कमजोर वर्ग के युवाओं को जीवन के हर पड़ाव पर मदद की जरूरत पड़ती हैं, कभी उचित परामर्श की तो कभी रोजगार प्रशिक्षण की। कभी वित्तिय शिक्षण की तो कभी सामाजिक सुरक्षा की। कई बार कानूनी परामर्श, शिक्षण एवं सहायता की भी जरूरत आन पड़ती हैं। कईयों की ये जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं। पर कहीं-कहीं ऐसे मददगार मिल जाते हैं, जो ऐसी जरूरतों को पूरा कर देते हैं। युवा चरण लाल सागिया (गमेती) को प्रथम चरण में यानि कि कर्मयोगी के रूप में जिन्दगी की शुरूआत में रोजगार परामर्श की जरूरत पड़ी। आईसीआईसीआई फाउण्डेशन के आरसेटी ने पूरी कर दी। चरण ने आरसेटी की मदद से हाउस वायरिंग का प्रशिक्षण पूर्ण कर लिया। दूसरे चरण में उसे कानूनी सहायता की जरूरत पड़ी, जिसे श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र ने पूरी कर दी।
प्रथम चरण:
उदयपुर जिले की झाडोल तहसील के कीतावतों के वास निवासी चरण लाल सागिया जैसे तैसे कर 12वीं तक तो पढ़ पाया लेकिन उसके बाद उस पर आर्थिक भार बढ़ने लग गया। आगे की पढ़ाई करने के लिए भी उसके पास पर्याप्त रूपए नहीं थे। पढ़ाई छोड़कर काम धंधा करने का ही महज एक रास्ता उसे नजर आ रहा था। वह एक भी ऐसे कार्य को करने में निपूण नहीं था जिसे करने से उसे ठीकठाक मजदूरी मिल जाए। वह अकुशल कार्य में जाने की सोच रहा था। इस समय उसे कैरियर गाइडेन्स की जरूरत थी। सामाजिक ढ़ांचे में तो कैरियर गाइडेन्स की कोई आशा थी नहीं। एक दिन आरसेटी (आईसीआईसीआई फाण्उण्डेशन) का एक कार्यकर्ता उससे मिला। उसने उसे हाउस वायरिंग का प्रशिक्षण प्राप्त करने की सलाह दी। प्रशिक्षण के प्राप्त कर लेने के बाद वह काम भी कर सकता था और साथ में स्वयंपाठी छात्र के रूप में पढ़ाई भी कर सकता था।
चरण लाल को सलाहकार की सलाह ठीक लगी। उसने उदयपुर स्थित आरसेटी के प्रशिक्षण केंद्र में एक माह का प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण के बाद काम ढूंढ़ने में उसे बहुत समस्या आई मगर एक ठेकेदार के यहां उसे काम मिल गया। काम में निपूण होने के लिए उसने चार जगह कार्य किया। उसका कहना हैं कि वंडर सीमेन्ट फैक्ट्री में काम करने के दौरान सर्वाधिक सीखने को मिला। सीमेन्ट फैक्ट्री से निकलने के दौरान मानो वह फैैक्ट्री में तैयार होकर निकला था।
द्वितीय चरण:
निपूणता हासिल करने के बाद वह अपने ही क्षेत्र के ओगणा के ठेकेदार फतेह लाल मेघवाल के नियोजन में आस-पास गांवों में हाउस वायरिंग का कार्य करने लगा। ठेकेदार ने शुरू में तो मेहनताना कम दिया लेकिन आश्वस्त किया कि कुछ माह बाद वह मजदूरी बढ़ा देगा। चरण लाल ठेकेदार पर विश्वास कर काम करता रहा। बाद में ठेकेदार ने मजदूरी दर बढ़ाई भी, लेकिन धीरे-धीरे उसका व्यवहार बदलने लगा, वह चरण लाल पर झल्लाने लगा। उसके हर काम में खोट निकालने लगा। ठेकेदार के व्यवहार को देखकर चरण लाल ने उसके यहां से काम छोड़ने का निर्णय कर लिया। उसने ठेकेदार से हिसाब करने की बात कही तो ठेकेदार ने महज 2000 रूपए बकाया बताए जबकि चरण लाल के हिसाब से बकाया राशि 9920 रूपए थी। उसने ठेकेदार से कई बार मजदूरी भुगतान की मांग की लेकिन ठेकेदार ने हर बार उसे बाले दिए। मजदूरी भुगतान निकलवाने का कोई रास्ता उसे नजर नहीं आ रहा था। युवा खून बार-बार उबलता लेकिन उसने संयम रखा। एक दिन किसी ने उसे श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र गोगुन्दा पर ठेकेदार के विरूद्ध शिकायत करने की सलाह दी। जून-2015 में चरण लाल गोगुन्दा गया और केंद्र पर अपनी समस्या बताई। उसे कानूनी परामर्श दिया गया। कंेद्र ने ठेकेदार फतेह लाल मेघवाल से सम्पर्क साधा। ठेकेदार का कहना था कि चरण लाल की मजदूरी बकाया नहीं हैं।
जबकि चरण लाल ने बताया कि उसने 170 रूपए प्रतिदिन की दर से 22 सितम्बर 2014 से 31 दिसम्बर 2014 तक कार्य किया। उसके बाद 1 जनवरी 2015 से 27 फरवरी 2015 तक 250 रूपए प्रतिदिन की दर से कार्य किया। दैनिक मजदूरी की दर मौखिक रूप से तय की गई। उसने बताया कि फतेह लाल मेघवाल ने नियोजित करने के दौरान कहा था कि कुछ महिने तक 170 रूपए ( प्रतिदिन) की दर से भुगतान करेगा तथा उसके बाद काम में निपूणता देखकर मजदूरी बढ़ा देगा। 170 रूपए की दर पर 66 दिन कार्य कर चुकने के बाद चरण लाल ने ठेकेदार से मजदूरी बढ़ाने की बात की तो ठेकेदार ने 1 जनवरी 2015 को उसकी मजदूरी बढ़ाकर 250 रूपए कर दी। यह सब मौखिक ही तय किया जाता रहा।
प्रथम प्रयास में फतेह लाल सुलह के राजी नहीं हुआ। तब 14 जुलाई 2015 को निःशुल्क कानूनी परामर्श एवं सहायता दिवस के दिन चरण लाल की ओर से फतेह लाल के विरूद्ध मामला दर्ज किया गया। प्रकरण दर्ज होने के बारे में फतेह लाल को सूचना मिली तो उसने चरण लाल को ओगणा बुलाया। चरण लाल अपने पिता के साथ ओगणा गया। वहां एक मंदिर पर बैठकर दोनों पक्षों के बीच सुलह वार्ता हुई। चरण लाल ने बताया कि मामले में 7000 रूपए में मौखिक समझौता हुआ हैं और फतेह लाल ने 3000 रूपए का भुगतान उसी दिन कर दिया। उसने बताया कि शेष 4000 रूपए का भुगतान बाद में करने की बात कही हैं।
नियम तिथि पर चरण लाल ने फतेह लाल से बकाया राशि का तकाजा किया तो फतेह लाल ने देने से इंकार कर दिया। केंद्र द्वारा फतेह लाल से फोन पर बात की गई। उसने बताया कि समझौता 5400 रूपए में हुआ था, 3000 रूपए दे दिए हैं अब केवल 2400 रूपए बकाया हैं। दोनों पक्षों के कथन में बड़ा अंतर था। तब केंद्र ने फतेह लाल को सुलह के लिए पत्र भेज कर केंद्र पर बुलाया। 14 सितम्बर 2015 को फतेह लाल मेघवाल केंद्र पर उपस्थित हुआ। वह अड़ा रहा कि मजदूरी दर 170 रूपए ही तय की थी, मजदूरी दर 250 रूपए कभी तय नहीं की। वो इस बात पर भी अड़ा कि हम दोनों के पक्ष के बीच समझौता हो चुका हैं और समझौते के अनुसार 2400 रूपए ही बाकी हैं। वह तो इस बात पर भी अड़ गया कि चरण लाल मजदूरी के दिन ज्यादा बता रहा हैं। उसने कहा कि चरण लाल ने उसके यहां इतने दिन तक कार्य नहीं किया। यहां चरण लाल की हाजरी डायरी काम आई। ठेकेदार के यहां कार्य करने का हर दिन का हिसाब उसने अपनी डायरी में लिखा था। यथा किस तारीख को किस साइट पर कार्य किया, क्या कार्य किया, ठेकेदार से कितनी राशि ली इत्यादि। हिसाब रखने से उसका पक्ष मजबूत बना रहा।
केंद्र के कार्यकर्ता ने उससे अलग बैठकर बातचीत की। उसे बताया कि चरण लाल के पास हर दिन का हिसाब हैं। फतेह लाल के संज्ञान में लाया गया कि 170 रूपए में मजदूरी करवाकर कर उसने न्यूनतम मजदूरी भुगतान अधिनियम की अवहेलना की हैं तथा 7 माह तक मजदूरी का भुगतान नहीं कर मजदूरी भुगतान अधिनियम की अवहेलना की हैं। उसे समझाया गया कि वह सभी दिवसों का भुगतान 189 रूपए की दर से कर दे। ऐसा करने से उसे केवल 4000 रूपए का भुगतान करना होगा। उसे याद दिलाया गया कि उसने मंदिर पर जो समझौता किया उसके अनुसार भी 4000 रूपए का भुगतान ही करना हैं। अतः क्यों ना वह कानून सम्मत न्यूनमत मजदूरी की दर से चरण लाल को भुगतान कर दे। फतेह लाल को सुलह की यह कार्यवाही पंसद आई और उसने बकाया राशि 4000 रूपए का भुगतान कर मामले में समझौता कर लिया और 7 माह से चल रहा मजदूरी भुगतान विवाद चंद मिनटों में सुलझ गया।