Thursday, September 4, 2014

वसनी बाई ने की वंचित परिवारों की पैरवी

वह 8 अगस्त 14, शुक्रवार का दिन था। उस दिन करदा ग्राम पंचायत के वार्ड संख्या 6 की महिलाएं अपनी समस्याओं को लेकर पंचायत की एकल खिड़की पर पहुंची। इस वार्ड की जागरूक महिला वसनी बाई पूरे जोश के साथ ग्राम पंचायत में गई, उसके मन में भारी टीस इस बात को लेकर थी कि उसके वार्ड के कई परिवार बीपीएल श्रेणी के काबिल है बावजूद उन्हें इस श्रेणी से वंचित रख दिया गया था। इतने दिनों में वह समझ नहीं पाई थी कि उन परिवारों को बीपीएल श्रेणी में कैसे जुड़ावें। आज वह उन परिवारों को बीपीएल श्रेणी में जुड़वाने की मांग को लेकर ही पंचायत कार्यालय में पहुंची थी। उन्हें बरवाड़ा में संचालित श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र के कार्यकर्ता से जानकारी मिली थी कि ग्राम पंचायत में एकल खिड़की है जहां सुबह 10 बजे से 12 बजे तक ग्रामीणों की शिकायतें दर्ज की जाती है। वसनी बाई के नेतृत्व में कई महिलाएं एकल खिड़की पर एकत्र हुई, पर यह क्या ? यहां तो ग्राम पंचायत भवन ही बंद है!
ग्राम सचिव व रोजगार सहायक के पंचायत कार्यालय पर न होने की शिकायत उपखंड अधिकारी से की तो उन्होंने उपखंड कार्यालय आकर शिकायत करने को कहा। ग्राम पंचायत भवन बंद होने व शिकायत के बावजूद उच्चाधिकारियों का व्यवहार देखकर वसरी बाई को निराशा तो हुई लेकिन उसने हार नहीं मानी। दूसरे दिन वह महिलाओं के साथ उपखण्ड कार्यालय जा धमकी। उसने उपखंड अधिकारी से कहा कि इन महिलाओं के परिवार को बीपीएल श्रेणी में जोड़ो। उपखण्ड अधिकारी राजेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि बीपीएल श्रेणी में परिवार का पंजीयन करने व हटाने की एक प्रक्रिया है, उस प्रक्रिया के तहत ही किसी को हटाया या जोड़ा जा सकता है। वसनी बाई ने उस प्रक्रिया के बारे में पूछा तो उपखण्ड अधिकारी ने बताया कि किसी का नाम हटाने या जुड़वाने के लिए उपखण्ड अधिकारी के समक्ष अपील करनी होती है, उपखण्ड अधिकारी अपील की सुनवाई करता है और उस परिवार का पुनः मुल्याकन किया जाता है, मूल्यांकन में अगर परिवार पात्र नहीं है तो उसका नाम हटा दिया है, इसी प्रकार नाम जोड़ा भी जा सकता है। 
वसनी बाई ने उपखण्ड अधिकारी को आवेदन देकर कार्यवाही की मांग की। अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है वहीं वसनी बाई वंचित परिवारों को बीपीएल श्रेणी में जुड़वाने के लिए उपखण्ड अधिकारी के समक्ष अपील करने की तैयारी कर रही है। 
बसनी बाई में नेतृत्व करने व मुद्दों को पहचान कर पैरवी करने की गजब की क्षमता दिखाई पड़ती है, वह श्रमिक संगठन की नेत्री है। यही नहीं सामाजिक वकील बनकर श्रमिक परिवारों के हितों की रक्षा करने की पैरवी करने के लक्षण भी उसमें साफ दिखाई पड़ते है। वो पहल कर कदम उठा रही है वो निरन्तर सीखते हुए मजबूत हो रही है। 

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