Sunday, July 15, 2012

सम्मिलित रूप से करें सुरक्षा सामलात की - बारेठ


  • लखन सालवी
भीलवाड़ा. गांवों में सामलाती भूमियों की सुरक्षा व उनका विकास साझे प्रयासों से ही संभव है। गांवों में कुंआ, तालाब, बावडी, जमीनें, मंदिर सभी सामलाती होते है और इन्हें पवित्र माना जाता है लेकिन समय के साथ-साथ सामुदायिकता समाप्त होती जा रही है। ‘एक सब के लिए, सब एक के लिए’ जैसे नारे अब सुनाई नही पड़ रहे है। उन्होंने कहा कि सामुलात के बीच बढ़ रही दूरी को पाटने के लिए मीडिया अह्म भूमिका निभा सकता है और वो सामुदायिकता को बढ़ावा दे सकता है। उपरोक्त विचार व्यक्त किए बीबीसी हिन्दी के वरिष्ठ संवाददाता नारायण बारेठ ने।
वे फाउन्डेशन फॅार इकोलॅाजिकल सिक्योरिटी द्वारा भीलवाड़ा के एक होटल में सामलात संसाधनों के प्रति जागृति विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला के आरंभ में जिले के थाणा गांव की सामलात भूमि के लिए किए गए संघर्ष एवं वहां की सामलात भूमि पर किए गए विकास कार्यों पर बनी डॅाक्यूमेंट्री फिल्म को प्रदर्शित किया गया।
एफईएस के रीजनल टीम लीडर बी.के. शर्मा ने मीडिया कार्यशाला के उद्देश्य के बारे में बताया कि सरकार ने सामलाती भूमियों को बचाने एवं उनके सुरक्षा तथा विकास के लिए नीतियां बनाई है। नीतियों के अनुरूप  एफईएस द्वारा राज्य के 7 जिलों में कार्य किया जा रहा है। सामलाती भूमि में लगातार हो रही कमी पर चिंता प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी भूमियों में पिछले 20 वर्षों में 20 प्रतिशत की कमी आई है, अगर ऐसा ही चलता रहा तो सामलाती भूमि एक दिन गरीबों के हाथ से निकल जाएगी। उनका कहना था कि सामलाती जमीनों से हर ग्रामीण को लाभ मिलता है और सबसे गरीब व्यक्ति के लिए तो यह वरदान है। उनका परिवार ही सामलाती जमीन पर होने वाली उपज पर निर्भर करता है।
हिन्दुस्तान टाइम्स जयपुर के पूर्व सम्पादक व विकासशील समाज अध्ययनपीठ के सीनियर फैलो वरिष्ठ पत्रकार विपुल मुद्गल ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि मीडिया के सकारात्मक एवं सुझावात्मक लेखन से बड़े बदलाव आ सकते है। महानरेगा के तहत विभिन्न प्रकार के कार्य करवाने के सुझाव दिए जा सकते हैै। हस्तशिल्प जैसे कार्य महानरेगा के तहत करवाए जा सकते है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायते अपने अधिकारों एवं संसाधनों का उपयोग कर ग्राम पंचायतों को सशक्त बना सकती है। उन्होंने ग्रामीण विकास की योजनाएं ग्राम सभा के जरिये बनाये जाने पर भी जोर दिया।
कार्यशाला के दूसरे सत्र में सामलात संसाधनों को बचाने में मीडिया की भूमिका विषय पर पैनल चर्चा आयोजित की गई। इस चर्चा में वैकल्पिक मीडिया की ओर से भंवर मेघवंशी, विविधा फीचर्स के सम्पादक बाबू लाल नागा, राजस्थान पत्रिका के उप संपादक निलेश कांठेड तथा दैनिक भास्कर के नवीन जोशी ने अपने विचार रखे। इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद तिवारी ने की।
पत्रिका के निलेश कांठेड ने कहा कि मीडिया सक्रियता से कार्य कर रहा है। उन्होंने प्रशासन की सक्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि मीडिया द्वारा उठाए जाने वाले कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रशासन कार्यवाही क्यों नही करता है ? दैनिक भास्कर के संवाद प्रतिनिधि नवीन जोशी ने भ्रष्टाचार के आरोपों में लिप्त सरपंचों के विरूद्ध प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नही करने के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि प्रशासन वैध मामलों में भी कार्यवाही नही करता है। उन्होंने बताया कि गंगापुर कस्बे के तालाब की जमीन (सामलाती भूमि) में कॅालोनी बन गई है, थाना भी तालाब की जमीन में बना दिया है। खबर प्रकाशित होने के बावजूद भी अभी तक प्रशासन ने कोई ठोस कार्यवाही आरंभ नहीं की है।
सत्र के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद तिवारी ने कहा कि मीडिया की साख बरकरार है, प्रशासन कार्यवाही करता भी है। किसी मुद्दे पर प्रशासन कार्यवाही नही करता है तो पत्रकारों को हौंसला नही खोना चाहिए। कई मुद्दों पर कार्यवाही नही हो पाती है लेकिन पत्रकारों को अपना दायित्व निभाना चाहिए। उन्होंने सभी को सुझाव दिया कि सामलात भूमि की सुरक्षा व उसके विकास में सामलाती प्रयास करें।
वैकल्पिक मीडिया की ओर से खबरकोश डॅाटकॅाम के सम्पादक भंवर मेघवंशी ने कहा कि गांवों में सामलाती भूमियों की सुरक्षा की हालात बेहद खराब है। गांवों में सामलाती जमीनों को दबंगों ने अपने कब्जे में कर रखा है। उन्होंने सुझाव दिया एफईएस संस्था को पत्रकारों को या अन्य सामाजिक सरोकारों से जुड़े युवाओं का चयन कर उन्हें सामलात विषय पर मीडिया फैलोशिप देनी चाहिए ताकि वो सामलात भूमियों की सुरक्षा एवं उन पर हुए विकास पर लेखन कार्य कर सके। उनका लेखन देशभर में पहुंचेगा और उससे लोग जागरूक होकर इस दिशा में सोचना एवं कार्य करना आरंभ करेंगे।
कार्यक्रम का संचालन एफईएस के शांतनु सिंहा रॅाय ने किया। कार्यशाला को जोधपुर से आए राजस्थान उच्च न्यायालय के एडवोकेट एवं सामलाती भूमि के संदर्भ में कई पीआईएल दर्ज करवा चुके संजीव पुरोहित ने भी संबोधित किया। इस मौके पर जिले के विभिन्न हिस्सों से आये मीडियाकर्मी, स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा अधिवक्ता व मीडिया स्टूडेन्ट्स भी मौजूद थे।

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