Wednesday, April 4, 2012

हत्यारे जब प्रेमी होते है

हत्यारे जब प्रेमी होते है
वे तुम्हें ऐसे नहीं मारते...

वे तुम्हें, तुम्हारी मां
या तुम्हारे बच्चों में
कोई फर्क नहीं करते

वे उन सब के साथ
एक ही जगह
एक ही समय
रच सकते है
सामूहिक प्रेम का
नया कोई शिल्प

बुखार में तपती
तुम्हारी देह के साथ भी
वे अपने लिए
रच सकते हैं
वीभत्स मांसल आनंद का
नया कोई निर्वीर्य संस्कार

और इस तरह
तुम्हारी देह से आबद्ध
वे रह सकते हैं
अविरत संभोगरत
तुम्हारी अंतिम सांस के
स्खलित हो जाने तक...
               
                      - योगेन्द्र कृष्ण

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