Friday, May 4, 2018

ये विदाई नहीं थी, ना ही बहुत स्नेह था, ये तो ताकत को सलाम था

आदरणीया डॉ. अंजली जी,

आप हवा के झोंके की तरह आए और उसी तरह चले गए। बहुत सारी यादें, बहुत सारी मुस्कुराहटें, बहुत सारी सकारात्मक ऊर्जा और न्याय व समानता की डगर हमारे लिए छोड़कर। आपका बहुत-बहुत आभार। आज बहुत खुशी हुई ये देखकर कि आपको सैकड़ों लोग शुभकामनाएं देकर, शॉल ओढ़ाकर, फूलमालाएं पहनाकर, बुके भेंट कर आपको विदा कर रहे थे, वहीं आपके कुछ सहकर्मी अश्रुपुरित आंखों से विदाई दे रहे थे। कई स्वार्थी लोग थे, सभी अपने-अपने एजेण्ड के तहत विदाई दे रहे थे। कई मौके की नजाकत को देखकर कदम उठा रहे थे लेकिन कड़वा मगर सच्चा तथ्य यह है कि चंद लोगों को छोड़कर बाकी सभी लोग ताकत को सलाम कर रहे थे। कुछ अपनी अपेक्षाओं को साकार करने की जुगत में अवसर का सदुपयोग कर रहे थे। उम्मीद है आप भली भांति जान रहे होंगे क्योंकि मैं मानता हूं कि चेहरों को पढ़ने में अब आप पारखी हो ही चुके है। 


इन सब बातों से इतर मुझे आपका अघोषित विदाई समारोह बहुत अच्छा लगा। अच्छी लगी आपकी उत्सुकता, आपकी मुस्कुराहट, आपकी बिना किसी मन में मेल रखे सबको साथ लेकर चलने की सोच। मैंनें आपके चहरे पर विदाई के दर्द को भी महसूस किया। अपने सहकर्मी व्यास जी, मांगी लाल जी, धर्मेन्द्र जी और आपके ड्राइवर साहब से विदा लेते समय आपने अपने आंसुओं को आंखों से सीधे अपने दिल में खींच कर गालों पर लुढ़कने से रोक कर भी ये साबित कर दिया कि आप वाकई ताकतवर हो। फिर भी आपके हार्दिक वियोग को वहां खड़े सहज वृत्ति वाले लोगों ने आसानी से देख लिया। वैसे आप कोई एलियन तो है नहीं जो आपको न समझा जा सके।
विदाई समारोह में लोग आपकी खिदमत में कसीदे पढ़ रह थे और आप कसीदे सुन-सुनकर कुर्सी पर बिदक रहे थे। आखिर क्यूं नहीं बिदकेंगे, आपने महज 7 माह में अपने इतने फॉलोअर जो बना लिए। सो वन अनादर पॉइंट इज देट ‘यू आर ए गुड लीडर एलसो’ मैं भी देखकर न केवल गौरवान्वित हो रहा था बल्कि मेरा मन प्रफुल्लित हो रहा था। आप अक्टूबर-17 में गोगुन्दा आए, चर्चाएं थी कि आप महज तीन माह तक यहां सेवाएं देंगे। मगर इस क्षेत्र के हम लोगों का सौभाग्य ही रहा। आप करीब 7 माह तक यहां रहे और कई इनोवेटिव व अविस्मरणीय कार्य यहां किए। 

सादगी की मिशाल है आप

विगत 7 माह में मैंनें नोटिस किया कि आप वंचितों, गरीबों एवं महिला सशक्तिकरण की हिमायती है। सरल व्यवहार, मृदुभाषा और सकारात्मक कार्य शैली की धनी है आप। आईएएस जैसे ओहदे पर मैंनें आप जैसी विलक्षण प्रतिभा कहीं नहीं देखी। आपने एक दिन दिव्यांग आईएएस ईला जी का विडियो साझा किया था। ये देखकर आपके मानवीय दृष्टिकोण की झलक मिली। आज सुबह ही गोगुन्दा के दो 60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों से चर्चा कर रहा था। राज घरानों से संबंधित इन दोनों नागरिकों ने बताया कि वे क्यूं आपने मिलने आपके चैम्बर में आए थे और आपने किस तरह उन्हें सम्मान देकर उनकी व्यथा सुनी। छोटे-बड़ों को सम्मान देना यानि समानता का व्यवहार करना तो कोई आपसे सीखे। वाकई आप मिशाल है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर की समानता की अवधारणा को लागू होते हुए मैनें आपसे देखा। 


आप को जब भी कॉल करता था तो सामने से आप की आवाज आया करती थी - हां पत्रकार साहब बताइए। शुरू-शुरू में मैं झेंप जाया करता था, दिमाग दौड़ाता था कि मैंने तो कहीं पत्रकारिता की धौंस नहीं दिखाई। कई बार कई-कई घंटों तक सोचता रहता था कि एसडीएम साहिबा ने मुझे पत्रकार साहब क्यों कहा ? एक बार तो शायद मैंनें आपसे पूछ ही लिया था। पर फिर कई मौको पर आपको आपके वाहन के ड्राइवर को ड्राइवर साहब, ग्राम पंचायत के सचिव को सचिव साहब कहते हुए देखा तो पता चल गया कि ये आपका हर नागरिक को सम्मान देने का नैचर है। सॉरी मैं एक वाक्य भूल गया, राजघरानों से ताल्लुक रखने वाले उन दो बुजुर्गों में से एक ने मुझे कहा कि ये एसडीएम कोई अच्छे मेनर्स वाली फैमिली की लगती है। बोले - अजी संस्कारवान परिवार के लक्षण तो संतानों में साफ नजर आते है। बहुत संस्कारित परिवार की बेटी है ये। आगे बोले - कमबख्त ये लोग इन्हें कैसे नहीं समझ पाए, कीड़े पड़ेंगे इन लोगों के। जब आज ही आपकी विदाई होने की खबर मैंनें उन्हें दी तो वे दुःखी हो गए। आपके धूर विरोधियों को इतने श्राप दे दिए कि पूछिए मत। यहां मैंनें तय किया कि जीवन में इस प्रकार जो किसी को सर्वाधित चाहता है, उसके बारे में उन्हें सेड़ न्यूज कभी मत दो। 

काम जो बाकी रहे गए, आप जहां भी जाए पूरे करना

आपने हर चैलेंज को सहर्ष स्वीकार किया। मजावड़ी व विसमा में आयोजित की गई चौपाल हो या आकस्मिक निरीक्षण करने की बात हो। आपने आते ही हॉस्पीटल में निरीक्षण किया। आपकी जानकारियों का खजाना देखकर आश्चर्य हुआ। मेडिकल फिल्ड की महत्वपूर्ण जानकारियां आप बखूबी जानती है। क्षेत्र में मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे बंगाली व झोलाछाप डॉक्टरों के विरूद्ध ठोस कार्यवाही देखने का मेरा सपना आपने अधूरा रख दिया। आप जहां भी जाएं ऐसे लोगों के खिलाफ जरूर कार्यवाही करिएगा। मैंनें देखा है ऐसे लोग पानी के इंजेक्शन मरीजों को लगाकर उनसे 300-400 वसूल लेते है। 


कई बार जो जैसे दिखते है, वे वैसे होते नहीं है 

आपने एक आवासीय विद्यालय पर काफी मेहरबानी की। निश्चित तौर पर आपकी मेहरबानी से उस विद्यालय के स्टाफ, वहां अध्ययनरत छात्राओं व जनप्रतिनिधियों में उत्साह का संचार हुआ। वहां उत्तरोत्तर वृद्धि देखने को मिली। उस विद्यालय के सर्वसर्वा अच्छे गुणों वाले है, साफ छवि के है, सब कुछ ठीक करते है, इन्हें लेकर सत्य जुदा है। ये ऐसे लोग है जो जैसे दिखते है वैसे है नहीं है। चरित्र तो इनका लंगोट खोल कर तार पर टंगा हुआ है। बस इनकी नंगाई को अबोध बालिकाएं नहीं देख ले कहीं। मैं तो आप से पहले वहां कभी गया ही नहीं लेकिन आपके साथ महज दो बार जाने में सभी अच्छाइयों के पीछे खतरनाक वाली बुराई को भी देख-समझ आया। ये बहुत ही खतरनाक वाला अनुभव है। इस नकारा गया तो यह सब कुछ नस्तेनाबूत कर देता है। 


मेरा अंज्म्पशन . . . 

जब गोगुन्दा के एसडीएम बनकर आए थे। मेरा अंज्म्प्शन था कि आप आईएएस है और आप निश्चित तौर पर इस क्षेत्र के लिए अच्छा करेंगे और एक एसडीएम की तरह कार्य करेंगे और आपने कर दिखाया। एक मसले को हल करने के लिए आपने मध्यस्तता की। मेरी जानकारी के अनुसार वह सफल मध्यस्तता थी। एक बार तो यह मध्यस्तता सफल रही। लेकिन स्वयंभू सत्ताधीश ने राजी खुशी मध्यस्तता कर लेने के बाद दूसरे दिन मध्यस्तता को ठुकुरा दिया जिसका नतीजा हम सभी ने देख लिया। 

शुरूआती दिनों में स्वयंभू सत्ताधीश के यहां लंच करते हुए देखा तो मानो धरती तले से जमीं खिसक गई। मन में सोचा - कहां है आईएएस का प्रॉटोकॉल। कहां है एसडीएमगिरी की तटस्थता। उस दिन लगा कि गई भैंस पानी में। 

लगा कि पुरूष वर्ग के उपखण्ड व जिला स्तर के अधिकारी जिन कथित सत्ताधीशों के आगे साष्टांग दण्डवत करते पाए जाते हो वहां आप क्या कर लेंगी। लेकिन आपने कर दिखाया। अंतिम 15 दिनों में तो आपने जो डेयरिंग कार्य किए है, काबिल तारीफ है। खेद है यहां का उत्साही युवा आपको नहीं समझ पाया . . . 

याद रहेंगे सामाजिक बदलाव के आपके अनुकरणीय प्रयास 


आदिवासी क्षेत्र के छात्रावासों व स्कूलों की छात्राओं की माहवारी से जुडे मुद्दों पर कोई नहीं सोचता। अधिकारी वर्ग में से भी कई आदिवासी क्षेत्रों से बटोरने में लगे रहते है। आपने अलग किया। बालिकाओं को मशीन के माध्यम से सेनेटरी पेड मुहैया करवाने की शुरूआत आपके होते ही संभव हो पाई। महात्मा ज्योति बा फूले की जयंती शायद ही इस क्षेत्र में मनाई गई हो। आपने शुरूआत करवा दी। स्कूली बालिकाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाने का बीड़ा भी आपने उठाया। आपके दफ्तर में आकर आपसे एक बार मिला हर नागरिक आपका कायल है। वे आपकी तारीफों के पुल बांधते नहीं थकते है। बस आप भी अथक प्रयास करते रहिएगा। न्याय, समानता की डगर पर चलते हुए आप अथक चलते रहिएगा। आपके ड्राइवर साहब के मनोवियोग को ध्यान में रखते हुए कबीर साहेब की पंक्तियां - कबीरा जब हम पैदा भये, हम रोये जग हंसे, ऐसी करनी कर चलो कि हम हंसे, जग रोये। 

ताकत को सलाम है, हम साथ - साथ है . . . 

जिंदाबाद . . .

असीम शुभकामनाओं के साथ,

आपके पत्रकार साहब - लखन सालवी 

No comments:

Post a Comment