Saturday, October 18, 2014

मेल मिलाप कार्यक्रम सम्पन्न

17 अक्टूबर 2014 को गोगुन्दा के भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केंद्र में मेल मिलाप कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें 43 पूर्व प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया। 

कार्यक्रम के दौरान बिजली फिटिंग, नल फिटिंग, चिनाई कार्य में दक्षता प्राप्त कर कार्य रहे प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए वहीं संदर्भ व्यक्तियों ने विभिन्न खेलों व गतिविधियों के माध्यम से रोजगार को बेहतर बनाने की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उपाया सुझाए। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता सामाजिक कार्यकर्ता व जुड़ाव संस्था के जवानमल गमेती ने की। वहीं युवा मण्डल अध्यक्ष षिवलाल गमेती बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जवानमल गमेती ने कहा कि आजीविका ब्यूरो ने गोगुन्दा क्षेत्र के युवाओं को प्रशिक्षण देकर विभिन्न कार्यों में दक्ष बनाया है। आप सभी युवाओं ने भी इसी संस्था से प्रशिक्षण प्राप्त किया और आज बेहतर रोजगार प्राप्त आर्थिक रूप से सख्त हुए है और सम्मानजनक जीवन जी रहे हैै। अब आप लोगों का दायित्व है कि क्षेत्र के बेरोजगार व अप्रषिक्षित युवाओं को इस संस्था से जोड़े ताकि वे भी प्रषिक्षण लेकर दक्ष हो सके। 

इस अवसर पर शिव लाल गमेती ने एक कहानी बताकर प्रतिभागियों का ध्यान जीवन में आने वाली चुनौतियों की ओर आकर्षित किया, उन्होंने बताया दो तराशे जा सकने वाले बड़े पत्थर थे, एक मूर्तिकार ने दोनों से कहा कि मैं मूर्ति बनाना चाहता हूं, आप में से कौन तैयार है ? एक पत्थर ने मूर्ति का रूप धारण करने से इंकार कर दिया वहीं दूसरा मूर्ति बनने के लिए तैयार हो गया। उसे पता था कि मूर्तिकार छैनी व हथोड़े से उस पर हजारों चोटें करेगा। उसके निराकार रूप को छलनी कर देगा मगर उसने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया। 

मूर्तिकार ने उस पत्थर को तराशना आरम्भ कर दिया, कुछ दिनों बाद उसने पत्थर को मूर्ति का रूप  दे दिया। उस मूर्ति को कुछ लोगों ने खरीद लिया और सम्मान के साथ मंदिर में स्थापित कर दिया। घी, दूध, गंगाजल, तेल इत्यादि से स्नान करवाया, कुमकुम का तिलक किया, पूजा की, गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा निकाली। इतना ही मंदिर में स्थापित करने के बाद से तो गांवों-गांवों से महिला-पुरूष उसके सामने सिर झुकाने आने लगे। रोजाना सुबह-शाम उसकी पूजा की जाती, घी-तेल के दिए जलते, खुश्बुओं से रंजित अगरबत्तियां जलाई जाती। मंदिर में स्थापित होकर पत्थर अपने आप को खुशकिस्मत मान रहा था। उसे आजीवन के लिए सम्मान जो मिल गया था।

दूसरी तरफ जिस पत्थर ने मूर्ति बनने से इंकार कर दिया था, मूर्तिकार ने उसे मंदिर के द्वार पर रख दिया, अब वहां आने वाले लोग अपने साथ लाए नारियलों को उस पर फोड़ते। रोजाना हजारों नारियल उस पर फोड़े जाते और वो जमाने भर के नारियलों की चोटें खा-खाकर दुःखी था। 

शिव लाल गमेती ने प्रतिभागियों से आव्हान करते हुए कहा कि आजीविका ब्यूरो एक मूर्तिकार है और आप जैसे युवा पत्थर है, आप सब मूर्ति बने यह अच्छी बात है लेकिन जो नारियल फुड़वा रहे है ऐसे पत्थरों को भी मूर्ति बनने के लिए प्रेेरित करे। 

कार्यक्रम के दौरान अतिथियों द्वारा हाल ही में नल फिटिंग प्रषिक्षण प्राप्त कर चुके युवाओं को प्रमाण पत्र वितरित किए गए व पूर्व प्रशिक्षणार्थियों में से चयनित प्रशिक्षणार्थियों को सम्मानित किया गया वहीं कार्यक्रम का संचालन राजमल कुलमी ने किया। 

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