Tuesday, April 10, 2012

शामलात भूमि नीति-2011 पर कार्यशाला का आयोजन


भीलवाड़ा। नगर परिषद सभागार में फाउण्डेशन फॅार इकोलॅाजिकल सिक्योरिटी (FES) द्वारा 25 मार्च 2012 को शामलात अभियान के तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया। उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार व एफइएस ने ‘‘राजस्थान शामलात भूमि नीति, 2011’’ की है। आमजन तक इस नीति की जानकारी पहूंच सके, इस हेतु एफइएस का सरकार के साथ एमओयू हुआ है, जिसके तहत ही इस कार्यशाला का आयोजन रखा गया। 
कार्यशाला को संबोधित करते हुए केंद्रीय भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मं त्रीडॅा. सी.पी. जोशी ने ग्राम विकास व चारागाह भूमि विकास पर जोर देते हुए कहा कि शामलाती कार्यों के लिए प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों के साथ ग्रामीणों को भी जागरूक होकर कार्य करना पड़ेगा। डॅा. जोशी  ने प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार व सर्वोच्च न्यायालय ने चारागाह भूमि के आवंटन पर रोक लगा दी है, लेकिन फिर भी कलक्टर व पटवारियों की मिलीभगत से आवंटन हो रहे है। अगर अब ऐसा हुआ तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि ग्राम विकास में ग्राम पंचायत की मुख्य भूमिका होती है, लेकिन सरपंच भी चारागाह भूमि के आवंटन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी कर देते है, जो कि गलत है। ऐसा करने वाले सरपंच पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा कि स्व. राजीव गांधी ने वर्षों पहले गांवों के विकास का सपना देखा था, उसे पूरा नहीं किया जा सका है। लेकिन अब गांवों व गांवों के लोगों के विकास के लिए साझे कार्य करने होंगे, महानरेगा के तहत चारागाह विकास के कार्य करवाएं जा सकते, चारागाह भूमि के चारदिवारी का कार्य करवाया जा सकता है, वहां पेड़-पौधे लगाए जा सकते है, ऐसे कार्य करवाने से सामलाती भूमि सुधार और वर्षा जल का संग्रहण तो होगा ही ग्राम पंचायतों की निजी आय भी बढ़ेगी। 
डॅा.  जोशी  ने जिला परिषद के लोगों को उलाहना देते हुए कहा कि अभी वे अनभिज्ञ है तथा शामलाती कार्यों के प्रति जागरूक नहीं है। नसीहत देते हुए कहा कि वे अपने अधिकार समझे और सकारात्मक सोच के साथ योजनाएं बनाए ताकि गांवों का विकास हो सके। उन्होंने कहा कि जिला परिषद का काम महज सड़के बनाने का ही नहीं है बल्कि जिला परिषद की प्राथमिकता वर्षा जल संग्रहण होना चाहिए।  उन्होंने कहा कि भीलवाड़ा जिले में कम वर्षा होती है, गरीब परिवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, मजबूरीवश उन्हें काम-धंधे के लिए अन्यत्र जाना पड़ता है, अगर जल संग्रहण पर ध्यान दिया गया तो ऐसी नौबत नहीं आएगी। उन्होंने जिला कलक्टर को कहा कि वो जिले के गांवों में चारागाह विकास पर पूर्ण ध्यान देवें, चारागाह में पेड़ पौधे लगवावें, चारदिवारी करवावें तथा वर्षा जल संग्रहण पर विशेष ध्यान दे। उन्होंने आव्हान् किया कि अधिकारी व जनप्रतिनिधि सामंजस्य बनाकर कार्य करे और भीलवाड़ा जिले को आदर्श जिले के रूप में स्थापित करे।  जोशी   ने अंत में कहा कि वो निगरानी रखेंगे तथा एक साल बाद जानकारी लेंगे कि इस योजना पर कितना काम हुआ। 
अतिथियों ने हरे पेड़ के सामने दीप प्रत्वलित कर व पेड़ को ओढ़नी ओढ़ा कर  कार्यशाला  को आरम्भ किया। सबसे पहले ग्रामीणों ने शामलाती भूमि विषय पर नाटक का मंचन किया।  कार्यशाला  के दौरान ही ‘‘शामलात भूमि नीति-2011’’ पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई। पूर्व मंत्री राम लाल जाट ने फिल्म में भाग लेने वाले थाणा गांव के दो किसानों को 100-100 रुपए का ईनाम दिया। 
कार्यशाला को प्रभारी मंत्री नसीम अख्तर ‘‘इंसाफ’’ और जिला कलक्टर ओंकार सिंह ने भी भी संबोधित किया।  कार्यशाला  में मांडल विधायक रामलाल जाट, आसीन्द विधायक राम लाल गुर्जर, जहाजपुर विधायक शिवजीराम मीणा, सहाड़ा-रायपुर विधायक कैलाश त्रिवेदी, यूआईटी चैयरमेन रामपाल शर्मा, अनिल डांगी, भूमि विकास बैंक के चेतन डिडवाणिया आदि उपस्थित रहे। 
उल्लेखनीय है कि फाउण्डेशन फॅार इकोलॅाजिकल सिक्योरिटी (FES) की स्थापना 2001 में हुई थी। इसके प्रमुख कार्यों में ग्रामीण परिवेश में उपस्थित आर्थिक, सामाजिक व पारिस्थितिक व्यवस्थाओं के अंतर्गत वनों व अन्य प्राकृतिक संसाधनों की पहचान व निर्धारण करना तथा संरक्षण व स्थानीय स्व-प्रशासन के सिद्धान्तों के सम्मिश्रण द्वारा गरीबों की जीवन यापन की परिस्थतियों में सुधार लाना मुख्य है। एफइएस पिछले एक दशक से जिले के गांवों में उपेक्षित सम्पत्ति संरक्षण के लिए समुदाय के साथ मिलकर साझे प्रयास कर रहा है। 

No comments:

Post a Comment