Sunday, October 3, 2010

मजदूरी कर दी मुख्यमंत्री को दान

मै अपने कार्यालय में बैठा था कि बाहर से आवाज आई .... अल्लाह के नाम पर दे दे सेठ ... मैंने बाहर देखा तो एक बाबा अपने हाथों में लौबान का कटोरा लिए हुए खड़ा है..... मै जेब टटोलता हुआ बाहर आया और जेब से हाथ में आया हुआ एक रूपया बाबा के हाथ में थमा दिया........बाबा ने पहले तो सिक्के को और बाद में मुझे घूरकर देखा और सिक्के को वापस मेरे हाथ में देता हुए बोला..... ये ले सेठ.... तू ही रख ले इसे... तेरे काम आएगा...  यानि कि भीख में भी एक रूपये को स्वीकार नहीं किया भिखारी ने..... और यह बात है वर्ष 2003 की.
आज 7 वर्ष बाद टोंक जिलें में महानरेगा मजदूरों को कड़ी धूप में काम करने का.... प्रतिदिन का एक रूपये के हिसाब से पैसा दिया है सरकार ने.... सभी महानरेगा मजदूरों ने सरकार से पूरी मजदूरी देने की मांग की लेकिन जब सरकार ने दो माह बाद भी सुनवाई नहीं तो महानरेगा मजदूरों ने अपने पैसो से बस किराये पर की और जयपुर आकर महानरेगा में काम करने पर मिली मजदूरी को मुख्यमंत्री को दान में देते हुए राहतकोष में जमा कराई.

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