प्रवासी श्रमिक परिवारों की महिलाएं जागरूक हुई है, कभी श्रम शब्द को भी ठीक से न समझ पाती थी, श्रम कल्याण बोर्ड एवं श्रम विभाग जैसे शब्द तो उन्हें विदेशी भाषा के प्रतीत होते थे। आजीविका ब्यूरो द्वारा गोगुन्दा उपखण्ड मुख्यालय पर संचालित श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र के कार्यकर्ताओं द्वारा चलाए जा रहे मिशन का असर है कि अब श्रमिक न केवल श्रम शब्द को समझने लगे है बल्कि आगे होकर श्रम विभाग एवं श्रम कल्याण बोर्ड द्वारा संचालित श्रमिक हित योजनाओं का लाभ लेने है।
01 अगस्त 14 को सुबह करीब 10 बजे 4-5 महिलाएं समूह में श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र गोगुन्दा पर आई। उनसे केंद्र पर आने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि हम श्रम कल्याण बोर्ड की डायरियों को रिन्युअल कराने आई है। इन महिलाओं को श्रम विभाग के बारे में जानकारी थी, श्रम कल्याण बोर्ड में श्रमिक पंजीयन से लेकर श्रमिक परिचय पत्र की जानकारी भी थी।
बातचीत के दौरान पता चला कि वे गोगुन्दा बसस्टेण्ड के समीप स्थित नाई मोहल्ले से आई थी। उन्होंने बताया कि वे कई सालों से अमावस्या की बैठक में जा रही है तथा महानरेगा एवं मकान निर्माण में कुली का काम करती है। उन्होंने बताया कि पहले हमें श्रम विभाग के बारे में जानकारी नहीं थी और ना ही श्रमिकों के लिए संचालित सरकारी योजनाओं की जानकारी थी, इस मजदूरों के आॅफिस (श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र) के लोगों ने हमें श्रमिकों के लिए संचालित योजनाओं एवं हमारे अधिकारों के बारे में बताया। पहले तो उनकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब प्रयास किया, हिताधिकारी के पंजीयन के आवेदन किए और बाद में श्रम विभाग (राजस्थान भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक कल्याण मण्डल) से हमारे श्रमिक डायरियां (परिचय पत्र) बनकर आई तो कंेद्र पर हमारा विश्वास बन गया जो आज तक कायम है।
ये महिलाएं सशक्त है, इन्होंने अपने हिताधिकारी परिचय पत्र हेतु आवेदन भी खुद ही किए, परिचय पत्र के रिन्युअल के लिए अंशदान भी स्वयं ही जमा करवाकर आती है। उन्होंने बताया कि केंद्र के लोग हमारे आवेदन तैयार करवाने में मदद कर देते है और नई जानकारियां देते है।
खास बात यह है कि सवागी बाई, देवली बाई, भूरी बाई, लक्ष्मी बाई, डाली बाई व नरसी बाई जानकारी लेने या अन्य कामों से सरकारी दफ्तरों में समूह के रूप में जाती है। ये सभी घांचा समुदाय की है। उनका कहना है कि हम पढ़ी लिखी नहीं है, सभी साथ में जाती है तो आत्म विश्वास बना रहता है और जो भी जानकारी मिलती है, अगर हम में से एक भूल भी जाए तो दूसरी को याद रह जाता है।
ये महिलाएं संगठित है और अपने अधिकारों को न केवल जानती है बल्कि अधिकार पाने के लिए संघर्षरत है।
जब उनसे पूछा गया कि श्रम कल्याण बोर्ड से जारी परिचय पत्र से क्या-क्या लाभ प्राप्त किए जा सकते है तो उन्होंने बताया कि श्रमिक साईकिल सहायता के लिए, दो बेटियों के विवाह हेतु सहायता के लिए, प्रसूति सहायता के लिए व बच्चों की पढ़ाई के लिए छात्रवृति सहायता के लिए आवेदन कर सकता है। केंद्र कार्यकर्ता ने उनकी जानकारी बढ़ाते हुए बताया कि यही नहीं पंजीकृत हिताधिकारियों के लिए स्वावलम्बन पेंशन योजना, मेधावी छात्र-छात्राओं के लिए नकद पुरस्कार योजना संचालित है। साथ ही आवास बनाने के लिए ऋण एवं अग्रिम का भुगतान किया जाता है तथा सामान्य अथवा दुर्घटना में मृत्यु या घायल होने पर सहायता दी जाती है। महिलाओं ने बताया कि उन्हें इनके बारे में जानकारी नहीं थी। उन्होंने संकल्प लिया कि वे इन जानकारियों की अन्य समूहों में भी चर्चा करेंगी।
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