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Monday, November 28, 2016

गोगुन्दा आए अजीम प्रेमजी, प्रवासी मजदूरों से हुए रूबरू

पाइप में रिंग फैंकते अजीम प्रेमजी
गोगुन्दा - सोमवार को गोगुन्दा में आजीविका ब्यूरो के श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र द्वारा रोजगार मेला आयोजित किया गया। विप्रो लिमिटेड के चैयरमेन अजीम प्रेमजी व उनकी पत्नि याश्मीन प्रेमजी ने इस मेले का विजिट किया। मेले में श्रमिक केंद्र द्वारा दी जा रही सेवाओं और रोजगार मेले में बेरोजगारों को रोजगार प्रदान करने की प्रक्रिया को देखा। इस दौरान आजीविका ब्यूरो के निदेशक राजीव खण्डेलवाल, कार्यक्रम निदेशक कृष्णावतार शर्मा, स्टेप एकेडमी के संजय चित्तौड़ा व क्षेत्रीय समन्वयक राजेन्द्र शर्मा भी उपस्थित थे।

गोगुन्दा के चौगान में आयोजित रोजगार मेले में उदयपुर की विश्वास प्लेसमेंट, एडीफो प्लेसमेंट, रामाजी मेन पावर, सिक्योरमीटर, जे.जे. वॉल्स प्रा.लि., सीफोरएस सोल्यूसन, आरडी फेब्रिकेशन, टाटा मोटर्स, बजाज, एटलस कोप्को जैसी कम्पनियों ने बेरोजगार युवाओं को नौकरियों के अवसर प्रदान किए। सुबह 10 बजे आरम्भ हुए मेले में ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों युवक-युवतियों ने भाग लिया। इस दौरान 151 बेरोजगार युवक युवतियों को रोजगार परामर्श प्रदान किया गया। केंद्र के शांति लाल सालवी ने बताया कि रोजगार मेले में 13 प्रवासी श्रमिकों का पंजीयन किया गया, भवन निर्माण श्रमिकों को बीओसीडल्यू की योजनाओं के बारे में जानकारियां दी गई।


रोजगार परामर्श की प्रक्रिया को देखते हुए
प्रेमजी ने भी फैंकी रिंग

रोजगार परामर्श की पक्रिया एक खेल से आरम्भ होती है। इस खेल में एक रिंग को फैंक कर निश्चित दूरी से पाइप में डालनी होती है। अजीम प्रेमजी जिन्होंने बड़े लक्ष्य हासिल कर इतिहास बनाया, उन्होंने भी इस गतिविधि में भाग लिया। उन्होंने रिंग फैंकी लेकिन पाइप में नहीं डाल सके। असल में इस खेल से यह समझ बनती है कि मुश्किल काम को करने के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ता है और मुश्किलें भी अधिक आती है। दूर के पाइप में रिंग डालना मुश्किल होता है इसलिए अमूमन लोग पास के पाइप में रिंग डालकर जीतना चाहते है।

मजदूर संगठन के अध्यक्ष तखत सिंह खरवड़ से बातचीत करते हुए
मेले के दौरान याश्मीन प्रेमजी ने रोजगार परामर्श ले रहे युवक-युवतियों, परामर्शदाताओं व रोजगार प्रदान कर रही एजेन्सियों व कम्पनियों के प्रतिनिधियों से सवाल जवाब किए। वहीं अजीम प्रेमजी से गहराई से समझते नजर आए। याश्मीन प्रेमजी ने प्रत्येक स्टॉल का विजिट किया। इस दौरान उन्होंने राजस्थान श्रम सारथी एसोसिएशन के बारे में जानकारी ली, अरावली निर्माण मजदूर सुरक्षा संघ के अध्यक्ष तखत सिंह राजपूत से बातचीत की व श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र की सेवाओं के बारे में जानकारियां प्राप्त की।


श्रमिक केंद्र का किया विजिट, प्रवासी श्रमिकों से की बातचीत

मजदूर संगठन के अध्यक्ष तखत सिंह खरवड़ से बातचीत करते हुए
अजीम प्रेमजी व याश्मीन प्रेमजी ने गोगुन्दा स्थिति श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र का विजिट भी किया। वहां वे स्थानीय श्रमिकों, प्रवासी श्रमिकों व श्रमिक परिवारों के लोगों से मिले। उन्होंने करीब एक घण्टे तक श्रमिकों से बातचीत की। इस दौरान श्रमिकों को सामाजिक व आर्थिक स्थिति के बारे में समझने के साथ उनकी रोजगार की स्थितियों को भी जाना। केंद्र पर आयोजित बैठक में पैरालीगल गणेश लाल, दशरथ सिंह व शांति सिंह ने मजदूरों के बकाया मजदूरी भुगतान, दुर्घटना व अत्याचार के कानूनी मामलों के बारे में जानकारी दी। वहीं चार साल से अपने बेटे सालगराम का इंतजार कर रही वेणी बाई गमेती ने अपनी पीड़ा अवगत कराया। उसने बताया कि उसका बेटा चार साल पहले रसोई काम करने राजकोट गया, जो आज तक नहीं लौटा। वहीं नान्देशमां निवासी भूरी लाल गायरी ने बताया कि वह कार्यस्थल पर एक दुर्घटना का शिकार हो गया। वह बूरी तरह जल गया। अब किसी भी प्रकार का काम कर पाने में असक्षम है, नियोक्ता ने न उसका ईलाज करवाया और ना ही उसे मुआवजा दिया। उजाला किरण लक्ष्मी देवी ने मोलेला की प्रसिद्ध मिट्टी की तस्वीर भेंट की। मोड़वा निवासी भंवर लाल सेन ने मजदूरों के संगठन के बारे में बताया।

लंच में खाया दाल ढोकळा, ग्रामीणों ने पिलाई राबड़ी
अजीम प्रेमजी, याश्मीन प्रेमजी व उनकी निजी सचिव तशकीन मच्छीवाला सहित आए सभी मेहमानों को लंच में मेवाड़ का प्रसिद्ध दाल ढोकला परोसा गया। लंच में गुर्जरों का गुढ़ा गांव से आई मक्के की राबड़ी भी परोसी गई, जिसे पीकर मेहमानों ने करीब दस बार तारीफ की।

Thursday, September 4, 2014

हितों के लिए सचेत

प्रवासी श्रमिक परिवारों की महिलाएं जागरूक हुई है, कभी श्रम शब्द को भी ठीक से न समझ पाती थी, श्रम कल्याण बोर्ड एवं श्रम विभाग जैसे शब्द तो उन्हें विदेशी भाषा के प्रतीत होते थे। आजीविका ब्यूरो द्वारा गोगुन्दा उपखण्ड मुख्यालय पर संचालित श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र के कार्यकर्ताओं द्वारा चलाए जा रहे मिशन का असर है कि अब श्रमिक न केवल श्रम शब्द को समझने लगे है बल्कि आगे होकर श्रम विभाग एवं श्रम कल्याण बोर्ड द्वारा संचालित श्रमिक हित योजनाओं का लाभ लेने है।

01 अगस्त 14 को सुबह करीब 10 बजे 4-5 महिलाएं समूह में श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र गोगुन्दा पर आई। उनसे केंद्र पर आने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि हम श्रम कल्याण बोर्ड की डायरियों को रिन्युअल कराने आई है। इन महिलाओं को श्रम विभाग के बारे में जानकारी थी, श्रम कल्याण बोर्ड में श्रमिक पंजीयन से लेकर श्रमिक परिचय पत्र की जानकारी भी थी। 
बातचीत के दौरान पता चला कि वे गोगुन्दा बसस्टेण्ड के समीप स्थित नाई मोहल्ले से आई थी। उन्होंने बताया कि वे कई सालों से अमावस्या की बैठक में जा रही है तथा महानरेगा एवं मकान निर्माण में कुली का काम करती है। उन्होंने बताया कि पहले हमें श्रम विभाग के बारे में जानकारी नहीं थी और ना ही श्रमिकों के लिए संचालित सरकारी योजनाओं की जानकारी थी, इस मजदूरों के आॅफिस (श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र) के लोगों ने हमें श्रमिकों के लिए संचालित योजनाओं एवं हमारे अधिकारों के बारे में बताया। पहले तो उनकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब प्रयास किया, हिताधिकारी के पंजीयन के आवेदन किए और बाद में श्रम विभाग (राजस्थान भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक कल्याण मण्डल) से हमारे श्रमिक डायरियां (परिचय पत्र) बनकर आई तो कंेद्र पर हमारा विश्वास बन गया जो आज तक कायम है। 
ये महिलाएं सशक्त है, इन्होंने अपने हिताधिकारी परिचय पत्र हेतु आवेदन भी खुद ही किए, परिचय पत्र के रिन्युअल के लिए अंशदान भी स्वयं ही जमा करवाकर आती है। उन्होंने बताया कि केंद्र के लोग हमारे आवेदन तैयार करवाने में मदद कर देते है और नई जानकारियां देते है।
खास बात यह है कि सवागी बाई, देवली बाई, भूरी बाई, लक्ष्मी बाई, डाली बाई व नरसी बाई जानकारी लेने या अन्य कामों से सरकारी दफ्तरों में समूह के रूप में जाती है। ये सभी घांचा समुदाय की है। उनका कहना है कि हम पढ़ी लिखी नहीं है, सभी साथ में जाती है तो आत्म विश्वास बना रहता है और जो भी जानकारी मिलती है, अगर हम में से एक भूल भी जाए तो दूसरी को याद रह जाता है।
ये महिलाएं संगठित है और अपने अधिकारों को न केवल जानती है बल्कि अधिकार पाने के लिए संघर्षरत है। 
जब उनसे पूछा गया कि श्रम कल्याण बोर्ड से जारी परिचय पत्र से क्या-क्या लाभ प्राप्त किए जा सकते है तो उन्होंने बताया कि श्रमिक साईकिल सहायता के लिए, दो बेटियों के विवाह हेतु सहायता के लिए, प्रसूति सहायता के लिए व बच्चों की पढ़ाई के लिए छात्रवृति सहायता के लिए आवेदन कर सकता है। केंद्र कार्यकर्ता ने उनकी जानकारी बढ़ाते हुए बताया कि यही नहीं पंजीकृत हिताधिकारियों के लिए स्वावलम्बन पेंशन योजना, मेधावी छात्र-छात्राओं के लिए नकद पुरस्कार योजना संचालित है। साथ ही आवास बनाने के लिए ऋण एवं अग्रिम का भुगतान किया जाता है तथा सामान्य अथवा दुर्घटना में मृत्यु या घायल होने पर सहायता दी जाती है। महिलाओं ने बताया कि उन्हें इनके बारे में जानकारी नहीं थी। उन्होंने संकल्प लिया कि वे इन जानकारियों की अन्य समूहों में भी चर्चा करेंगी।