Saturday, November 17, 2012

वे अब हुए आजाद



  • लखन सालवी 
मीडिया पैरवी और लोगों की जागरूकता से आखिरकार आजादी की तहरीक के महानायक चन्द्रशेखर आजाद की मूर्ति अतिक्रमण से मुक्त हो गई।
उल्लेखनीय है कि भीलवाड़ा शहर के ठीक बीचों-बीच स्थित आजाद चौक में लगी चन्द्रशेखर आजाद की मूर्ति के आगे व्यवसायियों ने अस्थाई दूकानें बनाकर अतिक्रमण कर लिया था। जिस कारण आजाद की मूर्ति दिखाई ही नही पड़ रही थी।
अतिक्रमणकारियों के हौसेलें इतने बुलन्द थे कि आजाद चौक में जाने में मुख्य द्वारा को भी अवरूद्ध कर दिया। द्वार के पास लगी आजाद की मूर्ति की परवाह भी नही की। एक अस्थाई दूकान वाले ने कुछ माह पूर्व तक करीबन 8 फीट जगह पर अतिक्रमण किया था अब उसने करीब 40 फीट 25 फीट लम्बी व 8 फीट चौड़ी अस्थाई दूकान बना ली थी। जागरूक लोगों ने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत कराया लेकिन किसी ने अतिक्रमण हटाने की जहमत नहीं उठाई। लोगों का कहना है कि सत्तारूढ़ पार्टी के स्थानीय नेताओं से जुड़े लोग अतिक्रमण करवाने में मदद कर रहे है और वो शिकायतों पर कार्यवाही नहीं होने दे रहे थे।

जागरूक जनता के प्रयासों से हटा अतिक्रमण

‘‘जिसने देश को आजादी दिलाई वो खुद आज अतिक्रमण झेल रहा है। 23 जुलाई को आजाद की जयंती थी लेकिन जयंती मनाने कोई नहीं आया। युवा क्रांतिकारी शहीद को सच्ची श्रृद्धाजंली उसी वक्त होगी जब वे आजाद को अतिक्रमण से मुक्त करायेंगे। ये लिखा हुआ एक बड़ा होर्डिंग आजाद चौक पर कुछ जागरूक लोगों ने लगवाया। इस होर्डिंग में एसपी व कलक्टर से गुहार की गई कि वे आजाद की मूर्ति को अतिक्रमण से मुक्त करावें। उसके बाद अनिल बदल्वा सहित जिला परिषद के 5-7 पार्षदगण पहूंचे थे।
उल्लेखनीय है कि जुलाई के प्रथम अंक में डायमण्ड इंडिया ने अतिक्रमण का मामला उठाया था। दूसरी ओर आजाद जयंती के अवसर पर जागरूक लोगों ने बड़ा बैनर लगवाकर अतिक्रमण का विरोध किया। नजीता यह रहा कि प्रशासन हरकत में आया और तुरन्त अतिक्रमण हटवाया। अतिक्रमण हटवाए जाने के बाद लोगों ने कहा कि आजाद अब हुए आजाद।
भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि चन्द्रशेखर आजाद की जयंती थी, आजाद को सलाम करने के लिए चंद राजनेताओं के अलावा कोई आया। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि कहां गए वो देशप्रेमी जो अपने आप को हिन्दू राष्ट्र के प्रति समर्पित बताते है।

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