Friday, June 14, 2013

अब तो कलक्टर साब भी मुझे नाम से जानते है

  • लखन सालवी

ये है नाथी बाई, सबसे वंचित और शोषित समुदाय में जन्मी और पली बढ़ी, वर्तमान में भीलवाड़ा जिले की माण्डल तहसील की संतोकपुरा ग्राम पंचायत के वार्ड नम्बर 5 की वार्ड पंच है। नाथी बाई को वार्ड पंच साहिबा कहकर सम्बोधित करते है तो उनकी आंखों में चमक नजर आती है। ये चमक है कुशल नेतृत्व की। महिला आरक्षण की बदौलत नेतृत्व को हाथों में पाकर नाथी बाई बहुत खुश है। यूं तो जन पैरवी का कार्य वह बरसों से कर रही है, लेकिन वार्ड पंच बनने के बाद उसे और अधिकार मिल गए जिससे जन पैरवी व ग्राम विकास करने में उसे मजबूती मिली।

वार्ड की जनता ने उसे दूसरी बार वार्ड पंच बनाया है। इससे पहले भी वह 2 उम्मीदवारों को हराकर वार्ड पंच का चुनाव जीती थी। बकोल नाथी बाई इस बार वार्डवासियों ने मेरी एक न चलने दी और वार्ड पंच का चुनाव लड़वा कर ही माने। मैंनें चुनाव लड़ने के लिए इंकार कर दिया था, तब सभी वार्डवासी इक्कट्ठे होकर मेरे घर के बाहर धरने पर बैठ गए, मैंनें चुनाव लड़ने के लिए हामी भरी तब जाकर वो माने। नाथी बाई की ग्रामवासियों में पैठ ही ऐसी बन गई है कि वोटों की पेटी ने उसे कभी मायूस नहीं किया।

वार्ड नम्बर 5 की महिलाओं व पुरूषों के हुई बातचीत के अनुसार नाथी बाई उनके लिए किसी मसीहा से कमतर नहीं है। वो वार्ड पंच तो पिछले कुछ सालों में बनी है। जबकि वह कई सालों से दबे कुचले समाजों के उत्थान के लिए कार्य कर रही है। वह दमित लोगों की मदद करती है। पैरवी चाहे थाने में करनी हो या जिला कलक्ट्रेट में, ग्राम पंचायत में करनी हो या पंचायत समिति में वह हर समय तत्पर रहती है। यही वजह है कि वार्डवासी उसे ही वार्ड पंच के रूप में देखना पसंद करते है। 

वह गरीब परिवारों को बीपीएल सूची में शामिल करवाने के लिए प्रयासरत है। गरीबों के नाम बीपीएल सूची में जुड़वाने के लिए वह ग्राम पंचायत से लेकर जिला कलक्ट्रेट तक पैरवी कर रही है। वह इस मामले में जिला कलक्टर से भी मिली है। 

वार्ड पंच बनने के बाद उसमें आत्म बल बढ़ा है। वह ग्राम पंचायत से लेकर जिला परिषद तक वंचितों की पैरवी करती है। उनका कहना है कि अब तो कलक्टर साब भी मुझे नाम से जानते है। नाथी बाई ने बताया कि  ‘‘मैंनें उनसे कई बार वंचितों की समस्याओं को लेकर शिकायतें की है।’’

नाथी बाई घुमन्तु समुदाय की कंजर जाति की महिला है। जीवन के 5 दशक देख चुकी नाथी बाई कहती है कि नेतृत्व देने की बात तो दूर, कोई हम पर विश्वास ही नहीं करता था। पुलिस तो आए दिन अत्याचार करती रहती थी, जहां कहीं भी चोरी, डकैती या कोई गुनाह होता, जिस शहर या कस्बे के समीप हमारी यायावरी कौम के लोग बसे होते, पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेती। पुलिस न केवल पुरूषों को गिरफ्तार करती बल्कि महिलाओं को भी पकड़कर थाने में बंद कर देती थी। वह कहती है कि इससे बुरा और क्या हो सकता है कि थाने में रिपोर्ट लिखवाने जाने वाले पीडि़त के खिलाफ ही पुलिस मुकदमा दर्ज कर उसे फर्जी केस में बंद कर देती! वह कहती है कि पहले थाने में जाने से शर्म आती थी क्योंकि थानेवाले बेशर्मी से गंदी भाषा का उपयोग करते थे। लेकिन अब किसी की हिम्मत नहीं जो मुझसे गंदी जबान से बात कर सके।

नाथी बाई कभी स्कूल नहीं जा पाई। वह बताती है उस जमाने में तो यायावर जातियों के लोगों को अत्यन्त हैय दृष्टि से देखा जाता था। इन जातियों के लोग का अभी भी बराबरी के लिए संघर्ष जारी है। वह बताती है ‘‘मेरे पिताजी ने मुझे आखर ज्ञान दिया। मैं कोई भी पत्र पढ़ लेती हूं और कभी-कभी अखबार भी पढ़ती हूं। मुझे सिर्फ पढ़ना आता है, अच्छे से लिखना नहीं आता है।’’ 

वार्ड की महिला गौरी व डाली ने बताया कि ‘‘कतराई सरपंच बणग्या अर कतराई वार्ड पंच। पण कोई म्हाका वार्ड में विकास न करायो। न तो नालियां बणई अर् न सीमेन्ट की सड़का बणई। भगवान भलो विज्यो नाथी बाई को म्हाका वार्ड में सड़का भी बणवाई और नालियां बी बणवाई।’’ (कई सरपंच बने और वार्ड पंच भी लेकिन किसी ने हमारे वार्ड में विकास नहीं करवाया। न नालियां बनाई गई और न ही सीमेन्ट की सड़के बनाई। जबकि दूसरे वार्डों में कई विकास हुए। ईश्वर भला करे नाथी बाई का जिसने हमारे वार्ड में सड़के, नालियां बनवाई।)

सड़कें और नालियां आसानी से नहीं बना दी गई। नाथी बाई ने बताया कि ग्राम पंचायत में प्रस्ताव लिखवाने से लेकर तत्कालीन पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री कालू लाल गुर्जर से भी वार्ड के विकास की मांग कई बार की। उसने बताया कि जब भी मंत्रीजी सड़क मार्ग से गुजरते मैं सड़क पर ही खड़ी हो जाती, वो वहां से निकलते तो मैं उनसे ग्राम विकास की मांग करती। गांव में सड़कें तो बन गई लेकिन विकास कार्यों में भाई-भतीजावाद करते हुए कंजर बस्ती को सड़क से वंचित रखा गया।

वार्ड के विकास के लिए सदैव तत्पर रहती है। यह उसके अथक प्रयासों की ही बानगी है कि कंजर बस्ती में 5 लाख की लागत का सामुदायिक भवन बनाया गया है। उसने पानी की समस्या से जूझ रही बस्ती की महिलाओं को हैण्डपम्प लगवाकर राहत दी। 

विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेकर उसने सरकारी योजनाओं की जानकारियां प्राप्त की। अपनी ग्राम पंचायत में विधवा, विकलांग, वृद्वा महिलाओं के पेंशन के आवेदन करवाएं है। वह दावे के साथ कहती है कि मेरे वार्ड में ऐसी कोई महिला या पुरूष शेष नहीं है जिसका पेंशन  के लिए आवेदन नहीं किया गया हो। 

बस्ती के लोगों में जागरूकता की बहुत कमी है। पेंशन योजनाओं का लाभ दिलवाना हो या चयनित सूची में शामिल करवाना, इन्द्रा आवास योजना का लाभ दिलवाना हो मुख्यमंत्री आवास योजना का, सभी कार्य नाथी बाई ही करती है। पहले योजना को समझती है फिर पात्रता को और उसके बाद उसकी आंखे पात्र लोगों को ढूंढने लगती है। पात्रों का चयन कर ग्राम पंचायत में प्रस्ताव रखती है और योजना का लाभ दिलवाकर ही चैन की सांस लेती है। 

कंजर बस्ती जिस भूमि पर बसी हुई है, वह ग्राम पंचायत की आबादी भूमि में है लेकिन इसमें से कुछ हिस्सा यूआईटी क्षेत्र में आता है। यूआईटी द्वारा उस जमीन पर बसे परिवारों को भूखण्ड़ों के पट्टे नहीं दिए जा रहे है। यह चिंता नाथी बाई को खाए जा रही है वह लगातार प्रयास कर रही है कि उन लोगों को पट्टे दिलवाने के लिए।
बस्ती के चारों और फेक्ट्रियां है। खुली जगह नहीं है। महिलाओं को शौच के परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नाथी बाई बस्ती में शौचालय बनवाने के प्रयास भी कर रही है। वह बताती है कि फेक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी व कचना नालों में जमा हो जाता है जिससे गंदा पानी नालों से बाहर निकलकर रास्ते में भर जाता है। रास्तें में किचड़ हो जाने से बस्ती के लोगों को आने जाने में समस्या आ रही है। वहीं पास में ही सरकारी विद्यालय है, बच्चों को भी किचड़ में से होकर जाना पड़ रहा है। 

नाथी बाई की माने तो घुमन्तु समुदाय में पैदा होने वाला हर शख्स अपने साथ मुसीबतें लेकर आता है, जो खुद तो मुसीबतें झेलता ही है, अपने परिवार व रिश्तेदारों को मुसीबतों में डाल देता है। उसने बताया कि ‘‘मैंनें ताउम्र मुश्किलों का डट कर सामना किया है और करती रहूंगी क्योंकि कठिनाइयां रूकने वाली नहीं है, आती रहेगी।’’

जिला कलक्टर ओंकार सिंह कहते है कि ‘‘पंचायतीराज में आरक्षण से महिलाओं को सम्बल मिला है। नाथी बाई जैसी जुंजारू महिलाओं को आगे आने का मौका मिला है। वाकई वो ग्राम विकास में विशेष रूचि लेती है और गांव की तस्वीर बदल रही है।’’ 

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