 2 हजार 9 सौ पच्चास (4,02,950) रूपए भी जमा करवा दिए मगर अभी तक पट्टा जारी नहीं किया गया। गर्ग ने जुलाई माह में राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करवाई, उसके बाद पिण्डवाड़ा पंचायत समिति में आयोजित जनसुनवाई शिविर में भी शिकायत की लेकिन नतीजा सिफर रहा।

पेंशन रोक दी
केस-4
शिकायतकर्ता - गीता देवी
पता - भावरी, तहसील-पिण्डवाड़ा
शिकायत - विधवा पेंशन मिलती थी। पिछले 5 माह से पेंशन नहीं मिल रही हैं।

बीपीएल कार्ड दिखाते भावरी गांव के जोगी परिवार के लोग
परमिट तो बणग्यो पर नी मिल रियो राशन
केस-5
शिकायतकर्ता - खीमाराम जोगी, प्रकाश जोगी, गणेश जोगी व अन्य 12
पता - भावरी, तहसील-पिण्डवाड़ा
शिकायत - शिकायतकर्ताओं के राशन कार्ड बने हुए हैं, सभी बीपीएल श्रेणी में हैं लेकिन पिछले एक साल से इन्हें राशन नहीं मिल रहा हैं। कई बार मांग की लेकिन कार्यवाही नहीं हुई।

अंधेरे गांव में उजियारे की आस
केस-6
शिकायतकर्ता - नवाराम
पता - काकरवाड़ा, तहसील-पिण्डवाड़ा
शिकायत - काछोली ग्राम पंचायत के राजस्व गांव काकरवाड़ा में करीब 400 परिवार निवासरत हैं। कई बार मांग करने के बावजूद गांव में रोड़ लाइटें नहीं लगाई गई हैं, जिससे रात में अंधेरा पसरा रहता हैं। नवाराम ने बताया कि हम सभी ग्रामीण प्रयास करते रहेंगे एक ना एक दिन तो अंधेरा मिटेगा।

"कई लोग अपनी छोटी-छोटी मांगों को लेकर लम्बे समय से शिकायतें कर रहे हैं लेकिन उनकी मांगें पूरी नहीं की जा रही हैं। लोगों को समझ में नहीं आ रहा हैं कि अब किसके खिलाफ शिकायत करें, अतः जरूरी हो गया हैं कि अब राज्य में जवाबदेही कानून हो, जो शिकायत निस्तारण में जवाबदेही सुनिश्चित करें।" - निखिल डे, सूचना एवं रोजगार का अधिकार अभियान

जिला कलक्टर से मिले यात्री, सौंपा शिकायतों का पुलिन्दा
श्रीराम झरोखा से जवाबदेही यात्रा के सभी यात्री व शिकायतें करने पहुंचे जिले भर सैकड़ों लोग रैली के रूप में जिला कलक्ट्रेट के बारह पहुंचे और अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी की। उसके बाद यात्रा का एक दल जिला कलक्टर से मिला। जिला परिषद सभागार में जिले के अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में यात्रियों के साथ बातचीत की। यात्रा के आगेवान निखिल डे ने यात्रा के उद्देश्य के बारे में बताया और यात्रा के दौरान प्राप्त हुई शिकायतों के बारे में जानकारी देते हुए शिकायतों का पुलिन्दा जिला कलक्टर को सौंपा। वहीं राशन वितरण की शिकायतों को सुनकर जिला कलक्टर वी. सरवन कुमार ने कहा कि राशन वितरण की दूकानों के बाहर लाभार्थियों की सूची चस्पा करने की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि सिरोही जिले की सभी शिकायतों को राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर डालकर उनका समाधान किया जाएगा। यात्रा में कई राज्यों के लोग साथ चल रहे हैं। वहीं सिरोही जिले में जन चेतना संस्थान, आदिवासी विकास संस्थान, शारद संस्थान, आजीविका ब्यूरो सहित कई संगठन जुड़े रहे।

Tuesday, October 13, 2015

अम्बेडकर छात्रावास के रसोईयों को नहीं मिल रहा वेतन

गोगुन्दा - समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय अम्बेडकर छात्रावास के छात्रों के लिए भोजन बनाने वाले रसोईयों को वेतन नहीं दिया जा रहा हैं। छात्रावास में रसोई बनाने का कार्य करने वाले 4 श्रमिक बकाया वेतन के भुगतान की मांग कर रहे हैं लेकिन उन्हें भुगतान नहीं किया जा रहा हैं। 
गोगुन्दा निवासी मिठा लाल तेली ने वर्ष 2006 में छात्रावास में रसोई बनाने का कार्य आरम्भ किया। नवम्बर 2013, मई-जून-14 व अक्टूबर-14 से जून-15 तक के 3300 रूपए प्रतिमाह की दर से 12 माह का वेतन बकाया हैं। मिठा लाल की तरह सराड़ा निवसी विजय मीणा का भी 8 माह का वेतन बकाया हैं। जानकारी के अनुसार छात्रावास में रसोई कार्य बनाने का कार्य समाज कल्याण विभाग ने गौरव सिक्यूरिटी नामक फर्म को दिया। इन दोनों रसोई श्रमिकों के वेतन का भुगतान गौरव सिक्यूरिटी द्वारा किया जाना हैं। 
वेतन मिले तो भरे बी.ए. की फीस 
हाल में मलारिया निवासी छगन लाल गमेती (19 वर्ष) छात्रावास में मुख्य रसोइयां के तौर पर कार्य कर रहा हैं। वार्डन रोशन लाल मीणा के कहने पर छगन लाल ने जुलाई-15 में कार्य करना आरम्भ किया। इसे अभी तक वेतन नहीं दिया गया हैं। उसने पिछले वर्ष इसी छात्रावास में रहकर 12वीं कक्षा पास की हैं। छगन ने बताया कि वह बी.ए. प्रथम वर्ष की परीक्षा देना चाह रहा हैं लेकिन उसके पास फीस के रूपए नहीं हैं। उसने वार्डन से भुगतान की मांग की तो वार्डन ने ठेकेदार से बात करने की बात कही हैं। 
इसी छात्रावास में वालू राम गमेती (20 वर्ष) मुख्य रसोइए के सहयोगी के रूप में कार्य कर रहा हैं। इसने भी वार्डन के कहने पर 3500 रूपए मासिक वेतन के आधार पर 17 सितम्बर 2015 से कार्य करना आरम्भ किया। वालूराम वर्तमान में स्वयंपाठी छात्र के रूप में 12वीं की पढ़ाई कर रहा हैं। 
मिठा लाल व विजय मीणा के वेतन भुगतान के लिए ठेकेदार किशन लाल खटीक जिम्मेदार हैं। छगन लाल गमेती व वालूराम गमेती के वेतन का भुगतान मैं शीघ्र करवाउंगा। - रोशन लाल मीणा-वार्डन, राजकीय अम्बेडकर छात्रावास, गोगुन्दा
समाज कल्याण विभाग द्वारा मुझे अभी तक भुगतान नहीं किया गया हैं, मैं कहां से भुगतान करूं - किशन लाल खटीक, डायरेक्टर-गौरव सिक्यूरिटी सर्विसेज

श्रम कानूनों व श्रमिक हित योजनाओं में बदलाव मंजूर नहीं

29 को देंगे मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
गोगुन्दा - सरकार द्वारा श्रम कानूनों व भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार मण्डल द्वारा संचालित योजनाओं को बंद करने व उनमें बदलाव करने पर श्रमिक संगठनों खासा रोष व्याप्त हैं। श्रमिक संगठनों का कहना हैं कि सरकार श्रमिक विरोधी नीतियां बना रही हैं, जिसका हम पूरजोर विरोध करेंगे। 
रविवार को गोगुन्दा, सायरा व बरवाड़ा में क्रमशः बजरंग, सायरा व जरगा निर्माण श्रमिक संगठनों द्वारा बैठकें आयोजित की गई। बजरंग निर्माण श्रमिक संगठन की बैठक में अध्यक्ष मोती लाल गमेती ने कहा कि सरकार श्रम कानूनों में श्रमिकों के हितों को नजर अंदाज कर बदलाव कर रही हैं। उन्होंने कहा कि ठेका श्रम अधिनियम, फैक्ट्री मजदूर अधिनियम में सरकार पहले ही बदलाव कर चुकी हैं। अब मजदूरी भुगतान अधिनियम भी बदलाव किए जा रहे हैं, इस बदलाव के बाद मजदूरी भुगतान के लिए मुख्य नियोक्ता जिम्मेदार नहीं रहेगा। 
बरवाड़ा में आयोजित जरगा निर्माण श्रमिक संगठन की बैठक में श्रमिकों ने भवन निर्माण एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार मण्डल द्वारा संचालित विवाह सहायता योजना बंद कर देने का विरोध करते हुए कहा कि कई श्रमिकों ने दो वर्ष पूर्व आवेदन किए थे लेकिन उन्हें विवाह सहायता राशि नहीं दी गई। संगठन के अध्यक्ष गेहरी लाल मेघवाल ने बताया कि श्रमिक संगठनों द्वारा राज्य व केंद्र सरकार को इस बाबत ज्ञापन भेजा गया हैं।
वहीं सायरा में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया कि भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार मण्डल द्वारा संचालित सहायता योजनाओं में सहायता राशि बढ़ाने को लेकर जनप्रतिनिधियों व सरकार से मांग की जाएगी। श्रमिक संगठनों का मानना हैं कि मातृत्व हितलाभ, छात्रवृत्ति सहायता योजना में राशि नाकाफी हैं। 
श्रमिक संगठनों की बैठकों में तय किया गया कि आगामी 29 तारीख को ब्लाॅक मुख्यालय पर रैली निकाली जाएगी व मुख्यमंत्री तथा श्रम मंत्री के नाम उपखण्ड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
उल्लेखनीय हैं कि हाल ही में केंद्र सरकार ने विवाह सहायता राशि देने पर रोक लगा दी हैं, उसके बाद से राजस्थान में बोर्ड से जुड़े श्रमिकों के पेन्डिग पड़े आवेदन नए आवेदन भी नहीं लिए जा रहे हैं। जिससे श्रमिक संगठनों से जुड़े श्रमिकों में रोष व्याप्त हैं। श्रमिक संगठनों ने चेतावनी दी हैं कि श्रमिकों की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो श्रमिक दिल्ली के लिए कूच करेंगे।


फैंकी तो नहीं जा सकती केकी : घुमन्तु परिवार कहां करे मृतका केकी का दाह संस्कार ?

शाहपुरा - तहसील क्षेत्र की डाबला चांदा ग्राम पंचायत के बलांड गांव के पास स्थित भैरू खेड़ा बंजारा बस्ती के एक घर में केकी देवी (60 वर्ष) की लाश रखी हैं। रविवार (11 Oct 15) शाम को उसकी उसकी आकस्मिक मृत्यु हो गई। बंजारा परिवार के लोग शोक संतप्त हैं साथ ही चिंतित भी, कि केकी देवी का दाह संस्कार कहां करे।
श्मशान भूमि इस बस्ती से 5 किलोमीटर दूर हैं। वहां जाने के लिए रास्ता भी ठीक नहीं हैं और अब इस बस्ती के लोगों के कंधों में इतना दम नहीं रहा कि वे लाश को 5 किलोमीटर दूर ले जा सके। इस बस्ती के बाशिन्दों की प्रशासन व सरकार से मांग हैं कि बस्ती के पास स्थित राज्य सरकार की बिलानाम भूमि में से श्मशान के लिए भूमि मुहैया करवा दे। 
बस्ती के जागरूक युवा कालूराम बंजारा प्रशासनिक अधिकारियों से बात कर रहे हैं कि वे उक्त बिलानाम भूमि में से श्मशान के लिए भूमि दे दे और केकी देवी की अंत्येष्ठि वहां करने की स्वीकृति दे दे। 
दूसरी और बिलानाम भूमि पर अपना कब्जा बताते हुए इस भूमि का पड़ौसी खातेदार रतन लाल तेली अन्य समुदायों के लोगों व गांव के लोगों को अपने पक्ष में लामबंद कर रहा हैं। वह चाहता हैं कि उसकी कृषि के पास बंजारा समुदाय का श्मशान न बनें। 
अभी हाल ही में दो दिन पूर्व इसी बस्ती के गब्बा बंजारा की मृत्यु हो गई थी। बंजारा समुदाय के लोगों ने दाह संस्कार उसका दाह संस्कार राज्य सरकार की इसी बिलानाम भूमि पर कर दिया। दाह संस्कार की भनक जैसे ही इस भूमि का पड़ौसी खातेदार रतन लाल तेली को मिली वह अपने ट्रेक्टर में चारा भर कर वहां ले आया। उसने चारे को वहां डालकर जलाना चाहा। उसकी मंशा को भांपते हुए बंजारा समुदाय के लोग आगे आ गए। रतन लाल व उनके के बीच हल्की तू-तू मैं-मैं हो गई। इसके बाद रतन लाल तेली ने बंजारा समुदाय के लोंगो के खिलाफ पुलिस थाने में मामला दर्ज करवा दिया। वहीं बजारा समुदाय के लोगों ने भी रतन लाल तेली के विरूद्ध थाने में रिपोर्ट दे दी। पुलिस ने दोनों पक्षों के 8 लोगों को शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
खैर विवाद के बावजूद गब्बा बंजारा का अंतिम संस्कार तो राज्य सरकार की बिलानाम जमीन में हो गया लेकिन अब केकी देवी का अंतिम संस्कार कहां करे। बस्ती के बंजारा समुदाय के लोगों ने बताया कि वे कल केकी देवी का अंतिम संस्कार बिलानाम भूमि में ही करेंगे। 
बंजारा समाज के लोगों ने इस बिलानाम भूमि में से श्मशान भूमि अलोट करने की मांग व केकी देवी का दाह संस्कार इसी भूमि में करने की मांग जिला कलक्टर डॅा. टीना कुमार से की हैं। साथ ही तहसीलदार व पुलिस को भी इसकी सूचना दे दी हैं। 

A Case Study : पुलिस कार्यवाही से मची हलचल, नियोक्ता ने श्रमिक दम्पती को किया मजदूरी का भुगतान

  • लखन सालवी 
बहुत समझाने पर भी नियोक्ता ने रसोई श्रमिकों को उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया तो रसोई श्रमिक ने नियोक्ता के खिलाफ जिला पुलिस अधीक्षक से शिकायत की, नतीजा . . . पुलिस थाने ने नियोक्ता को थाने से बुलावा भेजा, नियोक्ता थाने तो नहीं गया, लेकिन उसनका छोटा भाई श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र पर आया और बेहिचक रसोई श्रमिकों की मजदूरी के 6500 रूपए अदा कर दिए। 
उदयपुर जिले के गोगुन्दा उपखण्ड की दादिया ग्राम पंचायत के मालू गांव की सकुड़ी गमेती (20 वर्ष) ने अपने पति दुर्गेश गमेती (22 वर्ष) के साथ रसोई का काम करने गई। ये दोनों पति-पत्नि रसोई का कार्य करते हैं। अगस्त-14 में पानेरियों की भागल (गोगुन्दा) निवासी भैरू लाल जोशी जो कि रसोई ठेकेदार ने दुर्गेश गमेती को काम का आॅफर दिया। 5000 रूपए मासिक पगार तय कर दुर्गेश गमेती ठेकेदार के साथ राजकोट के पास गाण्डल गांव स्थित दरबार हाॅस्टल में ले गया। दुर्गेश अपनी पत्नि सकुड़ी को भी साथ ले गया। दुर्गेश वहां रोटी-सब्जी बनाने का काम करने लगा। डेढ़ माह बाद ठेकेदार ने दुर्गेश से कहा कि वह उसकी पत्नि को भी काम पर लगा ले, उसने मजदूरी के 1500 रूपए आॅफर किए। दुर्गेश ने सकुड़ी को इस बारे में बताया तो सकुड़ी भी राजी हो गई। 
एक दिन सकुड़ी ने अपने पति से 2000 रूपए मांगे। दुर्गेश ने ठेकेदार से मांग की तो ठेकेदार ने रूपए देने से इंकार करते हुए कहा कि वह बाद में देगा। दुर्गेश ने पुनः निवेदन किया तो ठेकेदार ने उसके साथ गाली गलौच, जिससे आहत होकर दुर्गेश ने ठेकेदार के यहां काम करने से इंकार कर दिया। ठेकेदार से हिसाब करवाया तो उसके 6500 रूपए बकाया निकले। 
ठेकेदार ने कहा कि अभी उसके पास भुगतान करने के लिए रूपए नहीं हैं। उसने कहा कि वह गांव आकर भुगतान कर देगा। दुर्गेश ने ठेकेदार का विश्वास कर लिया और सकुड़ी को साथ लेकर गांव आ गया। यहां कई दिनों तक इंतजार किया लेकिन ठेकेदार नहीं आया। उसने कई बार फोन भी किए लेकिन ठेकेदार हर बार बहाने बनाते रहा। एक दिन सकुड़ी ने गोगुन्दा में संचालित श्रमिक केंद्र के बारे में सुना। उसने दुर्गेश को बताया, दुर्गेश भी केंद्र के बारे में जानता था। 31 मार्च 2015 को सकुड़ी अपने पति के साथ श्रमिक कंेद्र पर गई और अपनी शिकायत बताई। केंद्र पर कानूनी सेवा के इंचार्ज ने उनकी शिकायत को सुना, उन्हें कानूनी परामर्श दिया और ठेकेदार से बात की। ठेकेदार का कहना था कि दुर्गेश व सकुड़ी काम बीच में छोड़कर चले गए, जिससे उसे काफी नुकसान हुआ इसलिए वह दुर्गेश व सकुड़ी को भुगतान नहीं करेगा। उसने चेतावनी भी दी कि वे दोनों चाहे जो कर ले वह भुगतान नहीं करेगा। ठेकेदार को अपना पक्ष रखने की बात कही तो उसने कंेद्र पर आने से साफ इंकार कर दिया। उसे केंद्र की ओर से सुलह हेतु पत्र भी भेजा गया लेकिन वह कंेद्र पर नहीं आया। 
द्वितीय पक्ष की ओर से सुलह कार्यवाही में सहयोग नहीं किया जा रहा था। प्रथम पक्ष यानि सकुड़ी व दुर्गेश को भुगतान करवाने के लिए अन्य मंचों का सहयोग लेना आवश्यक हो गया। न्याय के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण में आवेदन किया लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुई तब 18 सितम्बर 2015 को ठेकेदार के विरूद्ध जिला पुलिस अधीक्षक से शिकायत की गई। शिकायत पर कार्यवाही के लिए पुलिस अधीक्षक ने गोगुन्दा थाने को निर्देश दिए। थाने से ठेकेदार को बुलाया गया। ठेकेदार को समझ आ गया कि सकुड़ी व दुर्गेश की मदद कौन कर रहा हैं। उसने अपने बड़े भाई को श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र पर भेजा। ठेकेदार का बड़ा भाई नाना लाल जोशी अपने मिलने वाले राजनीतिक सम्पर्क वाले व्यक्ति को साथ लेकर केंद्र पर आया। सकुड़ी व दुर्गेश को भी थाने से बुलावा आया था वे भी थाने जाने की बजाए केंद्र पर आ गए। अब उभयपक्ष केंद्र पर थे। दोनों के बीच मध्यस्तता की कार्यवाही की गई। नाना लाल ने पहले तो दुर्गेश को भला बुरा कहा कि उसने उसके भाई के विरूद्ध पुलिस में शिकायत क्यों की ? केंद्र के कानूनी सेवा इंचार्ज ने उन्हें समझाया। न्यूनतम मजदूरी भुगतान अधिनियम, मजदूरी भुगतान अधिनियम व महिला अत्याचार निरोधक अधिनियम के बारे में बताते हुए कहा कि ठेकेदार भैरू लाल जोशी ने 4 कानूनों के नियमों की अवहेलना की हैं, अगर प्रथम पक्ष चाहे तो ठेकेदार के विरूद्ध इन कानूनों के तहत शिकायतें कर सकता हैं।

नाना लाल जोशी, जो कि पुलिस के बुलावे मात्र से घबरा हुए थे, वे मामले को और नहीं उलझाना चाहते थे और केंद्र भी दोनों पक्षों के बीच सुलह करवाना चाहता था। सुलह वार्ता शुरू हुई, नाना लाल ने 5000 रूपए में मामले को रफा दफा करना चाहा। लेकिन केंद्र द्वारा की जा रही प्रभावी पैरवी के आगे उसकी एक ना चली और अतंतः उसने प्रथम पक्ष का बकाया 6500 रूपए का भुगतान कर दिया। 
सकुड़ी व दुर्गेश ने केंद्र से जुड़कर पिछले 7 माह में कानूनों की जानकारियां प्राप्त की हैं। उनका कहना हैं कि अब वो सचेत होकर कार्य करेंगे और काम के दौरान पूरी सावधानी बरतेंगे। 

A Case Study : चरण ने दूसरे चरण में लिया कानूनी सेवा का लाभ

  • लखन सालवी
कमजोर वर्ग के युवाओं को जीवन के हर पड़ाव पर मदद की जरूरत पड़ती हैं, कभी उचित परामर्श की तो कभी रोजगार प्रशिक्षण की। कभी वित्तिय शिक्षण की तो कभी सामाजिक सुरक्षा की। कई बार कानूनी परामर्श, शिक्षण एवं सहायता की भी जरूरत आन पड़ती हैं। कईयों की ये जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं। पर कहीं-कहीं ऐसे मददगार मिल जाते हैं, जो ऐसी जरूरतों को पूरा कर देते हैं। युवा चरण लाल सागिया (गमेती) को प्रथम चरण में यानि कि कर्मयोगी के रूप में जिन्दगी की शुरूआत में रोजगार परामर्श की जरूरत पड़ी। आईसीआईसीआई फाउण्डेशन के आरसेटी ने पूरी कर दी। चरण ने आरसेटी की मदद से हाउस वायरिंग का प्रशिक्षण पूर्ण कर लिया। दूसरे चरण में उसे कानूनी सहायता की जरूरत पड़ी, जिसे श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र ने पूरी कर दी।
प्रथम चरण: 
उदयपुर जिले की झाडोल तहसील के कीतावतों के वास निवासी चरण लाल सागिया जैसे तैसे कर 12वीं तक तो पढ़ पाया लेकिन उसके बाद उस पर आर्थिक भार बढ़ने लग गया। आगे की पढ़ाई करने के लिए भी उसके पास पर्याप्त रूपए नहीं थे। पढ़ाई छोड़कर काम धंधा करने का ही महज एक रास्ता उसे नजर आ रहा था। वह एक भी ऐसे कार्य को करने में निपूण नहीं था जिसे करने से उसे ठीकठाक मजदूरी मिल जाए। वह अकुशल कार्य में जाने की सोच रहा था। इस समय उसे कैरियर गाइडेन्स की जरूरत थी। सामाजिक ढ़ांचे में तो कैरियर गाइडेन्स की कोई आशा थी नहीं। एक दिन आरसेटी (आईसीआईसीआई फाण्उण्डेशन) का एक कार्यकर्ता उससे मिला। उसने उसे हाउस वायरिंग का प्रशिक्षण प्राप्त करने की सलाह दी। प्रशिक्षण के प्राप्त कर लेने के बाद वह काम भी कर सकता था और साथ में स्वयंपाठी छात्र के रूप में पढ़ाई भी कर सकता था। 
चरण लाल को सलाहकार की सलाह ठीक लगी। उसने उदयपुर स्थित आरसेटी के प्रशिक्षण केंद्र में एक माह का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण के बाद काम ढूंढ़ने में उसे बहुत समस्या आई मगर एक ठेकेदार के यहां उसे काम मिल गया। काम में निपूण होने के लिए उसने चार जगह कार्य किया। उसका कहना हैं कि वंडर सीमेन्ट फैक्ट्री में काम करने के दौरान सर्वाधिक सीखने को मिला। सीमेन्ट फैक्ट्री से निकलने के दौरान मानो वह फैैक्ट्री में तैयार होकर निकला था। 
द्वितीय चरण:
निपूणता हासिल करने के बाद वह अपने ही क्षेत्र के ओगणा के ठेकेदार फतेह लाल मेघवाल के नियोजन में आस-पास गांवों में हाउस वायरिंग का कार्य करने लगा। ठेकेदार ने शुरू में तो मेहनताना कम दिया लेकिन आश्वस्त किया कि कुछ माह बाद वह मजदूरी बढ़ा देगा। चरण लाल ठेकेदार पर विश्वास कर काम करता रहा। बाद में ठेकेदार ने मजदूरी दर बढ़ाई भी, लेकिन धीरे-धीरे उसका व्यवहार बदलने लगा, वह चरण लाल पर झल्लाने लगा। उसके हर काम में खोट निकालने लगा। ठेकेदार के व्यवहार को देखकर चरण लाल ने उसके यहां से काम छोड़ने का निर्णय कर लिया। उसने ठेकेदार से हिसाब करने की बात कही तो ठेकेदार ने महज 2000 रूपए बकाया बताए जबकि चरण लाल के हिसाब से बकाया राशि 9920 रूपए थी। उसने ठेकेदार से कई बार मजदूरी भुगतान की मांग की लेकिन ठेकेदार ने हर बार उसे बाले दिए। मजदूरी भुगतान निकलवाने का कोई रास्ता उसे नजर नहीं आ रहा था। युवा खून बार-बार उबलता लेकिन उसने संयम रखा। एक दिन किसी ने उसे श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र गोगुन्दा पर ठेकेदार के विरूद्ध शिकायत करने की सलाह दी। जून-2015 में चरण लाल गोगुन्दा गया और केंद्र पर अपनी समस्या बताई। उसे कानूनी परामर्श दिया गया। कंेद्र ने ठेकेदार फतेह लाल मेघवाल से सम्पर्क साधा। ठेकेदार का कहना था कि चरण लाल की मजदूरी बकाया नहीं हैं। 
जबकि चरण लाल ने बताया कि उसने 170 रूपए प्रतिदिन की दर से 22 सितम्बर 2014 से 31 दिसम्बर 2014 तक कार्य किया। उसके बाद 1 जनवरी 2015 से 27 फरवरी 2015 तक 250 रूपए प्रतिदिन की दर से कार्य किया। दैनिक मजदूरी की दर मौखिक रूप से तय की गई। उसने बताया कि फतेह लाल मेघवाल ने नियोजित करने के दौरान कहा था कि कुछ महिने तक 170 रूपए ( प्रतिदिन) की दर से भुगतान करेगा तथा उसके बाद काम में निपूणता देखकर मजदूरी बढ़ा देगा। 170 रूपए की दर पर 66 दिन कार्य कर चुकने के बाद चरण लाल ने ठेकेदार से मजदूरी बढ़ाने की बात की तो ठेकेदार ने 1 जनवरी 2015 को उसकी मजदूरी बढ़ाकर 250 रूपए कर दी। यह सब मौखिक ही तय किया जाता रहा। 
प्रथम प्रयास में फतेह लाल सुलह के राजी नहीं हुआ। तब 14 जुलाई 2015 को निःशुल्क कानूनी परामर्श एवं सहायता दिवस के दिन चरण लाल की ओर से फतेह लाल के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया। प्रकरण दर्ज होने के बारे में फतेह लाल को सूचना मिली तो उसने चरण लाल को ओगणा बुलाया। चरण लाल अपने पिता के साथ ओगणा गया। वहां एक मंदिर पर बैठकर दोनों पक्षों के बीच सुलह वार्ता हुई। चरण लाल ने बताया कि मामले में 7000 रूपए में मौखिक समझौता हुआ हैं और फतेह लाल ने 3000 रूपए का भुगतान उसी दिन कर दिया। उसने बताया कि शेष 4000 रूपए का भुगतान बाद में करने की बात कही हैं। 
नियम तिथि पर चरण लाल ने फतेह लाल से बकाया राशि का तकाजा किया तो फतेह लाल ने देने से इंकार कर दिया। केंद्र द्वारा फतेह लाल से फोन पर बात की गई। उसने बताया कि समझौता 5400 रूपए में हुआ था, 3000 रूपए दे दिए हैं अब केवल 2400 रूपए बकाया हैं। दोनों पक्षों के कथन में बड़ा अंतर था। तब केंद्र ने फतेह लाल को सुलह के लिए पत्र भेज कर केंद्र पर बुलाया। 14 सितम्बर 2015 को फतेह लाल मेघवाल केंद्र पर उपस्थित हुआ। वह अड़ा रहा कि मजदूरी दर 170 रूपए ही तय की थी, मजदूरी दर 250 रूपए कभी तय नहीं की। वो इस बात पर भी अड़ा कि हम दोनों के पक्ष के बीच समझौता हो चुका हैं और समझौते के अनुसार 2400 रूपए ही बाकी हैं। वह तो इस बात पर भी अड़ गया कि चरण लाल मजदूरी के दिन ज्यादा बता रहा हैं। उसने कहा कि चरण लाल ने उसके यहां इतने दिन तक कार्य नहीं किया। यहां चरण लाल की हाजरी डायरी काम आई। ठेकेदार के यहां कार्य करने का हर दिन का हिसाब उसने अपनी डायरी में लिखा था। यथा किस तारीख को किस साइट पर कार्य किया, क्या कार्य किया, ठेकेदार से कितनी राशि ली इत्यादि। हिसाब रखने से उसका पक्ष मजबूत बना रहा। 
केंद्र के कार्यकर्ता ने उससे अलग बैठकर बातचीत की। उसे बताया कि चरण लाल के पास हर दिन का हिसाब हैं। फतेह लाल के संज्ञान में लाया गया कि 170 रूपए में मजदूरी करवाकर कर उसने न्यूनतम मजदूरी भुगतान अधिनियम की अवहेलना की हैं तथा 7 माह तक मजदूरी का भुगतान नहीं कर मजदूरी भुगतान अधिनियम की अवहेलना की हैं। उसे समझाया गया कि वह सभी दिवसों का भुगतान 189 रूपए की दर से कर दे। ऐसा करने से उसे केवल 4000 रूपए का भुगतान करना होगा। उसे याद दिलाया गया कि उसने मंदिर पर जो समझौता किया उसके अनुसार भी 4000 रूपए का भुगतान ही करना हैं। अतः क्यों ना वह कानून सम्मत न्यूनमत मजदूरी की दर से चरण लाल को भुगतान कर दे। फतेह लाल को सुलह की यह कार्यवाही पंसद आई और उसने बकाया राशि 4000 रूपए का भुगतान कर मामले में समझौता कर लिया और 7 माह से चल रहा मजदूरी भुगतान विवाद चंद मिनटों में सुलझ गया। 

Tuesday, July 28, 2015

साझे प्रयासों से मिली सफलता, श्रमिक को मिली मजदूरी


  • ·         लखन सालवी

कल यानि 27 जुलाई 2015 को गोगुन्दा थाने से केंद्र के लीगल सेवा इंचार्ज को काॅल आया। बताया गया कि निर्माण ठेकेदार किशन लाल सुथार चिनाई कारीगर गल्लाराम गमेती थाने में आए हुए हैं और मामले में समझौता करना चाह रहे हैं।
दरअसल गोगुन्दा तहसील के बांसड़ा गांव निवासी गल्लाराम गमेती ने किशन लाल सुथार के नियोजन में चिनाई कार्य किया था लेकिन किशन सुथार ने समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं किया तो गल्लाराम ने श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र गोगुन्दा पर आकर किशन सुथार के विरूद्ध एक प्रकरण दर्ज करवाया था।
प्रकरण के अनुसार गल्लाराम ने ठेकेदार किशन लाल सुथार की विभिन्न साइटों पर जूनए जुलाई अगस्त 2014 में चिनाई कारीगर के रूप में कार्य किया। काम के अंत में हिसाब किया गयाए जिसमें गल्लाराम की मजदूरी के 23600 रूपए बकाया निकले। गल्लाराम ने बकाया मजदूरी के भुगतान की मांग की तो किशन लाल ने 15 दिन बाद की तारीख देते हुए भुगतान कर देने का विश्वास जताया। नियत तिथि पर गल्लाराम ने किशन लाल को फोन कर भुगतान करने का तकाजा किया। इस बार किशन लाल ने पुनः अगली तारीख दे दी। इस तरह किशन लाल बार.बार आगे की तारीखें देता रहा। अंतः परेशान होकर 13 अक्टूबर 2014 को गल्लाराम गोगुन्दा स्थित श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र में आया और अपनी पीड़ा बताई। केंद्र पर मौजूद कार्यकर्ता ने उन्हें मजदूरी भुगतान अधिनियम के बारे में बताया। केंद्र द्वारा सुलह की प्रक्रिया की जानकारी दी और कार्यवाही में दस्तावेजों की उपयोगिता का महत्व बताया। गल्लाराम के पास काम से जुड़े कोई दस्तावेज नहीं थे। उसने बताया कि शायद ही कोई साथी श्रमिक गवाही देने आएगा।
केंद्र द्वारा किशन लाल सुथार को प्रकरण की सूचना देते हुए मामले में सुलह के लिए बुलाया गया। किशन लाल केंद्र पर आया और बताया कि उसने एक साथ 6 काम ले लिएए जिन्हें वह मैनेज नहीं कर पा रहा हैं। उसने बताया कि वह तीन किश्तों में भुगतान कर देगा। गल्लाराम उसके इस प्रस्ताव पर सहमत हो गया। किशन लाल ने बताया कि वह 1 नवम्बर 14 को प्रथम किस्त 10000 रूपए 30 नवम्बर 14 को दूसरी किस्त 10000 और तीसरी किस्त 3600 रूपए का भुगतान 30 दिसम्बर 2014 को कर देगा। उससे इस आशय का इकरार पत्र भी दिया। प्रथम किस्त का भुगतान करने की तारीख निकल गईए मगर किशन लाल केंद्र पर नहीं आया।  इसकी चर्चा निर्माण श्रमिक संगठन की बैठक में की गई संगठन के लोगों ने ठेकेदार किशन लाल सुथार के विरूद्ध पुलिस थाने में ज्ञापन देकर पीडि़त श्रमिकों को भुगतान दिलवाने की मांग की।
केंद्र संगठन के लोगों ने पुलिस थाने से लगातार फाॅलोअप लिया। जब पुलिस का दबाव पड़ा तो किशन लाल केंद्र पर आया। उसने 4 मामलों में श्रमिकों को बकाया मजदूरी का भुगतान कर दिया। वहीं गल्लराम गमेती को 5000 रूपए दिए। उसने कहा कि व्यवसाय में उसे बहुत नुकसान हो गया हैंए इसलिए वह एक मुश्त भुगतान नहीं कर पा रहा हैं। उसने 25 मार्च को केंद्र पर 5000 रूपए जमा कराए जो गल्लाराम गमेती को दे दिए गए।
केंद्र द्वारा अब तक हर माह किशन सुथार से भुगतान दिलवाने के लिए पैरवी की गई लेकिन सुथार हर बार अगली तारीख देता रहा। तब बजरंग निर्माण श्रमिक संगठन द्वारा जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र भेज कर ठेकेदार से श्रमिक का भुगतान करवाने की मांग की गई।

केंद्र द्वारा की गई मध्यस्तता के बाद भी किशन सुथार ने श्रमिक की मजदूरी का भुगतान नहीं किया तो बजरंग निर्माण श्रमिक संगठन के लोगों ने उसके विरूद्ध गोगुन्दा पुलिस थाने में शिकायत की। पुलिस ने उस पर खूब दबाव बनाया। वह केंद्र पुलिस वालों को भी छकाता रहा। थक हारकर पुलिसकर्मी ने भी प्रकरण का फोलोअप करते-करते थक गए। अंत में तो उन्होंने साफ कह दिया कि वे कानूनन ठेकेदार के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं कर सकते हैं। तब श्रमिक संगठन द्वारा जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र गया, जिसमें एक अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति से श्रम करवाने के बाद मजदूरी भुगतान नहीं करने की शिकायत करते हुए ठेकेदार के विरूद्ध अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत कार्यवाही करने की मांग की गई। साथ ही पूर्व में किशन सुथार द्वारा मजदूरी भुगतान बकाया होने किश्तों में भुगतान करने संबंधित किए गए इकरार पत्र का भी हवाला दिया गया। संगठन का यह प्रयास रंग लाया। पुलिस थाने के कर्मचारियों पर इसका असर हुआ। अब पुलिस जी-जान से ठेकेदार के पीछे पड़ गई, ठेकेदार घबराया। पुलिस कार्यवाही से भयभीत किशन ने वकील की मदद ली। वकील ने पुलिस थाने में सम्पर्क कर मामले में हस्तक्षेप किया। दोनों पक्षों को थाने में बुलाया गया। वहां पुनः हिसाब किया गया तो पाया कि गल्लराम के कुल 24600 रूपए हुए थे जिसमें से 9200 रूप्ए का भुगतान किया जा चुका था। अब 15400 रूपए बकाया थे, जो किशन ने पुलिसकर्मी को दे दिए। वकील ने सुझाव दिया कि क्योंकि कार्यवाही बजरंग निर्माण श्रमिक संगठन श्रमिक सहायता केंद्र की शिकायत पर की जा रही हैं अतः इन दोनों में से किसी को समझौते में शामिल करना चाहिए। पुलिस वाले तो बिना संगठन केंद्र को बताए समझौता करने पर अड़े हुए थे लेकिन वकील के मानने के कारण मजबूरन केंद्र के प्रतिनिधि को समझौता कार्यवाही में शामिल किया गया। केंद्र की ओर से प्रतिनिधि के तौर पर मैं थाने में पहुंचा। दो कॅान्स्टेबल, दो वकील के साथ ठेकेदार किशन लाल सुथार कुर्सियों पर बैठे हुए थे, पीडि़त श्रमिक गल्लाराम गमेती फर्श पर उकडू बैठा हुआ था। एक बड़ी- सी ब्रेंच को टेबल के पास खिंचते हुए गल्लाराम को उस पर बैठने को कहा। वह खड़ा हो गया लेकिन बहुत कहने पर भी ब्रेंच पर नहीं बैठा। बारिस हो रही थी। समझौता पत्र लिखने की कार्यवाही पूरी करने के बाद 15400 रूपए का भुगतान मेरे सामने किया गया।