Monday, November 28, 2016

धनतेरस - धन तेरे से है, धन तेरे से है, धन तेरे से है।

# लखन हैरान
सब के सब धन की देवी लक्ष्मी की पूजा में लगे है।
लक्ष्मी की पूजा करते हुए बारम्बार कह रहे है - धनतेरस है, हे! मां धन दे।
नेता और सरकार, सरकारी कर्मचारी और अधिकारी,
एनजीओ के लोग और आमजन, ग्राहक और व्यापारी।
जला जला कर दीपक कह रहे है - धनतेरस है, हे! मां धन दे।
(कोई नहीं कह रहा है कि हम सब को बराबर बांट दे।)
एक एनजीओ के दफ्तर में लक्ष्मी जी की हो रही है आरती
मांगा जा रहा है धन, मां तू हमें धनधान्य से पूर्ण कर दे
हम गरीबों की सेवा करेंगे, वंचितों की सेवा करेंगे, हमें कुबेर का खजाना दे।
(कोई नहीं कह रहा है कि गरीबों और वंचितों को धन दे।)
किराणे की दूकान वाले ने सफाई की है, दूकान को दुल्हन की तरह सजाया है।
लक्ष्मी जी की मूर्ति पर फूल मालाएं चढ़ाई है, दूकान के सामान पर अगरबत्ती घूमाई है।
दीपक जलाकर अरदास की है - धन तेरस है, हे! मां धन दे।
(वह नहीं कह रहा है कि ग्राहकों को धन दे।)
गणेशम् की रिटेल शॉप में है कूलर, फ्रीज, वासिंग मशीन ।
इनके अलावा भी भरे है हजारों इलेक्ट्रानिक सामन।
धनतेरस के मुर्हुत के कारण बिक रहे है आरो दनादन।
ठेके वाले (शराब की दूकान) ने भी बोतलें साफ की है।
खाली पड़े कार्टूनों को ठीक से जमाया है।
दूकान के आगे हजारी फूल की मालाएं लटकाई है।
अब वो सामने वाली ताक में रखी लक्ष्मी व गणेश की पीतल की मूर्तियों की पूजा कर रहा है,
पीछे से एक ग्राहक देवता आता है, जो दिवाली की छुट्टियों में गुजरात से घर आया है।
ग्राहक देवता ने आवाज दी भाई साब, एक अद्धा देणा।
दूकानदार बोला - दस मिनिट रूक, धन तेरस की पूजा करके देता हूं।
ग्राहक देवता मन में ही कहता साले धन तो मेरे से है।
पृथ्वी लोक का नजारा देखकर लक्ष्मी हंस रही है।
अपने पति से कह रही है हे प्राणनाथ! अब भी मनुष्य कितना भोला है।
चांद, तारों पर पहुंचकर भी वो मुझसे धन मांगता है।
प्रवासी भाई को अद्धा मिल गया है, तीसरे पैग की दूसरी घूंट के बाद वह लगभग टून्न हो गया है
तभी लक्ष्मी उधर से गुजरती है,
वो बोलता है, हेलो-हेलो लक्ष्मी माता वो ठेके वाला धनतेरस पर आपकी पूजा कर रहा है
लक्ष्मी हंसते हुए बोली - भाई तू जा और बोल उसे, धन मुझसे नहीं धन तेरे से है
बोल दे पूरी दूनिया को धन ग्राहकों से है, धन तेरे से है, धन तेरे से है, धन तेरे से है।

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