Monday, June 10, 2013

सपनों को साकार करने में जुटी है एक उपसरपंच

  • लखन सालवी 

 गांव में लोगों के साथ बैठक करते हुए 
राखी पालीवाल, राजस्थान के राजसमन्द जिले की उपली ओड़ण ग्राम पंचायत की उपसरपंच। जिसने बचपन से ही ग्राम विकास के सपने देखे, उपसरपंच रह चुके अपने पिता से प्रेरणा लेकर वार्ड पंच का चुनाव लड़ा और निर्विरोध उपसरपंच बनकर अपने गांव की तस्वीर को बदलने में जुट गई।

राखी एक आम लड़की थी, स्कूल में पढ़ती थी, गांव में घूमती थी। खेलने कूदने की उम्र में गांव की समस्याओं पर चिंतित होती थी और उसी चिंता ने उसे ग्राम विकास के सपने देखने पर मजबूर कर दिया। आज उसने न केवल ग्राम विकास में अह्म भूमिका निभाई है बल्कि गांव के महिला, पुरूषों व युवाओं को जागरूक करने का कार्य भी किया है।

जागरूक युवाओं व संस्था के कार्यकर्ताओं के साथ
राखी बताती है कि ‘‘मेरे पिताजी पहले ही ग्राम पंचायत के उपसरपंच रह चुके थे। मैं अपने पिताजी को कहती थी कि मैं पढ़ लिखकर वकील बनूंगी तो मेरे पिताजी कहते थे कि पढ़ लिखकर सरपंच बनना है। तब से ही मैं सरपंच बनने की इच्छुक थी। 2005 में सरपंच बनने की तीव्र इच्छा जगी। मगर पुरूष आरक्षित सीट होने के कारण मैं चुनाव नहीं लड़ पाई। ऐसे में पिताजी की राय से वार्ड पंच का चुनाव लड़ा और चुनाव जीत कर निर्विरोध उपसरपंच बनी।

उपसरपंच बनते ही सपना देखा कि गांव की दशा बिगड़ी हुई है। कच्ची सड़कों को पक्का बनाना है, बिजली की व्यवस्था करनी है, महिलाओं के लिए शौचालय का निर्माण करवाना है, स्नानघर बनवाना है और गांव को साफ सुथरा बनाना है। उसने गांव की दशा को  सुधारने का सपना देखा। विकास के प्रति दृढ़ संकल्पित थी लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं थी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि पंचायत में जाकर करना क्या है? उपसरपंच के क्या दायित्व होते है ? शुरू में तो ग्राम पंचायत में जाने से ही झिझक हो रही थी। अभी तो राखी के हौसलों ने उड़ान भरना आरम्भ ही किया था, झिझक को तोड़ा और ग्राम पंचायत में गई। शुरू-शुरू में ग्राम पंचायत के कार्यों को समझने की कोशिश की। ग्राम पंचायत के कामकाज को समझने में भारी दिक्कत आई, सबसे बड़ी समस्या थी कि कामकाज के बारे में बताने वाला कोई नहीं था। हालांकि वो ग्राम सचिव, रोजगार सहायक से जानकारी लेती लेकिन अभी उसे बहुत जानकारियां लेनी थी। इसी दरमियां ग्राम पंचायत में ग्राम सभा के दौरान एक गैर सरकारी संगठन से लोगों से उसकी मुलाकात हो गई। बस यहीं से उसके हौसलें की उड़ान को चार पंख लग गए। गैर सरकारी संगठन द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यशालाओं व प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेकर राखी ने पंचायतराज की हरेक जानकारी को प्राप्त कर लिया और लग गई ग्राम विकास करने में . . .।

गांव की एक समस्या तो उसे बचपन से परेशान किए हुए थी, वो थी महिलाओं के लिए शौचालय नहीं होना। महिलाओं का खूले में शौच जाना उसे बिलकुल बर्दाश्त नहीं था। वह अपनी गली मोहल्ले की महिलाओं को तो टोंकती भी रहती थी लेकिन टोंक देना इसका समाधान नहीं था। महिलाएं खुले में शौच नहीं करे इसके लिए वह सुबह 5 बजे ही अपनी मोटर बाइक पर गांव के चक्कर लगाती, कोई भी महिला खुले में शौच करती हुई पाई जाती तो वह उसे टोंकती। लेकिन धीरे-धीरे उसे महिलाओं की इस समस्या की जड़ पकड़ में आई। आखिर उन महिलाओं के पास उपाय ही क्या था। जब राखी ने महिलाओं को टोंकना बंद किया और शौचालय बनवाने की मुहिम में लग गई। ग्राम पंचायत की बैठक हो या पंचायत समिति की बैठक या गैर सरकारी संगठनों की बैठक सभी में राखी ने अपने गांव की इस समस्या से अवगत कराया।

राखी बताती है कि सरपंच जुगलकिशोर माली एवं मैंने अपनी ग्राम पंचायत की दयनीय दशा को सुधारने के लिए कई जतन किए। उसने बताया कि हमारे प्रयासों से मिराज गु्रप नाम की एक संस्था ने मेरी ग्राम पंचायत को गोद ले लिया और अब वो संस्था हमारे गांव को निर्मल ग्राम पंचायत बनाने के लिए कार्य कर रही है। संस्था के द्वारा ग्राम पंचायत क्षेत्र में पेड़ लगाए गए है, साफ-सफाई भी करवाई जाती है तथा कचरा पात्र लगाए गए है ताकि लोग कचरा खूले में फैंकने की बजाए कचना पात्रों में डाल सके। राखी बताती है शौचालय के निर्माण के लिए जगह तय नहीं हो पा रही है, जिस प्रस्तावित जगह पर शौचालय बनाया जाना है उसके पास मंदिर होने के कारण अन्य जगह तलाशी जा रही है। उसका कहना है कि वह इस सपने को पूरा जरूर करेगी।

फेसबुक के द्वारा उठाती है गांव के मुद्दों को

सूचना क्रांति के इस युग में इंटरनेट का बड़ा महत्त्व है। उसने इंटरनेट की महत्ता को अच्छे से समझा है। इंटरनेट के माध्यम से सूचनाएं प्राप्त की है। आजकल फेसबुक पर ग्रामीणों की शिकायतों को शेयर करती है। उसने ग्राम पंचायत क्षेत्र में सूचना की है कि लोग अपनी शिकायतें उसके फेसबुक पेज पर डाल सकते है। राखी के फेसबुक पेज से जिला कलक्टर एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी जुड़े हुए है। राखी ग्रामीणों से प्राप्त शिकायतों एवं समस्याओं को जिला कलक्टर एवं अन्य अधिकारियों को इंटरनेट के माध्यम से भेजती है और
स्कूली बालिकाओं के साथ 
अपने फेसबुक अकाउण्ट पर शेयर कर जगजाहिर भी करती है। फेसबुक के माध्यम से उसने गांव की कई समस्याओं एवं लोगों की शिकायतों का निवारण करवाया है। यहीं नहीं वह अपने घर पर महिलाओं को निःशुल्क कम्प्यूटर भी सीखाती है। 

महिला सशक्तीकरण के लिए सतत् प्रयास 

महिलाओं को सख्त करने के लिए राखी ने एक कदम बढ़ाकर कार्य किया है। महिलाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाने व उन्हें जागरूक करने के महत्त्वपूर्ण कार्य किए। बालिका शिक्षा पर विशेष कार्य किए है, बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने के लिए वह घर-घर गई बालिकाओं के परिजनों को समझाया और बेटियों को शिक्षा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। वह आए दिन स्कूलों में जाती है और बालिकाओं से चर्चा करती है उनका मनोबल बढ़ाती है। राखी बताती है कि अब तो गांव में स्कूल है, मैं जब पढ़ती थी तो रोजाना 5 किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में जाना पड़ता था। 

 बेटी बचाओं आन्दोलन के तहत
निकाली गई रैली में भाग लेते हुए
 
उपसरपंच बेटी बचाओं आंदोलन से भी जुड़ी हुई है, कन्या भ्रूण हत्या का जमकर विरोध करती है। साथ ही गांव में इस मुद्दें पर निगरानी भी रखती है। वह आए दिन आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण करती है। उपसरपंच की सक्रियता को देखकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं भी सक्रिय हो गई है। 

राखी का मानना है कि आंगनबाड़ी केंद्र पर निरीक्षण करने से गर्भवती महिलाओं की जानकारी मिल जाती है। वह केंद्र पर गर्भवती महिलाओं, बच्चों के नामांकन व बच्चों की उपस्थिति, पोषाहार तथा अन्य व्यवस्थाओं के साथ गर्भवती महिलाओं व उन्हें लगाए जाने वाले टीकों की जानकारी भी लेती है। पेंशन योजनाओं का लाभ दिलवाने हो या पालनहार योजना का, इनके लिए आवेदन करने हेतु उसने गांव की महिलाओं को जागरूक किया और उनके आवेदन करवाए।

महिलाओं के साथ समूह बैठक करती है और उन्हें जागरूकता के पाठ पढ़ाती है। वह अपने घर पर महिलाओं को कम्प्यूटर सीखाती है। साथ ही आत्मनिर्भर बनाने के लिए महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, हस्तकला आदि सीखाती है। उसकी मेहनत का ही परिणाम है कि उसके उपसरपंच बनने के बाद ग्राम सभा में गांव की महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। राखी बताती है कि उपसरपंच बनने के बाद जब ग्राम सभाओं में गई तो वहां महिलाओं की संख्या नगण्य थी। यहां तक की महिला वार्ड पंच भी ग्राम सभा में नहीं आती थी। पुरूषों का ही जमावड़ा रहता था, ऐसी परिस्थिति में मैं महिलाओं से मिली और उन्हें ग्राम सभा में आने के लिए तैयार किया। प्रयास कर महिला वार्ड पंचों को ग्राम सभाओं से जोड़ा।

उपसरपंच वकील बनने का सपना भी संजोये हुए है। उपसरपंच बनने के बाद भी अपनी पढ़ाई को निरन्तर जारी रखा। बी.ए. करने के बाद इस वर्ष एल.एल.बी. प्रथम वर्ष की परीक्षा भी दे चुकी है। सपने देखना और उन्हें पूरा करने की आदी हो चुकी राखी पालीवाल निश्चित ही वकालत करने का सपना भी पूरा करेंगी।

आंगनबाड़ी केंद्र में लेपटाप पर इन्टरनेट के द्वारा
महिला एवं बाल विकास की जानकारी देते हुए
उपसरपंच राखी का कहना है कि अगर गैर सरकारी संगठन (आस्था संस्था) के कार्यकर्ताओं का साथ ना मिला होता तो उसे अपने सपने पूरे करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता। वो बताती है कि संस्था द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यशालाओं व प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेकर ही मैंनें पंचायतीराज के बारे में तथा सरकारी योजनाओं, उपसरपंच के दायित्वों एवं कम्प्युनिटी मोबिलाईजेशन को समझा, इसी समझ के कारण में ग्राम विकास के कार्य कर पा रही हूं। उसने बताया कि राज्य सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने से भी जानकारियां बढ़ी। राखी ने बताया कि आस्था संस्था से जुड़ने के बाद वह कई कार्यक्रमों में गई जहां विभिन्न जिलों से आई महिला जनप्रतिनिधियों से मिलने और उनसे सीखने का मौका मिला। संस्था संगठनों के ऐसे कार्यक्रमों की सराहना करती हुई कहती है कि राज्य में कई महिला जनप्रतिनिधि पंचायतीराज में अव्वल कार्य कर रही है, जो किसी न किसी संस्था से जुड़ कर जागरूक हुई है।

हाल ही में वोडाफोन फाउण्डेशन ने अपने रेड रिक्सा रिवोल्यूशन कार्यक्रम के तहत राखी पालीवाल का इन्टरव्यू देश-दूनिया तक पहुंचाया है। वहीं www.nrisamay.com ने भी राखी के इन्टरव्यू का अपनी वेबसाइट पर प्रसारण किया। हालात यह है कि पंचायतीराज में अपने गांव का विकास करवाने के कारण मीडिया में सुर्खियों रहने वाली व अपने सपनों को साकार करने में लगी राखी पालीवाल के जज्बे को राजसमन्द जिले के ही नहीं वरन देश, विदेश के लोग भी सलाम कर रहे है। 

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