Monday, September 16, 2013

बूथ जीते तो हम जीते : कार्यक्रम एक नतीजे अनेक


  • लखन सालवी

टिकीट किसे मिलेगा ? कौन किसके साथ होगा ? और कौन जीतेगा ? सब कुछ भविष्य की गर्त में छिपा हुआ है, लेकिन ‘‘बूथ जीते तो हम जीते’’ कार्यक्रम से कुछ लोगों को बहुत फायदा हो रहा है। उनके लिए फायदा ऐसा रहा कि ‘‘सांप भी मर गया और लाठी भी ना टूटी’’।

भाजपा अपने बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं को सशक्तः बनाने के लिए हर जिले में तहसीलवार बूथ लेवल के साधारण सदस्यों की बैठकें करवा रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वसुंधरा राजे ने इन बैठकों का प्रयोजन भी स्पष्ट रखा है कि ‘‘बूथ जीते तो हम जीते’’। यह गतिविधि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने ठीक समय पर की है। खास बात यह है कि इस कार्यक्रम के कई नतीजे सामने आ रहे है। जिससे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को दोहरे-तिहरे लाभ मिल रहे है। जिलास्तर व बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं का समन्वय तो हो ही रहा है साथ ही संगठन के कार्यकर्ताओं के आपसी मतभेद उजागर होने के साथ कार्यकर्ताओं के सुझाव और आगामी विधानसभा चुनाव में क्षेत्र से जिताऊ उम्मीदवार कौन है, इसके रूझान भी मिल रहे है। और यह सब सूबे का ताज हासिल करने के प्रयास में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए मददगार साबित हो रहे है। वहीं राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वाले लोगों को अपना दमखम बताने का मौका मिल रहा है। 

हाल ही में भीलवाड़ा जिले में तहसीलवार बूथ लेवल के साधारण सदस्यों की बैठकें आयोजित की गई। इन बैठकों में भाजपा जिलाध्यक्ष सहित विभिन्न प्रकोष्ठों के जिलाध्यक्ष, मण्डल अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों ने भाग लिया। सम्बंधित विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा से उम्मीदवारी की मांग कर रहे लोगों ने भी इन बैठकों में भाग लिया। जिनमें भाजपा से उम्मीदवारी जता रहे लोगों की संगठन में पैठ व काबिलियत की असलियत देखने को मिली। 


17 अगस्त को बनेड़ा तहसील के सभी बूथ लेवल के साधारण सदस्यों की बैठक आयोजित की गई। बनेड़ा के मण्डल अध्यक्ष पंचायत समिति के पूर्व प्रधान गजराज सिंह राणावत के नेतृत्व में आयोजित इस बैठक में 3000 से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिनमें से लगभग 2700 तो साधारण सदस्य ही थे। साधारण सदस्यों में भी अधिकतर युवा थे। साधारण सदस्यों की भारी तादाद और बूथ को मजबूत बनाने के लिए उनके सुझावों को सुनकर राज्यसभा सांसद के मुंह से भी तारीफ निकली। राजनीतिक जानकारों के अनुसार युवाओं के धड़े का बनेड़ा मण्डल अध्यक्ष गजराज सिंह राणावत के साथ होना महत्वपूर्ण है। इस बैठक में राज्यसभा सांसद वी.पी. सिंह, जिला महामंत्री कैलाश काबरा, भाजपा युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष प्रशान्त मेवाड़ा, भीलवाड़ा विधायक विट्ठल शंकर अवस्थी सहित भाजपा समर्थित बनेड़ा क्षेत्र की ग्राम पंचायतों के सरपंच व पंचायत समिति सदस्य उपस्थित थे।

बैठक के दौरान मंच से गजराज सिंह राणावत को माण्डल से प्रत्याशी बनाने की मांग की गई, वहीं बैठक में आए लोगों ने भी हाथ खड़े कर इस मांग का समर्थन किया। उल्लेखनीय है कि गजराज सिंह राणावत बनेड़ा पंचायत समिति के पूर्व प्रधान है तथा वर्तमान में उनकी पत्नि पुष्प कंवर राणावत पंचायत समिति की प्रधान है। जाहिर है कि गजराज सिंह राणावत की बनेड़ा क्षेत्र की जनता में गहरी पैठ है। 

 वहीं माण्डल तहसील के भगवानपुरा में भी साधारण सदस्यों की बैठक हुई। मकसद वही - बूथ जीतेगा तो हम जीतेंगे। बैठक माण्डल के मण्डल अध्यक्ष मणिराज सिंह के नेतृत्व में आयोजित की गई थी वहीं राज्यसभा सांसद वी.पी. सिंह बतौर मुख्य अतिथि तथा भाजपा जिलाध्यक्ष सुभाष बेहडिया व बनेड़ा मण्डल अध्यक्ष गजराज सिंह राणावत विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। बैठक में सुशील नुवाल, किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष रामेश्वर जाट, जिला परिषद के प्रतिपक्ष के नेता कमल सिंह पुरावत, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के हमीद शेख सहित कई सक्रिय कार्यकर्ता उपस्थित थे। यहां स्थानीय युवा कार्यकर्ताओं ने अपने क्षेत्र के पूर्व विधायक व मंत्री कालू लाल गुर्जर का विरोध कर दिया, विरोध से नाराज हुए गुर्जर ने वरिष्ठ भाजपाईयों की मौजुदगी में मंच पर अपशब्द कह डाले जिससे माहौल और खराब हो गया। यही नहीं कालू लाल गुर्जर के गुट के लोगों व भाजपा युवा कार्यकर्ताओं के साथ हाथापाई तक की नौबत आ गई। युवा कार्यकर्ताओं ने गुर्जर हाय-हाय के नारे भी लगाए और वी.पी. सिंह से गुर्जर को टिकिट नहीं देने की मांग भी की। कई कार्यकर्ताओं ने तो बैठक का बहिष्कार तक कर दिया। वहां साफ जाहिर हुआ कि क्षेत्र के जमीनी स्तर से जुड़े कार्यकर्ता पूर्व विधायक कालू लाल गुर्जर से खफा है। इस घटना पर वरिष्ठ भाजपाईयों का कहना है कि कालू लाल गुर्जर वरिष्ठ है उन्हें संयम रखना चाहिए था तथा अपने उपर लग रहे आरोपों के खण्डन में अपना पक्ष रखना था। कार्यकर्ता के हाथ से माइक छीनना गुर्जर जैसे कार्यकर्ता को शोभा नहीं देता। 

बैठक में हुए विवाद को लेकर कालू लाल गुर्जर ने अब भी अडि़यल रैवेया अपना रखा है और इसी अडि़यल रैवये के कारण क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में गुर्जर के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। भगवानपुरा में आयोजित बैठक में माण्डल कस्बे के प्रद्युम्न जोशी व विनोद सुवालका जैसे सक्रिय कार्यकर्ताओं ने गुर्जर की खिलाफत की थी, जिसे लेकर गुर्जर व गुर्जर के समर्थकों व माण्डल क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के बीच विवाद हुआ था। उस विवाद पर कालु लाल गुर्जर का कहना है कि पार्टी से जुड़े कुछ नए कार्यकर्ताओं ने गलत कहा था जिन्हें मेरे समर्थकों ने समझा दिया। दूसरी तरफ माण्डल के युवा कार्यकर्ताओं का कहना है कि कालू लाल गुर्जर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करते है, जिस बारे में बैठक में मुद्दा उठाया था लेकिन कालु लाल गुर्जर ने हमें नहीं बोलने दिया और माइक छीन लिया बाद में गुर्जर के स्वजाति बंधुओं ने हमारे साथ अभ्रद व्यवहार किया। 
कालू लाल गुर्जर के स्वजाति बंधुओं ने जब भाजपा युवा कार्यकर्ताओं से विवाद किया तो भाजपा युवा कार्यकर्ताओं ने उनसे कहा कि यह भाजपा की बैठक ना कि किसी जाति विशेष और बैठक में बोलने का सभी को अधिकार है।

माण्डल की बैठक में कालू लाल गुर्जर का विरोध हुआ, युवा कार्यकर्ताओं में वरिष्ठ नेता गुर्जर के प्रति भारी आक्रोष व्याप्त था जबकि बनेड़ा के बूथ लेवल के साधारण सदस्यों की बैठक में कार्यकर्ताओं में समन्वय व एकजूटता नजर आई। गजराज सिंह राणावत की माण्डल क्षेत्र में मजबूत पकड़ है वहीं कालू लाल गुर्जर का भारी विरोध हो रहा है। वैसे राणावत का कहना है कि पार्टी का निर्णय अंतिम है और मैं पार्टी के निर्णय के साथ रहूंगा।

बहरहाल माण्डल में भाजपा से पूर्व मंत्री कालू लाल गुर्जर, बनेड़ा मण्डल अध्यक्ष गजराज सिंह राणावत, जिला परिषद नेता प्रतिपक्ष कमल सिंह पुरावत व माण्डल मण्डल अध्यक्ष मणिराज सिंह दावेदारी कर रहे है। हालांकि राज्यसभा सांसद वी.पी. सिंह अपने बेटे के लिए माण्डल में नई जगह तलाश रहे थे लेकिन भगवानपुरा में आयोजित बैठक की आंखों देखी के बाद शायद उन्होंने माण्डल से ऐसी उम्मीद छोड़ दी है। भगवानपुरा में हुई साधारण सदस्यों की बैठक में कालू लाल गुर्जर व युवा कार्यकर्ताओं के बीच हुए विवाद को देखकर तो राज्यसभा सांसद इतने दुःखी हुए है कि मंच से कह तक दिया कि ऐसी स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है। वैसे दावेदारी कर रहे लोगों की जमीनी स्थिति भाजपा प्रदेश अध्यक्ष तक निश्चित ही पहुंच ही रही होगी। 

टिकीट किसे मिलेगा ? कौन किसके साथ होगा ? और कौन जीतेगा ? सब कुछ भविष्य की गर्त में छिपा हुआ है, लेकिन ‘‘बूथ जीते तो हम जीते’’ कार्यक्रम से कुछ लोगों को बहुत फायदा हो रहा है। उनके लिए फायदा ऐसा रहा कि ‘‘सांप भी मर गया और लाठी भी ना टूटी’’।

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