Saturday, April 28, 2012

इन्श्योर कर लिजिए, अगली सरकार आपकी ही बनेगी


राज्य कर्मचारी संघ एवं शासन सचिवालय अधिकारी-कर्मचारी संघ ने दी सरकार बदल देने की चेतावनी
बायोमेट्रिक मशीन पर उपस्थिति दर्ज करवाते कर्मचारी
लखन सालवी - सरकार बायोमेट्रिक हस्ताक्षर व्यवस्था लागू करने जा रही है, मुख्यमंत्री के व्यवस्था लागू करने की घोषणा करने महज से ही सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों के पसीने छूट गए और वे इस व्यवस्था के खिलाफ सड़कों पर उतर गए है। उनका कहना है कि बायोमेट्रिक हस्ताक्षर व्यवस्था लागू कर सरकार हमें अनपढ़ बनाना चाहती है।
जानकारी के अनुसार बायोमेट्रिक हस्ताक्षर व्यवस्था के तहत विभिन्न विभागों के कार्यालयों में बायोमेट्रिक हस्ताक्षर स्वीकार करने वाली मशीनें लगाई जाएगी। कार्यालय में पदस्थापित अधिकारी-कर्मचारी जब कार्यालय में आएंगे और जाएंगे तब उन्हें उस मशीन पर अपना अगूंठा लगाना होगा। मशीन अगूंठे के फिंगर प्रिन्ट को पढ़कर अधिकारी-कर्मचारी की उपस्थिति दर्ज करेगी, आने-जाने का समय दर्ज करेगी। इस व्यवस्था की जरूरत ही इसलिए पड़ी की अधिकारी-कर्मचारियों के आने जाने का समय रिकार्ड रह सके। समय पर कार्यालयों में उपस्थित नहीं होने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के लिए जरूर यह व्यवस्था गले की फांद बन जाएगी।
उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पूर्व सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान के द्वारा प्रदेश भर में मजदूर हक यात्रा निकाली गई थी और 2 अक्टूबर 2010 से 17 नवम्बर 2010 तक जयपुर में स्टेच्यू सर्किल के पास मजदूर हक सत्याग्रह किया गया था। जिसमें प्रदेश भर के लोगों ने भाग लिया था। उसी दौरान सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों-कर्मचारियों की उपस्थिति का सर्वे किया गया था। उस सर्वे के अनुसार अधिकतर अधिकारी-कर्मचारी समय पर कार्यालय में नहीं आए थे न ही पूरे समय कार्यालय में रूके थे। तब सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा सरकार से बायोमेट्रिक व्यवस्था को लागू करने की मांग की थी। बायोमेट्रिक हस्ताक्षर व्यवस्था की मांग और भी कई लोगों ने की है।
इस व्यवस्था को लागू करने के पीछे सरकार का मकसद भी शुभ ही है, आज के दौर में सरकारी अधिकारी कर्मचारी ड्यूटी समय में भी कार्यालय में उपस्थित नहीं रहते है। कार्यालय में आकर महज उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर कर वापस चले जाने की प्रथा चल पड़ी है। राजनीतिक लोगों से जुड़े सरकारी कर्मचारी तो ड्यूटी पर जाने को अपनी शान के खिलाफ समझते है, वो एक माह बाद कार्यालय में जाकर एक साथ पूरे माह के हस्ताक्षर कर देते है। सरकारी दफ्तरों में ऐसा भ्रष्टाचार दीमक की तहर फैल चुका है। इस दीमक को समाप्त करने के लिए एक उपाय है बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली। दफ्तर में नहीं आने के बावजूद पूरा वेतन पाने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, इसके पीछे भी कई कारण है। मॅानिटरिंग करने के लिए सरकार के पास कोई और उपर्युक्त व्यवस्था है नहीं। इसलिए बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली ही सबसे उत्तम तरीका है।
कई देशों में बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली लागू है। मॅानिटरिंग का यह बेहतर तरीका है, जिसमें कम मानव संसाधन की आवश्यकता  होती है और भ्रष्टाचार करने की गुंजाइस भी नहीं रहती। राजस्थान शासन सचिवालय के अधिकारी कर्मचारी तो उन देशों में इस पद्धति का उपयोग कर रहे लोगों को अनपढ़ ही कहेंगे। और आप क्या कहिएगा ? वो सभी अनपढ़ है ?
बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली को राजस्थान सरकार लागू करने जा रही है तो सरकारी अधिकारी-कर्मचारी मुख्यमंत्री को आंख दिखा रहे है, अगली बार सरकार नहीं आने देने की धमकी दे रहे है, जैसे कोई इन 7 लाख अधिकारी-कर्मचारियों की की मर्जी के बिना सरकार बनेगी ही नहीं। वैसे राज्य के आलाकमान इन लोगों से बहुत डरते है। सपेरे की बीन के आगे नाचने वाले नाग के जैसी दशा हो रही है आलाकमान की।
बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली के खिलाफ किसने, क्या कहा
सचिवालय अधिकारी एवं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पूरण झरीवाल ने कहा कि - ‘‘सरकार पढ़े लिखे लोगों को अंगूठा छाप बनाना चाहती है, एडवांस टेक्नोलॅाजी के युग में अधिकारियों व कर्मचारियों से अंगूठा लगवाया जा रहा है।’’
सचिवालय के कर्मचारी नेता महेष व्यास ने कहा कि - ‘‘आगे भी गहलोत जी ने अधिकारियों व कर्मचारियों से पंगा लिया था। अब पुनः सत्ता के मद में उन्हें परेशान कर रहे है।’’
राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के जिलाध्यक्ष (जयपुर) संतोष विजय ने कहा कि - ‘‘ हमें इस व्यवस्था से दिक्कत कुछ भी नहीं है, बस कर्मचारियों में अविश्वास की स्थिति बन रही है।’’
बेहरहाल सचिवालय अधिकारी कर्मचारी संघ व राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने तो मुख्यमंत्री को धमकी दे दी है कि बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली को लागू न करे अन्यथा हम सरकार नहीं आने देंगे। अगर वास्तव में सरकार बनाना इन्हीं 7 लाख अधिकारियों व कर्मचारियों के हाथ की बात है तब तो मुख्यमंत्री को अधिकारी-कर्मचरियों को बात मानकर इन्श्योर कर लेना चाहिए कि अगली सरकार उन्हीं की बनेगी। और हां अगली ही क्यों उनकी तन्ख्वाह, यात्रा भत्ते आदि इत्यादि बढ़ा बढू कर यह भी इन्ष्योर कर लेना चाहिए भविष्य में राजस्थान में कभी किसी अन्य पार्टी की सरकार नहीं बनेगी।

Saturday, April 21, 2012

सामाजिक संस्थाओं के काले कारनामें


कानून बनाने व कानून लागू करने की मांग करने वाले स्वयं कानूनों की अवहेलना कर रहे है

बारां जिले का एक एनजीओ कई सालों से भ्रष्टाचार कर रहा है

अनियमितता के मामले में उसके खिलाफ कोर्ट में मामला विचाराधीन है

बंधुआ मजदूरी के खिलाफ आवाज उठाने वाले इस एनजीओ का डायरेक्टर खुद बंधुआ मजदूरी करवाता है।

महिला अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने वाला खुद महिलाओं के साथ अत्याचार करता है।

इस एनजीओ में कार्यरत कई कार्यकर्ता शादीसुदा होने के बावजूद एनजीओ में ही कार्य कर रही बालाओं से शारीरिक संबंध रखते है। अपनी सेलेरी का आधा हिस्सा उन खुबसूरत बालाओं पर खर्च कर देते है, और वो बात करते है महिला अत्याचारों की खिलाफत की, बात करते है कानूनों की पालना करने की ...... क्या वो कर रहे है हिन्दू मैरिज एक्ट की पालना?

सूचना के अधिकार के कानून को लागू करवाने के लिए किए गए आंदोलन में भाग लेने वाला यह शख्स अपनी संस्था की सूचनाएं नहीं देता है।

ग्राम पंचायतों द्वारा किए गए कार्यो का सामाजिक अंकेक्षण करने का ठेका लेने वाले इस एनजीओ का सामाजिक अंकेक्षण करना जरूरी है। एक ग्राम पंचायत का सामाजिक अंकेक्षण इस एनजीओ ने किया, सरपंच ने इस एनजीओ के कारनामे उजागर करने की धमकी दी तो सामाजिक अंकेक्षण का लचीला कर दिया। अर्थात् सरकारी ओडिटर्स की तरह ले दे के मामला ठण्डे बस्ते में डाल दिया।

इस एनजीओं के खिलाफ . . . .  मेरी एक खास रिपोर्ट . . .  जल्दी ही . . .

एनजीओ - सरकार के बाद करप्शन की सबसे बड़ी दूकानें (कुछ को छोड़ कर) है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले अधिकतर एनजीओ भ्रष्टाचार में लिप्त है।
ऐसे एनजीओ के खिलाफ भी हमें आवाज उठानी होगी, वरना ऐसे लोग समाज को दीमक भांति चट कर जाएंगे।

ऐसे एनजीओ के खिलाफ अब आप क्या कहिएगा ?

Friday, April 20, 2012

धरना प्रदर्शन सफल, आरोपी गिरफ्तार

दलितों ने भरी हुंकार, शांति से रहने दो नहीं तो होगा प्रदेश स्तरीय आंदोलन
दलित अत्याचारों के विरोध में राजसमन्द के पुरानी कलक्ट्रेट के परिसर में विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन में राजसमन्द, उदयपुर व भीलवाड़ा जिले के करीबन 5000 ने लोगों ने भाग लेकर जिले में बढ़ रही दलित अत्याचार के घटनाओं पर प्रशासन को आड़े हाथों लिया।
19 अप्रेल को ‘‘जय भीम’’ के उद्घोष के साथ भीम से मोटर साइकिल रैली रवाना हुई जो दोपहर 12 बजे राजसमन्द पहुंची। गांवों-गांवों से लोग राजसमन्द पहुंचे और पुराने जिला कलक्ट्रेट परिसर में इक्कट्ठा हुए। वहां सभा का आयोजन किया गया, जिसमें पीडि़त दलितों ने अपनी पीड़ा बताई। देवगढ़ तहसील के सोंलकियों का गुढ़ा गावं की टमु बाई ने बताया कि गांव के गुर्जर जाति के लोग उसे 10 सालों से परेशान कर रहे है। उसे डायन कहते है और अपमानिक करते है।
भीम तहसील के 40 मील गांव की अणछी बाई ने बताया कि वह 27 मार्च को महानरेगा के कार्यस्थल पर पानी पिलाने का कार्य कर रही थी कि वहां पर सुखदेव सिंह नाम का लड़का आया और पानी की मटकियों को लात मार कर फोड़ दिया। विरोध करने पर जातिगत गालियां दी। अणछी बाई ने बताया कि उसने थाने में रिपोर्ट दी लेकिन सुखदेव सिंह अभी तक खूलेआम घूम रहा है। नाथद्वारा थाना क्षेत्र में दलित मानवाधिकार कार्यकर्ता शंकर लाल रेगर ने बताया कि अक्षय पात्र के मैनेजर चन्द्रसिंह राठौड़ ने महज इस बात के लिये उन्हें जातिगत गाली गलौज व मारपीट करके अपमानित किया क्योंकि उन्होंने अक्षयपात्र में दलित आदिवासी युवाओं को काम दिलाने की मांग उठाई। शंकर लाल रेगर ने बताया कि अक्षय पात्र के मैनेजर चन्द्रसिंह राठौड़ के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 341, 323 तथा अनुसूचित जाति जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 3 (1) (10) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया किन्तु कोई कार्यवाही अभी तक नहीं की गई।
सभा के दौरान एक और मामला सामने आया कि राजनगर थाना क्षेत्र के राज्यावास की निवासी 32 वर्षीय जीएनएम नर्स जो कि आर.के. हॅास्पीटल में कार्यरत है, 10 फरवरी 2012 की शाम जब वह अपनी स्कूटी से घर जा रही थी तब अमलोई निवासी निर्भय सिंह राव ने बिना नम्बर प्लेट की मोटर साइकिल से पीछा करते हुये स्कूटी के टक्कर मारकर दलित नर्स तारा यादव को नीचे गिरा दिया, उसका दुपट्टा छीना, झापट मारी तथा सरेआम छेड़छाड की। नीचे गिरने से तारा यादव के घुटनों पर चोंट लगी और स्कूटी भी टूट गई। आरोपी निर्भय सिंह राव ने दलित नर्स को कहा कि - ‘‘चमारनी यदि इस रोड़ से निकलना है तो मुझे सलाम करके निकलना पड़ेगा वरना नहीं जाने दूंगा और सीधे तरीके से आना।’’ इतना ही नहीं बल्कि आरोपी राव दलित नर्स के साथ और बदतमीजी करने लगा, नर्स के चिल्लाने पर राहगीरों ने आकर उसकी लाज बचाई, इससे पूर्व भी तकरीबन छह माह से आरोपी निर्भय सिंह दलित नर्स तारा यादव के साथ छेड़छाड, रास्ता रोकना, जातिगत गालियां देना आदि कर रहा था, मगर लोकलाज के भय से तारा यादव चुप रही, जब आरोपी की हरकतें बर्दाश्त के बाहर हो गई तो वह मामला पुलिस के समक्ष ले गई। थाने में मामला तो दर्ज कर लिया गया मगर कार्यवाही के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ। वहीं इस बारे में पुलिस अधीक्षक ने बताया कि एक्सीडेंट का मामला था, थाने में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है और जांच कार्यवाही की जा रही है।
सभा को राजसमन्द के जिला प्रमुख किशन लाल गमेती, दलित अधिकार नेटवर्क राजस्थान के राज्य संयोजक तुलसीदास राज, दलित आदिवासी एवं घुमन्तु अधिकार अभियान राजस्थान (डगर) के संस्थापक भंवर मेघवंशी, डगर के प्रदेश संयोजक परशराम बंजारा, रमा झावडि़या सहित कई लोगों ने संबोधित किया।
गुर्जर को किया गिरफ्तार, जिला प्रमुख ने पीडित को बंधवाई काबरिया रंग की पगड़ी
पुलिस ने दलित की पगड़ी को जलाने वाले मामले में आरोपी किशन लाल गुर्जर को विरोध प्रदर्शन की पूर्व की रात को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आरोपी किशन लाल गुर्जर को 18 अप्रेल को गिरफ्तार कर लिया गया और कोर्ट में पेश कर दिया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है। दूसरी तरफ विरोध प्रदर्शन के दौरान आयोजित की गई सभा में राजसमन्द के जिला प्रमुख किशन लाल गमेती ने गोवर्धन लाल बलाई को काबरिया रंग की पगड़ी बंधवाकर उसकी हौसला अफजाई की।
उल्लेखनीय है कि गुणिया गांव के गोवर्धन बलाई के माथे पर बंधी काबरिया रंग की पगड़ी को बियाना गांव के किशन लाल गुर्जर ने 11 मार्च को यह कहते हुए छीन ली थी कि काबरिया रंग की पगड़ी तो गुर्जर जाति के लोग ही बांध सकते है। उसने गोवर्धन की पगड़ी को न केवल छीना बल्कि जलती हुई भट्टी में डाल दिया। गोवर्धन लाल को धमकी दी कि आज के बाद गुर्जरों के जैसी पगड़ी मत बांधना वरना भट्टी में डालकर जिंदा जला दूंगा। गोवर्धन बलाई ने इसकी शिकायत दिवेर थाने में की थी। थाने वालों ने रिपोर्ट तो दर्ज कर ली मगर किशनलाल गुर्जर को गिरफ्तार नहीं किया था।
पुरानी कलक्ट्री से नई कलक्ट्री तक निकाली रैली
सभा के बाद विशाल रैली निकाली गई। अलग-अलग गांवो से आए महिला पुरूषों ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लोगों के साथ छुआछूत एवं उत्पीडऩ के विरोध में जमकर कर नारे लगाए। जय भीम, बाबा साहब अमर रहे, दलितों पर अत्याचार, बंद करो बंद करो, एक दो तीन चार, नहीं सहेंगे अत्याचार जैसे नारे लगाते हुए पुरानी कलक्ट्री से नई कलक्ट्री तक पहुंचे।
अतिरिक्त जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक ने दिया कार्यवाही करने का आश्वासन
प्रदर्शनकारियों की ओर से डगर के संस्थापक भंवर मेघवंशी की अगुवाई में एक दल जाकर अतिरिक्त जिला कलक्टर से मिला और दलित अत्याचार के मामलों में कार्यवाही की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। अतिरिक्त जिला कलक्टर ने दलित अत्याचार के सभी मामलों में शीघ्र कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। अतिरिक्त जिला कलक्टर ने दलितों की जमीनों पर से अतिक्रमण हटाने व बासनी गांव के मृतक के परिजनों को मुआवजा दिलवाने का आश्वासन दिया।
दल के लोग पुलिस अधीक्षक से भी मिले और उन्हें ज्ञापन सौंपा। पुलिस अधीक्षक ने दल के लोगों को बताया कि पगड़ी छीनकर जलाने के मामलें में बियाना गांव के आरोपी किशन लाल गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसे जेल भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि महानरेगा कार्यस्थल पर पानी पिला रही 40 मील गांव की दलित महिलाओं की मटकियों को फोड़ने व उन्हें जातिगत गालियां देने के मामलें के आरोपी सुखदेव सिंह को 107 व 151 में गिरफ्तार कर लिया गया था, अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत जांच पुलिस उपाधिक्षक को सौंपी गई है, वो जांच कर रहे है।
डगर के संस्थापक भंवर मेघवंशी व दलित अधिकार नेटवर्क राजस्थान के राज्य संयोजक तुलसीदासराज ने बताया कि प्रशासन ने कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है अगर कार्यवाही नहीं की जाएगी तो राज्य स्तरीय आन्दोलन किया जाएगा।

Tuesday, April 17, 2012

दलित अत्याचार के विरोध में राजसमन्द में प्रदर्शन कल

राजसमन्द जिले में बढ़ रहे दलित अत्याचारों में प्रशासन के रूखे रवैये से रूष्ठ दलित समुदाय के लोग कल जिला कलक्ट्रेट के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे। दलित आदिवासी एवं घुमन्तु अधिकार अभियान राजस्थान के राजसमन्द जिला संयोजक सोहन लाल भाटी ने बताया कि जिले में दलित अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही है। दलितों पर अत्याचार करने वालों के खिलाफ पुलिस कार्यवाही नहीं कर रही है। धरना प्रदर्शन में जिले भर से करीबन 5000 लोगों के पहुंचने की संभावना है साथ ही दलित अत्याचारों के कई मामलों में कार्यवाही की मांग को लेकर जिला कलक्टर को ज्ञापन भी दिया जाएगा।
भाटी ने बताया कि पिछले महीने राजसमन्द जिले के बियाना गांव के किशन लाल गुर्जर ने गुणिया गांव के गोवर्धन लाल बलाई की पगड़ी को छीनकर भट्टी में जला दिया, अपमानित किया और आगे से गुर्जरों के जैसी पगड़ी बांधने पर जान से मारने मी धमकी दी। गोवर्धन लाल बलाई ने दिवेर थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई, आरोपी खुल्लेआम घूम रहा है और पीडि़त को भयभीत कर रहा है। वहीं भीम तहसील के 40 मील गांव में चल रहे महानरेगा कार्यस्थल पर सुखदेव सिंह रावणा राजपूत ने दो दलित महिलाओं को जातिगत गांलिया दी और उनके पानी के मटकों को फोड़ दिया। महिलाओं द्वारा थाने में रिपोर्ट दी गई, पुलिस अधीक्षक से भी मिली नहीं आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। 
भाटी ने कहा कि पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है, जबकि दलितों पर अत्याचार जारी है। सरकार भी कुंभकर्णिय नींद सो रही है, उसे जगाने के लिए यह दलितों का यह विरोध प्रदशर्न शंखनाद होगा।

Sunday, April 15, 2012

42 वर्ष बाद मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा



रामदेव पीर से प्रेरणा लें - कोठारी
मेघंवशी  समाज सीरडि़यास की ओर से बाबा रामदेव मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा एवं कलशारोहण का कार्यक्रम प्रसिद्ध गौभक्त अशोक कोठारी के मुख्य आतिथ्य एवं बामणिया आश्रम के बुजुर्ग संत स्वामी अनन्तानंद जी महाराज की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। 
सीरडि़यास के पूर्व सरपंच नारायण लाल मेघवंशी एवं पंचायत समिति के पूर्व सदस्य राजूलाल मेघवंशी ने जानकारी दी कि मूर्ति स्थापना के बाद उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुये गौभक्त व्यवसायी अशोक कोठारी ने कहा कि लोगों को रूणेजा के पीर रामदेव जी महाराज के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिये। स्वामी अनन्तानंद जी महाराज ने विस्तारपूर्वक रामदेव पीर के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाष डाला। 
उल्लेखनीय है कि सीरडि़यास गांव में तकरीबन 42 वर्ष पूर्व रामदेवजी का मंदिर पूरे गांव ने मिलकर बनाया था लेकिन बाद में मेलमिलाप नहीं रहने के चलते मंदिर में मूर्ति स्थापना नहीं हो पाई, यह अद्भूत संयोग ही रहा कि जिस मंदिर को दादाओं ने बनाया उसकी प्रतिष्ठा उनके पोतों द्वारा हो पाई, क्योंकि 42 साल लग गये ग्रामीणों के ‘‘मन मिलने में, लेकिन जब दिल मिले तो अम्बेडकर जयन्ती के मौके पर रामदेव मंदिर में मूर्ति स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा तथा कलशारोहण का कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन्न हो गया। 
इस ऐतिहासिक मौके पर क्षेत्र के विधायक रामलाल जाट, नगर विकास न्यास के अध्यक्ष रामपाल शर्मा, माण्डल एसडीएम कैलाशचंद्र लखारा, सीईओ जिला परिषद के.सी.मीणा, पुलिस उपाधीक्षक बुगलाल मीणा सहित सैंकड़ों गणमान्य लोग व साधु संत व श्रृद्धालु लोग उपस्थित थे। 
प्राण प्रतिष्ठा व कलशारोहण कार्यक्रम को प्रेमचंद मेघवंशी, सांवरलाल चौहान, अशोक मेघवंशी, रमेश मेघवंशी, जगदीश मेघवंशी, महेन्द्र मेघवंशी, रामस्वरूप, प्रभुलाल, देवेन्द्र, ललित, ममता, विमला, माया, गीता, अर्चना, रामेदव कुलदीप, महादेव, मदनलाल, लहरूलाल, मंशा, माया, परमेश्वर, लक्ष्मणलाल, भैरूलाल, बाबू लाल, अमितकुमार, धन्ना लाल इत्यादि की टीम ने सफल बनाया। 

सीरडियास गांव में मनाई सामाजिक समरता से ओतप्रोत डॅां अम्बेडकर जयन्ती

भीलवाड़ा 14 अप्रेल 2012। भारतरत्न बाबा साहब डॅा. भीमराव अंबेडकर की 121वीं जयंती मांडल विधानसभा क्षेत्र के सीरडि़यास गांव में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर आयोजित समारोह में भीलवाड़ा जिले के आसीन्द, माण्डल, शाहपुरा, भीलवाड़ा, सहाड़ा, रायपुर, तथा राजसमन्द जिले के भीम व देवगढ़ तहसील के गांवों के 3000 से अधिक लोगों ने भाग लिया।
अंबेडकर भवन का लोकापर्ण करते अतिथि
जयंती समारोह का आयोजन दलित आदिवासी एवं घुमन्तु अधिकार अभियान राजस्थान (डगर) तथा रूरल अवेयरनेस सोसायटी भीलवाड़ा द्वारा किया गया। डगर व रूरल अवेयरनेस सोसायटी के कार्यकर्ताओं ने समारोह में भाग लेने आए अतिथियों का साफा बांध कर स्वागत किया तत्पश्चात् माण्डल विधायक रामलाल जाट, यूआईटी चेयनमेन रामपाल शर्मा व जिला कलेक्टर औंकार सिंह ने नवनिर्मित अम्बेडकर भवन व पुस्तकालय का लोकार्पण किया।
उल्लेखनीय है कि अंबेडकर भवन दलित, आदिवासी एवं घुमंतु समुदाय के युवाओं को सामाजिक कार्यों व जनआंदोलनों के लिए तैयार करने के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में काम करेगा तथा इसमें अंबेडकरवादी विचारधारा का हिंदी व अंग्रेजी भाषा में साहित्य मौजूद रहेगा।
समारोह में आए सभी अतिथियों ने डॅा. भीमराव अम्बेडकर को पुष्प अर्जित कर श्रद्धाजंली देकर समारोह आरंभ किया गया। उसके बाद अम्बेडकर जयंती समारोह को संबोधित करते हुए विधायक रामलाल जाट ने कहा कि गांवों में इस तरह का आयोजन सामाजिक समरसता की मिशाल है। उन्होंने कहा कि डॅा. भीमराव अम्बेडकर ने समानता व न्याय का अधिकार दिलवाया, दलित समुदायों के हकों को ध्यान में रखा और संविधान लिखा। जिनकी बदौलत आज दलित समुदाय उपर उठा है। उन्होंने दलित समुदाय के लोगों से आव्हान् किया कि वे अपने बच्चों को शिक्षा से वंचित न रखे। शिक्षा के प्रति जागरूक होवे क्योंकि शिक्षा के बिना विकास संभव नहीं है। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना व राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सरकार गांवों के विकास के लिए अनेकों योजनाएं संचालित कर रही है, अगर शिक्षा का अभाव होगा तो विकास योजनाओं की जानकारी नहीं मिल सकेगी।
डगर के संस्थापक भंवर मेघवंशी ने कहा कि अब तक डॅा. भीमराव अम्बेडकर जयंती शहरी क्षेत्रों में मनाई जाती रही लेकिन इस बार दलित आदिवासी एवं घुमन्तु अधिकार अभियान राजस्थान के युवा कार्यकर्ताओं ने अम्बेडकर विचारधारा को गांवों में पहूंचाने के उद्देश्य से गांव में जयंती मनाने व समारोह का आयोजन करने का निर्णय लिया। इसी के तहत 1 अप्रेल से 13 अप्रेल तक गांव-गांव जाकर डॅा. अम्बेडकर के संदेश को पहूंचाया और आज सीरडियास गांव में डॅा. अम्बेडकर जयंती समारोह का आयोजन किया गया।

खबरकोश डॅाटकॅाम व डायमंड इंडिया पाक्षिक का विमोचन
डायमंड इंडिया का विमोचन करते
विधायक रामलाल जाट,
जिला कलक्टर औंकार सिंह व
यूआईटी चैयरमेन रामपाल शर्मा 
जयंती समारोह में विधायक रामलाल जाट, यूआईटी चेयरमैन रामपाल शर्मा एवं जिला कलक्टर ने पाक्षिक समाचार पत्र ‘डायमंड इंडिया’ तथा नेशनल न्यूज वेबसाइट (www.khabarkosh.com) खबरकोश डॅाटकॅाम का विमोचन किया।
समारोह में शाहपुरा निवासी शिवप्रकाश रेगर द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘भारतीय संविधान और सामाजिक न्याय’’ का विमोचन किया गया। उल्लेखनीय है पूर्व में शिवप्रकाश रेगर ने पर्यावरण विषय पर पुस्तक लिखी थी। इस पुस्तक लेखन पर राष्ट्रीय प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड, नई दिल्ली द्वारा उन्हें पुरस्कृत किया गया एवं 15000/- राशि प्रदान की गई थी। उन्होंने प्रदूषण एवं पर्यावरण पर मौलिक पुस्तक लिखी थी।
जिला कलक्टर औंकार सिंह ने अशिक्षित होने को विकास में बाधक बताते हुए कहा कि विकास योजनाओं के लाभ दिलवाने के लिए भरे जाने वाले आवेदन पत्रों में हस्ताक्षर करवाने के नाम पर भ्रष्ट लोग अशिक्षित लोगों से जमीन के बिकाव नामे व रजिस्ट्री पर हस्ताक्षर करवा देते है। ऐसे मामलों में सरकार की विकास योजनाएं अशिक्षितों के किसी काम की नहीं रह जाती है।
समारोह को यूआईटी चेयरमेन रामपाल शर्मा, आसीन्द के पूर्व ब्लॅाक अध्यक्ष माण्डल प्रधान गोपाल सारस्वत, गोपाल तिवाडी, अशोक कोठारी एवं मजदूर किसान शक्ति संगठन शंकर सिंह ने संबोधित किया।

हुआ सामाजिक समरसता भोज
समारोह के बाद सामाजिक समरसता भोज का आयोजन किया गया। समारोह में आए सभी समुदायों के लोगों ने समरसता भोज ग्रहण किया। डगर के प्रदेश संयोजक परशराम बंजारा, प्रदेश महासचिव एडवोकेट दौलतराज नागोड़ा, जिला संयोजक महादेव रेगर, जिला महासचिव देबीलाल मेघवंशी तथा सोसायटी के अध्यक्ष गंगासिंह राठौड़, सचिव भैरूलाल रेगर एवं कोषाध्यक्ष अमित त्यागी, प्रेमचंद मेघवंशी, सांवरलाल चौहान, हीरालाल तथा पन्नालाल सालवी ने अतिथियों का स्वागत किया। डगर के संस्थापक भंवर मेघवंशी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

Tuesday, April 10, 2012

सेन्डविच बन गए है राजसमन्द के दलित

देश  को आजाद हुए 62 वर्ष हो चुके है, कथित उच्च वर्ग आर्थिक, सामाजिक व अभिव्यक्ति की आजादी के मजे लूट रहा है, लेकिन राजस्थान के दलित अभी आजादी के लिए संघर्ष कर रहे है। न तो उन्हें सार्वजनिक मंच पर बैठने की आजादी मिली है ना ही मनचाहे कपड़े पहनने की। राजस्थान के राजसमन्द जिले में दलितों पर अत्याचार के मामलें बढ़ रहे है। बीते माह में इस जिले के तीन गांवों में दलित अत्याचार की बड़ी घटनाएं हुई है। 
दलितों पर सर्वाधिक अत्याचार गुर्जर व राजपूत जाति के लोग कर रहे है। बियाना गांव के किशन लाल गुर्जर ने दलित व्यक्ति की पगड़ी छीनकर जला दी, सोलंकियों का गुढ़ा गांव की टमु बलाई भी गुर्जर जाति के लोगों से करीबन 5 सालों से संघर्ष कर रही है। डेकवाड़ा गांव में कोई 3 साल पहले गोली दाग कर मारे गए दलित व्यक्ति का हत्यारा राजपूत निकला। अभी हाल में भीम के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर स्थित 40 मील गांव की दो दलित महिलाओं की पानी की मटकियों को राजपूत जाति के एक युवक ने लातें मार कर फोड़ दी। कमोबेश दलितों के साथ छुआछूत व अत्याचार जारी है वहीं पुलिस व प्रशासन मौन है, सरकार तो कहती कुछ और है तथा करती कुछ और है।
गौर करे तो दलितों पर बढ़ोतरी का मुख्य कारण ही पुलिस प्रशासन का नकारात्क रवैया है। तभी तो एक दलित महिला की पानी की मटकियां फोड़ देने एवं उसे जातिगत गालियां देने वाला सुखदेव सिंह राजपूत  (22 वर्ष) खुल्ले आम घूम रहा है। 27 मार्च 2012 को 40 मील गांव की अणछी बलाई व पुष्पा बलाई ने सुखदेव सिंह, श्रवण सिंह व सेना सिंह पर जातिगत गांलिया निकालने व उनकी मटकियां फोड़ देने का आरोप लगाते हुए कार्यवाही की मांग को लेकर भीम थाने में रिपोर्ट दी। उन्होंने थाने में बताया कि वो महानरेगा के तहत सुनातो का बाडि़या गांव में चल रहे ग्रेवल सड़क निर्माण कार्य के लिए 40 मील गांव के पास ग्रेवल खुदाई कार्य पर पानी पिलाने का कार्य कर रही थी। दोपहर में मध्याहन अवकाश  के दौरान वह अन्य मजदूरों के साथ बैठी थी कि ये तीनों आरोपी कार्यस्थल पर आए। इनमें से सुखदेव सिंह वहां पर गाली गलौच करने लगा और सरपंच, सचिव व मेट को गालियां निकालने लगा। फिर उसने अणछी बलाई की पानी की मटकियों को लातें मार कर फोड़ दिया। अणछी बलाई व पुष्पा बलाई ने विरोध किया तो सुखदेव सिंह ने न केवल उन्हें जातिगत गालियां दी बल्कि सरपंच व सचिव से साथ उनके अवैध रखने का लांछन भी लगा दिया। 
 सुखदेव सिंह

दलित महिलाओं ने हिम्मत दिखाई और अपमानित करने वाले सुखदेव सिंह के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। उन के थाने में  रिपोर्ट दर्ज  कराने के कुछ देर बाद ही मेट द्वारा भी सुखदेव सिंह के खिलाफ थाने में  रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस ने मेट की रिपोर्ट पर सुखदेव सिंह के खिलाफ आईपीसी की धारा 107 व 151 में मामला दर्ज किया और उसे गिरफ्तार कर लिया। दूसरे दिन सुखदेव सिंह जमानत पर छूट गया। दूसरी तरफ महिलाओं की रिपोर्ट पर पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। मेट को गाली गलौच की, जिसकी रिपोर्ट पर पुलिस ने सुखदेव सिंह को गिरफ्तार कर हवालात में बंद कर दिया। जबकि दलित महिलाओं की मटकी फोड़ने, जातिगत गालियां निकालने, सरपंच व मेट से अवैध संबंध होने की भ्रामक बातें फैलाकर महिलाओं को मानसिक संताप संताप देने वाले सुखदेव सिंह के खिलाफ कार्यवाही आरम्भ नहीं की।
अणछी देवी व उनके परिजनों को थाने वालों के व्यवहार से ही लग गया था कि वे सुखदेव सिंह के खिलाफ कार्यवाही नहीं करेंगे (क्योंकि सुखदेव सिंह लॅाकअप में भी गाली गलौच कर रहा था, धमकियां दे रहा था और पुलिस चुपचाप सुन रही थी।) , इसलिए वो घटना वाली रात में ही राजसमन्द गई।और पुलिस अधीक्षक से उनके निवास पर जाकर मिली। पुलिस अधीक्षक ने भी पहले तो उनके प्रति संवेदनाएं दिखाने की बजाए उन्हें रात में आने पर दुत्कारा  फिर कार्यवाही करवाने का आश्वासन दिया। 
28 मार्च 2012 को दलित आदिवासी एवं घुमन्तु अधिकार अभियान (डगर) के कार्यकर्ताओं ने इस मामले की जानकारी ली। उसके बाद पुलिस हरकत में आई और पुलिस उपाधिक्षक दो दिन बाद मौका स्थल पर गए और 2 अप्रेल 2012 को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। मजदूर सच्च बता रहे है व मेट बता रहा है कि सुखदेव सिंह ने अणछी बलाई की मटकियां फोड़ दी और उन्हें जातिगत गालियां निकाली। बावजूद पुलिस अनुसंधान के नाम पर खानापूर्ति कर रही है। 
आरोपी द्वारा मटकियां फोड़ने, जातिगत गालियां देने और इज्जत पर लांछन लगाने से दलित महिलाओं के आत्मसम्मान को ठेस पहूंची है, घटना के बाद वो जब पुलिस थाने की ओर उनके कदम बढ़ रहे थे तब उनमें जंग जीतने के भाव थे आज उनमें हीनता का भाव चरम पर पहूंच रहा है।
गोवर्धन लाल
इसी जिले में एक दलित को जातिगत गालियां देने व उसकी पगड़ी छीनकर जला देने का आरोपी किशन लाल गुर्जर भी बेखौफ घूम रहा है। 11 मार्च 2012 को गुणिया गांव का गोवर्धन लाल बलाई (दलित, आयु-45 वर्ष) बियाना गांव में गया था, वहां से लौटते वक्त बियाना गांव का  किशन लाल गुर्जर अपने साथियों के साथ आया और गोवर्धन लाल का रास्ता रोक दिया, उन्होंने उसे जातिगत गालियां दी और एक नोहरे में ले गए। वहां गुर्जर जाति के और भी लोग बैठे हुए थे। वहां किशन लाल ने गोवर्धन लाल का अपमान किया गया, उसकी पगड़ी छीन ली और धधकती भट्टी में डालकर जला दी। उसने गोवर्धन लाल को धमकी दी कि अगर आज के बाद गुर्जरों के जैसी पगड़ी बांधी तो तूझे भी भट्टी में डालकर जला दूंगा। पगड़ी छीन लेने और जला देने पर भी अपमान का घड़ा नही भरा तो किशन लाल ने गोवर्धन लाल को सिर पर पगड़ी की जगह औढ़ने के चद्दर को बांधने पर मजबूर किया। गोवर्धन लाल क्या करता, अकेला था उस वक्त, और वे तो कई सारे थे। किशन लाल ने न केवल चद्दर को सिर पर बंधवाया बल्कि इस घटना को किसी को नहीं बताने के लिए कहा, बताने पर जान से मारने की धमकी दी। गुर्जरों की इस धमकी से गोवर्धन लाल इतना डर गया कि उसने इस घटना के बारे में घर वालों को भी नहीं बताया। लेकिन लोगों के द्वारा जब घर वालों को पता चला तो उन्होंने उसे हिम्मत बंधाई। उसके बाद गोवर्धन लाल ने दिवेर पुलिस थाने में 13 मार्च 2012 रिपोर्ट दर्ज करवाई। 
दिवेर थाने में अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत किशन लाल गुर्जर व अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया। पुलिस पीडि़त पक्ष के बयान ले चुकी है। लेकिन अभी तक पुलिस ने किशन लाल गुर्जर को गिरफ्तार नहीं किया गया है। वो खुलेआम घूम रहा है। 
टमु बलाई
सोलंकियों का गुढ़ा गांव की एक दलित महिला को गुर्जर जाति के लोगों के आंतक का पिछले 5 साल से सामना कर रही है। टमु बलाई (48 वर्ष) पत्थर फोड़ती है, उन्हें ढ़ोकर लाती है और अपने नोहरे के चारदिवारी करती है। गुर्जर जाति के लोग चारदिवारी से पत्थर उठाकर ले जाते है। ऐसा 5 सालों से कर रहे है। वो ऐसा इसलिए कर रहे है कि टमू बलाई उस नोहरे वाली जमीन को छोड़ दे ताकि वो लोग उस जमीन पर कब्जा कर सके। टमू बाई को परेशान करने के पीछे एक बड़ा कारण टमू बलाई का स्वाभिमानी होना है। वो गुर्जर द्वारा आयोजित भोज में अन्य दलितों की तरह नहीं जाती है। वो कहती है कि मैं गुर्जरों के भोज में जाकर उनकी दबेल नहीं बनना चाहती। गुर्जरों को टमू बलाई की यह स्वाभिमानिता ही पंसद नहीं आती है। इसलिए वो कभी उसके नोहरे से पत्थरों की चोरी कर, कभी उसके खेतों में पशु चराकर तो कभी सार्वजनिक जगहों पर बायकाट कर प्रताडि़त करते रहते है। टमु बलाई पुलिस में शिकायत कर चुकी है। प्रशासनिक अधिकारियों को भी अवगत करा दिया है लेकिन उसे न्याय नहीं मिल रहा है। 
डगर के जिला संयोजक सोहन लाल भाटी ने बताया कि दलित अत्याचारों के मामलों में कार्यवाही की मांग को लेकर डगर द्वारा जिला कलक्टर व पुलिस अधीक्षक को भेजा गया है। लेकिन पुलिस द्वारा अत्यन्त ही धीमी गति से कार्यवाही की जा रही है। आरोपी खुलेआम घूम रहे जिससे पीडि़त दलित लोग आंतकित है। उन्होंने बताया कि राजसमन्द जिले में दलित अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही। अगर पुलिस का ऐसा ही रैवेया रहा तो राजसमन्द में महासम्मेलन किया जाएगा। 
दलित जागरूक हो रहे है, अब वो अत्याचारों के विरूद्ध आवाज उठाने की जुर्रत कर रहे है लेकिन असंवेदनशील पुलिस   प्रशासन है कि अत्याचारियों के खिलाफ एक कदम भी नहीं बढ़ा पा रहा है। सरकारें पुलिस पर अरबों रुपए का खर्च कर रही है, इस खर्च के क्या मायने है ? दलितों के किस काम की है पुलिस और सरकार ? मंत्री, पुलिस सब शपथ ग्रहण करते है कि वो देश की सेवा करेंगे, देश की जनता के हकों की रक्षा करेंगे। क्या हो रही है जनता के हकों की रक्षा ? नहीं हो रही है ना। तो फिर उस शपथ ग्रहण के क्या मायने ?

मेरी किस्मत में यही अच्छा रहा


मेरी किस्मत में यही अच्छा रहा
मैं मरने से नहीं डरता हूं
न बेवजह मरने की चाहत संजोए रखता हूं
एक जासूस अपनी तहकीकात बख़ूबी करे
यही उसकी नियामत है

किराए की दूनिया और उधार के समय की
कैंची से आजाद हूं पूरी तरह
मुग्ध नहीं करना चाहता किसी को
मेरे आड़े नहीं आ सकती सस्ती और सतही मुस्कुराहटें

मैं वेश्याओं की इज्ज़त कर सकता हूं
पर सम्मानितों की वेश्याओं जैसी हरकतें देख
भड़क उठता हूं पिकासों के सांड की तरह
मैं बीस बार विस्थापित हुआ हूं
और जख़्मों की भाषा और उनके गूंगेपन को
अच्छी तरह समझता हूं
उन फीतों को मैं कूड़ेदान में फेंक चुका हूं
जिनमें भद्र लोग जिंदगी और कविता की नापजोख करते है
मेरी किस्मत में यही अच्छा रहा
कि आग और गुस्से ने मेरा साथ कभी नहीं छोड़ा
और मैंने उन लोगों पर यकिन कभी नहीं किया
जो घृणित युद्ध में शामिल है
और सुभाषितों से रौंद रहे हैं
अजन्मी और नन्हीं खुशियों को

मेरी यही कोशिश रही
पत्थरों की तरह हवा में टकराएं मेरे शब्द
और बीमार की डूबती नब्ज़ को थामकर
ताज़ा पत्तियों पत्तियों की सांस बन जाएं
मैं अच्छी तरह जानता हूं
तीन बांस चार आदमी और मुट्ठी भर आग
बहुत होगी अंतिम अभिषेक के लिए
इसीलिए न तो मैं मरने से डरता हूं
न बेवजह शहीद होने का सपना देखता हूं

ऐसे जि़ंदा रहने से नफरत है मुझे
जिसमें हर कोई आए और मुझे अच्छा कहे
मैं हर किसी की तारीफ करते भटकता रहूं
मेरे दुश्मन न हों
और इसे मैं अपने हक में बड़ी बात मानूं.

                                                    - चन्द्रकांत देवताले

शामलात भूमि नीति-2011 पर कार्यशाला का आयोजन


भीलवाड़ा। नगर परिषद सभागार में फाउण्डेशन फॅार इकोलॅाजिकल सिक्योरिटी (FES) द्वारा 25 मार्च 2012 को शामलात अभियान के तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया। उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार व एफइएस ने ‘‘राजस्थान शामलात भूमि नीति, 2011’’ की है। आमजन तक इस नीति की जानकारी पहूंच सके, इस हेतु एफइएस का सरकार के साथ एमओयू हुआ है, जिसके तहत ही इस कार्यशाला का आयोजन रखा गया। 
कार्यशाला को संबोधित करते हुए केंद्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मं त्रीडॅा. सी.पी. जोशी ने ग्राम विकास व चारागाह भूमि विकास पर जोर देते हुए कहा कि शामलाती कार्यों के लिए प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों के साथ ग्रामीणों को भी जागरूक होकर कार्य करना पड़ेगा। डॅा. जोशी  ने प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार व सर्वोच्च न्यायालय ने चारागाह भूमि के आवंटन पर रोक लगा दी है, लेकिन फिर भी कलक्टर व पटवारियों की मिलीभगत से आवंटन हो रहे है। अगर अब ऐसा हुआ तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि ग्राम विकास में ग्राम पंचायत की मुख्य भूमिका होती है, लेकिन सरपंच भी चारागाह भूमि के आवंटन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी कर देते है, जो कि गलत है। ऐसा करने वाले सरपंच पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि स्व. राजीव गांधी ने वर्षों पहले गांवों के विकास का सपना देखा था, उसे पूरा नहीं किया जा सका है। लेकिन अब गांवों व गांवों के लोगों के विकास के लिए साझे कार्य करने होंगे, महानरेगा के तहत चारागाह विकास के कार्य करवाएं जा सकते, चारागाह भूमि के चारदिवारी का कार्य करवाया जा सकता है, वहां पेड़-पौधे लगाए जा सकते है, ऐसे कार्य करवाने से सामलाती भूमि सुधार और वर्षा जल का संग्रहण तो होगा ही ग्राम पंचायतों की निजी आय भी बढ़ेगी। 
डॅा.  जोशी  ने जिला परिषद के लोगों को उलाहना देते हुए कहा कि अभी वे अनभिज्ञ है तथा शामलाती कार्यों के प्रति जागरूक नहीं है। नसीहत देते हुए कहा कि वे अपने अधिकार समझे और सकारात्मक सोच के साथ योजनाएं बनाए ताकि गांवों का विकास हो सके। उन्होंने कहा कि जिला परिषद का काम महज सड़के बनाने का ही नहीं है बल्कि जिला परिषद की प्राथमिकता वर्षा जल संग्रहण होना चाहिए।  उन्होंने कहा कि भीलवाड़ा जिले में कम वर्षा होती है, गरीब परिवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, मजबूरीवश उन्हें काम-धंधे के लिए अन्यत्र जाना पड़ता है, अगर जल संग्रहण पर ध्यान दिया गया तो ऐसी नौबत नहीं आएगी। उन्होंने जिला कलक्टर को कहा कि वो जिले के गांवों में चारागाह विकास पर पूर्ण ध्यान देवें, चारागाह में पेड़ पौधे लगवावें, चारदिवारी करवावें तथा वर्षा जल संग्रहण पर विशेष ध्यान दे। उन्होंने आव्हान् किया कि अधिकारी व जनप्रतिनिधि सामंजस्य बनाकर कार्य करे और भीलवाड़ा जिले को आदर्श जिले के रूप में स्थापित करे।  जोशी   ने अंत में कहा कि वो निगरानी रखेंगे तथा एक साल बाद जानकारी लेंगे कि इस योजना पर कितना काम हुआ। 
अतिथियों ने हरे पेड़ के सामने दीप प्रत्वलित कर व पेड़ को ओढ़नी ओढ़ा कर  कार्यशाला  को आरम्भ किया। सबसे पहले ग्रामीणों ने शामलाती भूमि विषय पर नाटक का मंचन किया।  कार्यशाला  के दौरान ही ‘‘शामलात भूमि नीति-2011’’ पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई। पूर्व मंत्री राम लाल जाट ने फिल्म में भाग लेने वाले थाणा गांव के दो किसानों को 100-100 रुपए का ईनाम दिया। 
कार्यशाला को प्रभारी मंत्री नसीम अख्तर ‘‘इंसाफ’’ और जिला कलक्टर ओंकार सिंह ने भी भी संबोधित किया।  कार्यशाला  में मांडल विधायक रामलाल जाट, आसीन्द विधायक राम लाल गुर्जर, जहाजपुर विधायक शिवजीराम मीणा, सहाड़ा-रायपुर विधायक कैलाश त्रिवेदी, यूआईटी चैयरमेन रामपाल शर्मा, अनिल डांगी, भूमि विकास बैंक के चेतन डिडवाणिया आदि उपस्थित रहे। 
उल्लेखनीय है कि फाउण्डेशन फॅार इकोलॅाजिकल सिक्योरिटी (FES) की स्थापना 2001 में हुई थी। इसके प्रमुख कार्यों में ग्रामीण परिवेश में उपस्थित आर्थिक, सामाजिक व पारिस्थितिक व्यवस्थाओं के अंतर्गत वनों व अन्य प्राकृतिक संसाधनों की पहचान व निर्धारण करना तथा संरक्षण व स्थानीय स्व-प्रशासन के सिद्धान्तों के सम्मिश्रण द्वारा गरीबों की जीवन यापन की परिस्थतियों में सुधार लाना मुख्य है। एफइएस पिछले एक दशक से जिले के गांवों में उपेक्षित सम्पत्ति संरक्षण के लिए समुदाय के साथ मिलकर साझे प्रयास कर रहा है। 

Wednesday, April 4, 2012

हत्यारे जब प्रेमी होते है

हत्यारे जब प्रेमी होते है
वे तुम्हें ऐसे नहीं मारते...

वे तुम्हें, तुम्हारी मां
या तुम्हारे बच्चों में
कोई फर्क नहीं करते

वे उन सब के साथ
एक ही जगह
एक ही समय
रच सकते है
सामूहिक प्रेम का
नया कोई शिल्प

बुखार में तपती
तुम्हारी देह के साथ भी
वे अपने लिए
रच सकते हैं
वीभत्स मांसल आनंद का
नया कोई निर्वीर्य संस्कार

और इस तरह
तुम्हारी देह से आबद्ध
वे रह सकते हैं
अविरत संभोगरत
तुम्हारी अंतिम सांस के
स्खलित हो जाने तक...
               
                      - योगेन्द्र कृष्ण

हत्यारे जब मसीहा होते है

हत्यारे जब मसीहा होते है
वे तुम्हें ऐसे नहीं मारते...
बचा लेते है ढ़हने से
खंडहर होते तुम्हारे सपनों
की आखिरी ईंट को
किसी चमत्कार की तरह...

कि तुम इन हत्यारों में ही
देख सको
 दैवी चमत्कार की
अलौकिक कोई शक्ति

तुम्हारी जर्जरित सांसों के
तार-तार होने तक
वे करते रहेंगे
और भी कई-कई चमत्कार
कि तुम इन्हें पूज सको
किसी प्राच्य देवता की तरह...

कि तुम्हारी अंतिम सांस के
स्खलित होने के ठीक पहले
उनके बारे में दिया गया
तुम्हारा ही बयान
अंततः बचा ले सके उन्हें
दरिंदगी के तमाम संगीन आरोपों से...

                                     - योगेन्द्र कृष्ण

हत्यारें जब बुद्धिजीवी होते है

हत्यारें जब बुद्धिजीवी होते है
वे तुम्हें एैसे नहीं मारते
बख्श देते है तुम्हें तुम्हारी जिंदगी
बड़ी चालाकी से
झपट लेते हैं तुमसे
तुम्हारा वह समय
तुम्हारी वह आवाज
तुम्हारा वह शब्द
जिसमें तुम रहते हो

तुम्हारे छोटे-छोटे सुखों का
ठिकाना ढूंढ लेते हैं
ढूंढ लेते हैं
तुम्हारे छोटे-छोटे
दुखों और उदासियों के काने
बिठा देते हैं पहरे
जहां-जहां तुम सांस लेते हो

रचते हैं झूठ
और चढ़ा लेते है उस पर
तुम्हारे ही समय
तुम्हारी ही आवाज
तुम्हारे ही शब्दों के
वे तुम्हारे ही शब्दों से
कर देते है
तुम्हारी हत्या

              -  योगेन्द्र कृष्ण