Monday, December 29, 2014

साड्डा हक ऐथ्थे रख

आजीविका ब्यूरो की कानूनी शिक्षण एवं पैरवी ईकाई भी है। इस ईकाई के द्वारा श्रमिकों के श्रम भुगतान, मुआवजे, दुर्घटना, मारपीट के विवादों में श्रमिकों को निःशुल्क परामर्श देने, उनके विवाद दर्ज कर कानूनी सहायता प्रदान करने तथा पीडि़त श्रमिक व विपक्षी के बीच सुलह करवाने का कार्य प्रमुखता से किया जाता है। यह ईकाई आजीविका ब्यूरो द्वारा संचालित विभिन्न श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्रों के माध्यम से श्रमिकों को निःशुल्क कानूनी शिक्षण एवं पैरवी सेवा प्रदान की जाती है। इस सेवा के अंतर्गत गांवों मंे पैरालीगल नियुक्त किए गए है जो उन्हीं क्षेत्र के है तथा श्रमिकों के साथ होने वाले अन्याय के प्रति उन्हें सजग करते है, कानूनी शिक्षण प्रदान करते है और जिन श्रमिकों के साथ किसी प्रकार का शोषण होता है ऐसे श्रमिकों को कानूनी परामर्श देते है तथा उन्हें कानूनी सहायता करते है। एक केस स्टड़ी . . .

साड्डा हक ऐथ्थे रख : वेणी सिंह को मिला काम का मेहनताना

श्रमिक भरसक मेहनत करता है बावजूद उसका शोषण होता रहता है। असंगठित व निजी क्षेत्र में श्रमिकों को मेहनता ने का भुगतान समय पर नहीं करने, दुर्घटना घटित हो जाने पर मुआवजा नहीं दिए जाने, न्यूनतम मजदूरी से कम का भुगतान करने जैसे मामले अकसर सामने आते रहते है। गैर सरकारी संस्थानों में हीन हीं वरन सरकारी विभागों में संविदा पर नियुक्त श्रमिक भी शोषण से बचे नहीं है।
सरकारी विभागों में भी श्रमिकों की नियुक्ति की आवश्यकता पड़ती है। वर्तमान में सरकार प्लेसमेंट एजेन्सियों के मार्फत संविदाकर्मियों के द्वारा कार्य करवा रही है। कहीं कार्यक्रम अधिकारी तो कहीं इंजीनियर, कहीं कम्प्यूटरकर्मी तो कहीं बाबू, कहीं ड्राइवर तो कहीं रसोई श्रमिक के रूप् में संविदा पर नियुक्ति दी जा रही है। यह अच्छा भी, क्योंकि इससे श्रमिकों को भी सरकारी कामकाजों में रोजगार के अवसर मिले है लेकिन प्लेसमेंट एजेन्सियों द्वारा श्रमिकों के शोषण करने के मामले भी सामने आ रहे है। पीडि़त श्रमिकों द्वारा शोषण के खिलाफ शिकायत भी की जाती है तो विभाग प्लेसमेंट एजेन्सी का मामला बताकर हाथ खड़े कर देती है। ऐसे में श्रमिक अपने आपको ठगा-सा महसूस करने लगता है। ऐसा ही हुआ उदयपुर जिले के गोगुन्दा क्षेत्र के गायरियावास गांव के वेणी सिंह खरवड़ के साथ।

वेणी सिंह खरवड़
वेणी सिंह खरवड़ (54 वर्ष) रसोई श्रमिक है। उन्होंने गोगुन्दा कस्बे में स्थित आबकारी थाने की मेस में रसोई बनाने का कार्य किया। जानकारी के अनुसार प्लेसमेंट एजेन्सी एम एस एन्टरप्राईजेज (उदयपुर) ने 01 सितम्बर 2013 से वेणी सिंह खरवड़ को 3000 रूपए मासिक के आधार पर गोगुन्दा के आबकारी थाने में रसोई बनाने के लिए नियुक्त किया। आबकारी थाने से वेणी सिंह के गांव के बीच 4 किलोमीटर की दूरी है। सर्दी हो या गर्मी या फिर वर्षा ऋतु, वह रोजाना सुबह 6.30 बजे तक आबकारी थाने पहुंचता और थाने के कर्मचारियों के लिए खाना बनाता। सुबह का खाना बनाने के बाद घर चला जाता, दिन में घर व खेती का काम करता और शाम को फिर आबकारी थाने में आकर कर्मचारियों के लिए शाम का खाना बनाता रहा। वेणी सिंह ने बताया कि दोनों समय खाना बनाने के महज 100 रुपए ही मिलते थे लेकिन क्या करता ? इसके अलावा रोजगार का कोई अवसर भी तो नहीं था।

वेणी सिंह जब से काम पर लगा तब से लेकर 31 मार्च 2014 तक उसे प्लेसमेंट एजेन्सी द्वारा महज 3000 रुपए का भुगतान किया गया था। वेणी सिंह ने कई बार मेहनताने का तकाजा किया था लेकिन प्लेसमेंट एजेन्सी के डायरेक्टर ने भुगतान नहीं किया। वेणी सिंह ने आबकारी थानाधिकारी से भी इसकी शिकायत की लेकिन उन्होंने प्लेसमेंट एजेन्सी व श्रमिक के बीच हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।
स्थिति ऐसी थी कि कहीं नौकरी ना छूट जाए इस डर से उसे खाना दोनों समय बनाना था जबकि मेहनताने का भुगतान नहीं किया जा रहा था। इसी दौरान उसे एक स्थानीय वकील ने श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र के बारे में बताया। उसे बताया कि केंद्र श्रमिकों का अटका भुगतान कानूनी तरीके से दिलवाने में सहायता करता है।
तब 2 अगस्त 2014 को वेणी सिंह केंद्र पर उपस्थित हुए और अपनी समस्या बताई। केंद्र से उन्हें कानूनी परामर्श दिया गया। उनसे काम से जुड़े दस्तावेज मांगे तो उन्होंने बताया कि आबकारी थाने में रजिस्टर में रोजाना उपस्थिति दर्ज की जाती है, उस रजिस्टर के अलावा कोई प्रमाण नहीं है।
केंद्र के कार्यकर्ता ने उसे उसके मामले से जुड़े कानूनी पक्षों के बारे में बताते हुए, विवाद के समाधान हेतु परामर्श दिया और द्वितीय व तृतीय पक्ष के संदर्भ में जानकारियां ली। केंद्र के कार्यकर्ता द्वारा मामले में हस्तक्षेप करते हुए द्वितीय व तृतीय पक्ष से वेणी सिंह द्वारा दर्ज करवाए गए विवाद के बारे में चर्चा की गई। द्वितीय पक्ष ने तृतीय पक्ष को जिम्मेदार बताते हुए भुगतान करने से इंकार कर दिया।
इसी दरमियां ‘‘सरकार आपके द्वार अभियान’’ के तहत ग्राम पंचायत व ब्लाॅक स्तर पर जनसुनवाई शिविर आयोजित किए जाने की सरकार के कार्यक्रम की जानकारी मिली। इस अभियान के तहत राज्य सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री उदयपुर संभाग में रहे और ग्राम पंचायत व ब्लाॅक स्तर पर जनसुनवाई की। केंद्र के कार्यकर्ता ने इस अभियान का लाभ लेकर मामले का समाधान करने का विचार बनाया और 20 अगस्त को चांटिया खेड़ी ग्राम पंचायत में ग्राम पंचायत स्तरीय जनसुनवाई शिविर में वेणी सिंह खरवड़ से शिकायत दर्ज करवाई, जिसमें द्वितीय पक्ष से कार्य का भुगतान करवाने की मांग की। मंत्री से सुनवाई करते हुए आबकारी थानाधिकारी को 23 अगस्त तक वेणी सिंह को भुगतान करवाने के मौखिक आदेश दिए। 23 अगस्त को वेणी सिंह खरवड़ पंचायत समिति स्तरीय जनसुनवाई में नहीं पहुंच पाया लेकिन जनसुनवाई में उसकी शिकायत पर पुनः सुनवाई हुई। जैसे ही उसकी शिकायत मंत्री के हाथ में आई, मंत्री ने आबकारी थानाधिकारी को जवाब के लिए बुलाया और शिकायत निवारण के बारे में पूछा तो आबकारी थानाधिकारी ने कहा कि वेणी सिंह खरवड़ को बकाया राशि का भुगतान बीते कल कर दिया गया है। शिविर में मौजूद लोगों ने मंत्री द्वारा की गई कार्यवाही पर जमकर कर तालियां बजाई और मंत्री की हौसलां अफजाई की।
दूसरी ओर वेणी सिंह खरवड़ को ब्लाॅक स्तरीय जनसुनवाई शिविर में चले घटनाक्रम की जानकारी मिली तो वह जलभून कर रह गया। अब वह केंद्र द्वारा की जा रही कार्यवाही के भरोसे था। केंद्र द्वारा द्वितीय व तृतीय पक्ष को मामले के संदर्भ में अपना पक्ष रखने एवं विवाद में सुलह हेतु आमंत्रित किया। केंद्र नोटिस जाने के बाद द्वितीय व तृतीय पक्ष अपना पक्ष रखने केंद्र पर तो नहीं आए लेकिन वेणी सिंह को बकाया भुगतान कर दिया। वेणी सिंह ने बताया कि द्वितीय पक्ष ने 13000 रुपए का भुगतान 20 अक्टूबर 14 व 5000 रुपए 2 नवम्बर 14 को कर दिया।
वेणी सिंह खरवड़ रसोई कार्य में ही दक्ष है और गांव व परिवार को नहीं छोड़ना चाहते है इसलिए ही उन्होंने बहुत कम मेहनताने में भी आबकारी थाने में रसोई कार्य को निरन्तर चालू रखा। अब प्लेसमेंट एजेन्सी ने वेणी सिंह खरवड़ को नई नियुक्ति दी है और नियमित भुगतान भी किया जा रहा है।

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