Sunday, February 16, 2014

ताणवाण में प्रतिभा सम्मान समारोह सम्पन्न


  • लखन सालवी 

अब ग्रामीण क्षेत्र के दलित समुदायों में भी शिक्षा के प्रति चेतना आई है, दलित बुनकर समुदाय के लोग अपने समुदाय के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं का सम्मान कर उन्हें प्रोत्साहित करने लगे है जो शिक्षा के प्रति उनकी जागरूकता को प्रकट कर रहा है। 
हाल ही में 16 फरवरी को राजसमन्द जिले के आमेट कस्बे के निकट ताणवाण गांव में स्थित देवनारायण मार्बल परिसर में प्रतिभावान छात्र-छात्राओं का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। जिसमें माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में प्रदेश स्तर पर प्रथम स्थान, जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले तथा नवोदय विद्यालय में प्रवेश के लिए परीक्षा उत्र्तीण करने वाले छात्र-छात्राओं को प्रसस्ति पत्र व प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित किया गया। 
इस कार्यक्रम की आयोजन समिति के सदस्य प्यार चन्द सालवी ने बताया कि यह द्वितीय सम्मान समारोह है, इससे पूर्व गत वर्ष प्रथम समारोह का आयोजन किया गया था। राजसमन्द जिले की आमेट व देवगढ़ तहसील क्षेत्र के समुदाय शिक्षित युवाओं व जागरूक दानदाताओं ने इस कार्यक्रम को आयोजित करने का बीड़ा उठाया है। 
कुंभलगढ़ के ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि बड़ी खुशी की बात है कि हम समाज की प्रतिभाओं को तरासने के लिए तत्पर है। उन्होंने समारोह को सम्बोधित करते हुए बेटे-बेटियों को समानता से शिक्षा देने पर जोर दिया, साथ ही उन्होंने कहा कि प्रतिभावान छात्र-छात्रों के बायोडेटा मंगवाकर उनके मार्गदर्शन के लिए केरियर काउंसलिंग भी करवानी चाहिए ताकि उचित समय पर प्रतिभाओं को उचित निर्णय लेने में मदद मिल सके। 
समारोह को सम्बोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी ने कहा कि बुनकर समाज का गौरवशाली इतिहास रहा है। इस समुदाय में जन्में कई लोगों ने राष्ट्रहित में बलिदान किए, धार्मिक प्रवृति के कारण ख्याति प्राप्त की। उन्होंने बताया कि इतिहासकारों ने भी बुनकर समुदाय पर कुठाराघात किया गया है, मेहरानगढ़ के किले के लिए राजाराम मेघवाल ने बलिदान दिया लेकिन इतिहास ने कहीं भी उस बलिदान का जिक्र नहीं किया, पिछोला की झील के मन्ना जी मेघरिख कुर्बान हुए जिसे भी इतिहास ने ओझल कर दिया, बीकानेर के करणी मंदिर के बारे में तो खूब गुणगान किए जाते है लेकिन उस मंदिर के लिए कुबार्न हुए दरशरथ मेघवाल के बारे में उल्लेख नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि चित्तौडगढ़ के उदय सिंह को बचाने के लिए पन्नाधाय के बलिदान की कहानियां तो खूब लिखी जाती है, बार-बार अहसास करवाया जाता है लेकिन उदय सिंह को कड़े पहरे के बीच झूठे पत्तल-दोने की टोकरी में छिपाकर ले जाने वाले ‘किरत बारी’ के समर्पण व निडरता की कहानी को दो पंक्तियों में समाप्त कर दिया जाता है अगर किरत बारी ने निडरता नहीं दिखाई होती, अगर उसने त्याग, समर्पण की भावना को छोड़कर बनवीर के साथ हाथ मिला लिया होता तो क्या होता . . न उदय सिंह बचता और न ही महाराणा प्रताप होते। मेघवंशी ने कहा कि दलितों के गौरवशाली इतिहास को आज ही नहीं युगों से दबाया जाता रहा है लेकिन अब हमें अपना इतिहास हमें खुद ही लिखना होगा। 
उन्होंने डाॅ. भीमराव अम्बेडकर के विचारों से अवगत कराते हुए कहा कि वर्तमान में दलितों को पुनः हासिए पर धकलने के प्रयास किए जा रहे है, हमें उन्हें समझकर दलित उत्थान विरोधी ताकतों को रोकना होगा। उन्होंने कहा कि दलित विरोधी ताकतें ‘‘आरक्षण’’ को घृणित बताने में लगी हुई है तथा अयोग्य बताकर दलितों को पदौन्नति में आरक्षण से वंचित करने की साजिशें की जा रही है। अब समय आ गया है दलितों को संगठित होकर आवाज उठाने का। 
समारोह के दौरान आईडाणा के बाबू लाल सालवी ने घोषणा की कि समाज के जो भी छात्र-छात्राएं माध्यमिक शिक्षा में राज्य स्तर पर मेरिट में स्थान में प्राप्त करेंगे उन्हें 21000 रुपए तथा जिला स्तर पर मेरिट में स्थान प्राप्त करेंगे उन्हें 11000 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। 
सम्मान समारोह की अध्यक्षता गादरोला (जसवंतपुरा) के गोमाराम सालवी ने की, वहीं मुख्य अतिथि सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी थे। समारोह को सामाजिक कार्यकर्ता बाबू लाल सालवी, सालवी समाज मियाला के अध्यक्ष जेठाराम कतिरिया, व्याख्याता गणेश भाटी, जिला परिषद सदस्य बंशी लाल सालवी, ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी (कुंभलगढ़) मोहन लाल सालवी, सालवी समाज राजसमन्द के जिलाध्यक्ष देवी लाल सालवी, रूपाराम जलवाणिया इत्यादि ने सम्बोधित किया। समारोह का संचालन कवि खेमराज सालवी ने किया। 

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