लखन सालवी
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है...
Saturday, February 4, 2012
फिर सैलानी हो गए . . .
दगा दे गई जबानं, ध्वस्त हो गए अरमान
जारी हो गए फरमान, अब हम नहीं रहे मेहमान
फिर सैलानी हो गए . . .
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