Saturday, November 17, 2012

ये सरकार बदलने की शुरूआत है


भीलवाड़ा (लखन सालवी). भीलवाड़ा नगर परिषद के पार्षद के उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत और बारां के अटरू में भाजपा समर्थित प्रत्याशी की जीत को वर्तमान कांग्रेस सरकार को बदल देने का आगाज माना जा रहा था। लेकिन हाल में हुए कॉलेज चुनावों से यह स्पष्ट हो गया है कि अब हर कोई इस सरकार को बदलने पर आमादा है। कॉलेज चुनावों के परिणामों के बाद से लोगों में सरकार को लेकर खासी चर्चा है। लोग कह रहे है कि सरकार बदलने की शुरूआत युवाओं ने कर दी है और आगामी चुनावों में कांग्रेस सरकार को हार का मुंह देखना पड़ेगा।
भ्रष्टाचार, अव्यवस्था और विकास के नाम में महज घोषणाओं के साथ ही कांग्रेस पार्टी की अन्दरूनी खींचातान ही उसे गर्त में लिए जा रही है जिसे बचा पाना शायद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बस की बात भी नहीं रही है।
19 अगस्त को भीलवाड़ा के माणिक्य लाल वर्मा ब्व्यॅाज कॉलेज, सेठ मुरलीधर मानसिंहका गर्ल्स कॉलेज, शाहपुरा के प्रतापसिंह बारहठ राजकीय महाविद्यालय, मांडलगढ़ के श्री शिवचरण माथुर राजकीय महाविद्यालय एवं गंगापुर के श्री आचार्य तुलसी महाविद्यालय के चुनाव परिणाम आए। इन पांचों कॉलेजों में एबीवीपी के प्रत्याशी अध्यक्ष बने।
उल्लेखनीय है इन कॉलेजों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव व संयुक्त सचिव पदों के लिए चुनाव हुए थे। इनमें में से महज श्री आचार्य तुलसी महाविद्यालय गंगापुर में सचिव व संयुक्त सचिव पद पर एनएसयूआई के प्रत्याशियों की जीत हुई। बाकी सभी कॉलेजों में सभी पदों पर एबीवीपी के प्रत्याशी जीते है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. सी.पी. जोशी के संसदीय क्षेत्र में एनएसयूआई की करारी हार हुई है। विदित रहे कि भीलवाड़ा के माणिक्य लाल वर्मा ब्व्यॅाज कॉलेज में पिछले 15 सालों से एनएसयूआई के प्रत्याशी ही जीतते आए है। इस बार सभी पदों पर एबीवीपी के प्रत्याशियों की जीत हुई है। सेठ मुरलीधर मानसिंहका गल्र्स कॉलेज में भी एबीवीपी ने ही परचम लहराया है। भीलवाड़ा, मांडलगढ़, शाहपुरा व गंगापुर (सहाड़ा) चारों ही विधानसभा क्षेत्रों में वर्तमान में कांग्रेस के विधायक है। गंगापुर (सहाड़ा) के श्री आचार्य तुलसी महाविद्यालय के अलावा सभी कॉलेजों में एबीवीपी ने एकछत्र परचम लहराया है।
राजनीतिक विश्लेषक कांग्रेस की गुटनीति को एनएसयूआई की हार का कारण बता रहे है। वैसे पिछले वर्ष के छात्रसंघ चुनाव से ही कांग्रेस की गुटनीति जगजाहिर हो गई थी। इस बार भी कॉलेज छात्रसंघ चुनाव को जाट बनाम गुर्जर चुनाव करार दिया जा रहा था।
श्री आचार्य तुलसी महाविद्यालय इस जिले का एक मात्र ऐसा महाविद्यालय है जहां छात्र संघ के दो पदों (सचिव व संयुक्त सचिव) पर एनएसयूआई के प्रत्याशी जीत पाए है। देखा जाए तो यहीं एक मात्र कॉलेज है जहां अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव में बहुत ही कम मतों के अन्तर से एबीवीपी के प्रत्याशियों की जीत हुई है।
यह कॉलेज विधायक कैलाश त्रिवेदी के क्षेत्र में है। सहाड़ा-रायपुर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति का केंद्र गंगापुर है। इस क्षेत्र में कभी भाजपा के डॉ. रतन लाल जाट (पूर्व खाद एवं बीज मंत्री) का दबदबा रहा था। पिछले 7-8 सालों से कांग्रेस के विधायक कैलाश त्रिवेदी की साख बनी है। वो लगातार दो बार डॉ. रतन लाल जाट को शिकस्त देकर विधायक चुने गए है। छात्रसंघ चुनाव में एनएसयूआई का अध्यक्ष पद का प्रत्याशी केसरमल जाट एबीवीपी के बलवीर सिंह से महज 28 वोटों से हारा जबकि उपाध्यक्ष पद का प्रत्याशी दिनेश जाट 8 वोटों से हारा।
जयपुर, जोधपुर, कोटा, उदयपुर, अजमेर सहित राज्य के 9 विश्वविद्यालयों में से एक में भी एनएसयूआई की जीत नहीं हुई। जोधपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उदयपुर में केंद्रीय मंत्री डॉ. सी.पी. जोशी, अजमेर में संचार मंत्री सचिन पायलेट, कोटा में नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल व वीरेन्द्र बेनीवाल का जादू नहीं चला।राजस्थान के 128 महाविद्यालयों में 107 महाविद्यालयों के चुनाव परिणाम घोषित हुए। इनमें से 38 में एनएसयूआई तथा 22 में एबीवीपी जीती है। शेष  पर निर्दलीय तथा अन्य ने जीत हासिल की है।
बहरहाल लोग एबीवीपी की जीत से आगामी विधानसभा चुनावों का अंदाजा लगा रहे है। लोगों का मानना है कि हालात देखते हुए आगामी सरकार भाजपा की ही बनेगी।

No comments:

Post a Comment