Thursday, June 20, 2013

आरोपी खूले घूम रहे है और पीडि़त पुलिस दफ्तरों में


  • लखन सालवी

कोशीथल/भीलवाड़ा -  न्याय के लिए कभी थाने, कभी डिप्टी ऑफिस तो कभी एसपी ऑफिस के चक्कर लगा रहा है कोशीथल गांव का नंगजीराम बलाई। 23 मई को गंगापुर थाने में दर्ज हुई एफआईआर के अनुसार 2 मई को दोपहर करीब 12 बजे मांगीलाल तेली ने नंगजीराम बलाई के मोबाइल नम्बर पर कॉल कर उसे घर पर बुलाया। खेत पर काम होने की वजह से नंगजीराम उसके घर नहीं जा सका। शाम को वह अपने घर पर बैठा था कि महेन्द्र आचार्य एवं जगदीश तेली मोटर साईकिल लेकर आए और नगजीराम को मांगीलाल तेली के घर चलने को कहा। नगजीराम उनके साथ मांगीलाल तेली के घर के बाहर पहुंचा ही था कि मांगीलाल ने उसे जातिगत गालियां निकालते हुए दिन में फोन पर बुलाने पर नहीं आने का उलाहना देते हुए कमरे में चलने को कहा। नगजीराम ने भागना चाहा तो उसे घसीटकर घर के एक  कमरे में ले जाया गया और मारपीट की गई।

घटना के 21 दिन बाद दर्ज हुई एफआईआर

पुलिस अधिकारी किस तरह से पीडि़त गरीब लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार करते है इसकी बानगी नगजीराम बलाई के साथ हुई मारपीट के मामले से साफ जाहिर होती है। 

जानकारी के अनुसार नगजीराम बलाई के साथ 2 मई की शाम को मारपीट की गई। नगजीराम 17 किलोमीटर दूर गंगापुर थाने में घटना के दूसरे दिन यानि कि 3 मई को पहुंच गया। जहां से उसे पुलिस उपाधिक्षक कार्यालय भेज दिया गया और उसके बाद पुलिस उपाधिक्षक सत्यनारायण कन्नौजिया पीडि़त नगजीराम बलाई को आए दिन कार्यालय बुलाते रहे और अंत में 23 मई को एफआईआर दर्ज की गई।

आशा से निराशा की ओर

जिस दिन नगजीराम बलाई के साथ मारपीट हुई, वह उसके दूसरे दिन ही न्याय के लिए थाने में चला गया और आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दे दी। लेकिन पुलिस प्रशासन ने उसे इस कदर एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर के चक्कर लगावाए कि उसका पुलिस व्यवस्था से ही विश्वास उठ गया है। उसे न्याय की उम्मीद थी लेकिन 2 मई के बाद के घटनाक्रम से वह निराश होता जा रहा है।  

क्या है घटनाक्रम

  • पीडि़त के साथ 2 मई को मारपीट होती है।
  • पीडि़त 3 मई को गंगापुर थाने में लिखित रिपोर्ट देता है। थाने वाले अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम का मामला बताते हुए उसे पुलिस उपाधिक्षक कार्यालय में भेज देते है। पुलिस उपाधिक्षक सत्यनारायण कन्नौजिया पीडि़त की रिर्पोर्ट दर्ज करवाने की बजाए उसे दूसरे दिन सुबह 10 बजे आने को कहते है।
  • 4 मई को नगजीराम बलाई पुलिस उपाधिक्षक कार्यालय में पहुंचता है, आरोपियों को भी वहां देखकर चैंक जाता है। नगजीराम ने बताया कि पुलिस उपाधिक्षक ने दोनों पक्षों को बैठा कर समझौते के लिए दबाव बनाया लेकिन जब मैंनें समझौते के लिए इंकार कर दिया तो उन्होंने मुझे 15 मई को वापस आने को कहा।
  • 15 मई को नगजीराम वापस डिप्टी ऑफिस गया, वहां उसे डिवाईएसपी नहीं मिले, फोन किया तो उन्होंने बाहर होने का हवाला देते हुए 20 मई को आने को कहा। 
  • 20 मई को नगजीराम ने घर से ही डिवाईएसपी को कॉल किया। उन्होंने 21 मई को 2 बजे डिप्टी ऑफिस आने को कहा।
  • 21 मई को नगजीराम दोपहर 2 बजे डिप्टी कार्यालय पहुंच गया। दोपहर 2 बजे से सांय 5.00 बजे तक डिप्टी ऑफिस परिसर में बैठा रहा। सायं 5.00 बजे डिवाईएसपी सत्यनारायण कन्नौजिया कार्यालय में आए और नगजीराम को आश्वासन दिया कि वो 22 मई को मौका निरीक्षण करने आयेंगे।
  • 22 मई को डिवाईएसपी ने मौके का निरीक्षण किया। नगजीराम ने बताया कि डीवाईएसपी ने उसे गवाहों को लेकर 23 मई को कार्यालय में लाने को कहा। 
  • 23 मई को सुबह 10 बजे नगजीराम मामले के गवाहों को लेकर डीवाईएसपी कार्यालय गया। नगजीराम ने बताया कि गवाहों के बयान नहीं लिए गए। डीवाईएसपी ने मुझे एक लिफाफा देकर उसे थाने में देने को कहा। मैंनें वह लिफाफा गंगापुर थाने में ले जाकर दे दिया। उन्होंने मुझे एफआईआर दे दी। 

नगजीराम का कहना है कि गवाह पुलिस उपाधिक्षक के समक्ष 3-4 बार उपस्थित होकर बयान दे चूके है लेकिन अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

नगजीराम ने बताया कि पुलिस उपाधिक्षक कार्यवाही नहीं करना चाहते है, आरोपियों से पूछताछ करने की बजाए बार-बार मुझे व गवाहों को डिप्टी कार्यालय बुला कर पूछताछ की गई व समझौते के लिए दबाव बनाया गया।

पुलिस उपाधिक्षक से न्याय की उम्मीद छोड़ चूके पीडि़त ने 6 जून 2013 जिला पुलिस अधीक्षक के नाम अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन दिया। लेकिन नतीजा सिफर रहा।


डिवाईएसपी कार्यालय में ली 5000 की रिश्वत
पुलिस उपाधिक ने 4000 व रीडर ने लिए 1000 रुपए

नगजीराम ने बताया कि 22 मई को मौका निरीक्षण करने पहुंचे डिवाईएसपी के साथ आए रीडर ने उससे 23 मई को कार्यालय में 5000 रुपए लाने को कहा। 23 मई को नगजीराम ने 1000 रुपए रीडर (चाचा) को दिए एवं 4000 रुपए डिवाईएसपी को दिए। नगजीराम ने बताया कि डिवाईएसपी ने रुपए अपने हाथ में नहीं लेकर टेबल की दराज को खोलकर उसमें रखवाए।

पुलिस व्यवस्था से हार चुके नगजीराम ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि मैं आरोपियों को सबक सिखाना चाहता हूं ताकि वो भविष्य में किसी गरीब के साथ मारपीट न करे। मैं गांव का किसान हूं, न्याय के लिए दौड़ रहा हूं लेकिन सच्चाई का साथ देने वाला कोई नहीं है।

एफआईआर दर्ज होने में हुई देरी के बारें में पुलिस उपाधिक्षक सत्यनारायण कन्नोजिया ने बताया कि उर्स में मेरी ड्यूटी लगी थी, इस कारण परिवाद की जांच में देरी हुई। एफआईआर दर्ज करने में देरी होने के पीछे यही कारण रहा है।

वहीं रिश्वत लेने के आरोप पर डीवाईएसपी ने बताया कि ‘‘नगजीराम झूठा आरोप लगा रहा है, मैंनें नगजीराम से पैसे नहीं लिए है।

No comments:

Post a Comment