- · लखन सालवी
कल यानि 27 जुलाई 2015 को
गोगुन्दा थाने से
केंद्र के लीगल
सेवा इंचार्ज को
काॅल आया। बताया
गया कि निर्माण
ठेकेदार किशन लाल
सुथार व चिनाई
कारीगर गल्लाराम गमेती थाने
में आए हुए
हैं और मामले
में समझौता करना
चाह रहे हैं।
दरअसल गोगुन्दा तहसील के
बांसड़ा गांव निवासी
गल्लाराम गमेती ने किशन
लाल सुथार के
नियोजन में चिनाई
कार्य किया था
लेकिन किशन सुथार
ने समय पर
मजदूरी का भुगतान
नहीं किया तो
गल्लाराम ने श्रमिक
सहायता एवं संदर्भ
केंद्र गोगुन्दा पर आकर
किशन सुथार के
विरूद्ध एक प्रकरण
दर्ज करवाया था।
प्रकरण के अनुसार
गल्लाराम ने ठेकेदार
किशन लाल सुथार
की विभिन्न साइटों
पर जूनए जुलाई
व अगस्त 2014 में
चिनाई कारीगर के
रूप में कार्य
किया। काम के
अंत में हिसाब
किया गयाए जिसमें
गल्लाराम की मजदूरी
के 23600 रूपए बकाया
निकले। गल्लाराम ने बकाया
मजदूरी के भुगतान
की मांग की
तो किशन लाल
ने 15 दिन बाद
की तारीख देते
हुए भुगतान कर
देने का विश्वास
जताया। नियत तिथि
पर गल्लाराम ने
किशन लाल को
फोन कर भुगतान
करने का तकाजा
किया। इस बार
किशन लाल ने
पुनः अगली तारीख
दे दी। इस
तरह किशन लाल
बार.बार आगे
की तारीखें देता
रहा। अंतः परेशान
होकर 13 अक्टूबर 2014 को गल्लाराम
गोगुन्दा स्थित श्रमिक सहायता
एवं संदर्भ केंद्र
में आया और
अपनी पीड़ा बताई।
केंद्र पर मौजूद
कार्यकर्ता ने उन्हें
मजदूरी भुगतान अधिनियम के
बारे में बताया।
केंद्र द्वारा सुलह की
प्रक्रिया की जानकारी
दी और कार्यवाही
में दस्तावेजों की
उपयोगिता का महत्व
बताया। गल्लाराम के पास
काम से जुड़े
कोई दस्तावेज नहीं
थे। उसने बताया
कि शायद ही
कोई साथी श्रमिक
गवाही देने आएगा।
केंद्र द्वारा किशन लाल
सुथार को प्रकरण
की सूचना देते
हुए मामले में
सुलह के लिए
बुलाया गया। किशन
लाल केंद्र पर
आया और बताया
कि उसने एक
साथ 6 काम ले
लिएए जिन्हें वह
मैनेज नहीं कर
पा रहा हैं।
उसने बताया कि
वह तीन किश्तों
में भुगतान कर
देगा। गल्लाराम उसके
इस प्रस्ताव पर
सहमत हो गया।
किशन लाल ने
बताया कि वह
1 नवम्बर 14 को प्रथम
किस्त 10000 रूपए 30 नवम्बर 14 को
दूसरी किस्त 10000 और
तीसरी किस्त 3600 रूपए
का भुगतान 30 दिसम्बर
2014 को कर देगा।
उससे इस आशय
का इकरार पत्र
भी दिया। प्रथम
किस्त का भुगतान
करने की तारीख
निकल गईए मगर
किशन लाल केंद्र
पर नहीं आया।
इसकी चर्चा निर्माण
श्रमिक संगठन की बैठक
में की गई
संगठन के लोगों
ने ठेकेदार किशन
लाल सुथार के
विरूद्ध पुलिस थाने में
ज्ञापन देकर पीडि़त
श्रमिकों को भुगतान
दिलवाने की मांग
की।
केंद्र व संगठन
के लोगों ने
पुलिस थाने से
लगातार फाॅलोअप लिया। जब
पुलिस का दबाव
पड़ा तो किशन
लाल केंद्र पर
आया। उसने 4 मामलों
में श्रमिकों को
बकाया मजदूरी का
भुगतान कर दिया।
वहीं गल्लराम गमेती
को 5000 रूपए दिए।
उसने कहा कि
व्यवसाय में उसे
बहुत नुकसान हो
गया हैंए इसलिए
वह एक मुश्त
भुगतान नहीं कर
पा रहा हैं।
उसने 25 मार्च को केंद्र
पर 5000 रूपए जमा
कराए जो गल्लाराम
गमेती को दे
दिए गए।
केंद्र द्वारा अब तक
हर माह किशन
सुथार से भुगतान
दिलवाने के लिए
पैरवी की गई
लेकिन सुथार हर
बार अगली तारीख
देता रहा। तब
बजरंग निर्माण श्रमिक
संगठन द्वारा जिला
पुलिस अधीक्षक को
पत्र भेज कर
ठेकेदार से श्रमिक
का भुगतान करवाने
की मांग की
गई।
केंद्र द्वारा की
गई मध्यस्तता के
बाद भी किशन
सुथार ने श्रमिक
की मजदूरी का
भुगतान नहीं किया
तो बजरंग निर्माण
श्रमिक संगठन के लोगों
ने उसके विरूद्ध
गोगुन्दा पुलिस थाने में
शिकायत की। पुलिस
ने उस पर
खूब दबाव बनाया।
वह केंद्र व
पुलिस वालों को
भी छकाता रहा।
थक हारकर पुलिसकर्मी
ने भी प्रकरण
का फोलोअप करते-करते थक
गए। अंत में
तो उन्होंने साफ
कह दिया कि
वे कानूनन ठेकेदार
के विरूद्ध कोई
कार्यवाही नहीं कर
सकते हैं। तब
श्रमिक संगठन द्वारा जिला
पुलिस अधीक्षक को
पत्र गया, जिसमें
एक अनुसूचित जनजाति
के व्यक्ति से
श्रम करवाने के
बाद मजदूरी भुगतान
नहीं करने की
शिकायत करते हुए
ठेकेदार के विरूद्ध
अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण
अधिनियम के तहत
कार्यवाही करने की
मांग की गई।
साथ ही पूर्व
में किशन सुथार
द्वारा मजदूरी भुगतान बकाया
होने व किश्तों
में भुगतान करने
संबंधित किए गए
इकरार पत्र का
भी हवाला दिया
गया। संगठन का
यह प्रयास रंग
लाया। पुलिस थाने
के कर्मचारियों पर
इसका असर हुआ।
अब पुलिस जी-जान से
ठेकेदार के पीछे
पड़ गई, ठेकेदार
घबराया। पुलिस कार्यवाही से
भयभीत किशन ने
वकील की मदद
ली। वकील ने
पुलिस थाने में
सम्पर्क कर मामले
में हस्तक्षेप किया।
दोनों पक्षों को
थाने में बुलाया
गया। वहां पुनः
हिसाब किया गया
तो पाया कि
गल्लराम के कुल
24600 रूपए हुए थे
जिसमें से 9200 रूप्ए का
भुगतान किया जा
चुका था। अब
15400 रूपए बकाया थे, जो
किशन ने पुलिसकर्मी
को दे दिए।
वकील ने सुझाव
दिया कि क्योंकि
कार्यवाही बजरंग निर्माण श्रमिक
संगठन व श्रमिक
सहायता केंद्र की शिकायत
पर की जा
रही हैं अतः
इन दोनों में
से किसी को
समझौते में शामिल
करना चाहिए। पुलिस
वाले तो बिना
संगठन व केंद्र
को बताए समझौता
करने पर अड़े
हुए थे लेकिन
वकील के न
मानने के कारण
मजबूरन केंद्र के प्रतिनिधि
को समझौता कार्यवाही
में शामिल किया
गया। केंद्र की
ओर से प्रतिनिधि
के तौर पर
मैं थाने में
पहुंचा। दो कॅान्स्टेबल,
दो वकील के
साथ ठेकेदार किशन
लाल सुथार कुर्सियों
पर बैठे हुए
थे, पीडि़त श्रमिक
गल्लाराम गमेती फर्श पर
उकडू बैठा हुआ
था। एक बड़ी-
सी ब्रेंच को
टेबल के पास
खिंचते हुए गल्लाराम
को उस पर
बैठने को कहा।
वह खड़ा हो
गया लेकिन बहुत
कहने पर भी
ब्रेंच पर नहीं
बैठा। बारिस हो
रही थी। समझौता
पत्र लिखने की
कार्यवाही पूरी करने
के बाद 15400 रूपए
का भुगतान मेरे
सामने किया गया।