राज्य कर्मचारी संघ एवं शासन सचिवालय अधिकारी-कर्मचारी संघ ने दी सरकार बदल देने की चेतावनी
लखन सालवी - सरकार बायोमेट्रिक हस्ताक्षर व्यवस्था लागू करने जा रही है, मुख्यमंत्री के व्यवस्था लागू करने की घोषणा करने महज से ही सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों के पसीने छूट गए और वे इस व्यवस्था के खिलाफ सड़कों पर उतर गए है। उनका कहना है कि बायोमेट्रिक हस्ताक्षर व्यवस्था लागू कर सरकार हमें अनपढ़ बनाना चाहती है।
जानकारी के अनुसार बायोमेट्रिक हस्ताक्षर व्यवस्था के तहत विभिन्न विभागों के कार्यालयों में बायोमेट्रिक हस्ताक्षर स्वीकार करने वाली मशीनें लगाई जाएगी। कार्यालय में पदस्थापित अधिकारी-कर्मचारी जब कार्यालय में आएंगे और जाएंगे तब उन्हें उस मशीन पर अपना अगूंठा लगाना होगा। मशीन अगूंठे के फिंगर प्रिन्ट को पढ़कर अधिकारी-कर्मचारी की उपस्थिति दर्ज करेगी, आने-जाने का समय दर्ज करेगी। इस व्यवस्था की जरूरत ही इसलिए पड़ी की अधिकारी-कर्मचारियों के आने जाने का समय रिकार्ड रह सके। समय पर कार्यालयों में उपस्थित नहीं होने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के लिए जरूर यह व्यवस्था गले की फांद बन जाएगी।
उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पूर्व सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान के द्वारा प्रदेश भर में मजदूर हक यात्रा निकाली गई थी और 2 अक्टूबर 2010 से 17 नवम्बर 2010 तक जयपुर में स्टेच्यू सर्किल के पास मजदूर हक सत्याग्रह किया गया था। जिसमें प्रदेश भर के लोगों ने भाग लिया था। उसी दौरान सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों-कर्मचारियों की उपस्थिति का सर्वे किया गया था। उस सर्वे के अनुसार अधिकतर अधिकारी-कर्मचारी समय पर कार्यालय में नहीं आए थे न ही पूरे समय कार्यालय में रूके थे। तब सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा सरकार से बायोमेट्रिक व्यवस्था को लागू करने की मांग की थी। बायोमेट्रिक हस्ताक्षर व्यवस्था की मांग और भी कई लोगों ने की है।
इस व्यवस्था को लागू करने के पीछे सरकार का मकसद भी शुभ ही है, आज के दौर में सरकारी अधिकारी कर्मचारी ड्यूटी समय में भी कार्यालय में उपस्थित नहीं रहते है। कार्यालय में आकर महज उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर कर वापस चले जाने की प्रथा चल पड़ी है। राजनीतिक लोगों से जुड़े सरकारी कर्मचारी तो ड्यूटी पर जाने को अपनी शान के खिलाफ समझते है, वो एक माह बाद कार्यालय में जाकर एक साथ पूरे माह के हस्ताक्षर कर देते है। सरकारी दफ्तरों में ऐसा भ्रष्टाचार दीमक की तहर फैल चुका है। इस दीमक को समाप्त करने के लिए एक उपाय है बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली। दफ्तर में नहीं आने के बावजूद पूरा वेतन पाने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, इसके पीछे भी कई कारण है। मॅानिटरिंग करने के लिए सरकार के पास कोई और उपर्युक्त व्यवस्था है नहीं। इसलिए बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली ही सबसे उत्तम तरीका है।
कई देशों में बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली लागू है। मॅानिटरिंग का यह बेहतर तरीका है, जिसमें कम मानव संसाधन की आवश्यकता होती है और भ्रष्टाचार करने की गुंजाइस भी नहीं रहती। राजस्थान शासन सचिवालय के अधिकारी कर्मचारी तो उन देशों में इस पद्धति का उपयोग कर रहे लोगों को अनपढ़ ही कहेंगे। और आप क्या कहिएगा ? वो सभी अनपढ़ है ?
बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली को राजस्थान सरकार लागू करने जा रही है तो सरकारी अधिकारी-कर्मचारी मुख्यमंत्री को आंख दिखा रहे है, अगली बार सरकार नहीं आने देने की धमकी दे रहे है, जैसे कोई इन 7 लाख अधिकारी-कर्मचारियों की की मर्जी के बिना सरकार बनेगी ही नहीं। वैसे राज्य के आलाकमान इन लोगों से बहुत डरते है। सपेरे की बीन के आगे नाचने वाले नाग के जैसी दशा हो रही है आलाकमान की।
जानकारी के अनुसार बायोमेट्रिक हस्ताक्षर व्यवस्था के तहत विभिन्न विभागों के कार्यालयों में बायोमेट्रिक हस्ताक्षर स्वीकार करने वाली मशीनें लगाई जाएगी। कार्यालय में पदस्थापित अधिकारी-कर्मचारी जब कार्यालय में आएंगे और जाएंगे तब उन्हें उस मशीन पर अपना अगूंठा लगाना होगा। मशीन अगूंठे के फिंगर प्रिन्ट को पढ़कर अधिकारी-कर्मचारी की उपस्थिति दर्ज करेगी, आने-जाने का समय दर्ज करेगी। इस व्यवस्था की जरूरत ही इसलिए पड़ी की अधिकारी-कर्मचारियों के आने जाने का समय रिकार्ड रह सके। समय पर कार्यालयों में उपस्थित नहीं होने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के लिए जरूर यह व्यवस्था गले की फांद बन जाएगी।
उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पूर्व सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान के द्वारा प्रदेश भर में मजदूर हक यात्रा निकाली गई थी और 2 अक्टूबर 2010 से 17 नवम्बर 2010 तक जयपुर में स्टेच्यू सर्किल के पास मजदूर हक सत्याग्रह किया गया था। जिसमें प्रदेश भर के लोगों ने भाग लिया था। उसी दौरान सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों-कर्मचारियों की उपस्थिति का सर्वे किया गया था। उस सर्वे के अनुसार अधिकतर अधिकारी-कर्मचारी समय पर कार्यालय में नहीं आए थे न ही पूरे समय कार्यालय में रूके थे। तब सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा सरकार से बायोमेट्रिक व्यवस्था को लागू करने की मांग की थी। बायोमेट्रिक हस्ताक्षर व्यवस्था की मांग और भी कई लोगों ने की है।
इस व्यवस्था को लागू करने के पीछे सरकार का मकसद भी शुभ ही है, आज के दौर में सरकारी अधिकारी कर्मचारी ड्यूटी समय में भी कार्यालय में उपस्थित नहीं रहते है। कार्यालय में आकर महज उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर कर वापस चले जाने की प्रथा चल पड़ी है। राजनीतिक लोगों से जुड़े सरकारी कर्मचारी तो ड्यूटी पर जाने को अपनी शान के खिलाफ समझते है, वो एक माह बाद कार्यालय में जाकर एक साथ पूरे माह के हस्ताक्षर कर देते है। सरकारी दफ्तरों में ऐसा भ्रष्टाचार दीमक की तहर फैल चुका है। इस दीमक को समाप्त करने के लिए एक उपाय है बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली। दफ्तर में नहीं आने के बावजूद पूरा वेतन पाने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, इसके पीछे भी कई कारण है। मॅानिटरिंग करने के लिए सरकार के पास कोई और उपर्युक्त व्यवस्था है नहीं। इसलिए बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली ही सबसे उत्तम तरीका है।
कई देशों में बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली लागू है। मॅानिटरिंग का यह बेहतर तरीका है, जिसमें कम मानव संसाधन की आवश्यकता होती है और भ्रष्टाचार करने की गुंजाइस भी नहीं रहती। राजस्थान शासन सचिवालय के अधिकारी कर्मचारी तो उन देशों में इस पद्धति का उपयोग कर रहे लोगों को अनपढ़ ही कहेंगे। और आप क्या कहिएगा ? वो सभी अनपढ़ है ?
बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली को राजस्थान सरकार लागू करने जा रही है तो सरकारी अधिकारी-कर्मचारी मुख्यमंत्री को आंख दिखा रहे है, अगली बार सरकार नहीं आने देने की धमकी दे रहे है, जैसे कोई इन 7 लाख अधिकारी-कर्मचारियों की की मर्जी के बिना सरकार बनेगी ही नहीं। वैसे राज्य के आलाकमान इन लोगों से बहुत डरते है। सपेरे की बीन के आगे नाचने वाले नाग के जैसी दशा हो रही है आलाकमान की।
बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली के खिलाफ किसने, क्या कहा
सचिवालय अधिकारी एवं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पूरण झरीवाल ने कहा कि - ‘‘सरकार पढ़े लिखे लोगों को अंगूठा छाप बनाना चाहती है, एडवांस टेक्नोलॅाजी के युग में अधिकारियों व कर्मचारियों से अंगूठा लगवाया जा रहा है।’’
सचिवालय के कर्मचारी नेता महेष व्यास ने कहा कि - ‘‘आगे भी गहलोत जी ने अधिकारियों व कर्मचारियों से पंगा लिया था। अब पुनः सत्ता के मद में उन्हें परेशान कर रहे है।’’
राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के जिलाध्यक्ष (जयपुर) संतोष विजय ने कहा कि - ‘‘ हमें इस व्यवस्था से दिक्कत कुछ भी नहीं है, बस कर्मचारियों में अविश्वास की स्थिति बन रही है।’’
बेहरहाल सचिवालय अधिकारी कर्मचारी संघ व राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने तो मुख्यमंत्री को धमकी दे दी है कि बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली को लागू न करे अन्यथा हम सरकार नहीं आने देंगे। अगर वास्तव में सरकार बनाना इन्हीं 7 लाख अधिकारियों व कर्मचारियों के हाथ की बात है तब तो मुख्यमंत्री को अधिकारी-कर्मचरियों को बात मानकर इन्श्योर कर लेना चाहिए कि अगली सरकार उन्हीं की बनेगी। और हां अगली ही क्यों उनकी तन्ख्वाह, यात्रा भत्ते आदि इत्यादि बढ़ा बढू कर यह भी इन्ष्योर कर लेना चाहिए भविष्य में राजस्थान में कभी किसी अन्य पार्टी की सरकार नहीं बनेगी।
सचिवालय अधिकारी एवं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पूरण झरीवाल ने कहा कि - ‘‘सरकार पढ़े लिखे लोगों को अंगूठा छाप बनाना चाहती है, एडवांस टेक्नोलॅाजी के युग में अधिकारियों व कर्मचारियों से अंगूठा लगवाया जा रहा है।’’
सचिवालय के कर्मचारी नेता महेष व्यास ने कहा कि - ‘‘आगे भी गहलोत जी ने अधिकारियों व कर्मचारियों से पंगा लिया था। अब पुनः सत्ता के मद में उन्हें परेशान कर रहे है।’’
राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के जिलाध्यक्ष (जयपुर) संतोष विजय ने कहा कि - ‘‘ हमें इस व्यवस्था से दिक्कत कुछ भी नहीं है, बस कर्मचारियों में अविश्वास की स्थिति बन रही है।’’
बेहरहाल सचिवालय अधिकारी कर्मचारी संघ व राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने तो मुख्यमंत्री को धमकी दे दी है कि बायोमेट्रिक हस्ताक्षर प्रणाली को लागू न करे अन्यथा हम सरकार नहीं आने देंगे। अगर वास्तव में सरकार बनाना इन्हीं 7 लाख अधिकारियों व कर्मचारियों के हाथ की बात है तब तो मुख्यमंत्री को अधिकारी-कर्मचरियों को बात मानकर इन्श्योर कर लेना चाहिए कि अगली सरकार उन्हीं की बनेगी। और हां अगली ही क्यों उनकी तन्ख्वाह, यात्रा भत्ते आदि इत्यादि बढ़ा बढू कर यह भी इन्ष्योर कर लेना चाहिए भविष्य में राजस्थान में कभी किसी अन्य पार्टी की सरकार नहीं बनेगी।